सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है?


 बाइपोलर डिसऑर्डर - Bipolar Disorder in Hind


बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है?


बाइपोलर डिसऑर्डर को गहरा अवसाद (Manic Depression) कहा जाता है, जो अत्यधिक मूड स्विंग का कारण बनता है। इसमें भावोत्तेजना का उच्च स्तर (Mania या Hypomania) तथा निम्न स्तर (Depression) शामिल होता है।



जब आप अवसाद ग्रस्त होते हैं, तो खुद को निराश या उदास महसूस करते हैं और ज्यादातर गतिविधियों से अपनी रुचि खो देते हैं। वहीं जब मूड दूसरी दिशा में बदलता है, तब आप खुद को जश्न और ऊर्जा से भरा महसूस कर सकते हैं। मूड में परिवर्तन साल में कुछ ही बार या फिर हफ्ते में ही कई बार हो सकता है। मूड स्विंग आम लोगों की अनुभव की तुलना में, बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों में और अधिक गंभीर, कमजोर और असमर्थ कर देने वाला होता है।


कुछ लोगों में मतिभ्रम (बुरे सपने देखना आदि) और अन्य लक्षण भी हो सकते हैं।




उपचार के साथ, कुछ लोग इस स्थिति में अच्छे से काम या पढ़ाई आदि कर सकते हैं और एक सक्षम जीवन जी सकते हैं। हालांकि, कुछ लोग ठीक महसूस होने पर दवाइयां लेना बंद या कम कर देते हैं।


कुछ अध्ययन के अनुसार, बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त कुछ लोगों की रचनात्मकता में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, मूड स्विंग उनको किसी प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित करने या किसी परियोजना का अनुसरण करने में कठिनाई पैदा कर सकता है। इसके परिणामस्वरुप व्यक्ति कई प्रोजक्ट या काम शुरू कर लेते हैं, लेकिन उनको खत्म नहीं कर पाते।




हालांकि, बाइपोलर डिसऑर्डर एक हानिकारक और दीर्घ-कालिक स्थिति है, आप किसी उपचार योजना का अनुसरण करके मूड स्विंग को रोक सकते हैं। अधिकतर मामलो में, बाइपोलर डिसऑर्डर को दवाओं और मनोवैज्ञानिक परामर्श की मदद से नियंत्रित किया जाता है।



बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रकार - Types of Bipolar Disorder in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण - Bipolar Disorder Symptoms in Hindi

बाइपोलर डिसआर्डर के कारण और जोखिम कारक - Bipolar Disorder Causes & Risks in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर से बचाव - Prevention of Bipolar Disorder in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर का निदान - Diagnosis of Bipolar Disorder in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर का उपचार - Bipolar Disorder Treatment in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर के नुकसान - Bipolar Disorder Complications in Hindi

डायबिटीज के लिए चुकंदर 

गर्भाशय का सामान्य साइज 

कमर दर्द के लिए पतंजलि की दवाएं 

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लिए घरेलू उपाय 

किडनी इंफेक्शन में क्या खाएं और क्या नहीं 

स्किन व्हाइटनिंग के लिए टी ट्री ऑयल 

पुरुषों के लिए चुकंदर के लाभ 

प्रेगनेंसी में पेशाब का रंग कैसा होता है? 

गर्मी में फटी एड़ियों का इलाज 

वज्रोली मुद्रा के फायदे, करने की विधि व सावधानी 

बाइपोलर डिसऑर्डर की दवा - Medicines for Bipolar Disorder in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर की दवा - OTC Medicines for Bipolar Disorder in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर के डॉक्टर


बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रकार - Types of Bipolar Disorder in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रकार:


बाइपोलर और उससे संबंधित विकारों के कई प्रकार हैं, इनमें मैनिया या हाईपोमैनिया और अवसाद आदि शामिल हैं। इसके लक्षण मूड और व्यवहार में अप्रत्याशित बदलावों का कारण बनते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जीवन में कठिनाई और संकट बढ़ जाते हैं।


बाइपोलर I डिसऑर्डर (Bipolar I disorder)

हाईपोमैनिक या अवसाद प्रकरण से पहले या बाद में आपको कम-से-कम एक मैनिक प्रकरण (Manic episode) हो सकता है। कुछ मामलो में मैनिया, मनोविकृति (पागलपन) को भी शुरू कर देता है।

 

बाइपोलर II डिसऑर्डर (Bipolar II disorder)

