सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

एम्बुलेंस सर्विस कैसे शुरू करें [बिज़नेस] | How to Start Ambulance Service Business in Hind

 एम्बुलेंस सर्विस कैसे शुरू करें [बिज़नेस] | How to Start Ambulance Service Business in Hind


हमारे देश की जनसंख्या इतनी अधिक है कि यहाँ पर आय दिन एक्सीडेंट होते रहते हैं या अन्य बीमारियों के कारण इमरजेंसी सर्विस यानि कि आपातकालीन सेवा की मांग बहुत होती है. ऐसा इसलिए होता हैं क्योकि ऐसे समय में लोगों की जान पर बन आती हैं और उनके लिए हर एक सेकंड बहुत ही कीमती हो जाता है. यह आपातकालीन स्थिति होती है, जिसमें एम्बुलेंस सेवा की आवश्यकता होती है. इसलिए जो लोग एम्बुलेंस सर्विस देने का व्यवसाय करते हैं उन्हें कभी भी मंदी का सामना नहीं करना पड़ता है. इन दिनों कोरोना वायरस महामारी फैली हुई है, जिसके कारण एम्बुलेंस सर्विस की मांग और भी अधिक बढ़ गई है. परिस्थिति को देखते हुए इस दिनों में यदि आप इस सर्विस की शुरुआत करते हैं तो यह आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है. आइये इस बिज़नेस की शुरुआत कैसे कर सकते हैं इसकी जानकारी आपको देते हैं.



ambulance service business

Table of Contents

एम्बुलेंस सर्विस बिज़नेस क्या है

एम्बुलेंस सर्विस का बिज़नेस शुरू करने से पहले कुछ जरुरी बातें

एम्बुलेंस सर्विस का बिज़नेस की शुरुआत कैसे करें

स्थानीय क्षेत्र में एम्बुलेंस की मांग

एम्बुलेंस की खरीद

एम्बुलेंस के लिए आवश्यक परमिशन एवं रजिस्ट्रेशन

एम्बुलेंस सर्विस बिज़नेस के लिए हेल्पर की आवश्यकता

एम्बुलेंस का हॉस्पिटल्स के साथ टाईअप

एम्बुलेंस सर्विस बिज़नेस में लागत एवं लाभ

एम्बुलेंस सर्विस बिज़नेस की मार्केटिंग

FAQ

एम्बुलेंस सर्विस बिज़नेस क्या है

जब कहीं आग लग जाती हैं तो लोग सबसे पहले फायर ब्रिगेड को बुमाते हैं ताकि वे तुरंत आकर अंग बुझा सकें. ठीक वैसे ही जब किसी व्यक्ति का एक्सीडेंट हो जाता है या फिर उसकी अचानक से बहुत तबियत ख़राब हो जाती है, और उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाना होता है. ऐसे में सबसे पहले लोग एम्बुलेंस के लिए कॉल करते हैं ताकि वे उन्हें जल्दी से हॉस्पिटल पहुंचा सकें. यह सेवा प्रदान करने के बदले में सेवा प्रदाता को कुछ शुल्क मिलता है वही एम्बुलेंस सर्विस बिज़नेस कहलाता है. एम्बुलेंस सर्विस का कार्य करने वाले लोगों को मरीजों को हॉस्पिटल तक पहुँचाना होता है और उसके बाद जब उनका ईलाज हो जाता हैं तो उन्हें वापस अपने घर पहुँचाना होता है. इस बिज़नेस को करने वाले लोग एक उद्यमी के तौर पर पैसे तो कमाते हैं ही है लेकिन इससे किसी व्यक्ति की जान बच सकती है. ऐसे में यह बिज़नेस मानवता की दृष्टी से बहुत अच्छा है. यह व्यवसाय हेल्थ से संबंधित व्यवसाय हैं इसलिए इसकी मांग हमेशा बनी रहती ह


एम्बुलेंस सर्विस का बिज़नेस शुरू करने से पहले कुछ जरुरी बातें

एम्बुलेंस सेवा प्रदान करने के बिज़नेस के लिए सबसे पहले एम्बुलेंस की आवश्यकता होती है. एम्बुलेंस की आवश्यकता एवं कार्यशैली के आधार पर देखा जाये तो यह 2 प्रकार की होती है. आइये जानते हैं एम्बुलेंस सर्विस के प्रकार के बारे में –


इमरजेंसी एम्बुलेंस :- एम्बुलेंस के इस प्रकार में इमरजेंसी सुविधा विद्यमान रहती हैं यानि कि एम्बुलेंस की गाड़ी में प्राथमिक चिकित्सा से संबंधित चीजें पहले से होती है. जैसे कि ऑक्सीजन टैंक, डिफाइब्रिलेटर और एक प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ भी उसमें रहता है. ताकि एक सेकंड भी गवाएं बिना मरीज का ईलाज हो सके और उसकी जन बचाई जा सके.

