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Insulin resistanceइंसुलिन प्रतिरोध

 इंसुलिन प्रतिरोध इंसुलिन प्रतिरोध क्या है? इंसुलिन हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन में से एक है जो शरीर की कई प्रक्रियाओं को कंट्रोल करता है। अग्नाशय (पैनक्रियाज) इंसुलिन हार्मोन का निर्माण करता है जिसे कोशिकाएं सोखती हैं और ग्लूकोज का इस्तेमाल करती हैं। इंसुलिन रेजिस्टेंस या इंसुलिन प्रतिरोध एक ऐसी समस्या है जिसमें आपकी मांसपेशियों, वसा और लिवर में मौजूद कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति सही तरीके से प्रतिक्रिया नहीं देतीं और खून में मौजूद ग्लूकोज का ऊर्जा बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं।  इसकी भरपाई के लिए अग्नाशय और ज्यादा इंसुलिन का निर्माण करने लगता है और समय के साथ आपके शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है। अगर शरीर में ग्लूकोज या ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से अधिक हो जाए लेकिन इतना अधिक नहीं कि यह डायबिटीज का संकेत दे तो डॉक्टर इसे प्रीडायबिटीज के तौर पर मानते हैं। लेकिन समय रहते इसे कंट्रोल न किया जाए तो यह आखिरकार टाइप 2 डायबिटीज का भी कारण बनता है।

किडनी खराब होने के 16 लक्षण

 गुर्दे हमारे रक्त को शुद्ध करने और मूत्र के रूप में हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए जिम्मेदार होते हैं। पीठ के निचले हिस्से के पास स्थित, वे शरीर के दोनों ओर मौजूद होते हैं। यदि किसी कारण से एक गुर्दा विफल हो जाता है, तो दूसरा विषहरण कार्य कर सकता है, और व्यक्ति अकेले उस एक गुर्दा के आधार पर कई वर्षों तक जीवित रह सकता है। हालांकि, गुर्दा के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखना आवश्यक है क्योंकि खराब गुर्दा कार्य विभिन्न स्वास्थ्य जटिलताओं को जन्म दे सकता है । कई कारणों से, गुर्दे नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकते हैं और अपने रक्त शुद्ध करने वाले कार्यों को खो सकते हैं। वे कचरे को फ़िल्टर नहीं कर सकते हैं, और विषाक्त पदार्थ सिस्टम में रहते हैं जिससे कई जटिलताएं होती हैं। स्थायी गुर्दे की विफलता उनमें से एक है, और यह जीवन के लिए खतरा हो सकता है। दुर्भाग्य से, प्रारंभिक अवस्था में खराब किडनी फंक्शन या किडनी की खराबी स्पष्ट नहीं होती है। आइए किडनी की समस्याओं के कुछ लक्षणों को देखें और उनके बारे में और जानें। 1. कम मूत्र उत्पादन कुछ गुर्दे की खराबी के पहले ध्यान देने योग्य संकेतो

सायटिका के दर्द को दूर करती हैं होम्योपैथी की मीठी गोलियां

 सायटिका के दर्द को दूर करती हैं होम्योपैथी की मीठी गोलियां सायटिका के दर्द को दूर करती हैं होम्योपैथी की मीठी गोलियां इस रोग की सम्भावना 40 से 50 वर्ष की उम्र में ज्यादा होती है। एलोपैथी में जहां सायटिका दर्द का उपचार केवल दर्द निवारक दवाइयां एवं ट्रेक्शन है वहीं पर होम्यापैथी में रोगी के व्यक्तिगत लक्षणों के आधार पर दवाईयों का चयन किया जाता है जिससे इस समस्या का स्थाई समाधान हो जाता है। क्या करूं सायटिका के दर्द से बहुत परेशान हूं, काफी इलाज किया लेकिन कुछ फायदा ही नहीं हो रहा है। यह अनेक लोगों का दर्द है। आखिर क्या है सायटिका और क्यों होता है यह तथा क्या है इसका इलाज? सायटिका जिसे वैद्यकीय भाषा में गृध्रसी एवं बोलचाल की भाषा में अर्कुलनिसा कहते हैं। सायटिका आजकल एक सामान्य समस्या बन गई है और इस रोग की सम्भावना 40 से 50 वर्ष की उम्र में ज्यादा होती है। इसका दर्द बहुत ही परेशान करने वाला होता है और दैनिक जीवन को काफी कष्टदायी बना देता है। क्या है सायटिका सायटिक नर्व नितम्ब से लेकर जांघ के पिछले भाग से होकर पैर की एड़ी तक जाती है। यह नर्व कूल्हे से पैर तक के दर्द का एहसास स्पाइनल कार्ड