इसमें आपको एक मुख्य अवसाद प्रकरण या हाईपोमैनिक प्रकरण हो सकता है, लेकिन इसमें कभी मैनिक प्रकरण नहीं होता।

 

साइक्लोथिमिक डिसऑर्डर (Cyclothymic disorder)

इसमें 2 साल तक हाइपोमैनिया के लक्षणों की और अवसादग्रस्त (मुख्य अवसाद से कम) लक्षणों की कई अवधियां होती हैं। हालांकि, बच्चों और किशोंरों में यह एक साल तक हो सकती हैं।

 

अन्य प्रकार (Other types)

उदाहरण के तौर पर बाइपोलर डिसऑर्डर किसी मेडिकल स्थिति या अल्कोहल आदि का सेवन करने से हो जाना। जैसे कुशिंग का रोग (Cushing’s disease) या स्ट्रोक आदि।

बाइपोलर का दूसरा (Bipolar II disorder) प्रकार, इसके पहले प्रकार (Bipolar I disorder) से ज्यादा अलग नहीं है, लेकिन इनके निदान के तरीके अलग-अलग हैं। बाइपोलर I डिसऑर्डर में मैनिक प्रकरण होने के बाद यह अधिक गंभीर और खतरनाक हो सकता है। जिन लोगों को बाइपोलर II है, वे लंबे समय तक अवसाद से ग्रसित रह सकते हैं, जो ज्यादा हानि पैदा कर सकता है। मैनिया, हाइपोमैनिया और मुख्य अवसाद ग्रस्तता पर अधिक जानकारी 'लक्षण' के अनुभाग में दी गई है।




बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण - Bipolar Disorder Symptoms in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण क्या होते हैं?


वैसे बाइपोलर डिसऑर्डर किसी भी उम्र के लोगों में हो सकता है, खासकर इसे किशोरावस्था और 20 साल की उम्र या उससे पहले होते देखा गया है। इसके लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं और इसके लक्षण समय के साथ-साथ बदल भी सकते हैं।


1. मैनिया और हाइपोमैनिया


ये दोनों अलग-अलग प्रकार के प्रकरण हैं, पर इनके लक्षण एक समान होते हैं। मैनिया, हाइपोमैनिया से ज्यादा गंभीर होता है, इसके कारण काम, पढ़ाई और सामाजिक गतिविधियों को संभालने में कठिनाई होने लगती है। मैनिया, मनोवकृति को भी शुरू कर सकता है, जिससे अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति पैदा हो सकती है।


मैनिक और हाइपोमैनिक दोनों के लक्षणों में निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं-


असामान्य रूप से उत्साहित, चिड़चिड़ा या अजीबोगरीब महसूस होना

गतिविधि, उर्जा या व्याकुलता में वृद्धि

खुश होने और आत्मविश्वास की भावना का बढ़ना (Euphoria)

नींद की कम जरूरत महसूस होना 

बेवजह ज्यादा बातें करना या बोलना

कुछ ना कुछ सोचते रहना

अधिक व्याकुलता महसूस करना

निर्णय लेने में परेशानी – उदाहरण के लिए कुछ खरीदने जाना और वहां पर कुछ भी लेना या ज्यादा पैसे दे देना

2. प्रमुख अवसादग्रस्त प्रकरण


एक प्रमुख अवसादग्रस्त प्रकरण में जो लक्षण होते हैं वे काफी गंभीर होते हैं, जिनसे रोजाना की गतिविधियां पूरी करने में काफी कठिनाई होती है। इसमें होने वाली कठिनाइयां काफी ध्यान देने योग्य होती हैं, जैसे स्कूल, काम व अन्य सामाजिक गतिविधि पूरा करने में कठिनाई या व्यक्तिगत दिक्कत आदि। इस प्रकरण के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं -


अवसादग्रस्त मूड जैसे- उदास, खालीपन, निराशाजनक और शोक महसूस होना 

लगभग सभी प्रकार की गतिविधियो में कोई रूचि या इच्छा ना रखना।

वजन बढ़ना या घटना, भूख कभी कम लगना तो कभी ज्यादा लगना, 

अनिद्रा या फिर बहुत ज्यादा नींद आना।

बेचैनी महसूस करना या धीरे-धीरे काम करना।

थकान या उर्जा में कमी महसूस होना।

खुद को नाकाबिल या दोषी महसूस करना।

सोचने और ध्यान देने की क्षमता में कमी होना, निश्चय करने में कठिनाई।

खुदखुशी करने की योजना बनाना या प्रयास करना।

3. बाइपोलर डिसऑर्ड की अन्य विशेषताएं


बाइपोलर (I) और (II) दोनों के लक्षणों में कुछ अन्य विशेषताएं भी जुड़ सकती हैं, जैसे चिंतापूर्ण संकट, उदासी, मनोविकृति आदि।


4. बच्चों और किशोरों में लक्षण


बच्चों और किशोरो में बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों की पहचान करना काफी मुश्किल होता है। इस रोग में यह निर्धारित करना मुश्किल हो जाता है कि ये सामान्य मानसिक उतार-चढ़ाव हैं, तनाव या आघात के परिणाम हैं या फिर बाइपोल डिसऑर्डर के अलावा सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समस्या है।




बच्चों और किशोरावस्था वाले लोगों में प्रमुख अवसादग्रस्तता, मैनिक या हाइपोमैनिक के एपिसोड अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन, उनके पैटर्न बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित वयस्कों से अलग हो सकते हैं। प्रकरण के दौरान मूड में तीव्रता से बदलाव हो सकता है। कुछ बच्चों के प्रकरण के दौरान कुछ अवधि बिना मूड के लक्षणों के बिना भी हो सकती है।


डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए


मूड के चरम सीमाओं पर होने के बावजूद भी, बाइपोलर से ग्रसित लोग यह नहीं समझ पाते कि उनकी भावनात्मक अस्थिरता उनकी और उनके प्रियजनों के जीवन में कितना बाधा डाल रही है। जिस कारण से वे उपचार की जरूरत नहीं समझते।


अगर आपको अपने अंदर अवसाद या मैनिया के कुछ लक्षण दिख रहे हैं, तो डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से जांच करवा लेनी चाहिए। बाइपोलर डिसऑर्डर में कभी अपने आप सुधार नहीं होता। बाइपोलर डिसऑर्डर के अनुभवी डॉक्टर से उपचार करवाने से लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।



बाइपोलर डिसआर्डर के कारण और जोखिम कारक - Bipolar Disorder Causes & Risks in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर क्यों होता है?


बाइपोलर डिसऑर्डर का सही कारण अभी तक अज्ञात है, लेकिन कुछ ऐसे कारक हैं जो इसके जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -


बायोलोजिकल भिन्नताएं – जिन लोगों को बाइपोलर डिसऑर्डर होता है, वे अपने मस्तिष्क में कुछ भौतिक बदलाव देख सकते हैं। इन बदलावों के महत्व की अभी तक कोई जानकारी नहीं है, लेकिन इनकी मदद से कुछ कारणों को खोजा जा सकता है।

न्यूरोट्रांसमीटर - प्राकृतिक रूप से मस्तिष्क के रसायनों में होने वाले असंतुलन को न्यूरोट्रांसमीटर कहा जाता है। ये बाइपोलर डिसऑर्डर और अन्य मूड विकारों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

अनुवांशिक लक्षण – अगर परिवार में पहले किसी व्यक्ति को बाइपोलर डिसऑर्डर हो तो अन्य सदस्यों में यह विकार होना बहुत ही सामान्य होता है। शोधकर्ता उस जीन को ढ़ूंढने की कोशिश कर रहे हैं, जो बाइपोलर डिसऑर्डर के इन कारणों में शामिल होता है।

बाइपोलर डिसऑर्डर के जोखिम कारक:


ऐसे कारक जो बाइपोलर डिसऑर्डर होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, या पहले एपिसोड के लिए ट्रिगर के रूप में कार्य कर सकते हैं। इनमें निम्न शामिल हो सकते हैं -


परिवार में पहले किसी को यह विकार होना, जैसे माता-पिता या भाई-बहन आदि।

बहुत ज़्यादा तनाव से गुज़रना 

शराब की लत या नशे की लत 

जीवन में किसी तरह के अत्यधिक दुख से गुजरना जैसे किसी प्रियजन की मौत होना या अन्य अन्य दर्दनाक अनुभव।

बाइपोलर डिसऑर्डर में आम-तौर पर होने वाली समस्याएं​:


अगर आपको बाइपोलर डिसऑर्डर है तो आपको अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं, जिनका निदान बाइपोलर डिसऑर्डर के परीक्षण के पहले या बाद में किया जाता है। कुछ ऐसी परिस्थितियां होती हैं जिनका निदान और उपचार करना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि ये बाइपोलर डिसऑर्डर की स्थिति को और अधिक बद्तर बना सकती हैं। इस से बाइपोलर डिसऑर्डर के उपचार की सफलता में कमी आ सकती है, इनमें निम्न परिस्थितियां शामिल हो सकती हैं।


