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बवासीर (पाइल्स) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Piles in Hindi

 बवासीर (पाइल्स) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Piles in Hindi




हमारे मलाशय और गुदा के क्षेत्र में एक प्रकार की रक्त वाहिकाएं मौजूद होती हैं, जिन्हें हेमरॉइड्स (Haemorrhoids) कहा जाता है। इन्हीं रक्त वाहिकाओं में सूजन होने को बवासीर कहते हैं। ये समस्या मलाशय की अंदरूनी तरफ या गुदा की बाहरी तरफ हो सकती है। बवासीर के कुछ मुख्य कारण हैं, लगातार कब्ज रहना, गर्भावस्था, गंभीर क्रोनिक खांसी और अनुवांशिकता। अंदरूनी बवासीर का सबसे मुख्य लक्षण है खून बहना। हालांकि, बवासीर वाले टिशू का गुदा से बाहर आ जाने पर इसमें ब्लीडिंग के साथ अत्यधिक दर्द भी होता है। ये समस्या अधिकतर दबाव के कारण रक्त वाहिकाओं के खिंचाव से होती है, जैसे कब्ज की समस्या में।

समस्या की गंभीरता और उपचार के आधार पर, बवासीर को स्टेज 1 से स्टेज 4 तक क्रमिक किया गया है। पाइल्स के लिए किए जाने वाले आम उपचार में व्यक्ति को स्टेरॉयड व पेन किलर दवाओं के साथ खान-पान व जीवनशैली के बदलाव करने के लिए कहा जाता है। जब बवासीर के साथ तेज दर्द और ब्लीडिंग की समस्या होती है, उन मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है।

होम्योपैथी से बवासीर के कारण को ठीक करने में मदद मिलती है, जिससे धीरे-धीरे बीमारी भी ठीक हो जाती है। होम्योपैथिक दवाओं से कब्ज को कम किया जाता है, जो बवासीर का एक मुख्य कारण है। सल्फर, सेपिया, पल्सेटिला, फॉस्फोरस, नक्स वोमिका, नाइट्रिक एसिड, रेटेनहिया, काली मर, इग्नेशिया, हैमेमेलिस, आर्सेनिकम एल्बम, अमोनियम कार्ब, एलो सोकोट्रिना, एस्कुलस हिप्पोकैस्टेनम, म्युरिएटिक एसिड, कोलिंसोनिया, मेलीफोलियम आदि होम्योपैथिक दवाएं बवासीर के उपचार में इस्तेमाल की जाती हैं।


बवासीर का होम्योपैथिक इलाज कैसे होता है - Homeopathy me piles ka ilaj kaise hota hai

बवासीर की होम्योपैथिक दवा - Bawasir ki homeopathic medicine

होम्योपैथी में बवासीर के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me piles ke liye khan-pan aur jeevanshaili me badlav

पाइल्स के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Piles ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak

बवासीर के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Piles ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

बवासीर की होम्योपैथिक दवा 


बवासीर का होम्योपैथिक इलाज कैसे होता है - Homeopathy me piles ka ilaj kaise hota hai

होम्योपैथी में हर व्यक्ति के जीवन से जुड़े पहलुओं और अन्य कई कारक के आधार पर अलग दवा चुनी जाती है। इसमें ऐसा माना जाता है कि अगर एक दवा से किसी स्वस्थ व्यक्ति में कोई लक्षण उत्पन्न हो रहे हैं, तो बीमार व्यक्ति में वे लक्षण अनुभव होने पर उसी दवा की नियंत्रित खुराक का उपयोग किया जा सकता है। दवा को चुनने के लिए बीमारी के लक्षणों के साथ-साथ व्यक्ति को कोई समस्या होने की संभावना भी एक अहम भूमिका निभाती है।

बवासीर होने का मुख्य कारण होता है लंबे समय से कब्ज होने की वजह से मल करते समय अधिक जोर लगाने की आवश्यकता होना। समस्या का पूरी तरह से इलाज करने के लिए होम्योपैथिक दवाएं इसके कारण का इलाज करती हैं। ये दवाएं शरीर की स्वयं को ठीक करने की क्षमता को बढ़ाती है और व्यक्ति का स्वास्थ्य भी बेहतर करती हैं। एक योग्य डॉक्टर के द्वारा दी गई उचित होम्योपैथिक दवाएं न केवल व्यक्ति का सामान्य स्वास्थ्य बेहतर करती हैं, बल्कि दोबारा से बवासीर होने से भी बचाती है।




