सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

बिच्छू के डंक मारने पर क्या करें - Bichu ke katne par kya karna chahiye

 बिच्छू के डंक मारने पर क्या करें - Bichu ke katne par kya karna chahiye


दुनिया के लगभग हर क्षेत्र में बिच्छू पाए जाते हैं। बिच्छू इंसानों को अपनी पूंछ से डंक मारते हैं, हालांकि ऐसे मामले बहुत कम होते हैं। इनके काटने पर घाव या प्रतिक्रिया होती है, जिससे सूजन और लाली जैसे लक्षण होते हैं।



बिच्छू के काटने पर कुछ गंभीर लक्षण भी हो सकते हैं, जो डंक मरने के कुछ समय बाद दिखने लगते हैं।



इनके डंक से आमतौर पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं होता है, लेकिन कुछ तरह के बिच्छुओं के काटने से गंभीर लक्षण और मौत भी हो सकती है।



इस लेख में क्या बिच्छू का काटना खतरनाक होता है, बिच्छू के काटने पर क्या होता है, क्या करना चाहिए और बिच्छू के काटने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए के बारे में बताया गया है।


क्या बिच्छू का काटना खतरनाक होता है - Kya bichhoo ka katna gambhir samasya hai

बिच्छू के काटने पर क्या होता है - Bichu ke katne par kya hota hai

बिच्छू के डंक मारने पर क्या करना चाहिए - Bichu katne par kya kare

बिच्छू के काटने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए - Bichhoo ke dank marne par doctor ke pas kab jaye



क्या बिच्छू का काटना खतरनाक होता है - Kya bichhoo ka katna gambhir samasya hai

बिच्छूओं को बिना किसी वजह बुरा माना जाता है। दुनिया में इनकी 1500 तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से केवल 25 ही ऐसी प्रजातियां हैं जिनका डंक इंसानों के लिए घातक होता है। हालांकि, किसी भी बिच्छू के काटने से एलर्जी की समस्या हो सकती है।


नवजात शिशुओं और बूढ़े लोगों को बिच्छू के काटने से मृत्यु होने का खतरा अधिक होता है। अन्य लोगों को अधिकतर इससे दौरे पड़ना और सांस फूलना जैसी समस्याएं होती हैं।



अगर आपको पता है कि जिस बिच्छू ने आपको काटा है वो घातक नहीं है, लेकिन आपको दर्द और सूजन के अलावा कोई लक्षण अनुभव होते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाएं।


बिच्छू के काटने पर क्या होता है - Bichu ke katne par kya hota hai

बिच्छू काटने के बाद होने वाले लक्षण उसके प्रकार, व्यक्ति की उम्र और उसके स्वास्थ जैसे कई कारकों पर निर्भर करते हैं। आमतौर पर, बिच्छू के डंक मारने से असहजता होती है, जो कुछ समय में अपने आप ठीक हो जाती है।


बिच्छू काटने के बाद होने वाले सामान्य से गंभीर लक्षण निम्नलिखित हैं -


काटने की जगह पर दर्द, झुनझुनी, जलन या सुन्न महसूस होना। 

निगलने में कठिनाई।

डंक वाली जगह पर सूजन होना।

प्रभावित क्षेत्र पर लाल दाग और तेज दर्द। 

मांसपेशियों में ऐठन।

थकान महसूस होना। 

जीभ की सूजन।

सांस लेने में दिक्कत।

दस्त होना। 

अनियमित दिल की धड़कन।

पेट दर्द होना

धुंधला दिखना।

पेशाब करने में दिक्कत और कम पेशाब आना। 

दौरा पड़ना।

पैरालिसिस।

चक्कर आना। 

अधिक लार बनना।

बिच्छू के डंक मारने पर क्या करना चाहिए - Bichu katne par kya kare

बिच्छू के काटने पर निम्नलिखित तरीके से प्राथमिक उपचार किया जा सकता है -


डंक वाले क्षेत्र को पानी और साबुन से धो लें।

हो सके तो प्रभावित क्षेत्र को हृदय के स्तर से ऊपर उठा लें।

अगर घायल व्यक्ति ने प्रभावित क्षेत्र में कोई ज्वेलरी पहनी है, तो उसे उतार दें।

डंक वाली जगह के थोड़ा ऊपर की तरफ एक पट्टी बांध दें। पट्टी को ज्यादा टाइट न बांधें, इससे खून का परवाह अवरुद्ध हो सकता है।

दर्द के लिए एसिटामिनोफेन और एलर्जी के लिए एंटीहिस्टामाइन लें। 

एस्पिरिन और आइबुप्रोफेन न लें, इनसे समस्या और बढ़ सकती है।

प्रभावित क्षेत्र पर 10 से 15 मिनट के लिए ठंडी सिकाई करें। बर्फ के टुकड़ों को सीधे त्वचा पर न रखें, उन्हें किसी कपड़े या तौलिये में लपेट लें।

घाव से जहर चूसकर निकलने का प्रयास न करें।

अगर व्यक्ति सांस नहीं ले रहा है, तो उसे सीपीआर दें।

अगर 5 साल से छोटे बच्चे को बिच्छू ने काटा है, तो उसे डॉक्टर के पास ले जाएं।

अगर बिच्छू काटने के बाद लक्षण बढ़ने लगते हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।


