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मोतियाबिंद की होम्योपैथिक दवा और इलाज

 मोतियाबिंद की होम्योपैथिक दवा और इलाज


- Homeopathic medicine and treatment for Cataract in Hind


मोतियाबिंद में आंखों के लेंस में धुंधलापन होता है, जिससे देखने की क्षमता में कमी आती है। मोतियाबिंद तब होता है जब आंखों में प्रोटीन के गुच्छे जमा हो जाते हैं जो लेंस को साफ चित्र रेटिना को भेजने से रोकते हैं। रेटिना, लेंस के माध्यम से संकेतों में आने वाली रोशनी को परिवर्तित करता है। यह संकेत ऑप्टिक तंत्रिका को भेजता है, जो उन्हें मस्तिष्क में ले जाता है। मोतियाबिंद अक्सर धीरे-धीरे विकसित होता है और एक या दोनों आंखें इससे प्रभावित हो सकती हैं। इसमें फीके रंग दिखना, धुंधला दिखना, ऑब्जेक्ट के चारों ओर रोशनी दिखना, चमकदार रोशनी में देखने में परेशानी और रात को देखने में परेशानी हो सकती है।

वैसे तो मोतियाबिंद 80 साल की उम्र के बाद होता है, लेकिन ये कम उम्र में भी प्रभावित कर सकता है। रात में कम दिखाना, बार-बार कांटेक्ट लेंस या चश्‍मा बदलने की जरूरत पड़ना, एक आंख से कई दृश्‍य दिखना, रंग धुंधले दिखना, धुंधला दिखाई देखना और धूप, हैडलाइट या लैंप की रोशनी से आंखें चुंधिया जाना, मोतियाबिंद के कुछ लक्षण हैं। डायबिटीज जैसी कुछ बीमारियों में भी मोतियाबिंद हो सकता है। धूम्रपान और शराब पीने एवं धूप और पराबैंगनी किरणों में लंबे समय तक रहने की वजह से भी मोतियाबिंद का खतरा बढ़ सकता है।


मोतियाबिंद के इलाज में सर्जरी की जाती है। हालांकि, होम्‍योपैथी में प्राकृतिक दवाओं जैसे कि सिनेरारिआ मरिटिमा को आई ड्रॉप्‍स के रूप में इस्‍तेमाल कर मोतियाबिंद के शुरुआती चरण का इलाज किया जाता है। अन्‍य होम्‍योपैथिक दवाओं में कैल्‍केरिया फ्लोरिका, कास्टिकम, कोनियम मेकुलेटम, फॉस्‍फोरस, यूफ्रेसिया ऑफिसिनैलिस, साइलीसिया टेर्रा, सल्‍फर, टैलुरियम मैटालिकम और थिओसिनामीनम शामिल हैं।


होम्योपैथी मोतियाबिंद का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Cataract ka upchar kaise hota hai?

मोतियाबिंद की होम्योपैथिक दवा - Cataract ki homeopathic medicine

होम्योपैथी में मोतियाबिंद के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Cataract ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav

मोतियाबिंद के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Cataract ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak

मोतियाबिंद के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Cataract ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

मोतियाबिंद की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

मोतियाबिंद लेंस का खर्च व जरूरत


होम्योपैथी मोतियाबिंद का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Cataract ka upchar kaise hota hai?

होम्‍योपैथी उपचार में नेत्र संबंधी स्थितियों के इलाज के लिए हर व्‍यक्‍ति के लिए अलग दवा होती है। मोतियाबिंद के चरण के आधार पर दवाएं और आई ड्रॉप्‍स दी जाती हैं।

 मोतियाबिंद में सही समय पर होम्‍योपैथिक दवाओं की मदद से इस स्थिति को ठीक किया जा सकता है।

मोतियाबिंद की होम्योपैथिक दवा - Cataract ki homeopathic medicine

सिनेरिया मरिटिमा (Cineraria Maritima) 

सामान्‍य नाम : डस्‍टी मिलर (Dusty miller) 

लक्षण : ये दवा प्रमुख तौर पर कॉर्निया से संबंधित स्थितियों के लिए हैं जिसमें नजर कमजोर और मोतियाबिंद हो जाता है। ये वृद्धावस्‍था में होने वाले मोतियाबिंद और ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद (आंख में लगी किसी चोट के कारण) के इलाज में भी उपयोगी है।

कैल्‍केरिया फ्लोरिका (Calcarea Fluorica) 

सामान्‍य नाम: फ्लोराइड ऑफ लाइम (Fluoride of lime) 