माइग्रेन क्या है | Migraine Meaning in Hindi

 माइग्रेन क्या है | Migraine Meaning in Hindi माइग्रेन एक प्रकार का तेज सिरदर्द है। यह घबराहट, उल्टी, या प्रकाश और आवज के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षणों के साथ हो सकता है। कई लोगों में यह दर्द सिर के एक तरफ ही महसूस होता है। माइग्रेन एक सामान्य अक्षम मस्तिष्क विकार है।विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि माइग्रेन का सिरदर्द अक्षम करने वाली स्थितियों में शीर्ष 10 में है। माइग्रेन अक्सर युवावस्था में शुरू होता है और 35 से 45 वर्ष की आयु के लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। डब्लूएचओ के मुताबिक, यह महिलाओं में ज्यादा आम है, आमतौर पर लगभग 2:1 के कारक द्वारा, हार्मोनल प्रभावों के कारण होता है। माइग्रेन समान्य सिर दर्द से काफी अलग होता है। इसमे जो दर्द होता है वो काफी तेज होता है, और कभी-कभी बर्दाशत से बाहर हो जाता है।माइग्रेन लोगों को कैसे प्रभावित करता है यह भी अलग-अलग हो सकता है। ये ट्रिगर, गंभीरता, लक्षण और फ्रीक़ुएन्सी की एक श्रृंखला है। कुछ लोगों के हर हफ्ते एक से ज्यादा बार ये होते हैं, जबकि अन्य को कभी-कभार ही होते हैं। बच्चों में, माइग्रेन अटैक कम समय के होते हैं और पेट के लक्षण अधि

सफर में उल्टी आना (मोशन सिकनेस) सफर में उल्टी आना की होम्योपैथिक दवा और इलाज

 सफर में उल्टी आना (मोशन सिकनेस) सफर में उल्टी आना की होम्योपैथिक दवा और इलाज सफर में उल्टी आना की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine for motion sickness in Hindi सफर में उल्टी आना की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine मोशन सिकनेस को सफर में उल्टी आने के नाम से भी जाना जाता है। इस समस्या में सफर के दौरान उल्टी और अस्वस्थ होने की भावना महसूस होती है। लोग आमतौर पर कार, बस, ट्रेन, विमान या नाव में यात्रा करते समय मोशन सिकनेस का अनुभव करते हैं। इसके अलावा झूला झूलते हुए, स्कीइंग और वर्चुअल रिएलिटी एन्वायरॉन्मेंट में भी मोशन सिकनेस हो सकती है। हालांकि, इसे बीमारी नहीं माना जा सकता है, क्योंकि यह सफर के दौरान होने वाली एक आम स्थिति है, जो किसी को भी प्रभावित कर सकती है। हालांकि, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और ऐसे लोग जो किसी अन्य चिकित्सकीय स्थिति के लिए दवाई ले रहे हैं या माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति उनमें मोशन सिकनेस होने का खतरा अधिक होता है। यह तब होता है जब संतुलन-संवेदन प्रणाली के कुछ हिस्सों के बीच संकेत मिसमैच हो जाते हैं या यूं कहें कि उनमें तालमेल नहीं बैठ पाता है।

फाइलेरिया (हाथी पांव) क्या है?

 फाइलेरिया (हाथी पांव) क्या है? फाइलेरिया (Filaria) एक शारीरिक बीमारी है, जिसे हिंदी में हाथी पांव कहते हैं। इसे अंग्रेजी में फाइलेरियासिस (Filariasis) और एलीफेंटिटिस (Elephantiasis) भी कहते हैं। फाइलेरिया या हाथी पांव की समस्या से पीड़ित सबसे अधिक लोगों की संख्या भारत में हैं। फाइलेरिया बीमारी का संक्रमण आमतौर से बचपन में ही हो सकता है। लेकिन इसके गंभीर लक्षण सात से आठ सालों में दिखाई दे सकते हैं। इसे फीलपांव और श्लीपद भी कहते हैं। सामान्य तौर पर उष्णकटिबंधीय देशों में इसके मरीजों की संख्या सबसे अधिक पाई जा सकती है। फाइलेरिया बीमारी परजीवी (पैरासिटिक) निमेटोड कीड़ों के कारण होता है जो छोटे धागों जैसे दिखाई देते हैं। फाइलेरिया बीमारी फिलेरी वुचरेरिअ बैंक्रोफ्टी (Filariae-Wuchereria Bancrofti), ब्रूगिआ मलाई (Brugia Malayi) और ब्रूगिआ टिमोरि (Brugia Timori) नामक निमेटोड कीड़ो के कारण होती है। हालांकि, इनमें से सबसे बड़ा कारण वुचरेरिअ बैंक्रोफ्टी नाम के परजीवी को माना जा सकता है। हाथी पांव के कारण विकलांगता और कुरूपता की समस्या हो सकती है। भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के रिपोर