एक अध्ययन के अनुसार, रोगी को पहले हुई समस्याएं, शारीरिक परीक्षण और बीमारी के लक्षणों के आधार पर चुनी गई उचित होम्योपैथिक दवाएं बवासीर के लक्षणों को ठीक करने के लिए असरदार होती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि बवासीर के उपचार के लिए हर व्यक्ति के अनुसार दी जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं जीवनशैली बेहतर करने के साथ बवासीर के लक्षणों को भी ठीक करती है।


हालांकि, बवासीर के कुछ मामलों में, जब दर्द और रक्तस्त्राव केवल दवाओं से ठीक नहीं होते, तो इसके लिए ऑपरेशन करना आवश्यक हो जाता है।


बवासीर की होम्योपैथिक दवा - Bawasir ki homeopathic medicine

होम्योपैथी में बवासीर के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं निम्नलिखित हैं:


सल्फर (Sulphur)

सामान्य नाम: ब्रिमस्टोन (Brimstone)

लक्षण: बाहरी और अंदरूनी, दोनों प्रकार के बवासीर के लिए सल्फर का उपयोग किया जाता है। ये दवा उन लोगों के लिए अधिक असरदार है, जो पतले हैं, जिनके कंधे थोड़े झुके हुए हैं, चिंतित रहते हैं, तेजी से प्रतिक्रिया देते हैं, मौसम के बदलाव के प्रति संवेदनशील हैं और जिन्हें खड़ा रहना पसंद नहीं है। सल्फर से उन नसों का उपचार किया जाता है, जिनमें खून जमा हुआ है, जिससे बवासीर की समस्या होती है। नीचे दिए लक्षण ठीक करने के लिए इस दवा का उपयोग होता है:

बार-बार बवासीर होने की प्रवृत्ति।

बवासीर के साथ गुदा के क्षेत्र में खुजली।

गुदा के क्षेत्र में मौजूद रक्त वाहिकाओं की सूजन के साथ दर्द होना, जो पीठ की तरफ फैलता है।

गुदा क्षेत्र में तेज दर्द के कारण चलने में दिक्कत।

गुदा में ऐसा दर्द होना, जैसे उस क्षेत्र में वजन हो। ये दर्द बैठने से और लेटने से बढ़ जाता है।

गुदा के क्षेत्र में मौजूद रक्त वाहिकाओं से अपने आप पतला व चिपचिपा पदार्थ निकलना, जिससे खुजली होती है। 

खड़े होने पर बवासीर के कारण होने वाली समस्याएं कम होना

एक अध्ययन में, बवासीर से पीड़ित लोगों का सल्फर से इलाज करने पर लक्षणों में काफी सुधार देखा गया।


फॉस्फोरस (Phosphorus)

सामान्य नाम: फॉस्फोरस (Phosphorus)

लक्षण: ये दवा उन लोगों को सूट करती है, जो पतले हैं और जिनका रंग गोरा है व पलकें नाज़ुक हैं। ऐसे लोगों के कंधे झुके हुए होते हैं और वे घबराए हुए रहते हैं। निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा का उपयोग किया जाता है:

गुदा में स्थित रक्त वाहिकाओं की सूजन के साथ उनमें से खून बहना।

गुदा का मुख ढीला होने के कारण बवासीर की गांठों का आसानी से बाहर आ जाना, जैसे गैस पास करते समय भी।

गुदा का मुख ढीला होने के कारण मल करते समय बवासीर की गांठों का बाहर आ जाना।

ऐसा महसूस होना जैसे गुदा का क्षेत्र ढीला है और उसका मुख खुला हुआ है।

बवासीर से प्रभावित ऊतक में गंभीर जलन के साथ अत्यधिक रक्तस्तव।

गांठों में से पतला बलगम जैसा रिसाव होना।

बवासीर के साथ पेट में घबराहट या कम दबाव महसूस होना। त्वचा को थोड़ा मलने से बेहतर महसूस होना।

गुदा क्षेत्र को ठंडे पानी से धोने पर लक्षण बेहतर हो जाना। 

एक 12 साल के बच्चे को बवासीर होने पर सल्फर दवा दी गई और उसके लक्षणों में सुधार देखा गया। इसके बाद 2.5 साल तक उस बच्चे में दोबारा से ये समस्या नहीं देखी गई।


नक्स वोमिका (Nux Vomica)

सामान्य नाम: पाइजन नट (Poison Nut)