चिंता विकार – उदाहरण के तौर पर, सामाजिक एंग्जाइटी डिसऑर्डर या सामान्यकृत एंगजाइटी डिसऑर्डर। (और पढ़ें - चिंता दूर करने के तरीके)

पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रैस डिसऑर्डर (Post-traumatic stress disorder) – इस विकार में तनाव और आघात से संबंधित विकार के साथ बाइपोलर डिसऑर्डर भी होता है।

ध्यानाभाव एवं अतिसक्रियता विकार (एडीएचडी; ADHD) – इस विकार के लक्षण बाइपोलर डिसऑर्डर के साथ दिख सकते हैं। इस कारण बाइपोलर डिसऑर्डर और एडीएचडी में अंतर बताना मुश्किल हो जाता है। इसमें मरीज अक्सर दूसरे के लिए कुछ गलत कर देता है। कुछ स्थितियों में मरीज का दोनों परिस्थितियों के लिए परीक्षण किया जाता है।

नशे व अन्य पदार्थों का दुष्प्रयोग – बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित कई लोगों में शराब, तंबाकू और दवाओं आदि की समस्या होती है। शराब या दवाएं आदि का सेवन करने के बाद लगता है कि लक्षण कम हो रहे हैं, लेकिन वास्तव में ये परिस्थितियों को और बढ़ाती हैं व बद्तर बनाती हैं और कई बार यह इस विकार के लिए ट्रिगर का काम करती हैं।

शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं – बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्या वाले लोगों में कुछ अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी हो सकती हैं, जैसे ह्रदय रोग, थायराइड रोग और मोटापा आदि।



बाइपोलर डिसऑर्डर से बचाव - Prevention of Bipolar Disorder in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर होने से कैसे रोक सकते हैं?


बाइपोलर डिसऑर्डर के रोकथाम करने का कोई निश्चित तरीका नहीं है।


हालांकि, मानसिक स्वास्थ्य के संकेतों व बदवालों की समय पर जांच व उपचार करने पर बाइपोलर डिसऑर्डर की रोकथाम की जा सकती है। इसके अलावा अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को और गंभीर होने से भी बचाव करता है।


अगर आपके बाइपोलर डिसऑर्डर का परीक्षण किया गया है, तो कुछ रणनीतियां मामूली लक्षणों को मैनिया या अवसाद के पूर्ण प्रकरण में विकसित होने से रोकती हैं, जो निम्न हैं -


चेतावनी संकेतों पर ध्यान दें – बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों का जल्दी पता लगा लेना उसके प्रकरण को बिगड़ने होने से रोक सकता है। आप और आपके देखभालकर्ता आपके बाइपोलर एपिसोड के पैटर्न की पहचान कर सकते है। अगर आपको लगता है कि आप अवसाद या मैनिया के प्रकरण की चपेट में आ रहे हैं, तो ऐसे में अपने चिकित्सक से मिलिए। इस रोग के संकेतों पर नजर रखने के लिए अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों आदि को भी शामिल करें।

शराब व अन्य दवाओं का सेवन न करें - शराब या ड्रग्स का इस्तेमाल करना आपके लक्षणों को और खराब कर सकता है और उनके वापस आने की संभावनाओं को भी बढ़ा सकता है।

निर्देशों के अनुसार ठीक तरीके से दवाएं लें – आपका इलाज छोड़ने का मन कर सकता है, पर ऐसा ना करें। क्योंकि इसके परिणाम तुरंत दिख सकते हैं, जिससे आपको काफी तनावग्रस्त महसूस हो सकता है। इसके अलावा आप मैनिक या हाइपोमैनिक के प्रकरण की चपेट में भी जा सकते हैं। अगर आपको लगता है कि आपको खुद में कुछ बदलाव करने की जरूरत है, तो ऐसे में अपने डॉक्टर से बात करें।

अन्य दवाइयां लेने से पहले उनकी जाँच करें – अगर आप किसी अन्य डॉक्टर की या ऑवर-द-काउंटर दवाइयां या सप्लिमेंट्स लेने जा रहे हैं, तो पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें जो आपके बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज कर रहे हैं। कुछ अन्य दवाएं कई बार बाइपोलर डिसऑर्डर के प्रकरण के लिए एक ट्रिगर का कार्य करती हैं। जो दवाएं आप बाइपोलर डिसऑर्डर के इलाज के लिए खा रहें हैं, उनके कार्यों में भी ये दवाएं दखलअंदाजी कर सकती हैं।



