सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

बिलनी ( गुहेरी ) का होम्योपैथिक मेडिसिन [ Bilni ( Stye )

 बिलनी ( गुहेरी ) का होम्योपैथिक मेडिसिन [ Bilni ( Stye ) Ka Homeopathic Medici बिलनी ( गुहेरी ) का होम्योपैथिक मेडिसिन [ Bilni ( Stye ) Ka Homeopathic Medicine ] ne ] बिलनी ( गुहेरी ) का होम्योपैथिक मेडिसिन  हम सभी की आँखों के ऊपर और नीचे पलकें होती है, इन पलकों में एक ग्रंथि होती है जिसे सिबेसियस ग्रंथि कहा जाता है, जिसका एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम होता है। इस ग्रंथि का काम होता है सीबम नमक तेल को बनाये रखना पलकों पर। तेल की वजह से ही हम अपनी पलकें झपका पाते है। इस तेल की कमी से आँखों में सूखापन आ जाता है। यदि इसमें इन्फेक्शन हो जाये तो पलकों में फोड़े-फुंसी बन जाते है इसे ही बिलनी ( गुहेरी ) कहा जाता है। बिलनी आंख के अंदर भी हो सकती है और बाहर भी। यह समस्या बहुत ही आम है और आमतौर पर सभी को हो जाया करती है। यह बिलोनी एक से दो हफ्ते में खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है लेकिन कभी-कभी यह ज्यादा दिन तक रह जाता है और कभी-कभी बहुत जल्दी-जल्दी दुबारा होने लगता है। बिलनी होने के कारण बिलनी स्टैफिलोकोकस नामक कीटाणु के कारण होता है। जब यह कीटाणु पलकों के सिबेसियस नामक ग्लैंड से सम्पर्क करती है तो इन्फे

कंजंक्टिवाइटिस (आंख आ कंजंक्टिवाइटिस (आंख आना

 कंजंक्टिवाइटिस (आंख आ कंजंक्टिवाइटिस (आंख आना ) ना) की होम्योपैथी दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for conjunctivitis in hindi कंजंक्टिवाइटिस (आंख आना) की होम्योपैथी दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for conjunctivitis in hindi कंजंंक्टिवाइटिस को आंख आना भी कहते हैं। कंजंक्टिवा एक ढीला संयोजी ऊतक है जो आईबॉल (नेत्रगोलक) की सतह को कवर करता है, जबकि आंख के सफेद भाग की बाहरी सतह और पलक की आंतरिक सतह में सूजन को कंजंक्टिवाइटिस कहते हैं। इसमें आंख का सफेद हिस्सा गुलाबी या लाल हो जाता है, इसलिए इसे आमतौर पर 'गुलाबी आंख' भी कहा जाता है। कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर आत्म-सीमित (खुद ही ठीक होने वाला) नेत्र संक्रमण है जो कभी-कभी गंभीर रूप में विकसित हो जाती है। यह स्थिति एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकती है। अक्सर ऐसा वायरल इंफेक्शन या बैक्टीरियल इंफेक्शन या जलन या धुएं से एलर्जी की प्रतिक्रिया के कारण हो सकती है। चिकित्सक मरीज की मेडिकल ​हिस्ट्री, लक्षणों और आंखों की जांच के आधार पर, इस समस्या के कारणों का निर्धारण करते हैं। हालांकि, कभी-कभी सटीक कारण का प

काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) की होम्योपैथी दवा और इलाज

 काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) की होम्योपैथी दवा और इलाज - काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) आंख की एक स्थिति है जो ऑप्टिक तंत्रिका को प्रभावित करती है। यह स्थिति आंख के आगे वाले भाग में तरल पदार्थ के निर्माण के कारण होती है, जिसके परिणामस्वरूप ऑप्टिक तंत्रिका पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और इसे नुकसान पहुंचता है। ऑप्टिक तंत्रिका पर बढ़ते दबाव के कारण भी ग्लूकोमा हो सकता है। यदि इसे नजरअंदाज कर दिया जाए, तो अंधेपन की समस्या हो सकती है। ग्लूकोमा के विकास और लक्षणों के आधार पर इसे दो मुख्य प्रकारों में बांटा गया है : ओपन-एंगल ग्लूकोमा : यह ग्लूकोमा का सबसे आम प्रकार है जो समय के साथ विकसित होता है। जब तक कि स्थिति एक्यूट (तेजी से खराब होने वाली) न हो जाए तब तक इसमें कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है। एंगल क्लोजर ग्लूकोमा : इस तरह का ग्लूकोमा दुर्लभ है और यह ऑप्टिक तंत्रिका पर बढ़ते दबाव के कारण अचानक विकसित होता है। ओपन-एंगल ग्लूकोमा के विपरीत, इसमें मतली के साथ गंभीर रूप से आंख में दर्द, दृष्टि की हानि और दृष्टि दोष जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। दृष्टि को प्रभावित होने या अंधेपन को रोकने के लिए पारंपरिक तर

