[3/22, 15:18] Dr.J.k Pandey: क्या होता है निमोनिया? जानिएं इसके लक्षण और बचाव के उपाय!
pneumonia in hindi
क्या होता है निमोनिया? जानिएं इसके लक्षण और बचाव के उपाय!
सर्दी का मौसम शुरू होते ही जुकाम और खांसी से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। आमतौर पर हम जुकाम और खांसी से तो ठीक हो जाते हैं लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जो सर्दी में अपना प्रकोप ज्यादा दिखाती हैं। उन्हीं में से एक नाम है निमोनिया संक्रमण।
निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो अधिकतर बच्चोंं में होती है और इससे दुनियाभर में हर साल हज़ारों बच्चों की मृत्यु भी हो जाती है। हालांकि व्यस्क और वृद्धजनों को भी निमोनिया हो सकता है। निमोनिया होने का अधिक खतरा 65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों और 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में ज्यादा रहता है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसकी समय पर पहचान और उपचार नहीं हो तो यह जानलेवा भी हो सकती है। ऐसे में हमारे लिए इस बीमारी के बारे में जानना आवश्यक है ताकि हम इसके लक्षणों की पहचान कर सके और समय पर उपचार भी ले सकें।
निमोनिया क्या होता है?
फेफड़ों में संक्रमण का हो जाना निमोनिया कहलाता है। इससे फेफड़े में सूजन की स्थिति बन जाती है। निमोनिया मुख्य रूप से विषाणु और जीवाणु के संक्रमण से होता है। यह वायरस, बैक्टीरिया और पेरासाइट्स के कारण भी हो सकता है। इसके अलावा इसके कम तौर पर अन्य सूक्ष्मजीव, कुछ दवाओं और दूसरे रोगों के संक्रमण से भी होने की संभावना रहती है।
साथ ही अगर निमोनिया को बढ़ावा देने वाली परिस्थितियों और कारकों पर बात करें तो धूम्रपान, रोगी प्रतिरोधक क्षमता में कमी, अत्यधिक शराब पीना, फेफड़ों से जुड़ा गंभीर रोग, गंभीर गुर्दा रोग और यकृत रोग शामिल हैं। इसके अलावा कुछ दवाओं जैसे प्रोटॉन-पंप इन्हिबटर्स या H2 ब्लॉकर्स के उपयोग से भी निमोनिया का खतरा बढ़ने की संभावना रहती है। वृद्धावस्था में भी निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा अस्थमा (दमा), हृदय रोग, ब्रोन्किइक्टेसिस आदि से पीड़ित मरीजों में भी निमोनिया का जोखिम ज्यादा रहता है।
निमोनिया कितने प्रकार का होता है?
निमोनिया पॉंच प्रकार का होता है, जो इस प्रकार है।
बैक्टीरियल निमोनिया
वायरल निमोनिया
माइकोप्लाज्मा निमोनिया
एस्पिरेशन निमोनिया
फंगल निमोनिया
निमोनिया संक्रमण के लक्षण क्या है?
