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Homoeopathic Treatmentब्रेस्ट बढ़ाने की हौम्यौपैथिक दवा

 Homeopathic Treatmentब्रेस्ट बढ़ाने की हौम्यौपैथिक दवा HOMEOPATHIC TREATMENT ब्रेस्ट बढ़ाने की हौम्यौपैथिक दवा    homeopathic medicine for breast ब्रेस्ट बढ़ाने की हौम्यौपैथिक दवा ( homeopathic medicine for breast enlargement in hindi ) :- बडे, आकर्षक, टाइट औप सुडौल स्तन किसी भी महिला की सुदंरता का अहम हिस्सा होते है । इनसे ना केवल आपकी फिगर अच्छी लगती है बल्कि आपको Overall एक सेक्सी और Attractive लूक भी मिलता है जिससे Personality में चार चाँद लगने के साथ आपका आत्मविश्वास भी कई गुना बढ़ जाता है ।   मगर नेचर की तरफ से हर महिला को बडे ब्रेस्टों का अशीर्वाद नही मिलता, आज कल बडे पैमाने पर ऐसी लड़कियों को देखा जा सकता है जो छोटे स्तनों के कारण परेशान घूमती हैं ।   छोटे स्तन होने के कारण वो खुद में आत्मविश्वास की कमी तो महसूस करती ही हैं साथ ही उन्हे पुरूषों की तरफ से भी कम Attention मिलती है । इसलिए कहा जा सकता है की चेहरे का खूबसूरत होने के साथ अगर आपके ब्रेस्ट का आकार भी अच्छा हो तो इससे आपके पुरे व्यक्तित्व में एक नई जान आती है । इसी को देखते हुए हम इस Artical में ब्रेस्ट बढ़ाने की होम्

हाइपोथर्मिया - Hypothermia in Hind

 हाइपोथर्मिया - Hypothermia in Hind हाइपोथर्मिया - Hypothermia in Hind हाइपोथर्मिया​ क्या है? हाइपोथर्मिया तब होता है जब शरीर तेज़ी से गर्मी खोता है और ठंडा हो जाता है। इस दौरान शरीर का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस (95 डिग्री फेरनहाइट) से नीचे गिर जाता है। सामान्य शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस (98.6 ℉) है। आमतौर पर, हाइपोथर्मिया तब होता है जब शरीर का तापमान ठंडे वातावरण के कारण काफी कम हो जाता है। हाइपोथर्मिया अक्सर ठंडे मौसम में या ठन्डे पानी में जाने से होता है। यह 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे के इनडोर तापमान में रहने से भी हो सकता है। साथ ही शरीर में थकान और पानी की कमी होने से भी हाइपोथरमिया होने का जोखिम बढ़ जाता है। हो सकता है इसके कारण आपको बहुत नींद आए, आप कन्फ्यूज्ड रहें, और खराब महसूस करें। चूंकि यह धीरे-धीरे होता है और आपकी सोच को प्रभावित करता है इसिलिये आपको पता ही नहीं लगता कि आपको मदद की ज़रूरत हैऔर यह और खतरनाक हो जाता है। हाइपोथर्मिया का परीक्षण डॉक्टर द्वारा चिकित्सीय इतिहास, लक्षणों और शरीर के तापमान के आधार पर किया जाता है आपको उन परिस्थितियों से बचना चाहिए जो आपको हा

VAGINAL CANDIDIASIS AND HOMOEOPATHY

 योनि में यीस्ट संक्रमण की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for vaginal yeast infection in hindi योनि में यीस्ट संक्रमण की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for vaginal yeast infection in hindi योनि में यीस्ट संक्रमण (वजाइनल यीस्ट इंफेक्शन) को कैंडिडिआसिस के रूप में भी जाना जाता है। यह महिलाओं में होने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है। चार में से तीन महिलाएं अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार इस संक्रमण से प्रभावित होती हैं। यह संक्रमण कैंडिडा अल्बिकंस नामक कवक के अतिवृद्धि के कारण होता है। जो गर्भवती व कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाली महिलाएं गर्भनिरोधक या एंटीबायोटिक्स गोलियां ले रही हैं, उनमें इस संक्रमण का जोखिम ज्यादा होता है। योनि में यीस्ट संक्रमण के सामान्य लक्षणों में पेशाब के दौरान दर्द, यौन संबंध बनाते समय दर्द, योनि के बाहरी भाग में लालिमा और सूजन, योनि और लेबिया (योनि की भीतरी और बाहरी तह) में जलन और खुजली, पानी निकलना शामिल हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर मलहम, क्रीम या टैबलेट लेने की सलाह दे सकते हैं। योनि में यीस्ट संक्रमण