मोतियाबिंद की होम्योपैथिक दवा और इलाज

 मोतियाबिंद की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Cataract in Hind मोतियाबिंद में आंखों के लेंस में धुंधलापन होता है, जिससे देखने की क्षमता में कमी आती है। मोतियाबिंद तब होता है जब आंखों में प्रोटीन के गुच्छे जमा हो जाते हैं जो लेंस को साफ चित्र रेटिना को भेजने से रोकते हैं। रेटिना, लेंस के माध्यम से संकेतों में आने वाली रोशनी को परिवर्तित करता है। यह संकेत ऑप्टिक तंत्रिका को भेजता है, जो उन्हें मस्तिष्क में ले जाता है। मोतियाबिंद अक्सर धीरे-धीरे विकसित होता है और एक या दोनों आंखें इससे प्रभावित हो सकती हैं। इसमें फीके रंग दिखना, धुंधला दिखना, ऑब्जेक्ट के चारों ओर रोशनी दिखना, चमकदार रोशनी में देखने में परेशानी और रात को देखने में परेशानी हो सकती है। वैसे तो मोतियाबिंद 80 साल की उम्र के बाद होता है, लेकिन ये कम उम्र में भी प्रभावित कर सकता है। रात में कम दिखाना, बार-बार कांटेक्ट लेंस या चश्‍मा बदलने की जरूरत पड़ना, एक आंख से कई दृश्‍य दिखना, रंग धुंधले दिखना, धुंधला दिखाई देखना और धूप, हैडलाइट या लैंप की रोशनी से आंखें चुंधिया जाना, मोतियाबिंद के कुछ लक्ष

साइटिका की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment

 साइटिका की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment पीठ के निचले हिस्‍से में साइटिक नस के शुरुआती भाग पर दबाव पड़ने से होने वाले दर्द को साइटिका कहते हैं। आमतौर पर साइटिका का दर्द अचानक शुरू होता है और पीठ से होता हुआ टांग के बाहरी और सामने वाले हिस्‍से तक पहुंच जाता है। इसमें चुभने वाला दर्द होता है और ये दर्द आमतौर पर सिर्फ एक टांग को प्रभावित करता है। इसका संबंध नसों से जुड़े लक्षणों जैसे कि प्रभावित टांग और पैर के विभिन्‍न हिस्‍सों में सुन्‍नता, झुनझुनी और कमजोरी से है। भारी चीजें उठाने जैसे कार्यों की वजह से साइटिका ट्रिगर हो सकता है। हर्निया डिस्‍क के साथ साइटिका नस पर कहीं भी दबाव पड़ने, लम्बर स्‍पाइनल स्‍टेनोसिस (पीठ के निचले हिस्‍से में रीढ़ नलिका का सिकुड़ना), स्‍पॉन्डिलोलिस्‍थेसिस (रीढ़ की हड्डी में निचले वर्टिब्रा का आगे की ओर खिसकना), रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर, रीढ़ की हड्डी में संक्रमण या चोट लगना भी साइटिका में दर्द के कुछ कारण हैं। साइटिका के कुछ जोखिम कारकों में उम्र, व्‍यवसाय, गतिहीन जीवनशैली और गर्भावस्‍था से जुड़े हार्मोन शामिल हैं। आमतौर पर साइट

पेट में गैस की होम्योपैथिक दवा और इलाज -

 पेट में गैस की होम्योपैथिक दवा और इलाज -  पेट में गैस का मतलब है ग्रासनली में हवा मौजूद होना। ये समस्या खाते-पीते समय ज्यादा हवा मुंह से अंदर लेने के कारण हो सकती है या ये पेट में बैक्टीरिया बढ़ने के कारण भी हो सकती है। पेट में गैस होने के सबसे आम कारणों में से एक है अपच। अपच, जीवनशैली व खान-पान की आदतों से हो सकती है, जैसे कैफीन, शराब या कार्बन डाइऑक्साइड वाले पदार्थ लेना, जल्दबाजी में खाना और फैट वाला खाना लेना। एंटीबायोटिक व पेनकिलर दवाओं और पेट में इन्फेक्शन के कारण भी अपच और पेट में गैस की समस्या हो सकती है। पेट में गैस होने पर पेट फूलना, डकार आना, थोड़ा सा खाने के बाद ही पेट भरा हुआ लगना, पेट में जलन और कभी-कभी मतली जैसी समस्याएं होती हैं। होम्योपैथी के अनुसार, पेट की गैस एक परेशान कर देने वाली समस्या है, जिसे व्यक्ति के जीवन से संबंधित अलग-अलग पहलुओं के आधार पर दवा देकर सही किया जा सकता है। इसके लिए कार्बो वेजीटेबिलिस, सिनकोना ऑफिसिनैलिस और लाइकोपोडियम। पेट में गैस का होम्योपैथिक इलाज कैसे होता है - Homeopathy me pet ki ganth ka ilaaj kaise hota hai पेट में गैस की होम्योपैथिक दवा

बवासीर (पाइल्स) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Piles in Hindi

 बवासीर (पाइल्स) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Piles in Hindi हमारे मलाशय और गुदा के क्षेत्र में एक प्रकार की रक्त वाहिकाएं मौजूद होती हैं, जिन्हें हेमरॉइड्स (Haemorrhoids) कहा जाता है। इन्हीं रक्त वाहिकाओं में सूजन होने को बवासीर कहते हैं। ये समस्या मलाशय की अंदरूनी तरफ या गुदा की बाहरी तरफ हो सकती है। बवासीर के कुछ मुख्य कारण हैं, लगातार कब्ज रहना, गर्भावस्था, गंभीर क्रोनिक खांसी और अनुवांशिकता। अंदरूनी बवासीर का सबसे मुख्य लक्षण है खून बहना। हालांकि, बवासीर वाले टिशू का गुदा से बाहर आ जाने पर इसमें ब्लीडिंग के साथ अत्यधिक दर्द भी होता है। ये समस्या अधिकतर दबाव के कारण रक्त वाहिकाओं के खिंचाव से होती है, जैसे कब्ज की समस्या में। समस्या की गंभीरता और उपचार के आधार पर, बवासीर को स्टेज 1 से स्टेज 4 तक क्रमिक किया गया है। पाइल्स के लिए किए जाने वाले आम उपचार में व्यक्ति को स्टेरॉयड व पेन किलर दवाओं के साथ खान-पान व जीवनशैली के बदलाव करने के लिए कहा जाता है। जब बवासीर के साथ तेज दर्द और ब्लीडिंग की समस्या होती है, उन मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती