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साइटिका की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment

 साइटिका की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment



पीठ के निचले हिस्‍से में साइटिक नस के शुरुआती भाग पर दबाव पड़ने से होने वाले दर्द को साइटिका कहते हैं। आमतौर पर साइटिका का दर्द अचानक शुरू होता है और पीठ से होता हुआ टांग के बाहरी और सामने वाले हिस्‍से तक पहुंच जाता है।

इसमें चुभने वाला दर्द होता है और ये दर्द आमतौर पर सिर्फ एक टांग को प्रभावित करता है। इसका संबंध नसों से जुड़े लक्षणों जैसे कि प्रभावित टांग और पैर के विभिन्‍न हिस्‍सों में सुन्‍नता, झुनझुनी और कमजोरी से है।

भारी चीजें उठाने जैसे कार्यों की वजह से साइटिका ट्रिगर हो सकता है। हर्निया डिस्‍क के साथ साइटिका नस पर कहीं भी दबाव पड़ने, लम्बर स्‍पाइनल स्‍टेनोसिस (पीठ के निचले हिस्‍से में रीढ़ नलिका का सिकुड़ना), स्‍पॉन्डिलोलिस्‍थेसिस (रीढ़ की हड्डी में निचले वर्टिब्रा का आगे की ओर खिसकना), रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर, रीढ़ की हड्डी में संक्रमण या चोट लगना भी साइटिका में दर्द के कुछ कारण हैं।

साइटिका के कुछ जोखिम कारकों में उम्र, व्‍यवसाय, गतिहीन जीवनशैली और गर्भावस्‍था से जुड़े हार्मोन शामिल हैं।

आमतौर पर साइटिका का इलाज दर्द निवारक दवाओं, फिजियोथेरेपी और जीवनशैली में कुछ सकारात्‍मक बदलाव लाकर किया जाता है। अगर तब भी दर्द कम न हो और मरीज को बहुत ज्‍यादा दिक्‍कत हो रही हो तो ऐसे गंभीर मामलों में सर्जरी करनी पड़ती है।

होम्‍योपैथिक उपचार में बीमारी का इलाज करने के साथ-साथ मरीज की संपूर्ण सेहत में सुधार लाने पर काम किया जाता है। साइटिका अटैक के दौरान दर्द को नियंत्रित करने, बार-बार दर्द होने से रोकने, जोड़ों की गतिशीलता में सुधार लाने और अकड़न को कम करने में होम्‍योपैथिक दवाएं मददगार हैं।

होम्‍योपैथिक दवाएं बीमारी के बढ़ने की गति को धीमा करने और उसके दोबारा होने की आशंका को कम करने में भी मदद करती हैं।

होम्‍योपैथिक दवाओं के साथ फिजियोथेरेपी लेने से मरीज की स्थिति में महत्‍वपूर्ण सुधार आता है, खासतौर पर हल्‍के से मध्‍यम दर्द के मामलों में। साइटिका के इलाज के लिए होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक बेलाडोना, कोलचिकम ऑटामनेल, फाइटोलाका डिकैंड्रा, प्‍लंबम मटैलिकम और रुस टॉक्सिकोडेंड्रोन दवाएं दी जाती हैं।

साइटिका के गंभीर और रूमेटिक (जोड़ों या संयोजी ऊतकों को प्रभावित करने वाले) साइटिका का एकोनिटम नैपेल्लस और ब्रायोनिया अल्‍बा, लंबे समय से चल रही साइटिका की समस्‍या का इलाज आर्सेनिकम एल्‍बम, कैल्‍केरिया कार्बोनिका, फास्‍फोरस, प्‍लंबम और रुस टॉक्सिकोडेंड्रोन से किया जा सकता है। साइटिका की सर्जरी के बाद जल्‍दी ठीक होने में भी होम्‍योपैथिक दवाएं मदद करती हैं।

साइटिका की होम्योपैथिक दवा - Sciatica ki homeopathic dawa

होम्योपैथी में साइटिका के लिए खान-पान और जीवनशैली में बदलाव - Homeopathy me Sciatica ke liye khan pan aur jeevanshaili me badlav

साइटिका की होम्योपैथी औषधि कितनी लाभदायक है - Sciatica ki homeopathic medicine kitni faydemand hai

साइटिका के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Sciatica ki homeopathic dawa ke nuksan aur jokhim karak

साइटिका के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Sciatica ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

