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मार्च 9, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मस्से,WARTS AND HOMOEOPATHY

DR.J.K.PANDEY B.Sc.BHMS (WARTS) मस्से हमारे शरीर में स्वतः विकसित होने वाली सरचनाएं हैं. कई बार ये हमारे शरीर के कुछ विशिष्ट हिस्सों में हो जाता है जिससे बहुत विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसलिए लोग ऐसे मस्सों से छुटकारा पाना चाहते हैं. मस्सा को चिकित्साविज्ञान के अनुसार एक प्रकार का चर्मरोग माना जाता है. यह प्रायः अलग-अलग आकार के हो सकते है. यह प्रायः हाथ या पैर पर होता है लेकिन इसके शरीर के अन्य भागों में भी होने की संभावना लगातार बनी ही रहती है. मस्सों के निकलने का मुख्य कारण मानव (ह्यूमन) पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) होता है. इस वायरस की 130 प्रकार देखे गये हैं और यह मानव शरीर को छुवाछूत के जरिए संक्रमित कर देते हैं. आम तौर से मस्सों के उपचार के लिये होम्योपैथिक दवा थूजा“ उपयोग एक चलन सा बन गया है. लेकिन आपको बता दें कि ‘थूजा’ हर एक मस्सों की दवा नहीं है. जब थूजा के इस्तेमाल से मस्सों में आराम नहीं मिलता तब लोगों को चिकित्सक की सहाता से अन्य दवाओं के इस्तेमाल पर गौर करना चाहिए. मस्सों के होम्योपैथिक इलाज की चर्चा करने से पहले मस्सों के निकलने के कारण और उनके प्रकारों पर भी नजर ड़ाल लेन

नकसीर,NOSEBLEED AND HOMOEOPATHY

 Dr.J.K.Pandey B.Sc,BHMS EPISTAXIS,NOSEBLEED AND HOMOEOPATHY नाक से खून निकलने को मेडिकल की भाषा में एपिस्टैक्सिस कहते हैं। अचानक या नाक में किसी चोट लगने के कारण खून निकलने की शिकायत हो सकती है। नाक से खून निकलने को नकसीर भी कहा जाता है। नकसीर की स्थिति जानलेवा तो नहीं है, लेकिन बार-बार नाक से खून निकलने की वजह से व्‍यक्‍ति को असहजता हो सकती है। प्रभावित हिस्‍से के आधार पर एपिस्टैक्सिस को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है – एंटीरियर ब्‍लीड (दो नथुनों के बीच की दीवार से खून निकलना) और पोस्‍टीरियर ब्‍लीड (नाक के पीछे से खून निकलता है)। अगर बार-बार नकसीर की समस्‍या हो रही है या ये गंभीर रूप ले चुकी है तो इस पर ध्‍यान देना बहुत जरूरी हो जाता है। आमतौर पर नाक से खून निकलने को प्राथमिक उपचार, नाक से खून निकलने से संबंधित बीमारी, दवाओं एवं कुछ मामलों में सर्जरी से ठीक किया जाता है। होम्‍योपैथी में व्‍यक्‍ति की मानसिक स्थिति को ध्‍यान में रखने के साथ-साथ कुछ स्‍वास्‍थ्‍य स्थितियों के प्रति उसकी प्रवृत्ति पर भी ध्‍यान दिया जाता है। शरीर की प्रकृति और कुछ बीमारियों के होने के प्रवृत्ति के आधार