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किसी भी बीमारी की पहचान के लिए उसके लक्षणों की जानकारी होना बहुत जरूरी है। ऐसे में निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी के लक्षण भी समय पर पहचान लिए जाए तो उपचार में आसानी रहती है। जानिएं निमोनिया के लक्षण।
निमोनिया संक्रमण के प्रमुख लक्षणों में खांसी, सीने में दर्द, बुखार और सांस लेने में कठिनाई होती है। साथ ही अगर आपका तापमान 105 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच गया है तो यह निमोनिया का संकेत हो सकता है।
सामान्य तौर पर फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं जो बाद में धीरे धीरे या फिर एक दम से बढ़ने लगते हैं।
रोगी में कमजोरी आ जाती है और थकान महसूस होती है।
रोगी को बलगम वाली खांसी आती है।
रोगी को बुखार के साथ पसीना आता है कंपकंपी महसूस होती है।
सांस लेने में कठिनाई होने से रोगी तेज या जोर जोर से सांस लेने लगता है।
रोगी को बेचैनी होती है।
रोगी को भूख लगनी कम या बंद हो जाती है।
बीपी का कम हो जाना
खॉंसी में खून आना
धड़कन का तेज हो जाना
मतली और उल्टी आना
बच्चों में भी निमोनिया के लक्षण इसी प्रकार समान रहते हैं।
निमोनिया की जांचें और उपचार
सामान्य तौर पर निमोनिया के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए। अगर हम निमोनिया की जांच और उपचार पर बात करें तो डॉक्टर के द्वारा रोगी को छाती का एक्सरे करवाने का कहा जाता है। साथ ही स्टेथोस्कोप से फेफड़ों की गति सुनने पर डॉक्टर को फेफड़ोंं से कुछ आवाज आती हुई भी सुनाई देती है। इसके अलावा डॉक्टर्स के द्वारा खून की जांच, सीटी स्कैन, बलगम की जांच, ब्रोंकोस्कोपी आदि भी करवाने की सलाह दी जाती है।
अगर हम निमोनिया संक्रमण के उपचार की बात करें तो यह बीमारी की स्थिति, रोगी की उम्र पर भी निर्भर करता है। हालांकि डॉक्टर्स के द्वारा एंटीबायोटिक्स, खांसी कम करने की दवाएं, बुखार एवं दर्द कम करने की दवाएं दी जाती हैं ताकि रोगी को आराम मिल सके। इसके अलावा कुछ घरेलू उपायों के द्वारा भी रोगी को राहत देने का कार्य किया जाता है।
निमोनिया संक्रमण होने पर अस्पताल में भर्ती कब होना चाहिए?
चिकित्सकीय परामर्श के बाद अगर डॉक्टर को लगता है कि आपको अस्पताल में भर्ती किया जाना चाहिए तब वे भर्ती होने की सलाह देते हैं। हालांकि इन विभिन्न परिस्थितियों में रोगी के अस्पताल में भर्ती होने की संभावना रहती है, वह इस प्रकार हैं।
अगर रोगी की आयु 5 वर्ष से कम एवं 65 वर्ष से अधिक हो।
यदि रोगी में स्थान, समय एवं व्यक्ति को लेकर भ्रम की स्थिति हो।
अगर सांस लेने में अत्यधिक तकलीफ हो।
अगर रोगी का तापमान 105 डिग्री फारेनहाइट तक हो।
यदि हार्ट बीट की दर 50 से कम या 100 से अधिक हो।
निमोनिया संक्रमण से बचाव के तरीके क्या है?
Pneumonia Infection prevention
प्रथम तौर पर जन्म के बाद टीकाकरण के माध्यम से निमोनिया को रोका जा सकता है। इसमें शिशुओं के लिए PVC13 और बच्चों व वयस्कों के लिए PPSV23 नामक टीके लगाए जाते हैं। निमोनिया से बचाव के लिए दूसरे तरीकों में धूम्रपान से दूरी, साफ सफाई रखने, मास्क पहनने, पौष्टिक आहार लेने, व्यायाम, योग के माध्यम से निमोनिया से बचा जा सकता
[3/22, 15:37] Dr.J.k Pandey: होम्योपैथी में निमोनिया का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Pneumonia ka upchar kaise hota hai?