बाइपोलर डिसऑर्डर का निदान - Diagnosis of Bipolar Disorder in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर का परीक्षण:


जब डॉक्टर किसी मरीज में बाइपोलर डिसऑर्डर का संदेह करते हैं, तो विशेष रूप से वे कई परीक्षण और टेस्ट करते हैं। इन टेस्ट की मदद से अन्य समस्याओं को उजागर किया जाता है और उससे जुड़ी अन्य जटिलताओं की भी जांच की जाती है। इन में निम्न टेस्ट शामिल हो सकते हैं-


शारीरिक परीक्षण – किसी भी मेडिकल समस्या की जांच करने के लिए और लक्षणों के कारणों का पता लगाने के लिए, शारीरिक परीक्षण व लैब टेस्ट किए जा सकते हैं।

मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन - आपके डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य प्रदाता आपके विचारों, भावनाओं और व्यवहार पैटर्न के बारे में आपसे बात कर सकते हैं। इसके लिए आपको एक मनोवैज्ञानिक प्रश्नावली या सेल्फ एसेसमेंट भी भरनी पड़ सकती है। आपकी अनुमति के अनुसार, आपके करीबी प्रियजनों या दोस्तों से आपके लक्षणों और संभावित मैनिया या अवसाद के प्रकरण के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है।

मूड का रिकॉर्ड रखना – वास्तव में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी के लिए डॉक्टर आपके प्रतिदिन मूड का रिकॉर्ड रख सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर नींद के पैटर्न का रिकॉर्ड और अन्य उन कारकों की जानकारी भी ले सकते हैं जो उनको बाइपोलर डिसऑर्डर का निदान करने में मदद कर सकती है।

संकेत व लक्षण की जांच – आपके डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेश्नल आमतौर पर निदान का निर्धारण करने के लिए, मानसिक विकार के रोग विषयक सांख्यिकीय मैनुअल में बाइपोलर और उससे संबंधित विकारों के मानदंडों के साथ आपके लक्षणों की तुलना कर सकते हैं।

बच्चों में बाइपोलर डिसऑर्डर का निदान –


बाइपोलर डिसऑर्डर छोटे बच्चों में भी हो सकता है। आमतौर पर यह किशोरों में या शुरुआती 20 सालों में होते देखा जाता है। यह अक्सर कहना मुश्किल है कि यह बच्चे में उनकी उम्र के अनुसार, सामान्य भावनात्मक उतार-चढ़ाव हैं, आघात या तनाव के परिणाम हैं या फिर बाइपोलर डिसऑर्डर के अलावा अन्य किसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या के लक्षण हैं।


बच्चों और किशोरों में बाइपोलर लक्षण अक्सर अलग-अलग पैटर्न के होते हैं, जो व्ययस्कों के निदान में उपयोग की जाने वाली श्रेणियों में ठीक ढंग से फिट नहीं हो पाते। जिन बच्चों को बाइपोलर डिसऑर्डर है, अक्सर उनकी अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों का निदान भी किया जाता है, जैसे एडीएचडी (ADHD) या अन्य व्यवहारिक समस्याएं आदि।


बच्चों के डॉक्टर, बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षणों को जानने में आपकी मदद कर सकते हैं और यह आपके बच्चे की विकासात्मक उम्र, स्थिति और सामान्य सांस्कृतिक से संबंधित व्यवहार में भिन्नता आदि की जानकारी भी देते हैं।  


बाइपोलर डिसऑर्डर का उपचार - Bipolar Disorder Treatment in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर का उपचार क्या है?