साइटिका की होम्योपैथिक दवा 

साइटिका के दर्द में क्या खाना चाहिए, क्या नहीं और परहेज 

साइटिका की होम्योपैथिक दवा - Sciatica ki homeopathic dawa

एकोनिटम नैप्‍पेलस (Aconitum Napellus)

सामान्‍य नाम – मॉन्‍क शुड (Monkshood)

लक्षण – मॉन्‍क शुड प्रमुख तौर पर उन मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से बेचैन रहने वाले लोगों को दी जाती है जो चिंता में रहते हैं और जिन्‍हें किसी का स्‍पर्श पसंद नहीं होता है। इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है –

दर्द के साथ पीठ में अकड़न

पीठ में सुन्‍नता के साथ झुनझुनी महसूस होना, व्‍यक्‍ति को पीठ में चोट लगने जैसा महसूस होता है

टांगों और बांह में चुभने वाला दर्द होना

प्रभावित हिस्‍से की ओर लेटने, शाम और रात के समय, शुष्‍क और ठंडी हवा में लक्षण बढ़ जाते हैं जबकि खुली हवा में कुछ समय बिताने पर व्‍यक्‍ति को बेहतर महसूस होता है।

अमोनियम म्‍यूरिएटिकम (Ammonium Muriaticum)

सामान्‍य नाम – साल अमोनिएक (Sal ammoniac)

लक्षण – इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों का इलाज किया जा सकता है –

बैठने पर रीढ़ की हड्डी के बीच में त्रिकोणाकार की छोटी-सी हड्डी यानी टेल बोन में चोट लगने जैसा दर्द

बैठने पर पीठ दर्द होना, व्‍यक्‍ति को ऐसा महसूस होता है जैसे उसकी पीठ को दोनों तरफ से टाइट से जकड़ लिया हो

खुली हवा में ये सभी लक्षण बेहतर होते हैं।

बेलाडोना (Belladonna)

सामान्‍य नाम – डेडली नाइटशेट (Deadly nightshade)

लक्षण – बेलाडोना तंत्रिका तंत्र के प्रत्‍येक हिस्‍से पर कार्य करती है। ये कफ जमने, दर्द और सूजन के कारण मांसपेशियों में ऐंठन के लिए उपयोगी है। साइटिका से जुड़े जिन लक्षणों को इस दवा से ठीक किया जाता है, वो इस प्रकार हैं –

पीठ में तेज दर्द के साथ दबाव महसूस होना

लूम्‍बेगो (पीठ के निचले हिस्‍से की मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द) के साथ कूल्‍हों और जांघों में दर्द

हाथ-पैरों में चुभने वाला दर्द

दोपहर, लेटने पर और प्रभावित हिस्‍से को छूने पर लक्षण गंभीर हो जाते हैं। पीठ के सहारे बैठने पर लक्षणों में सुधार आता है।

कैमोमिला (Chamomilla)

सामान्‍य नाम – जर्मन कैमोमाइल (German chamomile)

लक्षण – ये दवा उन चिड़चिड़े रहने वाले और संवेदनशील मरीजों पर बेहतर असर करती है जिन्‍हें निम्‍न लक्षण महसूस होते हैं –

कूल्‍हों और पेट एवं पीठ के बीच वाले हिस्‍से में बहुत तेज दर्द

लूम्‍बेगो

रात में, व्‍यक्‍ति के गुस्‍सा होने पर या खुली हवा में जाने पर लक्षण बढ़ जाते हैं, जबकि गर्म और उमस वाले मौसम में लक्षणों में सुधार आता है।

कोलचिकम ऑटामनेल (Colchicum Autumnale)

सामान्‍य नाम – मीडो सैफ्रॉन (Meadow saffron)

लक्षण – कोलचिकम मांसपेशियों और हड्डियों को प्रभावित करती है, विशेष तौर पर पेरिओस्टियम (हड्डियों को ढकने वाले ऊतकों की सघन परत) और जोड़ों के सिनोवियल झिल्लियों पर असर करती है। इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों का इलाज किया जाता है –

पीठ के निचले हिस्‍से में दर्द

पीठ में दर्द जिसमें प्रभावित हिस्‍से पर दबाव बनाने और पर्याप्‍त आराम करने से राहत मिले

हाथ-पैरों में कमजोरी और झुनझुनी महसूस होना

सुबह से लेकर शाम तक, प्रभावित हाथ-पैर को हिलाने पर, नींद की कमी होने और मानसिक थकान होने पर लक्षण बढ़ जाते हैं, जबकि झुकने पर बेहतर महसूस होता है।

नैफालियम पॉलीसिफेलम (Gnaphalium Polycephalum)

सामान्‍य नाम – कड-वीड (Cud-weed)

लक्षण – ये दवा साइटिका के मरीजों के लिए बहुत लाभकारी है, खासतौर पर उन लोगों के लिए जिन्‍हें प्रभावित हिस्‍से में दर्द के साथ सुन्‍नता भी महसूस होती है। इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों का भी इलाज किया जाता है –

पीठ के निचले हिस्‍से में लंबे समय से दर्द रहना जो कि आराम करने के बाद ठीक हो जाए

टांग और पेट के निचले हिस्‍से के बीच वाले भाग (पेल्विक) में भारीपन महसूस होने के साथ लूम्‍बेगो

नेट्रियम सल्‍फ्यूरिकम (Natrium Sulphuricum)

सामान्‍य नाम – सल्‍फेट ऑफ सोडियम (Sulphate of sodium)

लक्षण – ये औषधि प्रमुख तौर पर लिवर और तंत्रिका तंत्र पर कार्य करती है। इस दवा से निम्‍न लक्षण भी ठीक हो सकते हैं –

कंधे के पीछे वाली हड्डी के बीच में चुभने वाला दर्द

कपड़े उतारने पर पीठ में खुजली होना

स्‍पाइनल मेनिन्‍जाइटिस के साथ ओपिस्‍थोटोनोस (गर्दन, सिर और रीढ़ की हड्डी को पीछे की ओर झुकाने पर मांसपेशियों में ऐंठन आना)। मस्तिष्‍क और रीढ़ की हड्डी के आसपास की झिल्लियों और फ्लूइड में होने वाले संक्रमण को स्‍पाइनल मेनिन्‍जाइटिस कहते हैं।

कूल्‍हे के जोड़ और हाथ-पैरों में दर्द

बाईं करवट लेटने पर और उमस भरे वातावरण में लक्षण बढ़ जाते हैं। शुष्‍क मौसम और प्रभावित हिस्‍से पर दबाव बनाने पर व्‍यक्‍ति को कुछ समय के लिए आराम मिलता है। करवट या पोजीशन बदलने पर भी लक्षणों में सुधार आता है।

फाइटोलाका डिकैंड्रा (Phytolacca Decandra)

सामान्‍य नाम – पोक-रूट (Poke-root)

लक्षण – ये दवा नीचे बताए गए लक्षणों को कम करने में मदद करती है –

पीठ के निचले हिस्‍से में दर्द

रीढ़ की हड्डी में दर्द जो कि पीठ के निचले हिस्‍से में स्थित त्रिकोणाकार हड्डी यानी सैक्रम तक पहुंच जाए

खासतौर पर उमस वाले मौसम में सुबह उठने पर कमर में अकड़न महसूस होना

जांघों के पीछे वाले हिस्‍से में दर्द

ठंडे और बारिश के मौसम में, चलने पर और दाईं करवट लेटने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं। शुष्‍क मौसम, प्रभावित हिस्‍से को गरमाई देने पर और आराम करने के बाद लक्षणों में सुधार आता है।

प्‍लंबम मटैलिकम (Plumbum Metallicum)

सामान्‍य नाम – लेड (Lead)

लक्षण – इस दवा से निम्‍न लक्षणों से राहत मिल सकती है –

रीढ़ की हड्डी में स्क्लेरोसिस

पीठ में हल्‍का दर्द होना, प्रभावित हिस्‍से पर दबाव बनाने पर व्‍यक्‍ति को कुछ समय के लिए आराम मिलता है

हाथ-पैरों में सुन्‍नता और झुनझुनी महसूस होना

पैरों में लकवा

रात में और चलने पर लक्षण बढ़ जाते हैं, जबकि प्रभावित हिस्‍से पर दबाव बनाने और थकान होने पर बेहतर महसूस होते हैं।

रुस टॉक्सिकोडेंड्रोन (Rhus Toxicodendron)

सामान्‍य नाम – पॉइजन आईवी (Poison-ivy)

लक्षण – आमतौर पर रूमेटिक दर्द और त्‍वचा एवं म्‍यूकस झिल्लियों के प्रभावित होने पर ये दवा दी जाती है। अन्‍य निम्‍न लक्षणों को ठीक करने के लिए इस दवा की जरूरत पड़ती है –

रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्‍से में दर्द और अकड़न जो कि बैठने, चलने पर या सख्‍त बिस्‍तर पर लेटने पर कम हो जाए।

हाथ-पैरों में अकड़न

रात के समय, ठंड और बारिश के मौसम में और मरीज के दाईं करवट या पीठ के बल लेटने पर लक्षण बढ़ जाते हैं। शुष्‍क और गर्म मौसम में, चलने पर और हाथ-पैरों को खींचने पर, प्रभावित हिस्‍से को गरमाई देने पर लक्षणों में सुधार आता है।

रूटा ग्रेविओलेन्‍स (Ruta Graveolens)

सामान्‍य नाम – बिटरवोर्ट (bitterwort)

लक्षण – नीचे बताए गए लक्षणों को नियंत्रित करने में ये दवा मदद करती है –

कमर में दर्द जो कि प्रभावित हिस्‍से में दबाव बनाने पर कम हो जाए

लूम्‍बेगो जो कि सुबह के समय बढ़ जाए

प्रभावित पैर को खींचने पर जांघों में दर्द होना

ठंडे मौसम और लेटने पर लक्षण बढ़ जाते हैं।

टेलुरियम मैटालिकम (Tellurium Metallicum)

सामान्‍य नाम – द मैटल टेलुरियम (The metal tellurium)

लक्षण – टेलुरियम मैटालिकम प्रमुख तौर पर आंख, कान और रीढ़ की हड्डी से संबंधित लक्षणों में उपयोगी है। इस दवा से जिन मरीजों को फायदा होता है, उनमें निम्‍न लक्षण दिखाई देते हैं –

कमर की हड्डी का संवेदनशील होना

सैक्रम में दर्द

साइटिका जो कि खांसने और दबाव बनाने एवं दाईं करवट लेटने पर बढ़ जाए

घुटने के जोड़ के पीछे के टेंडन का सख्‍त होना

रात के समय, ठंडे मौसम में, रगड़ लगने या प्रभावित हिस्‍से को छूने पर लक्षण बढ़ जाते हैं

होम्योपैथी में साइटिका के लिए खान-पान और जीवनशैली में बदलाव - Homeopathy me Sciatica ke liye khan pan aur jeevanshaili me badlav

होम्‍योपैथी चिकित्‍सा की एक ऐसी पद्धति है जिसमें बीमारी का इलाज करने के साथ-साथ मरीज की संपूर्ण सेहत में भी सुधार लाने पर काम किया जाता है।

चूंकि, होम्‍योपैथिक दवाओं की खुराक बहुत पतली होती है, इसलिए जीवनशैली एवं आहार से संबंधित कारक आसानी से इन्‍हें प्रभावित कर सकते हैं। अत: होम्‍योपैथिक डॉक्‍टर मरीज को दैनिक जीवन में कुछ बदलाव करने की सलाह देते हैं –

क्‍या करें

मनोरंजक या अपनी पसंद के काम करें

शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, जैसे कि ब्रिस्‍क वॉक और कम मेहनत वाले काम करना

पौष्टिक आहार और पेय पदार्थों का सेवन करना

आसपास साफ-सफाई रखें

क्‍या न करें

कॉफी, चाइनीज और अन्‍य हर्बल चाय, उत्तेजक पदार्थ एवं सब्जियों या मसालों से तैयार एल्‍कोहल का सेवन न करें

तेज खुशबू वाले पानी और परफ्यूम का इस्‍तेमाल न करें

मसालेदार खाना, चटनी, केक, चॉकलेट, सूप बनाने के लिए औषधीय गुणों से युक्‍त कच्‍ची सब्जियों एवं जड़ी बूटियों, औषधीय गुणों से युक्‍त पौधों की जड़ और डंठल न खाएं।

प्‍याज, पुरानी चीज, अजमोद और मीट खाने से बचें। से बासी या औषधीय गुणों से युक्‍त हो सकती हैं।

मीट जैसे कि बत्तक का मांस और वसा खाने से बचें

कोई भी खाद्य पदार्थ अधिक मात्रा में न लें और अत्‍यधिक मात्रा में चीनी, नमक तथा उत्तेजक पेय पदार्थ न लें।