मानसिक रोग क्या है? (What is mental illness?

 मानसिक रोग क्या है? (What is mental illness?) जब किसी यानि व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपने आप पर कंट्रोल नहीं रहता, तो व्यक्ति की ऐसी अवस्था को मानसिक रोग कहते हैं। आमतौर पर मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं  पाते हैं। इसके अलावा, किसी भी काम को सही ढंग से करने में भी दिक्कत होती है। मानसिक रोग के लक्षण? (symptoms of mental illness?) मानसिक रोग के लक्षण, सभी व्यक्ति में एक तरह के नहीं होते, बल्कि यह हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। ये इस बात पर निर्भर करते हैं कि व्यक्ति के हालात कैसे हैं और उसे कौन-सी मानसिक बीमारी है। कुछ लोगों में इसके लक्षण काफी लंबे समय तक रहते हैं और साफ नजर आते हैं, जबकि कुछ लोगों में शायद थोड़े समय के लिए हों और साफ नजर न आएं। ऐसे में आइए साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक जानते हैं, मानसिक रोग के मुख्य लक्षण- • अगर आपको यह याद नहीं कि आप आखिरी बार खुश कब थे। •बिस्तर से उठने या नहाने जैसी डेली रुटीन की चीजें भी करनी मुश्किल लगती हैं। •आप लोगों से कटने यानि दूर रहने की कोशिश करने लगे हैं। • आप खुद से नफरत करते हैं और अपने आप को खत्म कर लेना चाहते हैं। • उ

जंक (फास्ट) फूड के नुकसान – Harmful Effects of Junk Food

 जंक (फास्ट) फूड के नुकसान – Harmful Effects of Junk Food जंक (फास्ट) फूड के नुकसान – Harmful Effects of Junk Food  जंक फूड बहुत हानिकारक है जो धीरे-धीरे वर्तमान पीढ़ी के स्वास्थ्य को दूर कर रहा है । यह शब्द ही बताता है कि यह हमारे शरीर के लिए कितना खतरनाक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका स्वाद इतना अच्छा होता है कि लोग रोजाना इसका सेवन करते हैं। हालांकि, जंक फूड के हानिकारक प्रभावों के बारे में ज्यादा जागरूकता नहीं फैली है। जंक (फास्ट) फूड के नुकसान – Harmful Effects of Junk Food  समस्या आपके विचार से अधिक गंभीर है। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि जंक फूड हमारे स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इनमें कैलोरी, वसा और चीनी की मात्रा अधिक होती है। इसके विपरीत, उनके पास बहुत कम मात्रा में स्वस्थ पोषक तत्व होते हैं और आहार फाइबर की कमी होती है । माता-पिता को अपने बच्चों को जंक फूड का सेवन करने से हतोत्साहित करना चाहिए क्योंकि इससे किसी के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव पड़ते हैं। Harmful Effects of Junk Food जंक फूड का प्रभाव अस्वास्थ्यकर वजन बढ़ाने के लिए जंक फूड