लक्षण : ये दवा वैरिकोज वेन्स (बढ़ी हुई नसें), घेंघा (थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ना) और हड्डियों में कुपोषण के इलाज के लिए बहुत फायदेमंद है। ये मोतियाबिंद के इलाज में भी बहुत उपयोगी है। इसके अलावा इस दवा से निम्‍न लक्षणों को भी ठीक करने में मदद मिल सकती है :

त्‍वचा पर सख्‍त मास का उभरना जिसमें पस भी पड़ सकती है

फ्लिक्‍टैनुलर कैराटाइटिस (कॉर्निया में सूजन)

तेज रोशनी से आंखें चुंधिया जाना

कंजक्‍टिवाइटिस (आंंख आना)

कॉर्निया पर धब्‍बे पड़ना

कानों में पस बनना

कुछ समझ न आना या ध्‍यान न लगा पाना 

मौसम बदलने और आराम करने पर लक्षण और खराब हो जाते हैं। किसी गर्म चीज के इस्‍तेमाल और गर्मी आने पर लक्षणों में सुधार आता है।


यूफ्रेसिया ऑफिसिनैलिस (Euphrasia Officinalis) 

सामान्‍य नाम : आई ब्राइट (Eyebright) 

लक्षण : ये दवा उन लोगों पर सबसे ज्‍यादा असर करती है जिन्‍हें खुली हवा में आने पर बेहतर महसूस होता है। ये आंखों की कंजंक्टिपल झिल्‍ली में सूजन को कम करती है, खासतौर पर जब सूजन के कारण आंख से अधिक पानी आ रहा हो। ये दवा निम्‍न लक्षणों से भी राहत दिला सकती है -

नाक और आंखों की श्लेष्मा झिल्लियों में सूजन

आंखों से बहुत पानी आना

सूजन के कारण सिरदर्द होना

जलन के साथ आंखों से पानी आना 

गर्मी, दक्षिण से उत्तर की ओर बहने वाली हवा के संपर्क में आने और शाम के समय या घर में रहने पर ये लक्षण और बढ़ जाते हैं। कॉफी पीने और अंधेरे में रहने पर इनमें सुधार आता है।


कास्टिकम (Causticum) 

सामान्‍य नाम : हेनेमन टिंकटुरा एक्रिस सिने कली (Hahnemann's tinctura acris sine kali) 

लक्षण : जिन लोगों का किसी बीमारी या बहुत ज्‍यादा चिंता करने की वजह से वजन घट जाता है, ये दवा उन पर सबसे ज्‍यादा असर करती है। ये तंत्रिका तंत्र में बदलाव के कारण हुए मोतियाबिंद को कम करने में मदद करती है। इससे नीचे बताए गए लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है।

ऊपरी पलकों का झुकना

देखने में परेशानी होना

आंखों के आईलिड में सूजन

आंखों में अल्‍सर

आंखों में गहरे धब्‍बे पड़ना

ठंडी जगहों पर जाने पर आंखों की मांसपेशियों में लकवा

खांसी की वजह से कूल्‍हों में दर्द होना 

ठंडी और सूखी हवा, ठंडे और साफ मौसम में ये लक्षण और खराब हो सकते हैं। वहीं नमीयुक्‍त और गर्म मौसम एवं गीले इलाकों में जाने पर इन लक्षणों में सुधार आता है।

साइलीसिया टेर्रा (Silicea Terra) 

सामान्‍य नाम : सिलिका (Silica)

लक्षण : इस होम्‍योपैथिक दवा का सबसे ज्‍यादा असर उन लोगों पर होता है जिन्‍हें ठंड ज्‍यादा लगती है और शरीर को गर्म रखने के लिए ज्‍यादा गर्म कपड़ों की जरूरत पड़ती है। इनके हाथ और पैर सर्दी के मौसम में और ज्‍यादा ठंडे हो जाते हैं। इसका इस्‍तेमाल प्रमुख तौर पर आंख में बैक्‍टीरियल संक्रमण और आंसू पैदा करने वाली नलिकाओं में सूजन के लिए किया जाता है। इससे निम्‍न लक्षणों से भी राहत मिल सकती है:

रोशनी की वजह से आंखों में तेज दर्द होना

साफ न दिखाई देना

पढ़ने के दौरान शब्‍दों के चलने जैसा महसूस होना

ट्रॉमेटिक चोट लगने के बाद कॉर्निया में फोड़ा होना

ऑफिस में काम करने वाले लोगों में मोतियाबिंद (बंद जगह पर रहने)

कॉर्निया में छेद करने वाला अल्‍सर

इरिटिस और इरिडोकोरोइडिटिस (आइरिस और कोरोइड में सूजन) के साथ आंख के आगे के हिस्‍से में पस पड़ना