बाइपोलर से संबंधित विकारों के इलाज में एक कुशल मनोचिकित्सक द्वारा सबसे अच्छा निर्देशन किया जा सकता है।


आवश्यकतानुसार, बाइपोलर डिसऑर्डर के उपचार में निम्न शामिल हो सकते हैं -


प्रारंभिक उपचार - अक्सर, आपको अपने मूड को तुरंत संतुलित करने के लिए दवाएं लेनी शुरू करनी पड़ सकती हैं। आपके लक्षण नियंत्रित होने पर, सबसे अच्छा दीर्घकालिक उपचार खोजने में आपके डॉक्टर को मदद मिल सकती है।

निरंतर उपचार – बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को जीवनभर उपचार की जरूरत पड़ती रहती है, यहां तक ​​कि जब वह बेहतर महसूस कर रहा हो तब भी। इसके देखभाल संबंधी उपचार का इस्तेमाल लंबे समय तक बाइपोलर डिसऑर्डर का प्रबंधन करने के लिए भी किया जा सकता है।

पदार्थों के दुष्प्रयोग का उपचार (Substance abuse treatment) – यदि आपको शराब या अन्य नशीली दवाओं से समस्याएं हैं, तो आपको नशीली दवाओं के दुष्प्रयोग के उपचार की आवश्यकता हो सकती है। अन्यथा बाइपोलर डिसऑर्डर का उपचार करना काफी मुश्किल हो सकता है। 

अस्पताल में भर्ती करना – अगर आप खतरनाक रूप से व्यवहार करते हैं या आत्महत्या का ख्याल आपके दिमाग में आता रहे, तो डॉक्टर आपको अस्पताल में भर्ती कर सकते हैं।

बाइपोलर डिसऑर्डर के लिए प्राथमिक उपचार में दवाएं और मनोवैज्ञानिक परामर्श (मनोचिकित्सा) शामिल हो सकती हैं और इसके साथ-साथ इसमें  रोग संबंधित जानकारी और सहायता समूह शामिल किए जा सकते हैं।


दवाइयां 


मूड स्टेबलाइज़र (मूड स्थिर करने वाला; Mood stabilizer) – चाहे आपको बाइपोलर (I) हो या बाइपोलर (II) विकार हो, आपको आमतौर पर मूड-स्थिर करने की दवा की जरूरत पड़ सकती है, ताकि मैनिक और हाइपोमैनिक को नियंत्रित किया जा सके।

एंटीसाइकोटिक (Antipsychotic) - यदि अन्य दवाओं के साथ इलाज के बावजूद भी अवसाद या उन्माद के लक्षण बने रहते हैं, तो एंटीसाइकोटिक दवाएं उनके साथ जोड़ने से मदद मिल सकती है। आपके डॉक्टर इनमें से कुछ दवाओं को अकेले या मूड स्टेबलाइज़र दवाओं के साथ लिख सकते हैं।

एंटीडिप्रेसेंट्स (Antidepressants) - अवसाद के प्रबंधन में मदद करने के लिए आपके डॉक्टर एक एंटीडिप्रेसेंट भी दे सकते हैं। लेकिन कई बार एंटीडिपेसेंट दवाएं मैनिक के प्रकरण को ट्रिगर कर सकती हैं, इसलिए इनको अक्सर मूड स्टेबलाइज़र और एंटीसाइकोटिक दवाओं के साथ लिखा जाता है।

एंटीडिप्रैसेंट्स-एंटीसाइकोटिक (Antidepressant-Antipsychotic) – सिम्बिएक्स (Symbyax) दवाएं तनाव के उपचार और मूड स्टेबलाइज़र के रूप में काम करती हैं। विशेष रूप से बाइपोलर I और बाइपोलर II विकार से जुड़े अवसाद प्रकरण के उपचार के लिए सिम्बिएक्स को स्वीकृत किया गया है।

एंटी-एंग्जाइटी (Anti-anxiety) – आम तौर पर थोड़े समय के लिए चिंता से राहत पाने के लिए इन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। (और पढ़ें - चिंता के लिए योगासन)

सभी दवाओं के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, किसी भी गंभीर क्षति या हानि से बचने के लिए डॉक्टर से सलाह लेने के बाद की दवाओं का प्रयोग किया जाना चाहिए।


गर्भवती महिला के लिए दवाएं


बाइपोलर डिसऑर्डर के उपचार की कई दवाएं जन्म दोष से जुड़ी होती हैं, इस मसले पर डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए।


गर्भनिरोधक विकल्प - जन्म नियंत्रण दवाओं को कुछ बाइपोलर डिसऑर्डर दवाओं के साथ लेने से वे उनके प्रभाव को कम कर देती हैं। (और पढ़ें - अनचाहा गर्भ रोकने के उपाय)

उपचार के विकल्प, अगर आप गर्भवती होने के बारे में सोच रही हैं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में देखभाल)

स्तनपान – कुछ बाइपोलर दवाएं ब्रेस्ट मिल्क के माध्यम से आपके बच्चे में भी जा सकती हैं। (और पढ़ें - स्तनपान के फायदे)

मनोचिकित्सा (Psychotherapy)