कब्ज और होमियोपैथी

 कब्ज में छोटी मात्रा में कड़ी और शुष्क आंत्र आंदोलनों का मार्ग होता है. यह एक सप्ताह के दौरान आमतौर पर दर तीन गुना कम होती है. आंत्र आंदोलन मुश्किल हो जाता है और कब्ज वाले लोगों में दर्द होता है. प्रभावित व्यक्ति असहज, सुस्त और फुलाया महसूस कर सकता है. होम्योपैथिक दवाओं का व्यापक रूप से कब्ज का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है. यह पूरी तरह से प्राकृतिक हैं, वह किसी भी रसायन के उपयोग के बिना प्रभावी उपचार प्रदान करते हैं. कब्ज के उपचार के लिए उपयोग किए जाने वाले सामान्य होम्योपैथिक दवाओं की एक सूची यहां दी गई है: नक्स वोमिका: यह एक आदर्श होम्योपैथिक दवा है, जो लगातार कब्ज और मल के पारित होने के लिए अप्रभावी आग्रह के मामले में ली जाती है. ऐसे मामलों में पारित मल की मात्रा काफी कम है और एक अधूरा निकासी महसूस अनुभव किया जाता है. यह आग्रह बढ़ता जा रहा है. इस दवा का उपयोग ढेर के इलाज के लिए भी किया जाता है, जो कभी-कभी कब्ज के साथ मिलकर विकसित होता है. एल्युमिना: एल्युमिना कब्ज के लिए एक आदर्श होम्योपैथिक उपचार है, जिसमें आंत्र आंदोलन के लिए आग्रह की अनुपस्थिति है. इस दवा का उपयोग करने वा

बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है?

 बाइपोलर डिसऑर्डर - Bipolar Disorder in Hind बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है? बाइपोलर डिसऑर्डर को गहरा अवसाद (Manic Depression) कहा जाता है, जो अत्यधिक मूड स्विंग का कारण बनता है। इसमें भावोत्तेजना का उच्च स्तर (Mania या Hypomania) तथा निम्न स्तर (Depression) शामिल होता है। जब आप अवसाद ग्रस्त होते हैं, तो खुद को निराश या उदास महसूस करते हैं और ज्यादातर गतिविधियों से अपनी रुचि खो देते हैं। वहीं जब मूड दूसरी दिशा में बदलता है, तब आप खुद को जश्न और ऊर्जा से भरा महसूस कर सकते हैं। मूड में परिवर्तन साल में कुछ ही बार या फिर हफ्ते में ही कई बार हो सकता है। मूड स्विंग आम लोगों की अनुभव की तुलना में, बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों में और अधिक गंभीर, कमजोर और असमर्थ कर देने वाला होता है। कुछ लोगों में मतिभ्रम (बुरे सपने देखना आदि) और अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। उपचार के साथ, कुछ लोग इस स्थिति में अच्छे से काम या पढ़ाई आदि कर सकते हैं और एक सक्षम जीवन जी सकते हैं। हालांकि, कुछ लोग ठीक महसूस होने पर दवाइयां लेना बंद या कम कर देते हैं। कुछ अध्ययन के अनुसार, बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त कुछ लोगों की रचनात्

लू लगने के लक्षण और बचाव के घरेलू उपाय

 जानिये लू लगने के लक्षण और बचाव  जानिये लू लगने के लक्षण और बचाव के घरेलू उपाय गर्मियों के दिनों में अपने देश के कई शहरों में तापमान इतना ज्यादा हो जाता है कि घर से बाहर निकलना ही मुश्किल होने लगता है। इन दिनों दोपहर के समय बाहर बहुत तेज गर्म हवाएं चलती हैं, इन गर्म हवाओं को ही लू (Heat stroke) कहते हैं। मजबूत इम्युनिटी वाले लोग इन गर्म हवाओं को सहन कर लेते हैं लेकिन अधिकांश लोग इन हवाओं को सहन नहीं कर पाते हैं और इनके संपर्क में आते ही बीमार पड़ जाते हैं। अपने देश में हर साल काफी बड़ी तादात में लोग लू की चपेट में आ जाते हैं।    लू लगने के कारण (HEAT STROKE CAUSES IN HINDI) : ये गर्म हवाएं जब आपके शरीर के संपर्क में आती हैं तो शरीर का तापमान बढ़ा देती हैं और इस वजह से कई समस्याएं होने लगती हैं। ज्यादा देर तक धूप में काम करना और शरीर में पानी की कमी होना लू लगने के प्रमुख कारण हैं। बच्चे और बूढ़े लोग लू की चपेट (Sunstroke) में जल्दी आ जाते हैं। अधिकांश मामलों में लोगों को यह जल्दी पता ही नहीं चल पाता है कि उन्हें लू लग गयी है। हालांकि इसका सटीक अंदाज़ा लू के लक्षणों को देखकर लगाया जा सकता ह