आंख में केराटाइटिस संक्रमण के बाद आंख के साफ ऊतकों में सूजन आना

आंख के एंगल्‍स का प्रभावित होना

पूर्णिमा, सुबह, माहवारी और बाईं करवट लेटने एवं आंख धोने के बाद ये लक्षण और बढ़ जाते हैं। नमीयुक्‍त, गर्मी वाले वातावरण, गर्म मौसम और सिर को ढकने के बाद राहत मिलती है।

सल्‍फर (Sulphur) 

सामान्‍य नाम : ब्रिमस्‍टोन (Brimstone) 

लक्षण : जो लोग हमेशा परेशान रहते हैं और बहस करते हैं, उनके लिए ये दवा सबसे ज्‍यादा लाभकारी है। यह कॉर्निया में दृष्टि और धुंधलेपन को कम करके मोतियाबिंद का इलाज करने में मदद करती है। इससे कई और लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है, जैसे कि:

पलकों में दर्द

आंखों में सूखेपन के कारण दर्द

पढ़ने के दौरान साफ न दिखना

आंखों से बहुत ज्‍यादा पानी निकलना

आंखों में सफेद धब्‍बे पड़ना

आंख का फड़कना

रात में न दिखना

रोशनी खासतौर पर धूप में देखने में परेशानी होना

सूजन के कारण आइरिस (आंख की पुतली) में लालपन

आंख की पुतलियों में सूखेपन के कारण दर्द होना

आंखों से पानी आना

आंखों में सूखापन

आंखों और पलकों में खुजली व जलन महसूस होना

कोनियम मैकुलेटम (Conium Maculatum) 

सामान्‍य नाम : पॉइजन हेमलॉक (Poison hemlock)

लक्षण : वृद्ध और मस्तिष्‍क एवं शारीरिक कमजोरी या कंपन से ग्रस्‍त लोगों के लिए ये दवा बहुत फायदेमंद है। ये आंखों से पानी आने और आंखों की मांसपेशियों में लकवे को ठीक करती है। इससे नीचे बताए गए लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है - 

फोटोफोबिया (रोशनी से दिक्‍कत होना)

नजर कमजोर होना खासतौर पर आर्टिफिशियल लाइट में

आंखों में सूजन

आंखें बंद करने पर पसीना आना

आंखों में घर्षण या अल्‍सर की वजह से फोटोफोबिया का गंभीर रूप लेना

केराटाइटिस (कॉर्निया में सूजन)

कंजक्टिवाइटिस

कॉर्निया में पस भरे गोल फफोले होना

ये लक्षण माहवारी के दौरान और पहले, बिस्‍तर पर लेटने, बिस्‍तर से उठने और करवट बदलने, मानसिक या शारीरिक थकान होने पर और बढ़ जाते हैं। अंधेरे, व्रत, दबाव डालने और हाथ-पैरों को ढीला छोड़कर नीचे छोड़ने पर इन लक्षणों में सुधार आता है।

कोनियम मैकुलेटम के प्रभाव की जांच के लिए ऐसे 43 मरीजों पर अध्‍ययन किया गया, जिनकी आंखों पर काले धब्‍बे, आंखों में चित्रों की परछाई, आइरिस के हिस्‍से में परछाई आने और देखने में दिक्‍कत थी। इन मरीजों को उम्र के आधार पर दो भागों में बांट दिया गया। दोनों समूहों को 1 से 4 महीने तक अलग-अलग समयावधि तक कोनियम मैकुलेटम दी गई। दोनों समूह के मरीजों की देखने की क्षमता और पूरी तरह से विकसित न हुए मोतियाबिंद में सुधार देखा गया। इस स्‍टडी में कहा गया कि कोनियम मैकुलेटम इमैच्‍योर कैटरेक्‍ट (जो पूरी तरह से मोतियाबिंद का रूप न ले चुका हो) के इलाज में लाभकारी विकल्‍प है।

फास्‍फोरस (Phosphorus) 

सामान्‍य नाम : फॉस्‍फोरस (Phosphorus)

लक्षण : ये औषधि पतले और लंबे लोगों जिनकी त्‍वचा पतली हो, छाती चौड़ी न हो और कमजोर हो, उनके लिए फायदेमंद रहती है। ऐसे लोगों को अचानक बेहोशी, पसीना और दर्द जैसे लक्षण महसूस होते हैं। फॉस्‍फोरस मोतियाबिंद का इलाज करती है और आंखों पर पड़े काले धब्‍बों को कम करती है। इससे निम्‍न लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है -