नॉन – इमरजेंसी एम्बुलेंस :- यह एक तक आपातकालीन स्थिति के लिए नहीं होती हैं. यह केवल एक मरीज को दूसरे मरीज तक पहुँचाने के लिए होती है. इसमें मरीज को जो बेसिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से संबंधित उपकरणों की आवश्यकता होती है. वह उपलब्ध होती है.

अब यह आपकी योग्यता एवं कार्यकुशलता पर निर्भर करता है कि आप कौन से प्रकार का चयन करके अपना बिज़नेस शुरू करते हैं. हालांकि आपकी इच्छा हो तो आप दोनों प्रकार का चयन कर सकते हैं.


एम्बुलेंस सर्विस का बिज़नेस की शुरुआत कैसे करें

एम्बुलेंस सर्विस का बिज़नेस एक ऐसा बिज़नेस है जिसमें आपको सरकार द्वारा निर्धारित किये गये सभी दिशानिर्देशों का पालन करना बेहद आवश्यक है. क्योंकि यह किसी के जीवन से संबंधित होता है. इस बिज़नेस को करने के किये निम्न पॉइंट्स पर ध्यान दीजिये –


स्थानीय क्षेत्र में एम्बुलेंस की मांग

एम्बुलेंस सेवा की मांग हर उस जगह होती हैं जहाँ पर लोग रहते हैं, लेकिन इस बिज़नेस को करने वाले लोगों को यह देखना होगा कि जहां लोग ज्यादा हैं वहां आसपास में कौन सा हॉस्पिटल या चिकित्सा संस्थान हैं, और उस हॉस्पिटल में एक दिन में कितने रोगी का ईलाज होता है. इसकी एक सूची बना लेना आवश्यक है. एम्बुलेंस सेवा हालांकि कुछ हॉस्पिटल वाले स्वयं भी प्रदान करते हैं. लेकिन कई बार उनकी सेवाएं कम पड़ जाती है, तो ऐसे में वे बाहर की एम्बुलेंस के साथ टाई – अप करते हैं. आप इसके साथ ही भी जा सकते हैं.


एम्बुलेंस की खरीद

एम्बुलेंस सर्विस का बिज़नेस करने के लिए सबसे पहले आवश्यक है तो एम्बुलेंस खरीदने की. अब आप ये सोच रहे होंगे कि एम्बुलेंस कहां से खरीदेंगे और कितने में मिलेगी तो आपको बता दें कि एम्बुलेंस खरीदने के लिए आपको कम से कम 7 लाख रूपये का खर्च करना पड़ेगा. हालांकि एम्बुलेंस अधिकतम 18 लाख रूपये तक की आती है. यदि आपके पास बजट की कमी है तो आप चाहे तो सेकंड हैण्ड एम्बुलेंस की गाड़ी भी ले सकते हैं. यह आपको कम दाम में मिल जाएगी. इमरजेंसी एम्बुलेंस के लिए कस्टमाइज्ड वाहन चाहिए होता हैं जिसमें सभी आवश्यक सेवाएं, उपकरण एवं स्वास्थ्य कर्मियों और मरीज को लेटाने के लिए पर्याप्त जगह होती है. जबकि नॉन – इमरजेंसी एम्बुलेंस कोई भी व्यक्ति चला सकता है. और इसके लिए छोटी वैन भी चल जाती है. इसे आप एम्बुलेंस की बिक्री करने वाले किसी भी शो से खरीद सकते हैं.


एम्बुलेंस के लिए आवश्यक परमिशन एवं रजिस्ट्रेशन

जब आप एम्बुलेंस खरीदेंगे तो आपको उसके लिए लाइसेंस लेने के लिए परमिशन एवं रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता होती. इसके लिए एम्बुलेंस वाहन की आरसी, इंश्योरेंस, परमिट, फिटनेस, पोल्यूशन एवं वाहन चालक का ड्राइविंग लाइसेंस आदि होना आवश्यक है. यह हेल्थ से संबंधित व्यवसाय हैं इसलिए आवश्यक है कि आप स्वास्थ्य विभाग एवं स्थानीय प्राधिकरण से परमिशन लेकर इसका ट्रेड लाइसेंस बनवा लें. आपको टैक्स रजिस्ट्रेशन कराना भी अनिवार्य होगा इसके लिए रोड टैक्स भी देना पड़ सकता है.



