सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सफर में उल्टी आना (मोशन सिकनेस) सफर में उल्टी आना की होम्योपैथिक दवा और इलाज


 सफर में उल्टी आना (मोशन सिकनेस) सफर में उल्टी आना की होम्योपैथिक दवा और इलाज

सफर में उल्टी आना की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine for motion sickness in Hindi

सफर में उल्टी आना की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine


मोशन सिकनेस को सफर में उल्टी आने के नाम से भी जाना जाता है। इस समस्या में सफर के दौरान उल्टी और अस्वस्थ होने की भावना महसूस होती है। लोग आमतौर पर कार, बस, ट्रेन, विमान या नाव में यात्रा करते समय मोशन सिकनेस का अनुभव करते हैं। इसके अलावा झूला झूलते हुए, स्कीइंग और वर्चुअल रिएलिटी एन्वायरॉन्मेंट में भी मोशन सिकनेस हो सकती है। हालांकि, इसे बीमारी नहीं माना जा सकता है, क्योंकि यह सफर के दौरान होने वाली एक आम स्थिति है, जो किसी को भी प्रभावित कर सकती है। हालांकि, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और ऐसे लोग जो किसी अन्य चिकित्सकीय स्थिति के लिए दवाई ले रहे हैं या माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति उनमें मोशन सिकनेस होने का खतरा अधिक होता है। यह तब होता है जब संतुलन-संवेदन प्रणाली के कुछ हिस्सों के बीच संकेत मिसमैच हो जाते हैं या यूं कहें कि उनमें तालमेल नहीं बैठ पाता है।


मोशन सिकनेस के लिए कई प्रकार के मेडिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध हैं, इन्हीं में से एक होम्योपैथी है, जो कि वैयक्तिकरण सिद्धांत पर आधारित है। इसका मतलब है कि इसमें दवाइयों का निर्धार​ण व्यक्तिगत रूप से किया जाता है। होम्योपैथिक डॉक्टर सिर्फ बीमारी के लक्षणों पर ध्यान नहीं देते, बल्कि वे मरीज की शारीरिक और मानसिक स्थिति के अलावा अन्य बातों पर भी ध्यान देते हैं। यही कारण है कि होम्योपैथी में निर्धारित किया जाने वाला उपाय हर व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग होता है। मोशन सिकनेस के प्रबंधन में सहायक कुछ उपचारों में कोक्यूलस इंडिकस, इपिकाकुअन्‍हा, कैलियम बाइक्रोमिकम, नक्स वोमिका, पेट्रोलियम, रस टॉक्सीडेन्ड्रॉन, सीपिया ऑफिसिनेलिसिस और टैबैकम शामिल हैं।



मोशन सिकनेस की होम्योपैथिक दवाएं - Homeopathic medicines for Motion Sickness in Hindi

मोशन सिकनेस के लिए होम्योपैथिक दवाएं कितने प्रभावी हैं - How effective is homeopathic treatment for Motion Sickness in Hindi

 homeopathy for motion sickness in Hindi

मोशन सिकनेस के लिए होम्योपैथिक दवा के नुकसान - Side effects of homeopathic medicine for motion sickness in Hindi

मोशन सिकनेस के लिए होम्योपैथिक दवाओं से जुड़े टिप्स - Tips related to homeopathic medicines for motion sickness in Hindi



मोशन सिकनेस की होम्योपैथिक दवाएं - Homeopathic medicines for Motion Sickness in Hindi

मोशन सिकनेस के लिए होम्योपैथिक उपचार निम्नलिखित हैं :


कोक्यूलस इंडिकस

सामान्य नाम : इंडियन कॉकल

लक्षण : जो लोग स्वभाव से चंचल होते हैं और दिन में सपने में ही देखने में व्यस्त रहते हैं, उनके लिए यह उपाय असरदार है। इन लोगों को समय तेजी से बीतते हुए महसूस होता है। इस उपाय के माध्यम से निम्न लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है :


चक्कर आना

चीजों को समझने में देरी

बैठने पर मतली लगना

सिरदर्द जो पीठ के बल लेटने से बढ़ सकता है 

चक्कर आना और उल्टी होना

खाने-पीने की इच्छा न करना

मुंह में धातु का स्वाद आना, बता दें कान में संक्रमण या ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण जैसे कि साइनसाइटिस, साथ ही सिर की चोट या ऐसी स्थितियां जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचाती हैं, इनकी वजह से मुंह में धातु का स्वाद आ सकता है।