होम्योपैथिक उपचार निमोनिया रोगी के सामान्य स्वास्थ्य को ठीक करने में और इसके लक्षणों से राहत प्रदान करने में मदद करता है। यह बीमारी से लड़ने के लिए शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को बिना किसी दुष्प्रभाव के ठीक करता है। इसके अलावा, होम्योपैथिक उपचार गंभीर रूप से बीमार शिशुओं या रोगियों का इलाज करने के लिए भी सुरक्षित है। हालांकि, सही उपचार सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है।
एक अध्ययन में यह देखा गया की 15 साल का एक बच्चा जो निमोनिया से पीड़ित था, फास्फोरस (एक होम्योपैथिक दवा) के उपयोग से उसके लक्षणों में सुधार आया। निमोनिया से जल्दी ठीक होने के लिए पारंपरिक दवाओं के साथ होम्योपैथिक दवाओं को भी लिया जा सकता है।
पैसिफिक जर्नल ऑफ एनर्जी मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, होम्योपैथिक दवाएं अकेले या एंटीबायोटिक दवाओं के साथ लेने पर माइकोप्लाज़्मा निमोनिया संक्रमण के लक्षणों को सुधारने में मदद करती हैं।
इसके अलावा, बढ़ते रोगाणुरोधी प्रतिरोध के कारण एंटीबायोटिक दवाओं के बजाय होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग ज़्यादा सुरक्षित माना जाता है। एक अध्ययन से पता चला है कि होम्योपैथी (41 में से 3 रोगियों) दवाओं से इलाज किए जाने वाले निमोनिया रोगियों की मृत्यु दर पारंपरिक उपचार से 30% कम थी।
निमोनिया की होम्योपैथिक दवा - Pneumonia ki homeopathic medicine
निमोनिया के लिए होम्योपैथिक दवाएं:
निमोनिया के उपचार में इस्तेमाल होने वाली कुछ होम्योपैथिक दवाओं के बारे में नीचे बताया गया है। होम्योपैथिक डॉक्टर बताए गए लक्षणों के आधार पर निमोनिया के लिए सही दवा देते हैं।
एकोनिटम नेपेलस (Aconitum Napellus)
सामान्य नाम: मौंक्सहुड (Monkshood)
लक्षण: यह दवा निमोनिया के अचानक होने वाले शुरुआती लक्षणों के मामले में सबसे अच्छी है और इसका उपयोग काफ़ी प्रभावी भी माना जाता है। मौंक्सहुड की मदद से निम्मलिखित लक्षणों को ठीक किया जा सकता है:
नींद न आना
भय और चिंता के साथ बेचैनी होना
सांस लेने में दिक्कत
सूखी खांसी
लाल, गर्म और सूजा हुआ चेहरा
सांस फूलना
कफ में खून आना
खांसने के बाद सीने में झनझनाहट होना
दिल की धड़कनों का असामान्य रूप से तेज होना या टैकीकार्डिया
बारी-बारी से तेज बुखार आना और ठंड लगना
प्रभावित हिस्से की तरफ लेटने, तंबाकू, धुआं और ठंडी हवाओं के कारण लक्षण बढ़ जाना
एंटीमोनियम टार्टारिकम (Antimonium Tartaricum)
सामान्य नाम: टार्टर एमेटिक, टार्ट्रेट ऑफ एंटीमनी एंड पोटाश (Tartar emetic, tartrate of antimony and potash)
लक्षण: यह दवा विशेष रूप से वृद्ध लोगों और बहुत छोटे बच्चों के लिए उपयोगी है। यह उन रोगियों को दी जाती है जो निम्नलिखित लक्षण महसूस करते हैं:
ठंडा और पीला चेहरा
अत्यधिक बलगम आना
छाती और गले में जलन
सांस लेने में कठिनाई
तेज, कमजोर और कांपती हुई नाड़ी
खांसी के साथ चक्कर आना
गले और छाती में दर्द
ब्रोन्कियल ट्यूबों में अत्यधिक बलगम
सुस्ती के साथ-साथ अनियमित बुखार
रात में लेटते समय, गर्म और ठंडे मौसम में लक्षण बढ़ जाना
ब्रायोनिया एल्बा (Bryonia Alba)