बिच्छू के काटने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए - Bichhoo ke dank marne par doctor ke pas kab jaye

बिच्छुओं की कुछ ही प्रजातियां ऐसी हैं जिनके डंक इंसानों के लिए घातक होते हैं। ऐसे किसी बिच्छू के डंक मारने पर डॉक्टर के पास तुरंत जाएँ। हालांकि, अगर आपको पता नहीं है कि आपको किसी जहरीले बिच्छू ने काटे है या साधारण बिच्छू ने, या आपको ऊपर दिए गए लक्षण ज्यादा देर तक अनुभव होते हैं या लक्षण बिगड़ने लगते हैं, तो डॉक्टर के पास तुरंत जाए


 


नोट: प्राथमिक चिकित्सा या फर्स्ट ऐड देने से पहले आपको इसकी ट्रेनिंग लेनी चाहिए। अगर आपको या आपके आस-पास किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर या अस्पताल ​से तुरंत संपर्क करें। यह लेख केवल जानकारी के लिए है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कैनुला क्या है?कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi

 कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi कैनुला क्या है? कैनुला एक पतली ट्यूब है, जिसे शरीर में नसों के जरिए इंजेक्ट किया जाता है, ताकि जरूरी तरल पदार्थ को शरीर से निकाला (नमूने के तौर पर) या डाला जा सके। इसे आमतौर पर इंट्रावीनस कैनुला (IV cannula) कहा जाता है। बता दें, इंट्रावीनस थेरेपी देने के लिए सबसे आम तरीका पेरिफेरल वीनस कैनुलेशन (शरीर के परिधीय नसों में कैनुला का उपयोग करना) है। इंट्रावीनस (नसों के अंदर) प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना, सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपचार प्रदान करना है। जब किसी मरीज का लंबे समय तक उपचार चलता है, तो ऐसे में इंट्रावीनस थेरेपी की विशेष जरूरत पड़ती है। शोध से पता चला है कि जिन मामलों में इंट्रावीनस कैनुला की जरूरत नहीं होती है, उनमें भी इसका प्रयोग किया जाता है, जबकि कुछ मामलों में इसे टाला जा सकता है। जनरल वार्डों में भर्ती 1,000 रोगियों पर हाल ही में एक शोध किया गया, इस दौरान इन सभी मरीजों के नमूने लिए गए। अध्ययन में पाया गया कि लगभग 33% रोगियों में इंट्रावीनस कैनुला का प्रयोग सामान्य से अधिक समय के लिए किया जा रहा है। जबकि

Pleural Effusion in Hindi

 फुफ्फुस बहाव - Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों के बाहर असामान्य मात्रा में द्रव इकट्ठा हो जाता है। ऐसे कई रोग हैं जिनके कारण यह समस्या होने लग जाती है और ऐसी स्थिति में फेफड़ों के आस-पास जमा हुऐ द्रव को निकालना पड़ता है। इस इस स्थिति के कारण के अनुसार ही इसका इलाज शुरु करते हैं।  प्लूरा (Pleura) एक पत्ली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों और छाती की अंदरुनी परत के बीच में मौजूद होती है। जब फुफ्फुसीय बहाव होता है, प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में द्रव बनने लग जाता है। सामान्य तौर पर प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में एक चम्मच की मात्रा में द्रव होता है जो आपके सांस लेने के दौरान फेफड़ों को हिलने में मदद करता है। फुफ्फुस बहाव क्या है - What is Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन के लक्षण - Pleural Effusion Symptoms in Hindi फुफ्फुस बहाव के कारण व जोखिम कारक - Pleural Effusion Causes & Risk Factors in Hindi प्ल्यूरल इफ्यूजन से बचाव - Prevention of Pleural Effusion in Hindi फुफ्फुस बहाव का परीक्षण - Diagnosis of Pleural Effusion in Hind

शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi

 शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi शीघ्र स्खलन एक पुरुषों का यौन रोग है, जिसमें दोनों यौन साथियों की इच्छा के विपरीत सेक्स के दौरान पुरुष बहुत जल्दी ऑर्गास्म पर पहुंच जाता है यानि जल्दी स्खलित हो जाता है। इस समस्या के कारण के आधार पर, ऐसा या तो फोरप्ले के दौरान या लिंग प्रवेश कराने के तुरंत बाद हो सकता है। इससे एक या दोनों साथियों को यौन संतुष्टि प्राप्त करने में परेशानी हो सकती है। स्खलन को रोक पाने में असमर्थता अन्य लक्षणों जैसे कि आत्मविश्वास में कमी, शर्मिंदगी, तनाव और हताशा आदि को जन्म दे सकती है। ज्यादातर मामलों में, हो सकता है कि स्खलन को नियंत्रित करने में असमर्थता किसी जैविक कारण से न पैदा होती हो, हालांकि उपचार के किसी भी अन्य रूप की सिफारिश करने से पहले डॉक्टर इसकी संभावना का पता लगाते हैं। तनाव, चिंता, अवसाद, यौन अनुभवहीनता, कम आत्मसम्मान और शरीर की छवि जैसे मनोवैज्ञानिक कारक शीघ्र स्खलन के सबसे आम कारण हैं। विशेष रूप से सेक्स से संबंधित अतीत के दर्दनाक अनुभव भी शीघ्र स्खलन का संकेत दे सकते हैं। अन्य