पसीना निकलना, साथ ही ठंड लगना 

यह लक्षण दोपहर में, खाने से, नींद कम लेने से, खुली हवा में, माहवारी के दौरान बिगड़ जाते हैं।




इपिकाकुअन्‍हा, 

सामान्य नाम : इपिकैक-रूट (Ipecac-root)

लक्षण : यह उपाय विशेष रूप से मोटे बच्चों और ऐसे वयस्कों में अच्छा असर करता है, जो कमजोर हैं और जिन्हें गर्मी में भी आसानी से सर्दी-जुकाम पकड़ सकता है।  इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों के प्रबंधन में भी मदद करता है :


चिड़चिड़ापन

ऐसा एहसास होना जैसे खोपड़ी की हड्डी में चोट लगी है

उल्टी में भोजन, पित्त, खून और बलगम निकलना

सिरदर्द, जो दांत और जीभ के निचले हिस्सों तक बढ़ता है

अत्यधिक लार आना

लगातार मतली और उल्टी आना व साथ में चेहरे पर पीलापन व मांसपेशियों में मरोड़ होना

यह लक्षण लेटने, उमस भरे मौसम और निरंतर अंतराल पर भी खराब हो जाते हैं।


कैलियम बाइक्रोमिकम

सामान्य नाम : बाईक्रोमेट ऑफ पोटैश

लक्षण : इस उपाय से निम्नलिखित लक्षणों से राहत मिल सकती है :


भौंहों के ऊपर दर्द

कमजोरी

सीट से उठने पर मतली व चक्कर आना 

सिर और खोपड़ी की हड्डियों में दर्द

चेहरे पर हड्डी वाली जगहों पर दर्द होना और सिर पर छोटे धब्बे जैसे निशान बनना

तेज छींक आना और सूंघने की क्षमता में कमी होना

सूखी और चिपचिपी लाar

बियर और अम्लीय भोजन का सेवन करने का मन करना

चमकीली पीली रंग की उल्टी

यह लक्षण सुबह, बियर पीने और गर्म मौसम में खराब हो जाते हैं, जबकि गर्मी से इन लक्षणों में सुधार होता है।


नक्स वोमिका

सामान्य नाम : पॉइजन-नट

लक्षण : नक्स वोमिका निम्नलिखित लक्षणों में अच्छा असर करती है :


बेहद चिड़चिड़ापन

गुस्सा रहना और गलतियां ढूंढना

सिर के पिछले हिस्से या आंख के ऊपर दर्द

चक्कर आना व बेहोशी छाना

धूप में सिरदर्द होना

शोर, महक और रोशनी सहन करने में असमर्थता

मतली और उल्टी

कड़वी ​और खट्टी डकार

वसायुक्त खाद्य पदार्थ खाने की इच्छा

डकार लेने में परेशानी

यह लक्षण सुबह, प्रभावित हिस्से को छूने पर, खाने के बाद और शुष्क व ठंडे मौसम में खराब होते हैं। जबकि झपकी लेने, नम और उमसभरे मौसम में और आराम करते समय इनमें सुधार होता है।


पेट्रोलियम

सामान्य नाम : क्रूड रॉक-आयॅल

लक्षण : पेट्रोलियम एक प्रभावी उपाय है, जिसका इस्तेमाल निम्नलिखित लक्षणों वाले व्यक्तियों पर किया जाता है :


सिर के पीछे भारीपन लगना

उठने पर चक्कर आना

सिरदर्द, जिसमें सिर के किनारों को पकड़ने से राहत मिलती है और खांसते समय सिर हिलाने से यह लक्षण खराब हो जाते हैं

आंखों की रोशनी कम होना

गर्म, तेज और खट्टी डकार होना

पेट दर्द 

वसायुक्त खाद्य पदार्थ और मांस खाने का मन नहीं करना। यह लक्षण गोभी खाने से बिगड़ जाते हैं

