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मई, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

20 टिप्स को अपनाकर पूरे दिन रहें एक्टिव

 इन 20 टिप्स को अपनाकर पूरे दिन रहें एक्टिव अगर आप एकस्ट्रा वजन कम करना चाहते हैं और पूरे दिन एक्टिव रहना चाहते हैं तो दिनभर में इन 20 टिप्स का ध्यान रखें।  अगर आप एकस्ट्रा वजन कम करना चाहते हैं और पूरे दिन एक्टिव रहना चाहते हैं तो दिनभर में इन 20 टिप्स का ध्यान रखें। दरअसल डायट से जुड़ी कई छोटी-छोटी बातों पर हम ध्यान नहीं दे पाते और कई चीजों को खाते हैं जो हमारे शरीर फायदा नहीं पहुंचाती हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में: 1. रोज खूब सारा पानी पिएं और कैलोरी फ्री चीजें खाएं।  2. सुबह-सुबह ब्रेकफास्ट जरूर करें। ब्रेकफास्ट न करने से कई बीमारियां होती हैं।  3. रात के स्नैक्स को लेते समय थोड़ा चूजी बनें।  4. दिन भर में कुछ कुछ खाते रहें, खाने के बीच लंबा गेप नहीं होना चाहिए।  5. कोशिश करें कि खाने में प्रोटीन जरूर हो 2/3खाने में मसालेदार चीजों को कम करें 6. खाने में मसालेदार चीजों को कम करें। 7. खाने के दौरान लाल, हरे संतरी रंग की चीज जरूर लें। इस तीन नंबर के नियम को जरूर मानें और खाने में इन रंगों की खाने की चीजें जैसे गाजर, संतरा और हरी सब्जियों को शामिल करें।  8.

ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment Lactation problems in Hindi

 ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment Lactation problems in Hindi नवजात शिशु के पोषण के लिए स्तनपान न सिर्फ एक प्राकृतिक बल्कि स्वस्थ विकल्प है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे के जन्म के बाद कम से कम 6 महीने तक उसे स्तनपान कराना चाहिए। जब तक बच्चा 1 से 2 वर्ष का नहीं हो जाता है, तब तक नियमित रूप से उसके आहार में मां का दूध शामिल होना चाहिए। हालांकि, कुछ महिलाओं को स्तनपान से चुनिंदा समस्याएं हो सकती हैं, जैसे मैस्टाइटिस (स्तन का संक्रमण), निप्पल में दर्द और पीड़ा, पर्याप्त मात्रा में दूध न आना, या थ्रश (यीस्ट इंफेक्शन)। यदि बच्चा स्तनपान करते समय उधम (नखरे करना या असहज) मचाता है, तो इससे स्तनपान में परेशानी (दूध न पीने की वजह से दूध जम जाना) हो सकती है। ऐसे में प्रभावित हिस्से पर गर्म सिकाई करने, पर्याप्त आराम करने, उचित समय पर स्तनपान कराने और आरामदायक ब्रा पहनने से इन समस्याओं को दूर करने में मिल सकती है। स्तन में संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाएं भी लेनी पड़ सकती हैं। पारंपरिक दवाओं के अलावा होम्यो

पल्स ऑक्सीमीटर क्या है ? Pulse Oximeter Meaning in Hindi.

