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मार्च 24, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

VAGINAL CANDIDIASIS AND HOMOEOPATHY

 योनि में यीस्ट संक्रमण की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for vaginal yeast infection in hindi योनि में यीस्ट संक्रमण की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for vaginal yeast infection in hindi योनि में यीस्ट संक्रमण (वजाइनल यीस्ट इंफेक्शन) को कैंडिडिआसिस के रूप में भी जाना जाता है। यह महिलाओं में होने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है। चार में से तीन महिलाएं अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार इस संक्रमण से प्रभावित होती हैं। यह संक्रमण कैंडिडा अल्बिकंस नामक कवक के अतिवृद्धि के कारण होता है। जो गर्भवती व कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाली महिलाएं गर्भनिरोधक या एंटीबायोटिक्स गोलियां ले रही हैं, उनमें इस संक्रमण का जोखिम ज्यादा होता है। योनि में यीस्ट संक्रमण के सामान्य लक्षणों में पेशाब के दौरान दर्द, यौन संबंध बनाते समय दर्द, योनि के बाहरी भाग में लालिमा और सूजन, योनि और लेबिया (योनि की भीतरी और बाहरी तह) में जलन और खुजली, पानी निकलना शामिल हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर मलहम, क्रीम या टैबलेट लेने की सलाह दे सकते हैं। योनि में यीस्ट संक्रमण

थायराइड की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Thyroid in Hind

 थायराइड की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Thyroid in Hind थायराइड, तितली के आकार की एक ग्रंथि है जो गले के आगे के हिस्से में स्थित होती है। ये ग्रंथि अलग-अलग प्रकार के हार्मोन बनाती है, जैसे ट्राईआयोडोथायरोनिन टी 3 (Triiodothyronine - T3) और थायरोक्सिन टी 4 (Thyroxine - T4) आदि। ये हार्मोन व्यक्ति के विकास व मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं और कैल्सीटोनिन नामक हार्मोन हड्डियों में मिनरल्स को बनाए रखने में मदद करता है। दिमाग की एक ग्रंथि (पिट्यूटरी ग्रंथि) की प्रतिक्रिया से थायराइड के हार्मोन नियंत्रित होते हैं। पिट्यूटरी ग्रंथि इन हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) बनाती है, जो खून में मौजूद टी - 3 और टी - 4 हार्मोन की मात्रा को कम-ज्यादा करता है। जब खून में टी - 3 और टी - 4 हार्मोन का स्तर अधिक हो जाता है और टीएसएच का स्तर कम होता है, तो उसे थायराइड बढ़ना (हायपरथायरॉइडिज़्म) कहते हैं। इसके विपरीत, टी - 3 और टी - 4 का स्तर अधिक होना व टीएसएच कम होना थायराइड कम होना (हाइपोथायरॉइडिज़्म) कहलाता है। थायराइड बढ़ने व घटने के