सामान्य नाम: वाइल्ड हॉप्स (Wild hops)
लक्षण: ब्रायोनिया उन लोगो के लिए है जो निमोनिया के साथ छाती के दर्द से भी पीड़ित हैं। यह निम्नलिखित लक्षणों से राहत देने में मदद करती है:
होंठ और मुंह का सूखना
चिड़चिड़ापन
अत्यधिक सिरदर्द
त्वचा का पीला पड़ना
सूखी खांसी
छाती में दर्द होना
जंग के रंग और जेली जैसा थूक
लगातार गहरी सांस लेने की इच्छा होना
हिलने, सांस लेने से और गर्म मौसम में छाती में दर्द बढ़ जाना
छाती का दर्द प्रभावित अंग की तरफ लेटने और दबाव डालने से ठीक हो जाना
ठंडी चीजें खाने से भी राहत मिलना
फेरम फास्फोरिकम (Ferrum Phosphoricum)
सामान्य नाम: फास्फेट ऑफ आयरन (Phosphate of iron)
लक्षण: फेरम फास्फोरिकम निमोनिया के शुरुआती चरण में लोगों के लिए सहायक है। यह दवा निम्नलिखित लक्षणों वाले व्यक्तियों को दी जाती है:
गाल लाल हो जाना
बेचैनी
नींद न आना
खांसी में खून आना
छोटी, गले में सुरसुरी और दर्द वाली खांसी
छाती में दर्द
प्रतिदिन दोपहर 1 बजे ठंड लगना
रात को छूने और हिलने से लक्षण बढ़ जाना
आइपेकाकुआना (Ipecacuanha)
सामान्य नाम: आइपेकाक रुट (Ipecac root)
लक्षण: यह दवा उन व्यक्तियों के लिए है जिन्हें निमोनिया के साथ-साथ मतली या उल्टी की शिकायत है। यह निम्नलिखित लक्षणो से राहत देने में मदद करती है:
चिड़चिड़ापन
आंखों के चारों ओर नीले घेरे पड़ना
सांस लेने में दिक्क्त होना
लगातार छाती में जकड़न रहना
लगातार छींक आना
घरघराहट वाली खांसी आना
सांस के साथ खांसी आना
फेफड़ों और नाक से खून आना
तेज खांसी
गर्म हवा और लेटने से लक्षण बढ़ना
फास्फोरस (Phosphorus)
सामान्य नाम: फास्फोरस (Phosphorus)
लक्षण: फास्फोरस से निम्नलिखित लक्षण ठीक होते हैं:
डर लगना और याददाश्त का खोना
पीलेपन के साथ आंखों के नीचे नीला घेरा पड़ना
बहुत ठंडा पानी पीने की प्यास लगना
गला बैठना
गले में दर्द रहना
सूखी खांसी
खांसते समय मीठा स्वाद आना
ठंडी हवा के संपर्क में आने, पढ़ने, हंसने और बात करने से खांसी बढ़ जाना
सीने में जकड़न और भारीपन होना
छाती में दर्द
तेजी से सांस लेना
लाल रंग का थूक आना
सल्फर (Sulphur)
सामान्य नाम: सब्लिमेटेड सल्फर (Sublimated sulphur)
लक्षण: सल्फर का उपयोग अक्सर निम्नलिखित लक्षणों को ठीक करने के लिए किया जाता है:
भूलने की बीमारी और सोचने में दिक्कत होना
सीने और आंखों में जलन
सांस लेने मे तकलीफ
छाती पर लाल, भूरे धब्बे होना
हरा और पस जैसा दिखने वाला बलगम आना
छाती में भारीपन महसूस होना
आधी रात में सांस लेने में तकलीफ, जिसमें सीधे बैठने से राहत मिलती है
डिस्चार्ज और सांस से दुर्गंध आना
शाम की तुलना में सुबह के समय पल्स का तेज चलना
बार-बार बुखार आना
सूखी और फटी हुई त्वचा
आराम करने, गर्म बिस्तर, खड़े होने और स्नान करने से लक्षण बढ़ जाना
वेरेट्रम विरिड (Veratrum Viride)
सामान्य नाम: व्हाइट अमेरिकन हेलेबोर (White American hellebore)
लक्षण: यह दवा कंजेस्टिव स्टेज और हेपेटाइजेशन के शुरुआती संकेतों के दौरान रोगी के लिए उपयोगी होती है। आमतौर पर यह दवा निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करने वाले लोगों के लिए उपयोग की जाती है:
लाल और फूला हुआ चेहरा