20 टिप्स को अपनाकर पूरे दिन रहें एक्टिव

 इन 20 टिप्स को अपनाकर पूरे दिन रहें एक्टिव अगर आप एकस्ट्रा वजन कम करना चाहते हैं और पूरे दिन एक्टिव रहना चाहते हैं तो दिनभर में इन 20 टिप्स का ध्यान रखें।  अगर आप एकस्ट्रा वजन कम करना चाहते हैं और पूरे दिन एक्टिव रहना चाहते हैं तो दिनभर में इन 20 टिप्स का ध्यान रखें। दरअसल डायट से जुड़ी कई छोटी-छोटी बातों पर हम ध्यान नहीं दे पाते और कई चीजों को खाते हैं जो हमारे शरीर फायदा नहीं पहुंचाती हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसी ही चीजों के बारे में: 1. रोज खूब सारा पानी पिएं और कैलोरी फ्री चीजें खाएं।  2. सुबह-सुबह ब्रेकफास्ट जरूर करें। ब्रेकफास्ट न करने से कई बीमारियां होती हैं।  3. रात के स्नैक्स को लेते समय थोड़ा चूजी बनें।  4. दिन भर में कुछ कुछ खाते रहें, खाने के बीच लंबा गेप नहीं होना चाहिए।  5. कोशिश करें कि खाने में प्रोटीन जरूर हो 2/3खाने में मसालेदार चीजों को कम करें 6. खाने में मसालेदार चीजों को कम करें। 7. खाने के दौरान लाल, हरे संतरी रंग की चीज जरूर लें। इस तीन नंबर के नियम को जरूर मानें और खाने में इन रंगों की खाने की चीजें जैसे गाजर, संतरा और हरी सब्जियों को शामिल करें।  8.

ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment Lactation problems in Hindi

 ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment Lactation problems in Hindi नवजात शिशु के पोषण के लिए स्तनपान न सिर्फ एक प्राकृतिक बल्कि स्वस्थ विकल्प है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे के जन्म के बाद कम से कम 6 महीने तक उसे स्तनपान कराना चाहिए। जब तक बच्चा 1 से 2 वर्ष का नहीं हो जाता है, तब तक नियमित रूप से उसके आहार में मां का दूध शामिल होना चाहिए। हालांकि, कुछ महिलाओं को स्तनपान से चुनिंदा समस्याएं हो सकती हैं, जैसे मैस्टाइटिस (स्तन का संक्रमण), निप्पल में दर्द और पीड़ा, पर्याप्त मात्रा में दूध न आना, या थ्रश (यीस्ट इंफेक्शन)। यदि बच्चा स्तनपान करते समय उधम (नखरे करना या असहज) मचाता है, तो इससे स्तनपान में परेशानी (दूध न पीने की वजह से दूध जम जाना) हो सकती है। ऐसे में प्रभावित हिस्से पर गर्म सिकाई करने, पर्याप्त आराम करने, उचित समय पर स्तनपान कराने और आरामदायक ब्रा पहनने से इन समस्याओं को दूर करने में मिल सकती है। स्तन में संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाएं भी लेनी पड़ सकती हैं। पारंपरिक दवाओं के अलावा होम्यो

पल्स ऑक्सीमीटर क्या है ? Pulse Oximeter Meaning in Hindi.

 पल्स ऑक्सीमीटर क्या है ? Pulse Oximeter Meaning in Hindi. पल्स ऑक्सीमीटर एक तरह का उपकरण है जो जांच करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस उपकरण का उपयोग करने से कोई दर्द नहीं होता है क्योकि इसमें केवल उंगली रखनी होती है और उंगली रखते उपकरण रीडिंग करने लगता है। यह उपकरण आपके रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को मापने का काम करती है। इसके अलावा शरीर में हो रहे अन्य समस्या का पता लगा सकता है। जैसा की आपको पता है कोरोना महामारी हमारे देश में बहुत तेजी से अपना पैर पसार रहा है। देखते ही देखते कोरोना संक्रमित लोगो की संख्या 680680 हो चुकी है। इसके अलावा हर दिन नये मामले सामने आ रहे है और आकड़ो में सबसे ज्यादा संक्रमित मरीज महाराष्ट्र में है और दूसरा दिल्ली में है। हालांकि लोगो के जागरूक होने से कोरोना की दर में कमी आ रही है। पल्स ऑक्सीमीटर उपकरण का लोग अपने शरीर की ऑक्सीजन के स्तर को मापने के लिए इस्तेमाल कर रहे है। पल्स ऑक्सीमीटर को लोग अपना सुरक्षा सहायक मानने लगे है। इस उपकरण का फायदा यह है की अगर आपका ऑक्सीजन का लेवल कम बता रहा है तो आप नजदीकी चिकिस्तक से संपर्क कर सकते हैं। पल्स ऑक्सीमीटर का उपयो