अत्यधिक लार के साथ मतली

बहुत तेज भूख लगना

गर्दन के पीछे वाले हिस्से में दर्द और जकड़न 

यह लक्षण खाने पर, नम मौसम में, सर्दियों में बिगड़ जाते हैं जबकि गर्म हवा में, शुष्क मौसम में, सिर को ऊंचा करके लेटने पर इनमें राहत मिलती है।


रस टॉक्सीडेन्ड्रॉन

सामान्य नाम : पॉइजन-आइवी

लक्षण : रस टॉक्स एक ऐसा उपाय है, जिसका प्रयोग निम्नलिखित लक्षणों वाले रोगियों में किया जाता है:


सिर भारी होना

बहुत तेज बेचैनी 

उठने पर चक्कर आना

सोचने समझने की शक्ति में कमी आना या सही से काम न करना

रात में ज्यादा चिंतित रहना, जिसकी वजह से बिस्तर पर रहने का मन नहीं करता

सिर के पीछे दर्द होना

दुखी रहना और आत्महत्या का विचार आना

दूध पीने का बहुत तेज मन करना

माथे में दर्द होना, जो पीठ तक फैलता है 

भूख में कमी व अधिक प्यास लगना

मतली, चक्कर और खाने के बाद पेट फूलना

मुंह और गला सूखना

यह लक्षण रात में, ठंड और बरसात के मौसम में, आराम करने और पीठ के बल या दाईं ओर लेटने पर बिगड़ जाते हैं। जबकि गर्म मौसम, चलने, हाथ-पैरों में स्ट्रेचिंग करने और गर्म सिकाई करने से लक्षणों में सुधार होता है।


सेपिया ऑफिसिनैलिस

सामान्य नाम : इंकी जूस ऑफ कटलफिश

लक्षण : यह उपाय ऐसे लोगों में असरदार है जो चिड़चिड़े और आसानी से नाराज होने वाले, अपने परिवार और पेशे में रुचि नहीं रखने वाले और अकेले रहने से डरते हैं। इसके अलावा निम्नलिखित लक्षणों में भी इस उपाय से फायदा होता है :


बालों की जड़ों का संवेदनशील होना

खाने की महक आने या उसे देखने पर भी जी मचलाना

सिर में तेज दर्द के साथ जी मचलाना और उल्टी आना, जो दर्द वाले हिस्से के बल लेटने पर बढ़ जाता है

नाक से गाढ़ा और हरे रंग का डिस्चार्ज होना

अम्लीय खाद्य पदार्थ जैसे सिरका और अचार खाने का तेज मन करना

पेट में खालीपन महसूस होना यहां तक कि कुछ खाने पर भी राहत नहीं मिलना

भोजन में नमक तेज लगना

खाने से पहले सुबह के समय जी मचलाना

खट्टी डकार के साथ पेट का फूलना

हाथ-पैर में बेचैनी

यह लक्षण दिन और शाम को, कपड़े धोने के दौरान और पसीना आने के बाद बिगड़ जाते हैं, जबकि सोने के बाद, व्यायाम करने के बाद, बिस्तर पर लेटन के बाद महसूस होने वाली गर्मी और गर्म सिकाई से इनमें सुधार होता है।


टैबेकम

सामान्य नाम : टोबैको

लक्षण : इस उपाय से निम्न​लिखित लक्षणों में मिदद मिलती है :


आंखें खोलने पर चक्कर आना

सिर में अचानक दर्द होना जैसे हथौड़े से मारा गया हो

समय-समय पर सिरदर्द होना जैसे सिर के चारों ओर एक टाइट बैंड बंधा हो व जी मचलाना

लगातार मतली, यह लक्षण तंबाकू की गंध से बिगड़ जाते हैं

पेट में खालीपन लगना

जरा-सी हलचल या गतिविधि करने पर भी उल्टी होना

आंखों, नाक और मुंह से रिसाव होना

हाथ पैरों में तेज ठंड लगना

ठंड लगना व साथ में ठंडा पसीना आना

यह लक्षण शाम को और आंखें खोलने के दौरान बिगड़ जाते हैं। जबकि ताजा खुली हवा में रोगी बेहतर महसूस करता है।



मोशन सिकनेस के लिए होम्योपैथिक दवाएं कितने प्रभावी हैं - How effective is homeopathic treatment for Motion Sickness in Hindi

