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मार्च 20, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi

 शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi शीघ्र स्खलन एक पुरुषों का यौन रोग है, जिसमें दोनों यौन साथियों की इच्छा के विपरीत सेक्स के दौरान पुरुष बहुत जल्दी ऑर्गास्म पर पहुंच जाता है यानि जल्दी स्खलित हो जाता है। इस समस्या के कारण के आधार पर, ऐसा या तो फोरप्ले के दौरान या लिंग प्रवेश कराने के तुरंत बाद हो सकता है। इससे एक या दोनों साथियों को यौन संतुष्टि प्राप्त करने में परेशानी हो सकती है। स्खलन को रोक पाने में असमर्थता अन्य लक्षणों जैसे कि आत्मविश्वास में कमी, शर्मिंदगी, तनाव और हताशा आदि को जन्म दे सकती है। ज्यादातर मामलों में, हो सकता है कि स्खलन को नियंत्रित करने में असमर्थता किसी जैविक कारण से न पैदा होती हो, हालांकि उपचार के किसी भी अन्य रूप की सिफारिश करने से पहले डॉक्टर इसकी संभावना का पता लगाते हैं। तनाव, चिंता, अवसाद, यौन अनुभवहीनता, कम आत्मसम्मान और शरीर की छवि जैसे मनोवैज्ञानिक कारक शीघ्र स्खलन के सबसे आम कारण हैं। विशेष रूप से सेक्स से संबंधित अतीत के दर्दनाक अनुभव भी शीघ्र स्खलन का संकेत दे सकते हैं। अन्य

कामेच्छा बढ़ाने के लिए होम्योपैथिक उपचार और दवा -

 कामेच्छा बढ़ाने के लिए होम्योपैथिक उपचार और दवा - Homeopathic treatment and medicines for low libido in Hindi कामोत्तेजना में कमी की समस्या महिला या पुरुष किसी को भी हो सकती है. ये समस्या तनाव, हार्मोनल असंतुलन, टेस्टोस्टेरोन में कमी, प्यूबर्टी व स्तनपान के कारण हो सकती है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि कामोत्तेजना में कमी को होम्योपैथिक दवा से ठीक किया जा सकता है. आज इस लेख से आप जानेंगे कि कामोत्तेजना बढ़ाने के लिए होम्योपैथिक दवाएं कौन-कौन सी हैं- कामोत्तेजना बढ़ाने में फायदेमंद होम्योपैथिक दवाइयां लाइकोपोडियम अर्जेंटम नाइट्रिकम स्टेफिसेग्रिया कास्टिकम एग्नस कैस्टस सेलेनियम मेटालिकम कैलेडियम कामोत्तेजना बढ़ाने वाली अन्य होम्योपैथिक दवाएं कामोत्तेजना बढ़ाने में फायदेमंद होम्योपैथिक दवाइयां मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सेक्स जरूरी है. वहीं, कामोत्तेजना में कमी के लिउ तनाव, चिंता, डायबिटीज व एंडोमेट्रियोसिस जिम्मेदार हो सकते हैं. इस समस्या से सिर्फ पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी प्रभावित होती हैं, लेकिन कुछ होम्योपैथिक दवाएं इस समस्या से निजात दिला सकती हैं. आइए विस्तार से कामोत

स्वप्नदोष | लक्षण, कारण, कुप्रभाव और होम्योपैथिक इलाज

 स्वप्नदोष | लक्षण, कारण, कुप्रभाव और होम्योपैथिक इलाज [Top 13 दवाएं] स्वप्नदोष का रामबाण इलाज | होम्योपैथी की Top13 दवाएं | स्वप्नदोष की बीमारी के लक्षण और क्या कारण होते हैं? स्वप्नदोष का हमरे शरीर पर कुप्रभाव और छुटकारा होम्योपैथी को स्वप्नदोष से कैसे दूर करें? स्वप्नदोष का रामबाण इलाज | होम्योपैथी की Top13 दवाएं | स्वप्नदोष की बीमारी के लक्षण और क्या कारण होते हैं? स्वप्नदोष का हमरे शरीर पर कुप्रभाव और छुटकारा कैसे पाएं ? स्वप्नदोष के कुप्रभाव से एक परुष चिंतित स्वप्नदोष क्या है?  अक्सर नींद में स्वप्न देख कर अथवा बिना स्वप्न के नींद में वीर्य का निकल जाना स्वप्नदोष कहलाता है। स्वप्नदोष का कुप्रभाव स्वप्नदोष है बहुत गंभीर समस्या है जिसका अगर समय पर इलाज न किया जाए तो सेक्स संबंधित बहुत सारे अन्य रोग उत्पन्न हो जाते हैं। स्वप्नदोष जब अधिक होने लगता है तो हमारे शरीर में विटामिंस प्रोटींस तथा मिनरल्स की कमी हो जाती है जिससे हमारा शरीर कमजोर हो जाता है। अगर हमारी उम्र 13 से 19 साल के बीच में है और इस दौरान अगर स्वप्नदोष अधिक होता है तो इसका हमारे शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है इस द

पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine,

 पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine,  मेनोरेजिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मासिक धर्म के दौरान अधिक मात्रा में ब्लीडिंग होती है। यह ब्लीडिंग सात दिनों से अधिक समय तक रह सकती है। मेनोरेजिया में ब्लीडिंग के साथ-साथ खून के थक्के भी दिखाई देते हैं, ऐसे में हर दो घंटे में पैड या टैम्पोन बदलने की जरूरत पड़ सकती है। इस स्थिति में खून की कमी हो जाती है और ऐसा होने पर थकान व एनीमिया जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। मेनोरेजिया के आमतौर पर निम्नलिखित कारक होते हैं : हार्मोन संबंधी समस्याएं गर्भाशय से संबंधित समस्याएं जैसे गर्भाशय कैंसर, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर और गर्भाशय फाइब्रॉएड गर्भावस्था से जुड़ी दिक्कतें जैसे गर्भपात या अस्थानिक गर्भावस्था, जिसमें बच्चा गर्भाशय के बाहर विकसित होता है मेनोरेजिया के अन्य कारणों में शामिल हो सकते हैं : प्लेटलेट फंक्शन डिसऑर्डर जैसे ब्लीडिंग डिसऑर्डर नॉन-ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज; लिवर रोग, किडनी रोग या थायराइड और कैंसर आमतौर पर मेनोरेजिया के अनुभवी लक्षणों में शामिल हैं : पीरियड्स के दौरान भारी

पीरियड्स न आने की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Amenorrhea in Hindi

 पीरियड्स न आने की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Amenorrhea in Hindi बच्चों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और रजोनिवृत्ति से गुजर चुकी महिलाओं में पीरियड्स का न आना सामान्य है। लेकिन जिन महिलाओं में नियमित रूप से मासिक धर्म आते हैं, जब उनमें असामान्य रूप से मासिक धर्म आना बंद हो जाता है, तो इस स्थिति को एमेनोरिया कहते हैं। इसके दो प्रकार हैं - प्राथमिक और द्वितीयक। प्राथमिक एमेनोरिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें 16 साल की उम्र तक मासिक धर्म शुरू नहीं होता है, लेकिन उसके शरीर का विकास और स्तन का बढ़ना सामान्य रूप से होता है। सेकेंडरी एमेनोरिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें माहवारी शुरू होने के बाद कम से कम 6 महीने तक मासिक धर्म आता है, लेकिन उसके बाद लगातार 3 महीने या इससे ज्यादा समय तक मासिक धर्म नहीं आता है। एमेनोरिया का सबसे आम कारण विभिन्न अंतर्निहित स्थितियों की वजह से शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन के स्तर में असंतुलन आना है। इसके अलावा निम्नलिखित स्थितियां भी एमेनोरिया का कारण हो सकती हैं : गर्भाशय, योनि से जुड़ी असामान्यताए

भगन्दर (फिस्टुला) की होम्योपैथिक दवा और इलाज

 भगन्दर (फिस्टुला) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for (Anal) Fistula in Hindi भगन्दर (फिस्टुला) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for (Anal) Fistula in Hindi भगन्दर फिस्टुला को फिस्टुला-इन-एनो के रूप में भी जाना जाता है। यह गुदा वाले हिस्से से जुड़ी एक असामान्य दिक्कत है। यह एनल कैनल (गुदा नलिका) और गुदा के पास की त्वचा के बीच विकसित होता है। आमतौर पर यह स्थिति गुदा संक्रमण के कारण उत्पन्न होती है, जिसमें गुदा वाले हिस्से में मवाद (फोड़ा) का संचय होता है। यह मवाद नलिका के माध्यम से बाहर निकलता रहता है। गुदा के अंदर कई ग्रंथियां मौजूद हैं। इन ग्रंथियों में से एक के ब्लॉक (अवरुद्ध) होने पर फोड़े की समस्या हो सकती है। लगभग 50 प्रतिशत भगन्दर की समस्या इन फोड़े-फुन्सियों के वजह से होती है। दुर्लभ मामलों में फिस्टुला क्रोन्स डिसीज, टीबी (क्षय रोग, तपेदिक), आघात (चोट), यौन संचारित रोगों या कैंसर जैसी अन्य प्रक्रियाओं के कारण हो सकता है। एक पैथोलॉजिकल अध्ययन के अनुसार, आमतौर पर भगन्दर (फिस्टुला) का खतरा 31 से 60 वर्ष की महिलाओं मे