 पल्स ऑक्सीमीटर क्या है ? Pulse Oximeter Meaning in Hindi. पल्स ऑक्सीमीटर एक तरह का उपकरण है जो जांच करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस उपकरण का उपयोग करने से कोई दर्द नहीं होता है क्योकि इसमें केवल उंगली रखनी होती है और उंगली रखते उपकरण रीडिंग करने लगता है। यह उपकरण आपके रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को मापने का काम करती है। इसके अलावा शरीर में हो रहे अन्य समस्या का पता लगा सकता है। जैसा की आपको पता है कोरोना महामारी हमारे देश में बहुत तेजी से अपना पैर पसार रहा है। देखते ही देखते कोरोना संक्रमित लोगो की संख्या 680680 हो चुकी है। इसके अलावा हर दिन नये मामले सामने आ रहे है और आकड़ो में सबसे ज्यादा संक्रमित मरीज महाराष्ट्र में है और दूसरा दिल्ली में है। हालांकि लोगो के जागरूक होने से कोरोना की दर में कमी आ रही है। पल्स ऑक्सीमीटर उपकरण का लोग अपने शरीर की ऑक्सीजन के स्तर को मापने के लिए इस्तेमाल कर रहे है। पल्स ऑक्सीमीटर को लोग अपना सुरक्षा सहायक मानने लगे है। इस उपकरण का फायदा यह है की अगर आपका ऑक्सीजन का लेवल कम बता रहा है तो आप नजदीकी चिकिस्तक से संपर्क कर सकते हैं। पल्स ऑक्सीमीटर का उपयो

आर्टेरियल ब्लड गैस टेस्ट (एबीजी) - Arterial Blood Gas (ABG) in Hindi

 आर्टेरियल ब्लड गैस टेस्ट (एबीजी) - Arterial Blood Gas (ABG) in Hindi आर्टेरियल ब्लड गैस टेस्ट (एबीजी) क्या है? एबीजी टेस्ट धमनियों के रक्त की अम्लता और उनमें मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड व ऑक्सीजन के स्तर का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसकी मदद से यह पता लगाया जाता है, कि फेफड़े कितने अच्छे से ऑक्सीजन को खून में पहुंचा पा रहे हैं और सीओ 2 को बाहर निकाल रहे हैं। फेफड़ों की जांच करके और खून में रक्त के स्तर की जांच करके मेटाबॉलिज्म संबंधी विकारों का पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा इन परीक्षणों की मदद से गुर्दे और फेफड़ों के कार्य की जांच की जा सकती है।  आमतौर पर एबीजी टेस्ट निम्न को मापता है: पीएच पार्शियल प्रेशर ऑफ़ ऑक्सीजन (पीएओ2) रक्त में घुला हुआ।  पार्शियल प्रेशर ऑफ़ सीओ2 (पीएसीओ2) रक्त में मौजूद।  ऑक्सीजन कंटेंट (ओ 2 सीटी) या 100 मिलीलीटर रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा। ऑक्सीजन सेचुरेशन (ओ 2 एसएटी) या ऑक्सीजन को ले जाने में प्रयुक्त हीमोग्लोबिन का प्रतिशत। लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद हीमोग्लोबिन रक्त में ऑक्सीजन ले जाता है।  बाईकार्बोनेट: अम्ल-क्षार के मेटाबॉलिक घटक को भी मापा जा सकता है

रूमेटाइड आर्थराइटिस की होम्योपैथिक दवा और इलाज

 रूमेटाइड आर्थराइटिस की होम्योपैथिक दवा और इलाज रूमेटाइड आर्थराइटिस सबसे आम ऑटोइम्यून बीमारियों में से एक है, जो मुख्य रूप से जोड़ों को प्रभावित करती है। बता दें, कोई भी ऑटोइम्यून रोग तब होता है, जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उचित तरीके से कार्य नहीं करती है। अब समझते हैं कि ऑटोइम्यून रोग क्या होता है? जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ ऊतकों पर हमला करने लगती है, तो ऐसी स्थिति को ऑटोइम्यून रोग कहा जाता है। ऑटोइम्यून बीमारियों के उदाहरण में सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस, इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, एलोपेसिया इत्यादि शामिल हैं। रूमेटाइड आर्थराइटिस में होने वाली सूजन जोड़ों के अंदरूनी ऊतकों (टिशू) को मोटा कर देती है, जिसकी वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन हो जाती है। इसके अलावा फेफड़ों में नोड्यूल्स और त्वचा में भी सूजन देखी जाती है। बता दें, नोड्यूल्स का मतलब फेफड़ों में एक स्पॉट या शैडो से है। यह स्पॉट दिखने में गोल होते हैं, जो सामान्य फेफड़ों के ऊतकों की तुलना में अधिक घने होते हैं। रूमेटाइड आर्थराइटिस (आरए) पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है। यह किसी भी उम्र