एम्बुलेंस सर्विस बिज़नेस के लिए हेल्पर की आवश्यकता

चुकी मरीज को उठाना एक अकेले व्यक्ति के बस की बात नहीं होती है, ऐसे में आप यदि इस बिज़नेस को करने की सोच रहे हैं तो आप अपने साथ कुछ 2 से 3 लोगों को रख सकते हैं. जोकि आपकी इसमें हेल्प कर सकें. इसके लिए आपको उन्हें कुछ देना पड़ेगा. लेकिन यह जरुरी है. यदि आप एम्बुलेंस का वाहन नहीं चलाना चाहते हैं तो आप चाहें तो यह चलाने के लिए एक ड्राईवर भी रख सकते हैं.


एम्बुलेंस का हॉस्पिटल्स के साथ टाईअप

आपने एम्बुलेंस खरीदकर उसेक लिए लाइसेंस प्राप्त कर लिया इसके बाद आपको अपने एम्बुलेंस को अपने स्थानीय क्षेत्र के हॉस्पिटल के साथ टाई – अप करना होगा. आप सरकारी या निजी किसी में भी अपनी एम्बुलेंस सेवा को टाई – अप कर सकते हैं. ऐसा नहीं है कि आप किसी एक हॉस्पिटल के साथ ही टाई – अप कर सकते हैं, बल्कि 1 से ज्यादा हॉस्पिटल के साथ आप जुड़कर इस बिज़नेस को कर सकते हैं. इसके अलावा सरकारी योजनाओं के तहत भी एम्बुलेंस सर्विस का बिज़नेस किया जा सकता है. इसके लिए आपको योजनाओं के तहत खुद की एम्बुलेंस को रजिस्टर कराना होता है. ये योजनायें जल्द से जल्द एम्बुलेंस की सेवा लोगों तक पहुँच सकें इसके लिए बनाई जाती हैं. सरकार इसके बदले में आपको अच्छे पैसे प्रदान करती है. एम्बुलेंस सर्विस बिज़नेस में सफलता के पीछे हॉस्पिटल या चिकित्सा संस्थानों का विशेष योगदान होता है.


एम्बुलेंस सर्विस बिज़नेस में लागत एवं लाभ

एम्बुलेंस सर्विस में लागत की बात करें कुल मिलाकर 7 से 8 लाख रूपये तक का खर्च आता है. लेकिन यह निवेश केवल शुरूआती निवेश होता हैं एक बार जब आप लोगों को बेहतर सुविधा प्रदान करने लगेंगे, तो आपका यही बिज़नेस लाखों की कमाई करने योग्य भी बन जायेगा.    


एम्बुलेंस सर्विस बिज़नेस की मार्केटिंग

अंत में बारी आती हैं मार्केटिंग की. लेकिन यह बिज़नेस ऐसा हिं जिसमें मार्केटिंग करने की कोई आवश्यकता नहीं होती. लोगों के लिए अपने एवं अपने परिजनों के स्वास्थ्य के बढ़कर कुछ नहीं होता है. यदि वे बीमारी हैं या उन्हें इमरजेंसी की आवश्यकता हैं तो खुद ही एम्बुलेंस को कॉल करके एम्बुलेंस अपने पास लेते हैं. हाँ लेकिन आपका एम्बुलेंस किस – किस हॉस्पिटल के साथ टाई- अप  है. यह लोगों को कैसे बताना होगा.


तो इस तरह से आप अपना खुद का एम्बुलेंस सर्विस बिज़नेस आराम से शुरू करके अच्छे पैसे कमा सकते हैं. इससे आपको एक उद्यमी के तौर पर लाभ तो मिलेगा ही, साथ में मानवता से आपकी संतुष्टि भी अच्छे से हो जाएगी