थायराइड की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Thyroid in Hind

 थायराइड की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Thyroid in Hind थायराइड, तितली के आकार की एक ग्रंथि है जो गले के आगे के हिस्से में स्थित होती है। ये ग्रंथि अलग-अलग प्रकार के हार्मोन बनाती है, जैसे ट्राईआयोडोथायरोनिन टी 3 (Triiodothyronine - T3) और थायरोक्सिन टी 4 (Thyroxine - T4) आदि। ये हार्मोन व्यक्ति के विकास व मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं और कैल्सीटोनिन नामक हार्मोन हड्डियों में मिनरल्स को बनाए रखने में मदद करता है। दिमाग की एक ग्रंथि (पिट्यूटरी ग्रंथि) की प्रतिक्रिया से थायराइड के हार्मोन नियंत्रित होते हैं। पिट्यूटरी ग्रंथि इन हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) बनाती है, जो खून में मौजूद टी - 3 और टी - 4 हार्मोन की मात्रा को कम-ज्यादा करता है। जब खून में टी - 3 और टी - 4 हार्मोन का स्तर अधिक हो जाता है और टीएसएच का स्तर कम होता है, तो उसे थायराइड बढ़ना (हायपरथायरॉइडिज़्म) कहते हैं। इसके विपरीत, टी - 3 और टी - 4 का स्तर अधिक होना व टीएसएच कम होना थायराइड कम होना (हाइपोथायरॉइडिज़्म) कहलाता है। थायराइड बढ़ने व घटने के

Pleural Effusion in Hindi

 फुफ्फुस बहाव - Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों के बाहर असामान्य मात्रा में द्रव इकट्ठा हो जाता है। ऐसे कई रोग हैं जिनके कारण यह समस्या होने लग जाती है और ऐसी स्थिति में फेफड़ों के आस-पास जमा हुऐ द्रव को निकालना पड़ता है। इस इस स्थिति के कारण के अनुसार ही इसका इलाज शुरु करते हैं।  प्लूरा (Pleura) एक पत्ली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों और छाती की अंदरुनी परत के बीच में मौजूद होती है। जब फुफ्फुसीय बहाव होता है, प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में द्रव बनने लग जाता है। सामान्य तौर पर प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में एक चम्मच की मात्रा में द्रव होता है जो आपके सांस लेने के दौरान फेफड़ों को हिलने में मदद करता है। फुफ्फुस बहाव क्या है - What is Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन के लक्षण - Pleural Effusion Symptoms in Hindi फुफ्फुस बहाव के कारण व जोखिम कारक - Pleural Effusion Causes & Risk Factors in Hindi प्ल्यूरल इफ्यूजन से बचाव - Prevention of Pleural Effusion in Hindi फुफ्फुस बहाव का परीक्षण - Diagnosis of Pleural Effusion in Hind

pneumonia in hindi and homoeopathy

 [3/22, 15:18] Dr.J.k Pandey: क्या होता है निमोनिया? जानिएं इसके लक्षण और बचाव के उपाय! pneumonia in hindi क्या होता है निमोनिया? जानिएं इसके लक्षण और बचाव के उपाय! सर्दी का मौसम शुरू होते ही जुकाम और खांसी से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। आमतौर पर हम जुकाम और खांसी से तो ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ बीमा​रियां ऐसी होती हैं जो सर्दी में अपना प्रकोप ज्यादा दिखाती हैं। उन्हीं में से एक नाम है निमोनिया संक्रमण। निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो अधिकतर बच्चोंं में होती है और इससे दुनियाभर में हर साल हज़ारों बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है। हालांकि व्यस्क और वृद्धजनों को भी निमोनिया हो सकता है। निमोनिया होने का अधिक खतरा 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों और 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में ज्यादा रहता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसकी समय पर पहचान और उपचार नहीं हो तो यह जानलेवा भी हो सकती है। ऐसे में हमारे लिए इस बीमारी के बारे में जानना आवश्यक है ताकि हम इसके लक्षणों की पहचान कर सके और समय पर उपचार भी ले सकें। निमोनिया क्या होता है? फेफड़ों में संक्रमण का हो जाना निमोनिया कहलात