आमतौर पर मोशन सिकनेस के लिए पारंपरिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। इन दवाइयों से कई लोगों को उंघाई जैसे साइड इफेक्ट भी झेलने पड़ सकते हैं, लेकिन होम्योपैथिक दवाइयों का साइड इफेक्ट नहीं होता है। इसलिए मोशन सिकनेस के प्रबंधन में होम्योपैथिक मेडिसिन की मदद ली जा सकती है। यह रोग को ठीक करने के साथ-साथ उसके दोबारा ट्रिगर होने के जोखिम को भी कम करता है। यह लक्षणों के अलावा समग्र जीवन में भी सुधार करता है। यह दवाइयां किसी बीमारी से निपटने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित और मजबूत करती है


होम्योपैथिक दवाएं बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए सुरक्षित हैं, क्योंकि इन्हें प्राकृतिक स्रोतों से तैयार किया जाता है। इसके अलावा, इन दवाइयों को बच्चों में इस्तेमाल करना आसान है, क्योंकि इन्हें मीठी गोलियों में मिलाकर दिया जाता है। इन उपायों को रोगी की व्यक्तिगत विशेषताओं के आधार पर चुना जाता है, जिससे बीमारी का सटीक व जल्दी उपचार होने में मदद मिलती है।





मोशन सिकनेस के लिए होम्योपैथी के अनुसार आहार - Diet according to homeopathy for motion sickness in Hindi

होम्योपैथिक दवाइयों को बहुत ही कम मात्रा में लेने की जरूरत होती है। इन दवाओं की प्रभावकारिता को बनाए रखने के लिए सावधानी स्वरूप डॉक्टर जीवन शैली और खान-पान में कुछ जरूरी बदलाव करने का सुझाव देते हैं, जो कि नीचे गए हैं :


क्या करना चाहिए


हर दिन ताजी हवा में कुछ गतिविध करें जैसे व्यायाम

यात्रा से पहले हल्का, स्वस्थ भोजन और पौष्टिक तत्वों से भरे खाद्य व पेय पदार्थ लें।

पानी का सेवन पर्याप्त मात्रा में करें, ताकि शरीर में पानी की कमी न होने पाए।

ताजी हवा शरीर में जानी जरूरी है, यदि आपके पास बाहर निकलने का समय नहीं है तो खिड़कियां खुली रखें।

क्या नहीं करना चाहिए


कॉफी, हर्बल चाय, मसालेदार पेय जैसी चीजों का सेवन बंद कर दें।

तेज मसालेदार खाना, ठंडे खाद्य पदार्थ, रखा हुआ मांस या पनीर, प्याज, अजवाइन और ऐसे खाद्य पदार्थ खाने से बचें, जिनमें औषधीय गुण हों।

उमस भरे माहौल और ऐसी जगहों पर नहीं रहना चाहिए, जहां साफ-सफाई नहीं है।

आहार में अधिक चीनी और नमक का उपयोग करने से बचना चाहिए।

इत्र, पर्फ्यूम या डिओड्रेंट के उपयोग न करें।

उन चीजों से बचें, जिनसे आपको गुस्सा आता है, दुख होता है। इसके अलावा अत्यधिक थकावट भी न होने दें।

मोशन सिकनेस के लिए होम्योपैथिक दवा के नुकसान - Side effects of homeopathic medicine for motion sickness in Hindi

होम्योपैथिक उपचार घुलनशील (जैसे तरल) रूप में तैयार किए जाते हैं, इन्हें प्राकृतिक पदार्थों से बनाया जाता है। यह उपयोग के लिए सुरक्षित हैं और इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। खास बात यह है कि इसे बच्चे से लेकर बूढ़ों तक कोई भी आसानी से ले सकते हैं। भले इनका दुष्प्रभाव नहीं होता है लेकिन तब भी आपको किसी अनुभवी होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श करके ही दवाइयां लेनी चाहिए। एक होम्योपैथिक डॉक्टर हमेशा मरीज के लक्षणों के अलावा उसकी मेडिकल और फैमिली हिस्ट्री, शारीरिक और मानसिक स्थिति को भी ध्यान में रखकर उपाय निर्धारित करता है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कैनुला क्या है?कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi

 कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi कैनुला क्या है? कैनुला एक पतली ट्यूब है, जिसे शरीर में नसों के जरिए इंजेक्ट किया जाता है, ताकि जरूरी तरल पदार्थ को शरीर से निकाला (नमूने के तौर पर) या डाला जा सके। इसे आमतौर पर इंट्रावीनस कैनुला (IV cannula) कहा जाता है। बता दें, इंट्रावीनस थेरेपी देने के लिए सबसे आम तरीका पेरिफेरल वीनस कैनुलेशन (शरीर के परिधीय नसों में कैनुला का उपयोग करना) है। इंट्रावीनस (नसों के अंदर) प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना, सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपचार प्रदान करना है। जब किसी मरीज का लंबे समय तक उपचार चलता है, तो ऐसे में इंट्रावीनस थेरेपी की विशेष जरूरत पड़ती है। शोध से पता चला है कि जिन मामलों में इंट्रावीनस कैनुला की जरूरत नहीं होती है, उनमें भी इसका प्रयोग किया जाता है, जबकि कुछ मामलों में इसे टाला जा सकता है। जनरल वार्डों में भर्ती 1,000 रोगियों पर हाल ही में एक शोध किया गया, इस दौरान इन सभी मरीजों के नमूने लिए गए। अध्ययन में पाया गया कि लगभग 33% रोगियों में इंट्रावीनस कैनुला का प्रयोग सामान्य से अधिक समय के लिए किया जा रहा है। जबकि

Pleural Effusion in Hindi

 फुफ्फुस बहाव - Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों के बाहर असामान्य मात्रा में द्रव इकट्ठा हो जाता है। ऐसे कई रोग हैं जिनके कारण यह समस्या होने लग जाती है और ऐसी स्थिति में फेफड़ों के आस-पास जमा हुऐ द्रव को निकालना पड़ता है। इस इस स्थिति के कारण के अनुसार ही इसका इलाज शुरु करते हैं।  प्लूरा (Pleura) एक पत्ली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों और छाती की अंदरुनी परत के बीच में मौजूद होती है। जब फुफ्फुसीय बहाव होता है, प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में द्रव बनने लग जाता है। सामान्य तौर पर प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में एक चम्मच की मात्रा में द्रव होता है जो आपके सांस लेने के दौरान फेफड़ों को हिलने में मदद करता है। फुफ्फुस बहाव क्या है - What is Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन के लक्षण - Pleural Effusion Symptoms in Hindi फुफ्फुस बहाव के कारण व जोखिम कारक - Pleural Effusion Causes & Risk Factors in Hindi प्ल्यूरल इफ्यूजन से बचाव - Prevention of Pleural Effusion in Hindi फुफ्फुस बहाव का परीक्षण - Diagnosis of Pleural Effusion in Hind

शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi

 शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi शीघ्र स्खलन एक पुरुषों का यौन रोग है, जिसमें दोनों यौन साथियों की इच्छा के विपरीत सेक्स के दौरान पुरुष बहुत जल्दी ऑर्गास्म पर पहुंच जाता है यानि जल्दी स्खलित हो जाता है। इस समस्या के कारण के आधार पर, ऐसा या तो फोरप्ले के दौरान या लिंग प्रवेश कराने के तुरंत बाद हो सकता है। इससे एक या दोनों साथियों को यौन संतुष्टि प्राप्त करने में परेशानी हो सकती है। स्खलन को रोक पाने में असमर्थता अन्य लक्षणों जैसे कि आत्मविश्वास में कमी, शर्मिंदगी, तनाव और हताशा आदि को जन्म दे सकती है। ज्यादातर मामलों में, हो सकता है कि स्खलन को नियंत्रित करने में असमर्थता किसी जैविक कारण से न पैदा होती हो, हालांकि उपचार के किसी भी अन्य रूप की सिफारिश करने से पहले डॉक्टर इसकी संभावना का पता लगाते हैं। तनाव, चिंता, अवसाद, यौन अनुभवहीनता, कम आत्मसम्मान और शरीर की छवि जैसे मनोवैज्ञानिक कारक शीघ्र स्खलन के सबसे आम कारण हैं। विशेष रूप से सेक्स से संबंधित अतीत के दर्दनाक अनुभव भी शीघ्र स्खलन का संकेत दे सकते हैं। अन्य