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

KIDNEY STRUCTURE,FUNCTION

 KIDNEY STRUCTURE AND FUNCTION किडनी की संरचना किडनी (गुर्दा )मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। किडनी की खराबी, किसी गंभीर बीमारी या मौत का कारण भी बन सकता है। इसकी तुलना सुपर कंप्यूटर के साथ करना उचित है क्योंकि किडनी की रचना बड़ी अटपटी है और उसके कार्य अत्यंत जटिल हैं उनके दो प्रमुख कार्य हैं - हानिकारक अपशिष्ट उत्पादों और विषैले कचरे को शरीर से बाहर निकालना और शरीर में पानी, तरल पदार्थ, खनिजों (इलेक्ट्रोलाइट्स के रूप में सोडियम, पोटेशियम आदि) नियमन करना है। किडनी की संरचना किडनी शरीर का खून साफ कर पेशाब बनाती है। शरीर से पेशाब निकालने का कायॅ मूत्रवाहिनी (Ureter), मूत्राशय (Urinary Bladder) और मूत्रनलिका (Urethra) द्वारा होता है। स्त्री और पुरुष दोनों के शरीर में सामान्यत: दो किडनी होती है। किडनी पेट के अंदर, पीछे के हिस्से में, रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ (पीठ के भाग में), छाती की पसलियों के सुरक्षित तरीके से स्थित होती है । किडनी, पेट के भीतरी भाग में स्थित होती हैं जिससे वे सामान्यतः बाहर से स्पर्श करने पर महसूस नहीं होती। किडनी, राजमा के आकर के एक जोड़ी अंग हैं। वयस्कों में एक...

कैनुला क्या है?कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi

 कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi कैनुला क्या है? कैनुला एक पतली ट्यूब है, जिसे शरीर में नसों के जरिए इंजेक्ट किया जाता है, ताकि जरूरी तरल पदार्थ को शरीर से निकाला (नमूने के तौर पर) या डाला जा सके। इसे आमतौर पर इंट्रावीनस कैनुला (IV cannula) कहा जाता है। बता दें, इंट्रावीनस थेरेपी देने के लिए सबसे आम तरीका पेरिफेरल वीनस कैनुलेशन (शरीर के परिधीय नसों में कैनुला का उपयोग करना) है। इंट्रावीनस (नसों के अंदर) प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना, सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपचार प्रदान करना है। जब किसी मरीज का लंबे समय तक उपचार चलता है, तो ऐसे में इंट्रावीनस थेरेपी की विशेष जरूरत पड़ती है। शोध से पता चला है कि जिन मामलों में इंट्रावीनस कैनुला की जरूरत नहीं होती है, उनमें भी इसका प्रयोग किया जाता है, जबकि कुछ मामलों में इसे टाला जा सकता है। जनरल वार्डों में भर्ती 1,000 रोगियों पर हाल ही में एक शोध किया गया, इस दौरान इन सभी मरीजों के नमूने लिए गए। अध्ययन में पाया गया कि लगभग 33% रोगियों में इंट्रावीनस कैनुला का प्रयोग सामान्य से अधिक समय के लिए किया जा रहा है। ...

बिलनी ( गुहेरी ) का होम्योपैथिक मेडिसिन [ Bilni ( Stye )

 बिलनी ( गुहेरी ) का होम्योपैथिक मेडिसिन [ Bilni ( Stye ) Ka Homeopathic Medici बिलनी ( गुहेरी ) का होम्योपैथिक मेडिसिन [ Bilni ( Stye ) Ka Homeopathic Medicine ] ne ] बिलनी ( गुहेरी ) का होम्योपैथिक मेडिसिन  हम सभी की आँखों के ऊपर और नीचे पलकें होती है, इन पलकों में एक ग्रंथि होती है जिसे सिबेसियस ग्रंथि कहा जाता है, जिसका एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम होता है। इस ग्रंथि का काम होता है सीबम नमक तेल को बनाये रखना पलकों पर। तेल की वजह से ही हम अपनी पलकें झपका पाते है। इस तेल की कमी से आँखों में सूखापन आ जाता है। यदि इसमें इन्फेक्शन हो जाये तो पलकों में फोड़े-फुंसी बन जाते है इसे ही बिलनी ( गुहेरी ) कहा जाता है। बिलनी आंख के अंदर भी हो सकती है और बाहर भी। यह समस्या बहुत ही आम है और आमतौर पर सभी को हो जाया करती है। यह बिलोनी एक से दो हफ्ते में खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है लेकिन कभी-कभी यह ज्यादा दिन तक रह जाता है और कभी-कभी बहुत जल्दी-जल्दी दुबारा होने लगता है। बिलनी होने के कारण बिलनी स्टैफिलोकोकस नामक कीटाणु के कारण होता है। जब यह कीटाणु पलकों के सिबेसियस नामक ग्लैंड से सम्पर्क करती है...