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थायराइड की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Thyroid in Hind

 थायराइड की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Thyroid in Hind



थायराइड, तितली के आकार की एक ग्रंथि है जो गले के आगे के हिस्से में स्थित होती है। ये ग्रंथि अलग-अलग प्रकार के हार्मोन बनाती है, जैसे ट्राईआयोडोथायरोनिन टी 3 (Triiodothyronine - T3) और थायरोक्सिन टी 4 (Thyroxine - T4) आदि। ये हार्मोन व्यक्ति के विकास व मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं और कैल्सीटोनिन नामक हार्मोन हड्डियों में मिनरल्स को बनाए रखने में मदद करता है।


दिमाग की एक ग्रंथि (पिट्यूटरी ग्रंथि) की प्रतिक्रिया से थायराइड के हार्मोन नियंत्रित होते हैं। पिट्यूटरी ग्रंथि इन हार्मोन को नियंत्रित करने के लिए थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) बनाती है, जो खून में मौजूद टी - 3 और टी - 4 हार्मोन की मात्रा को कम-ज्यादा करता है।


जब खून में टी - 3 और टी - 4 हार्मोन का स्तर अधिक हो जाता है और टीएसएच का स्तर कम होता है, तो उसे थायराइड बढ़ना (हायपरथायरॉइडिज़्म) कहते हैं। इसके विपरीत, टी - 3 और टी - 4 का स्तर अधिक होना व टीएसएच कम होना थायराइड कम होना (हाइपोथायरॉइडिज़्म) कहलाता है।



थायराइड बढ़ने व घटने के अलावा भी कुछ थायराइड संबंधी समस्याएं होती हैं, जैसे गोइटर, थायराइड में सिस्ट, ट्यूमर और थायराइड कैंसर।


हाइपोथायरॉइडिज़्म के कई कारण हो सकते हैं, जैसे थायराइड ग्रंथि की सूजन, डिलीवरी के बाद थायराइड ग्रंथि की सूजन, आयोडीन की कमी और नवजात शिशु की थायराइड ग्रंथि का काम न करना। इसके लक्षण हैं वजन बढ़ना, याददाश्त कमजोर होना, थकान, ठंड बर्दाश्त न होना, बार-बार पीरियड्स होना या मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव, बालों व त्वचा का सूखापन और आवाज़ बैठना।


हायपरथायरॉइडिज़्म के कारण हैं ग्रेव्स डिजीज, थायराइड में गांठ बनना और आयोडीन ज्यादा मात्रा में लेना आदि। इसके लक्षण हैं, वजन घटना, चिड़चिड़ापन, घबराहट, कंपकपी, मांसपेशियों की कमजोरी, नींद संबंधी विकार, गर्मी बर्दाश्त न होना, कम या अनियमित मासिक धर्म और थायराइड ग्रंथि बढ़ना आदि।


होम्योपैथिक उपचार शरीर के हार्मोन को नियंत्रित करता है। इसके लिए उपयोग की जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं हैं, आयोडीन, फ्यूक्स वेसीक्युलोसा, कैल्केरिया कार्बोनिका, ब्रोमियम, स्पंजिया, नेट्रियम म्यूरिएटिकम, थायराइडिनम आदि। ये दवाएं व्यक्ति के लक्षणों और उसकी मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए दी जाती हैं।


होम्योपैथी में थायराइड का उपचार कैसे होता है - Homeopathy me thyroid ka ilaj kaise hota hai

थायराइड की होम्योपैथिक दवा - Thyroid ki homeopathic medicine

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होम्योपैथी में थायराइड का उपचार कैसे होता है - Homeopathy me thyroid ka ilaj kaise hota hai

थायराइड के लिए किए जाने वाले आम उपचार में व्यक्ति को आजीवन हार्मोन सप्लीमेंट दिए जाते हैं ताकि थायराइड के कार्य पर नज़र रखी जा सके, हालांकि ये समस्या का स्थिर उपाय नहीं है। होम्योपैथी एक सुरक्षित उपचार है, जिसमें सही परिणाम आने पर व्यक्ति हार्मोन सप्लीमेंट लेना छोड़ सकता है।