लक्षण: ये दवा बुद्धिमान, चिड़चिड़े और सुस्त जीवनशैली वाले लोगों पर अधिक असर करती है। ऐसे लोगों को कब्ज होने की संभावना होती है और उन्हें शराब पीने की आदत भी होती है। निम्नलिखित लक्षणों के लिए ये दवा ज्यादा असरदार है:

गर्भावस्था व डिलीवरी के बाद काम न करने के कारण कब्ज रहने की वजह से बवासीर होना। 

सामान्य या खूनी बवासीर के साथ गंभीर जलन होना, जो ठंडे पानी में बैठने पर बेहतर हो जाती है।

बवासीर से प्रभावित टिशू में खुजली होना, जो रात के समय बढ़ जाती है।

लगातार मल करने की इच्छा होना।

मल के साथ चटक लाल रंग का खून या खून के साथ बलगम आना। 

ठंड के कारण समस्या बढ़ जाना।

गुदा में दर्द होना, जो छूने पर और तेज मसालेदार खाना खाने पर बदतर हो जाता है।

एक अध्ययन से ये साबित हुआ कि नक्स वोमिका बवासीर के परेशान करने वाले लक्षणों से आराम दिलाने के लिए असरदार है, खासकर एक्यूट मामलों में रक्तस्त्राव होने पर।


एस्कुलस हिप्पोकैस्टेनम (Aesculus Hippocastanum)

सामान्य नाम: हॉर्स चेस्टनट (Horse Chestnut)

लक्षण: ये दवा उन लोगों को ज्यादा सूट करती है, जिन्हें पेट की समस्याएं, बवासीर और लंबे समय तक रहने वाले कब्ज होने की प्रवृत्ति होती है। ऐसे लोग चिड़चिड़े, उदास व डिप्रेशन में रहते हैं और इन्हें गुस्सा आने पर शांत होने में समय लगता है। निम्नलिखित लक्षणों से संबंधित बवासीर में इस दवा से आराम आता है:

लंबे समय तक रहने वाले कब्ज के कारण बवासीर होना।

दर्दनाक गांठें बनना, जिनसे बार बार रक्तस्त्राव नहीं होता।

गुदा में भारीपन महसूस होना, जो मल करने के बाद अनुभव होता है।

गुदा में गंभीर जलन व दर्द के साथ अत्यधिक खुजली होना, जो चलने पर बदतर हो जाती है और गुदा के क्षेत्र को मलने व दबाने से बेहतर होती है।

मलाशय और गुदा में चुभन वाला दर्द। गुदा के दर्द का लंबे समय तक रहना, जो पीठ के निचले हिस्से तक फैलता है।

बड़ी-बड़ी गांठों के कारण गुदा में रुकावट होना, जिससे कब्ज होता है।

गांठों का रंग बैंगनी होना, जो गुदा से बाहर आ जाती हैं और अंगूर के गुच्छे जैसी दिखती हैं।

दर्दनाक और बड़ी गांठें बनना, जिनके कारण बैठना, लेटना और खड़ा होना मुश्किल हो जाता है।

बवासीर के कारण अत्यधिक कमजोरी हो जाना। 

ठंड के मौसम में बवासीर के लक्षण बढ़ जाना और चलने पर बदतर हो जाना

बैठकर या लेटकर आराम करने पर गुदा का दर्द बढ़ जाना और रक्तस्त्राव से कुछ देर के लिए आराम मिलना।

​अध्ययनों से ये साबित हुआ है कि अचानक होने वाले बवासीर के लिए एस्कुलस हिप्पोकैस्टेनम एक असरदार दवा है।​

हैमेमेलिस वर्जिनिका (Hamamelis Virginica)

सामान्य नाम: विच हेज़ल (Witch Hazel)

लक्षण: हैमेमेलिस दवा बवासीर के लक्षणों के बढ़ने पर उपयोग की जाती है और लंबे समय तक चल रहे कब्ज की समस्या में अधिक रक्स्राव होने पर इसे अक्सर इस्तेमाल किया जाता है। इसे नीचे दिए लक्षणों में प्रयोग किया जाता है:

गहरे लाल रंग का अत्यधिक रक्तस्त्राव होना।

गुदा के क्षेत्र में रक्तस्त्राव के साथ गंभीर दर्द।

बवासीर के साथ पीठ में भारीपन होना, जैसे पीठ टूटने वाली है। 

पल्सेटिला निग्रिकेंस (Pulsatilla Nigricans)

सामान्य नाम: विंड फ्लावर (Wind Flower)

लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए सबसे अच्छी है, जो स्वभाव से सौम्य, संवेदनशील और डरपोक हैं। ये लोग आसानी से रोने लगते हैं, अपने फैसले नहीं ले पाते और उनका दिमाग अस्थिर होने के साथ उन्हें अलग-अलग शारीरिक लक्षण अनुभव होते हैं। नीचे दिए लक्षणों को अनुभव करने पर ये दवा सहायक है:

बिना रक्तस्राव वाला बवासीर।

बवासीर का दर्द होना, जो पीठ तक फैलता है।

बवासीर के कारण गुदा में गंभीर खुजली और चुभन वाला दर्द होना।

गांठों का गुदा से बाहर निकलना और साथ में बलगम वाले खून का रिसाव होना, खासकर मल त्याग करते समय। 

अत्यधिक रक्तस्त्राव होना।

रक्तस्त्राव के साथ बेहोशी होना।

गुदा पर ठंडा पानी लगाने से समस्या बेहतर होना और गर्मी से बढ़ जाना।

एक वैज्ञानिक अध्ययन से ये सिद्ध हुआ कि अचानक बवासीर हो जाने पर इलाज के लिए पल्सेटिला एक असरदार दवा है।

एलो सोकोट्रिना (Aloe socotrina)

सामान्य नाम: कॉमन एलोज़ (Common Aloes)

लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए सबसे अच्छी है, जिनकी मांसपेशियां ढीली हैं और उन्हें कब्ज व पेट संबंधी समस्याएं होने की संभावना है। ये लोग कब्ज के कारण ज्यादातर गुस्से में चिड़चिड़े रहते हैं। नीचे दिए लक्षण होने पर इस दवा का उपयोग किया जाता है:

खूनी बवासीर, खासकर बुजुर्गों में।

बहुत अधिक रक्तस्त्राव होने के साथ बवासीर की गांठों का अंगूर के गुच्छे की तरह गुदा से बाहर निकल आना।

गुदा में अत्यधिक भारीपन महसूस होना।

बवासीर से संबंधित दर्द और गर्माहट महसूस होना।

गुदा के क्षेत्र में ठंडा पानी लगाने से बेहतर महसूस होना।

जलन और खुजली होना, जो रात के समय बदतर हो जाते हैं।

होम्योपैथी में बवासीर के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me piles ke liye khan-pan aur jeevanshaili me badlav

होम्योपैथिक दवाओं को बहुत ही कम मात्रा में दिया जाता है, इसीलिए जीवनशैली व खान-पान की आदतों से उनका कार्य आसानी से प्रभावत हो सकता है। होम्योपैथिक उपचार के साथ आपको कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है, जिनके बारे में नीचे दिया गया है:

क्या करें:

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जिसमें संतुलित व पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम शामिल हों।

अपने दिमाग को व्यस्त रखने के लिए ऐसे लेख व कितबें पढ़ें जिनसे आपको ज्ञान मिले व आपके पसंदीदा हों। 

क्या न करें:

तेज फ्लेवर या गंध वाले पदार्थ न लें, जैसे कॉफी और गंध व औषधीय गुण वाले खाद्य पदार्थ।

मसालेदार व तीखा खाना न खाएं, इनसे बवासीर की समस्या बढ़ सकती है। 

खराब खाना न खाएं, जैसे खराब मीट, पुराना चीज, खराब सब्जियां आदि।

जरुरत से ज्यादा खाना न खाएं और नमक व चीनी का अधिक मात्रा में सेवन न करें।

सुस्ती भरी जीवनशैली न अपनाएं।

पाइल्स के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Piles ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak

होम्योपैथिक दवाओं को बहुत ही स्ट्रांग व कम मात्रा में दिया जाता है, जिन्हें किसी योग्य डॉक्टर के परामर्श से लेना सुरक्षित है। इसके अलावा, बवासीर के लिए उपयोग की जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं हर उम्र के व्यक्ति के लिए सुरक्षित होती हैं और इनके कोई जोखिम कारक आज तक सामने नहीं आए हैं।

बवासीर के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Piles ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

होम्योपैथिक दवाओं से दर्द और रक्तस्त्राव में लंबे समय तक आराम मिलता है। इनसे जटिलताएं (जैसे गैंग्रीन) नहीं होतीं और समस्या दोबारा नहीं होती। अगर एक योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर द्वारा उचित खुराक में दी जाएं, तो इन दवाओं को बिलकुल सुरक्षित माना जाता है।


अस्वीकरण: इस पर उपलब्ध सभी जानकारी और लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं।

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