जीभ के बीच में लाल लकीर उभर आना
फेफड़ों में जमाव
सांस लेने में दिक्कत
छाती में भारीपन महसूस होना
क्रुप रोग (कंठ रोग जो अक्सर बच्चों में होता है)
धीमी और कमजोर पल्स
शाम को शरीर का तापमान अधिक और सुबह कम होना
होम्योपैथी में निमोनिया के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Pneumonia ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
होम्योपैथिक दवाएं अत्यधिक पतली खुराक में तैयार की जाती हैं, इस कारण से वे आसानी से कुछ खाद्य पदार्थों और सुगंधित पदार्थों के कारण अपना असर खो सकती हैं। इसलिए, होम्योपैथी के अनुसार निमोनिया के रोगियों के लिए आहार और जीवन शैली में निम्नलिखित परिवर्तन किए जाते हैं:
क्या करें:
हर मौसम में खुली हवा में एक्सरसाइज करें।
पौष्टिक खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ का सेवन करें।
क्या न करें:
कॉफी, जड़ी बूटी वाली चाय और शराब का सेवन न करें।
केक और चॉकलेट न खाएं
ठंडा पेय और आइसक्रीम न लें।
अत्यधिक मसाले वाले खाद्य पदार्थ और सॉस से बचें।
प्याज और अजवाइन का सेवन न करें।
बासी भोजन और मीट न खाएं।
अधिक महक वाले इत्र, टूथपेस्ट और फूल का उपयोग न करें।
धूम्रपान और पैसिव एक्सरसाइज से बचें।
दोपहर में लंबी झपकी लेने से बचना चाहिए।
अनचाही, नम और गर्म जगहों से बचना चाहिए।
अनावश्यक मानसिक और शारीरिक तनाव से बचें।
निमोनिया के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Pneumonia ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
होम्योपैथिक उपचार अत्यधिक पतली खुराक में तैयार किए जाते हैं और जिनकी लत नहीं लगती है। इस प्रकार, इनका उपयोग करना पूरी तरह से सुरक्षित है और इनका कोई साइड इफेक्ट भी नही है। इसके अलावा, होम्योपैथिक दवाएं और उपचार रोगी में दिखने वाले लक्षणों पर आधारित होते हैं। एक ही दवा जो किसी एक व्यक्ति को फायदा करती है, दूसरे व्यक्ति में दुष्प्रभाव भी पैदा कर सकती है। इसलिए, इन दवाओं का सेवन करने से पहले एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
निमोनिया के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Pneumonia ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
निमोनिया एक ऐसी स्थिति है जो फेफड़ों को प्रभावित करती है और आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस या कवक जैसे संक्रामक सूक्ष्मजीवों के कारण होती है। इसके कारण फेफड़े पस से भर जाते हैं, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। निमोनिया सभी उम्र के लोगों, विशेषकर शिशुओं और बुजुर्गों को प्रभावित कर सकता है।
निमोनिया के इलाज में वैज्ञानिक होम्योपैथिक उपचार को सुरक्षित और प्रभावी मानते हैं। होमपैथिक दवाएं अत्यधिक घोल बनाकर तैयार की जाती हैं और व्यक्तिगत लक्षणों के अनुसार उपयोग की जाती हैं। इसलिए, साइड इफेक्ट के जोखिम के बिना, निमोनिया के उपचार के लिए पारंपरिक चिकित्सा के साथ-साथ होम्योपैथी का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, डॉक्टर की देखरेख में ही इन दवाओं को लेना सबसे अच्छा होता है।
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