तेज खुशबू वाले फूलों और टूथ पाउडर एवं इत्र का इस्‍तेमाल करने से बचें

टाइट कपड़े न पहनें या जिनमें आपको सहज महसूस न हो उन्‍हें भी पहनने से बचें

गतिहीन जीवनशैली से बचें

साइटिका की होम्योपैथी औषधि कितनी लाभदायक है - Sciatica ki homeopathic medicine kitni faydemand hai

नसों से संबंधित दर्द का इलाज होम्‍योपैथी से सफलतापूर्वक किया जा सकता है। इसमें साइटिका के गंभीर और दीर्घकालिक मामले शामिल हैं।

एक प्‍लेसिबो अध्‍ययन में साइटिका से ग्रस्‍त 35 मरीजों को शामिल किया गया था। इसमें हर एक मरीज के लिए विशेष तौर पर दवा तैयार की गई थी और ठीक होने के बाद एक महीने तक फॉलो-अप लिया गया। सभी मरीजों को लक्षणों से थोड़ी राहत मिली, इससे पता चलता है कि होम्‍योपैथिक दवाएं प्‍लेसिबो से ज्‍यादा असरकारी होती हैं

क्‍लीनिकल जरनल ऑफ पेन में प्रकाशित एक विश्‍लेष्‍णात्‍मक अध्‍ययन में दर्द के इलाज में होम्‍योपैथिक दवाओं के प्रभावशाली होने की जांच की गई। अध्‍ययन में लंबे समय से पीठ दर्द से परेशान 129 वयस्‍कों का 48 विभिन्‍न होम्‍योपैथिक चिकिकत्‍सकों ने इलाज किया। इन सभी पर 2 साल तक नजर रखी गई।

सभी मरीजों की एलोपैथी दवाओं पर निर्भरता कम हुई और उनकी सेहत एवं जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार आया।

साइटिका के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Sciatica ki homeopathic dawa ke nuksan aur jokhim karak

विश्‍व स्‍तर पर इस बात को स्‍वीकार किया गया है कि होम्‍योपैथिक दवाओं के दुर्लभ ही कोई हानिकारक प्रभाव होते हैं। होम्‍योपैथिक दवा लेने वाले मरीजों को अक्‍सर पहले लक्षण बढ़ने का एहसास होता है जिसके बाद ही उनमें सुधार देखा जाता है।

नॉर्वे में होम्‍योपैथिक दवाओं के दुष्‍प्रभाव को लेकर सात होम्‍योपैथिक चिकित्‍सकों का इंटरव्‍यू लिया गया। इसमें चिकित्‍सकों से ये भी पूछा गया कि किस स्थिति में होम्‍योपैथिक दवा के दुष्‍प्रभाव की पुष्टि की जा सकती है।

होम्‍योपैथिक दवाओं के दुष्‍प्रभाव को लेकर डॉक्‍टरों की एक राय नहीं थी, लेकिन उन्‍होंने इस बात पर अपनी सहमति जरूर दी कि अगर गलत दवा या अनुचित मात्रा में दवा का सेवन किया जाए तो मरीज को हानिकारक प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं।

होम्‍योपैथिक दवाओं को प्रा‍कृतिक तत्‍वों से बहुत पतली खुराक में तैयार किया जाता है, इसलिए ये बच्‍चों, गर्भवती और स्‍तनपान करवाने वाली महिलाओं एवं वयस्‍कों के लिए सुरक्षित है। हालांकि, होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक की सलाह के बिना खुद से कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए।

साइटिका के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Sciatica ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

पीठ के निचले हिस्‍से से साइटिक नस के साथ टांग में दर्द होने को साइटिका कहते हैं। एलोपैथी में साइटिका के लिए दर्द निवारक दवाएं, फिजियोथेरेपी और सर्जरी जैसे उपचार के विकल्‍प शामिल हैं।

होम्‍योपैथी ट्रीटमेंट दर्द को कम करने के साथ-साथ व्‍यक्‍ति की संपूर्ण सेहत में सुधार लाती है और बीमारी को दोबारा होने से भी रोकती है। अगर अनुभवी चिकित्‍सक की देखरेख में होम्‍योपैथिक दवा की सही खुराक दी जाए तो इससे आसानी से साइटिका को ठीक किया जा सकता है।


अस्वीकरण: इस  पर उपलब्ध सभी जानकारी और लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं। यहाँ पर दी गयी जानकारी का उपयोग किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए।

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