आंखों में धूल या मिट्टी जाने का अहसास होना

आंखों पर खिंचाव महसूस होना

आंखों में थकान

लाल अक्षर दिखना

ऑप्टिक नसों के ऊतकों को नुकसान पहुंचना

तंबाकू खाने की वजह से आंखे कमजोर होना

ग्‍लूकोमा

वृद्ध लोगों की आंखों में रेखाएं और घाव दिखना

ऐसी चीजें दिखना जो न हों

आंखों की ऑर्बिटल हड्डियों में दर्द (आंख के ऑर्बिट को बनाने वाली 6 हड्डियों का समूह)

मौसम बदलने के साथ मानसिक या शारीरिक थकान, दर्द वाले हिस्‍से या बाईं करवट लेटने और गर्म चीज खाने या पीने से लक्षण और बढ़ जाते हैं। ये अंधेरे, दाईं ओर लेटने, ठंडा खाना खाने, ठंडे पानी से नहाने और खुली या ठंडी हवा में जाने पर ठीक हो जाते हैं।

थिओसिनामीनम (Thiosinaminum) 

सामान्‍य नाम : सरसों के बीज के तेल से निकला रसायन (A chemical derived from oil of mustard-seed)

लक्षण : इससे मोतियाबिंद और कॉर्निया में पारदर्शिता न होने की स्थिति को कम किया जा सकता है। ये शरीर में स्‍कार टिश्‍यू को भी कम करती है और वर्टिगो (सिर चकराना) एवं टिनिटस (कान में घंटी बजना) का भी इलाज करती है।

टेलुरियम मैटालिकम (Tellurium Metallicum) 

सामान्‍य नाम : मैटल टैलुरियम (The metal tellurium)

लक्षण : ये दवा उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होती है, जिनकी कमर अत्‍यधिक संवदेनशील हो। इन्‍हें पूरे शरीर में दर्द, कमर दर्द और साइटिका की वजह से दर्द महसूस होता है। ये दवा न सिर्फ मोतियाबिंद को कम करती है, बल्कि इसकी वजह से आंखों में हुए घावों को भी ठीक करती है। इससे कई लक्षणों को ठीक किया जा सकता है, जैसे कि 

पलकों का भारी होना

आंख में सूजन और खुजली होना

पस्‍टुलर कंजक्टिवाइटिस (पस वाला)

घर्षण, ठंडे मौसम, रात में आराम करने, हंसने, खांसी या दर्द वाले हिस्से की तरफ लेटने से ये लक्षण और बढ़ जाते हैं।

होम्योपैथी में मोतियाबिंद के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Cataract ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav

मोतियाबिंद जैसी गंभीर स्थितियों के इलाज में होम्‍योपैथित दवा लेने के दौरान आहार और जीवनशैली से जुड़ी कुछ बातों का भी ध्‍यान रखने की सलाह दी जाती है। अगर आप चाहते हैं कि होम्‍योपैथी दवा ठीक तरह से असर करे तो आपको नीचे बताई गई बातों का पालन करना होगा।

क्‍या करें

ऐसे काम करें जिनमें आपको मजा आता हो, इससे तनाव कम होता है

अपनी सुविधा के अनुसार कमरे का तापमान रखें

क्‍या न करें

मानसिक थकान से बचें

किसी भी आदत या काम में बहुत ज्‍यादा लिप्‍त न रहें

मोतियाबिंद के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Cataract ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak

मोतियाबिंद के इलाज के लिए प्राकृतिक तत्‍वों से होम्‍योपैथिक दवाएं तैयार की जाती हैं। अमूमन होम्‍योपैथी उपचार के कोई साइड इफेक्‍ट नहीं होते हैं। हालांकि, इन्‍हें अनुभवी होम्‍योपैथी चिकित्‍सक की देख-रेख में ही लेना चाहिए, क्‍योंकि हर दवा हर प्रकृति वाले व्‍यक्‍ति के लिए फायदेमंद साबित नहीं होती है। होम्‍योपैथी दवाओं की अधिक खुराक लेने पर इनके दुष्‍प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं।

मोतियाबिंद के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Cataract ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

मोतियाबिंद में आंखों की देखने की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे रोजमर्रा के काम करने में भी दिक्‍कत आती है। आमतौर पर मोतियाबिंद का इलाज सर्जरी से किया जाता है। होम्‍योपैथी दवाओं से आंखों में धुंधलापन और नजर कमजोर करने वाले लक्षणों को कम कर मोतियाबिंद का इलाज किया जाता है। होम्‍योपैथी दवाओं का कोई साइड इफेक्‍ट नहीं होता, क्‍योंकि इसमें स्थिति के इलाज के लिए प्राकृतिक तत्‍वों की कम खुराक का इस्‍तेमाल किया जाता है। हालांकि, घर पर अपनी मर्जी से कोई होम्‍योपैथी दवा लेने की बजाय होम्‍योपैथी चिकित्‍सक से इलाज करवाना सुरक्षित और असरकारी रहता है।

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