बिच्छू के डंक मारने पर क्या करें - Bichu ke katne par kya karna chahiye

 बिच्छू के डंक मारने पर क्या करें - Bichu ke katne par kya karna chahiye दुनिया के लगभग हर क्षेत्र में बिच्छू पाए जाते हैं। बिच्छू इंसानों को अपनी पूंछ से डंक मारते हैं, हालांकि ऐसे मामले बहुत कम होते हैं। इनके काटने पर घाव या प्रतिक्रिया होती है, जिससे सूजन और लाली जैसे लक्षण होते हैं। बिच्छू के काटने पर कुछ गंभीर लक्षण भी हो सकते हैं, जो डंक मरने के कुछ समय बाद दिखने लगते हैं। इनके डंक से आमतौर पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं होता है, लेकिन कुछ तरह के बिच्छुओं के काटने से गंभीर लक्षण और मौत भी हो सकती है। इस लेख में क्या बिच्छू का काटना खतरनाक होता है, बिच्छू के काटने पर क्या होता है, क्या करना चाहिए और बिच्छू के काटने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए के बारे में बताया गया है। क्या बिच्छू का काटना खतरनाक होता है - Kya bichhoo ka katna gambhir samasya hai बिच्छू के काटने पर क्या होता है - Bichu ke katne par kya hota hai बिच्छू के डंक मारने पर क्या करना चाहिए - Bichu katne par kya kare बिच्छू के काटने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए - Bichhoo ke dank marne par doctor ke pas kab jaye क्या बिच्छू

डायबिटीज (मधुमेह) के लक्षण -जिसे हम नज़रअंदाज कर देते हैं

 डायबिटीज (मधुमेह) के लक्षण -जिसे हम नज़रअंदाज कर देते हैं   Diabetes & Endocrinology डायबिटीज एक स्थायी रोग (Chronic Disease )है यानी ऐसी बीमारी जो लम्बे समय तक रहे और पूरी तरीके से ठीक होने मे मुश्किल हो। जब शरीर मे पैंक्रियाज, इंसुलिन हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाता या शरीर इंसुलिन का उपयोग पूरी तरीके से नहीं करता तब खून में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ने लगती है, जो की डायबिटीज का मुख्य कारण बनता है।  WHO के अनुसार दुनिया में लगभग 422 मिलियन लोग डायबिटीज से जूझ रहे है। ये बीमारी कोरोना काल में और भी रफ़्तार पकड़ ली है, जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके है उनमे डायबिटीज का खतरा बढ़ गया है।  यहाँ देखेंगे की कैसे आप शुरुआत के दिनों के लक्षण पहचान डायबिटीज का पता लगा सकते है, और खुद को आने वाली बड़ी स्वास्थ्य परेशानी से बचा सकते है  - डायबिटीज के शुरुआती लक्षण (Early symptoms of diabetes  in hindi ) डायबिटीज टाइप-1 में लक्षण जल्दी दिखते है और डायबिटीज टाइप-2 के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते है।   जब खून में शुगर लेवल ज्यादा होने लगे तब इसके लक्षण हो सकते है -: यूरिन का बढ़ना - किडनी खून में मौजूद ज्या

एम्बुलेंस सर्विस कैसे शुरू करें [बिज़नेस] | How to Start Ambulance Service Business in Hind