होम्योपैथी में न केवल बीमारी का उपचार किया जाता है, बल्कि उसके लक्षण व कोई अन्य बीमारी होने की संभवना को भी ठीक किया जाता है। लक्षणों को दबाने की बजाय, होम्योपैथिक उपचार समस्या के अंदरूनी कारण को ठीक करता है। थायराइड विकार के मामले में, होम्योपैथिक इलाज थायराइड के बिगड़े हुए कार्य को दोबारा से ठीक करके काम करता है। ये दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी काम करती है और उन एंटीबाडी को खत्म करती हैं जो थायराइड ग्रंथि को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे स्वप्रतिरक्षित समस्याएं उत्पन्न होती हैं।


समय से पता लगने पर उचित इलाज किया जाए, तो होम्योपैथिक दवाओं से बिना किसी दुष्प्रभाव के थायराइड विकार के कारण होने वाली शारीरिक व मानसिक जटिलताओं को रोका जा सकता है।


इसके अलावा, होम्योपैथिक दवाएं थायराइड विकार के आधार पर वजन बढ़ा व घटा सकती हैं और अन्य लक्षणों का भी इलाज कर सकती हैं, जैसे कब्ज, अनियमित मासिक धर्म और धड़कन तेज होना। इन दवाओं से ऊर्जा भी बढ़ती है और मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। व्यक्ति के लक्षणों और उसे अन्य बीमारियां होने की संभावना के आधार पर, थायराइड बढ़ने व कम होने पर एक ही दवा दी जा सकती है।



थायराइड विकार के लिए उपयोगी होम्योपैथिक उपचार बच्चों के लिए भी उतना ही असरदार है, जितना बड़े लोगों के लिए है। उपनैदानिक थाइराइड कम होने की समस्या से पीड़ित स्कूल के बच्चों पर 18 महीने के एक अध्ययन में उन्हें होम्योपैथिक दवाएं दी गईं और 18 महीने बाद उनके टीएसएच के असाधारण स्तर में सुधार देखा गया। उपनैदानिक हाइपोथायरॉइडिज़्म का अर्थ है खून की जांच करने पर थायरोक्सिन का स्तर कम आता है, लेकिन ये स्तर इतना भी कम नहीं होता कि इससे कोई लक्षण या समस्या उत्पन्न हो। ये स्थिति गंभीर हाइपोथायरॉइडिज़्म में विकसित हो सकती है और ये थायराइड कम होने के जोखिम कारक में से एक है।


कुछ अध्य्यनों के आधार पर ये भी माना जाता है कि टीएसएच स्तर की थोड़ी सी वृद्धि या 3 से 6 महीने रहने वाले उपनैदानिक थाइराइड के लिए तुरंत कोई इलाज करने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, इस बात को डॉक्टर के हाथ में छोड़ना ज्यादा बेहतर है।


थायराइड की होम्योपैथिक दवा - Thyroid ki homeopathic medicine

थायराइड के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली होम्योपैथिक दवाओं के बारे में नीचे दिया गया है:


ब्रोमियम (Bromium)

सामान्य नाम: ब्रोमाइन (Bromine)

लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए है, जिनका शरीर नाजुक है और बाल व आंखें हल्की है। नीचे दिए लक्षणों के लिए ये दवा असरदार है:

बार-बार थायराइड, टॉन्सिल्स और पैरोटिड ग्रंथियों में सूजन होना।

गोइटर।

दिल के बढ़ने के साथ धड़कनें तेज होना।

बार-बार श्वसन संबंधी समस्याएं होना, जैसे अस्थमा व लेरिन्जाइटिस। 

चेहरे पर बार-बार मुंहासे और फोड़े होना। 

शाम से आधी रात तक लक्षण बदतर होना और ठंडी हवा व पानी से बढ़ जाना।

 

कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)

सामान्य नाम: कार्बोनेट ऑफ़ लाइम (Carbonate of lime)

लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए अधिक असरदार है, जिनका रंग गोरा है, जिनका वज़न आसानी से बढ़ जाता है और जिन्हें बहुत अधिक पसीना आता है, खासकर सिर व गर्दन पर। इससे निम्नलिखित लक्षणों में आराम मिलता है:

हाथ-पांव, सिर और पेट पर ठंडक महसूस होना।

अत्यधिक कब्ज होना, जिसमें मल को चिकित्सकीय तौर पर निकालने की आवश्यकता होती है। 

अनियमित मासिक धर्म होना। पीरियड्स जल्दी-लेट होना, ज्यादा होना, लंबे होना या न होना। 

हड्डियों की कमजोरी और चलने व खड़े होने में दिक्कत होना, खासकर बच्चों में।

अंडे खाने की इच्छा होना और दूध व मीट खाने का बिलकुल मन न करना।

आसानी से ठंड लगना।

 

फुकस वेसिकुलोसस (Fucus Vesiculosus)

सामान्य नाम: सी केल्प (Sea kelp)

लक्षण: नीचे दिए लक्षणों में इस दवा से आराम मिलता है:

थायराइड ग्रंथि के बढ़ने के साथ आंखों की पुतलियों का बाहर निकलना।

मोटापा। 

बदहजमी और पेट फूलना। 

कब्ज होना।

 

आयोडिनम (Iodinum)

समान्य नाम: आयोडीन (Iodine)

लक्षण: थायराइड बढ़ने के लिए आयोडिनम एक बहुत अच्छी दवा है और ये उन लोगों को सूट करती है जो पतले हैं और जिनका रंग सांवला है। निम्नलिखित लक्षणों को इस दवा से ठीक किया जा सकता है:

उचित तरीके से खाने के बाद भी वजन कम होना।

अत्यधिक कमजोरी के साथ बहुत पसीना आना। 

हाथ कांपना।

नब्ज बढ़ जाना, खासकर सीढ़ियां चढ़ते समय।

थायराइड ग्रंथि का सख्त होना व बढ़ना।

खाने के बाद लक्षण बेहतर होना।

 

नैट्रम म्यूरिएटिकम (Natrum Muriaticum)

सामान्य नाम: कॉमन साल्ट (Common salt)

लक्षण: थायराइड संबंधी समस्याओं के लिए ये एक बहुत अच्छी दवा है और ये उन लोगों को सूट करती है जो नाज़ुक हैं, ज्यादा सोचते हैं और आसानी से रो पड़ते हैं। नीचे दिए लक्षणों को इस दवा से ठीक किया जा सकता है:

ठीक से खाने के बाद भी वज़न कम होना। गर्दन के आसपास मांस कम होना।

गोइटर।

कब्ज होना और मल करने के बाद गुदा में चुभन वाला दर्द। 

योनि का सूखापन और अनियमित मासिक धर्म।

नब्ज व धड़कन तेज होना। छाती में संकुचन महसूस होना।

बाल झड़ना। 

बार-बार तेज सिरदर्द होना, जो आंखों पर जोर पड़ने से व धूप में जाने से शुरू होता है और सूरज उगने से ढलने तक रहता है। 

नमक खाने की बहुत अधिक इच्छा होना।

त्वचा का तैलीय होना, एनीमिया, वजन घटना और आसानी से सर्दी जुकाम हो जाना।

 

स्पोंजिया टोस्टा (Spongia Tosta)

सामान्य नाम: रोस्टेड स्पॉन्ज (Roasted sponge)

​लक्षण: ये दवा खासकर बच्चों और महिलाओं को सूट करती है। ये उन लोगों पर असर करती है जिनके बाल हल्के हैं और रंग गोरा है। इससे नीचे दिए लक्षण ठीक किए जा सकते हैं:

गोइटर।

रात के समय दम घुटने की भावना होना।

श्वसन नली और गले का सूखापन महसूस होना। 

गर्म पेय पदार्थ लेने पर लक्षण बेहतर होना।

छाती में दर्द के साथ दम घुटना और पसीना आना। 

दिल में मौजूद वाल्व का लीक करना।

अचानक धड़कन तेज होने के साथ दर्द और चिंता होना, खासकर रात के समय। 

बार-बार आवाज़ वाली व सूखी खांसी होना, खासकर मीठा व ठंडा खाने-पीने के बाद या धूम्रपान करने से।

 

थायरियोडाईनम (Thyreoidinum)

सामान्य नाम: ड्राइड थायराइड ग्लैंड ऑफ़ दि शीप (Dried thyroid gland of the sheep)

लक्षण: थायराइड घटने पर निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा का उपयोग किया जाता है:

थायराइड बहुत कम होना, जिससे व्यक्ति का पोषण व विकास प्रभावित होता है, खासकर उन बच्चों का जिन्हें जन्मजात हाइपोथायरॉइडिज़्म है।

एनीमिया, मांसपेशियों की कमजोरी, हाथ-पैर व चेहरे कांपना, नब्ज बढ़ना और धड़कन तेज होना।

गोइटर और मोटापा। 

हल्का सा परिश्रम करने पर व ठंड से लक्षण बढ़ना और आराम करने से बेहतर हो जाना।

त्वचा के रूखेपन के साथ हाथ-पैर ठंडे होना।

मिठाई खाने की इच्छा होना।

होम्योपैथी में थायराइड के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me thyroid ke liye khan-pan aur jeevanshaili me badlav

होम्योपैथिक उपचार के साथ आपको कुछ सावधानियों की आवश्यकता होती है, जिनके बारे में नीचे दिया गया है:


क्या करें:


होम्योपैथिक दवाओं को बहुत ही कम मात्रा में दिया जाता है, जिसके कारण इनके कार्य पर आसानी से बुरा असर पड़ सकता है। इससे बचने के लिए दवाओं को साफ-सुथरी व सूखी जगह पर रखना आवश्यक है।

दवाओं को सीधी धूप से दूर रखें।

हर मौसम में ताज़ी हवा में थोड़ी सैर करने अवश्य जाएं। 

रोज़ाना नियमित रूप से सैर करें और थोड़ा शारीरिक परिश्रम करें ताकि आपकी मांसपेशियां मजबूत हों। कुछ एक्सरसाइज से दिमाग शांत करने में भी मदद मिलती है। 

स्वस्थ और पौष्टिक आहार लें।

क्या न करें:


ऐसे खान-पान और कॉस्मेटिक से दूर रहें, जो दवा के कार्य को प्रभावित कर सकते हैं, जैसे:

तेज गंध वाले खान-पान के पदार्थ, जैसे कॉफी, हर्बल चाय, शराब, मसाले और चॉकलेट। 

औषधीय प्रभाव वाले टूथपेस्ट और माउथवाश।

परफ्यूम।

तेज मसालों वाला खाना और सॉस। 

आइसक्रीम जैसे ठंडे, जमे पदार्थ।

खाने में और सूप में कच्ची सब्जियां और जड़ी बूटी।

अजवाइन, अजमोद, बासा चीज और मीट।

सुस्ती भरी जीवनशैली न अपनाएं, दोपहर के समय ज्यादा देर तक सोने से दवाओं के कार्य पर दुष्प्रभाव हो सकता है। 

अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छा मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखना बहुत जरुरी है।



थायराइड के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Thyroid ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak

होम्योपैथिक दवाएं बहुत तेज होती हैं और इन्हें इतना घोलकर बनाया जाता है कि वास्तविक पदार्थ का अंश बहुत कम बचता है, इसीलिए ये दवाएं सुरक्षित हैं व इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। हालांकि, समस्या की उचित दवा लेने के लिए ये जरुरी है कि दवा किसी योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर से ही ली जाए। होम्योपैथिक डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर आपको उचित दवा देंग


थायराइड के लिए होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Thyroid ke homeopathic ilaj se jude anya sujhav

थायराइड ग्रंथि का शरीर के लगभग हर हिस्से पर प्रभाव होता है। इसी कारण, उचित होम्योपैथिक उपचार से न केवल थायराइड के हार्मोन का स्तर सामान्य होगा, बल्कि रोगी का सामान्य स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।


कई अध्ययनों से होम्योपैथिक दवाएं सुरक्षित साबित हुई हैं और अगर इन्हें किसी योग्य डॉक्टर की देखरेख में लिया जाए, तो इनके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते। होम्योपैथिक दवाओं को एलोपैथिक उपचार के साथ लेने पर स्वास्थ्य जल्दी सुधरता है और थायराइड रोगियों की हार्मोन सप्लीमेंट पर निर्भरता भी कम होती है।


अस्वीकरण: इस  पर उपलब्ध सभी जानकारी और लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं।  चिकित्सा परीक्षण और उपचार के लिए हमेशा एक योग्य चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

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