मनोचिकित्सा बाइपोलर डिसऑर्डर उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो व्यक्तिगत, परिवार या व्यवस्थित समूह के लिए प्रदान किया जा सकता है।इसके तहत कई प्रकार की थेरेपी सहायक हो सकती हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं,


कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive behavioral therapy) - इस थेरेपी का फोकस बीमारी की पहचान करना, नकारात्मक विश्वास और व्यवहार की पहचान करना और उन्हें स्वस्थ बनाना होता है। ये थेरेपी आपको यह बताने में भी मदद करती है कि बाइपोलर डिसऑर्डर को किसने ट्रिगर किया है। इसमें तनाव का प्रबंधन करने और परेशान करने वाली स्थितियों का सामना करने की रणनीतियां भी सीखी जा सकती हैं।

साइकोएजुकेशन (Psychoeducation) – यह बाइपोलर डिसऑर्डर (मनोविज्ञान) के बारे में जानने में आपकी सहायता करने के लिए परामर्श देता है। यह आपको और आपके प्रियजनों को बाइपोलर डिसऑर्डर में मदद करता है। आपके साथ क्या हो रहा है आदि अच्छे से जानना आपको सबसे अच्छा उपचार प्राप्त करने में मदद करता है। इससे आपको और आपके प्रियजनों को मूड स्विंग के संकेतों को पहचानने में भी मदद मिलती है।

इंट्रापर्सनल और सोशल रिदम थेरेपी (Interpersonal and Social Rhythm Therapy) – इसे IPSRT भी कहा जाता है। यह दिनभर की रिदम पर फोकस रखती है, जैसे- सोना, जागना और भोजन करना आदि। एक नियमित रूटीन बेहतर मूड को प्रबंध करने के लिए अनुमति देता है। सोने, भोजन और व्यायाम आदि करने के लिए दैनिक रूटीन स्थापित करने से बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को काफी लाभ मिल सकता है।

अन्य थेरेपी – सफलता मिलने के प्रमाणों के साथ, अन्य थेरेपी का अध्ययन किया जा सकता है। अपने लिए किसी उपयुक्त विकल्प के लिए डॉक्टर से बात करें।

बच्चों और किशोरों में उपचार


दवाइयां – बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित बच्चों व किशोरों को भी वही दवाएं दी जा सकती हैं, जो व्ययस्कों को दी जाती हैं। वयस्कों की तुलना में बच्चों में बाइपोवलर की दवाओं की सुरक्षा और प्रभावशीलता पर कम शोध किया गया है, इसलिए उपचार का निर्णय अक्सर वयस्क पर शोध के अनुसार ही होता है।

साइकोथेरेपी (Psychotherapy) - अधिकांश बच्चों को बाइपोलर डिसऑर्डर का निदान करने के लिए प्रारंभिक उपचार के भाग के रूप में और लक्षणों के वापस आने से रोकने के लिए एक परामर्श की आवश्यक्ता होती है। मनोचिकित्सा बच्चों को परेशानियों का सामना करने का कौशल, सीखने में कठिनाइयों का पता लगाने, सामाजिक समस्याओं का समाधान करने और परिवार के बंधन और संबंधों को मजबूत करने आदि में मदद कर सकता है। जरूरत पड़ने पर, यह पदार्थों के दुष्प्रयोग आदि जैसी समस्याओं का इलाज करने में भी मदद कर सकता है, जो कि बाइपलोर डिसऑर्डर वाले बड़े बच्चों में होती है। 

बाइपोलर डिसऑर्डर के नुकसान - Bipolar Disorder Complications in Hindi

बाइपोलर डिसऑर्डर में क्या जटिलताएं हो सकती हैं?


बाइपोलर डिसऑर्डर को अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो इसके गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं, जो शरीर के हर क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है। इनमें निम्न शामिल हो सकती है -


दवाओं और शराब आदि के सेवन से समस्या

खुदखुशी करने का प्रयास या उसके बारे में सोचना

कानूनी समस्याएं

वित्तीय समस्याएं

रिश्तों में कठिनाइयां (और पढ़ें - रिश्तों को बेहतर कैसे बनाये)

अलगाव और अकेलापन

स्कूल व अन्य कार्यों में खराब प्रदर्शन

काम या स्कूल से अक्सर अनुपस्थिति होना



अस्वीकरण: इस साइट पर उपलब्ध सभी जानकारी और लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं। यहाँ पर दी गयी जानकारी का उपयोग किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। चिकित्सा परीक्षण और उपचार के लिए हमेशा एक योग्य चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कैनुला क्या है?कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi

 कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi कैनुला क्या है? कैनुला एक पतली ट्यूब है, जिसे शरीर में नसों के जरिए इंजेक्ट किया जाता है, ताकि जरूरी तरल पदार्थ को शरीर से निकाला (नमूने के तौर पर) या डाला जा सके। इसे आमतौर पर इंट्रावीनस कैनुला (IV cannula) कहा जाता है। बता दें, इंट्रावीनस थेरेपी देने के लिए सबसे आम तरीका पेरिफेरल वीनस कैनुलेशन (शरीर के परिधीय नसों में कैनुला का उपयोग करना) है। इंट्रावीनस (नसों के अंदर) प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना, सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपचार प्रदान करना है। जब किसी मरीज का लंबे समय तक उपचार चलता है, तो ऐसे में इंट्रावीनस थेरेपी की विशेष जरूरत पड़ती है। शोध से पता चला है कि जिन मामलों में इंट्रावीनस कैनुला की जरूरत नहीं होती है, उनमें भी इसका प्रयोग किया जाता है, जबकि कुछ मामलों में इसे टाला जा सकता है। जनरल वार्डों में भर्ती 1,000 रोगियों पर हाल ही में एक शोध किया गया, इस दौरान इन सभी मरीजों के नमूने लिए गए। अध्ययन में पाया गया कि लगभग 33% रोगियों में इंट्रावीनस कैनुला का प्रयोग सामान्य से अधिक समय के लिए किया जा रहा है। जबकि

Pleural Effusion in Hindi

 फुफ्फुस बहाव - Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों के बाहर असामान्य मात्रा में द्रव इकट्ठा हो जाता है। ऐसे कई रोग हैं जिनके कारण यह समस्या होने लग जाती है और ऐसी स्थिति में फेफड़ों के आस-पास जमा हुऐ द्रव को निकालना पड़ता है। इस इस स्थिति के कारण के अनुसार ही इसका इलाज शुरु करते हैं।  प्लूरा (Pleura) एक पत्ली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों और छाती की अंदरुनी परत के बीच में मौजूद होती है। जब फुफ्फुसीय बहाव होता है, प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में द्रव बनने लग जाता है। सामान्य तौर पर प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में एक चम्मच की मात्रा में द्रव होता है जो आपके सांस लेने के दौरान फेफड़ों को हिलने में मदद करता है। फुफ्फुस बहाव क्या है - What is Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन के लक्षण - Pleural Effusion Symptoms in Hindi फुफ्फुस बहाव के कारण व जोखिम कारक - Pleural Effusion Causes & Risk Factors in Hindi प्ल्यूरल इफ्यूजन से बचाव - Prevention of Pleural Effusion in Hindi फुफ्फुस बहाव का परीक्षण - Diagnosis of Pleural Effusion in Hind

शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi

 शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi शीघ्र स्खलन एक पुरुषों का यौन रोग है, जिसमें दोनों यौन साथियों की इच्छा के विपरीत सेक्स के दौरान पुरुष बहुत जल्दी ऑर्गास्म पर पहुंच जाता है यानि जल्दी स्खलित हो जाता है। इस समस्या के कारण के आधार पर, ऐसा या तो फोरप्ले के दौरान या लिंग प्रवेश कराने के तुरंत बाद हो सकता है। इससे एक या दोनों साथियों को यौन संतुष्टि प्राप्त करने में परेशानी हो सकती है। स्खलन को रोक पाने में असमर्थता अन्य लक्षणों जैसे कि आत्मविश्वास में कमी, शर्मिंदगी, तनाव और हताशा आदि को जन्म दे सकती है। ज्यादातर मामलों में, हो सकता है कि स्खलन को नियंत्रित करने में असमर्थता किसी जैविक कारण से न पैदा होती हो, हालांकि उपचार के किसी भी अन्य रूप की सिफारिश करने से पहले डॉक्टर इसकी संभावना का पता लगाते हैं। तनाव, चिंता, अवसाद, यौन अनुभवहीनता, कम आत्मसम्मान और शरीर की छवि जैसे मनोवैज्ञानिक कारक शीघ्र स्खलन के सबसे आम कारण हैं। विशेष रूप से सेक्स से संबंधित अतीत के दर्दनाक अनुभव भी शीघ्र स्खलन का संकेत दे सकते हैं। अन्य