 एम्बुलेंस सर्विस कैसे शुरू करें [बिज़नेस] | How to Start Ambulance Service Business in Hind हमारे देश की जनसंख्या इतनी अधिक है कि यहाँ पर आय दिन एक्सीडेंट होते रहते हैं या अन्य बीमारियों के कारण इमरजेंसी सर्विस यानि कि आपातकालीन सेवा की मांग बहुत होती है. ऐसा इसलिए होता हैं क्योकि ऐसे समय में लोगों की जान पर बन आती हैं और उनके लिए हर एक सेकंड बहुत ही कीमती हो जाता है. यह आपातकालीन स्थिति होती है, जिसमें एम्बुलेंस सेवा की आवश्यकता होती है. इसलिए जो लोग एम्बुलेंस सर्विस देने का व्यवसाय करते हैं उन्हें कभी भी मंदी का सामना नहीं करना पड़ता है. इन दिनों कोरोना वायरस महामारी फैली हुई है, जिसके कारण एम्बुलेंस सर्विस की मांग और भी अधिक बढ़ गई है. परिस्थिति को देखते हुए इस दिनों में यदि आप इस सर्विस की शुरुआत करते हैं तो यह आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है. आइये इस बिज़नेस की शुरुआत कैसे कर सकते हैं इसकी जानकारी आपको देते हैं. ambulance service business Table of Contents एम्बुलेंस सर्विस बिज़नेस क्या है एम्बुलेंस सर्विस का बिज़नेस शुरू करने से पहले कुछ जरुरी बातें एम्बुलेंस सर्विस का बिज़नेस

एंजाइना क्या है?

 एंजाइना क्या है? ह्रदय मांसपेशियों में कम रक्त प्रवाह के कारण होने वाले छाती के दर्द के लिए एनजाइना शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। एनजाइना को आमतौर पर आपकी छाती में दबाव, भारीपन, जकड़न या दर्द के रूप में वर्णित किया जाता है। एनजाइना एक आवर्ती समस्या या एक अचानक होने वाले दिक्कत हो सकती है। एनजाइना के प्रकार - Types of Angina in Hindi एनजाइना के लक्षण - Angina Symptoms in Hindi एनजाइना के कारण - Angina Causes in Hindi एनजाइना से बचाव - Prevention of Angina in Hindi एनजाइना का परीक्षण - Diagnosis of Angina in Hindi एनजाइना का इलाज - Angina Treatment in Hindi एनजाइना की जटिलताएं - Angina Complications in Hindi एनजाइना में परहेज़ - What to avoid during Angina in Hindi? एनजाइना में क्या खाना चाहिए? - What to eat during Angina in Hindi? एनजाइना की दवा - Medicines for Angina in Hindi एनजाइना की दवा - एनजाइना के प्रकार - Types of Angina in Hindi एनजाइना कितने प्रकार का होता है? एनजाइना के 2 प्रकार हैं -  1. स्थिर एनजाइना (Stable angina), एनजाइना का सबसे सामान्य प्रकार है। आप स्थिर एनजाइना का

एलर्जी की होम्योपैथिक दवा और इलाज

 एलर्जी की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Allergy in Hindi एलर्जी की होम्योपैथिक दवा और इलाज - एलर्जी त्वचा की प्रतिक्रिया होती है। एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थ को एलर्जन यानी एलर्जी पैदा करने वाले कारक कहते हैं। यह आमतौर पर किसी विशेष भोजन, कपड़े या ड्रग्स की वजह से होती है। जब कोई व्यक्ति पहली बार एलर्जन के संपर्क में आता है तो उसके शरीर में आईजीई (इम्युनोग्लोबुलिन ई) एंटीबॉडी का उत्पादन होता है। ये एंटीबॉडी रक्तप्रवाह में एलर्जन का पता लगाते हैं और इन्हें खत्म करने के लिए सफेद रक्त कोशिकाओं की ओर ले जाते हैं। इस प्रक्रिया में, हिस्टामाइन नामक एक रसायन जारी होता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर के ऊतकों में सूजन (जलन), खुजली, शरीर में तरल पदार्थ का स्राव बढ़ जाना और वायुमार्ग (ब्रोन्कोस्पाज्म) में संकुचन की समस्या होती है। अधिकांश लोगों को एक ही बार में एक से अधिक पदार्थों से एलर्जी हो सकती है। सामान्य एलर्जेंस में पराग शामिल है जो 'हे फीवर' या मौसमी एलर्जिक राइनाइटिस, धूल, पालतू जानवरों की रूसी, भोजन, कीट के काटने और दवाओं का कारण बनता है।  एल