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शुक्राणु की कमी,(OLIGOSPERMIA)AND HOMOEOPATHY

 शुक्राणु की कमी, पुरुषों में प्रजनन क्षमता की कमी का एक महत्वपूर्ण कारण है। प्रजनन क्षमता में कमी का मतलब है, शुक्राणु में कुछ नुक्स या शुक्राणु की कमी (2 करोड़ से कम) के कारण बार-बार बिना कंडोम सेक्स करने के बाद भी गर्भधारण न कर पाना। प्रजनन क्षमता में कमी, बांझपन से अलग होती है क्योंकि इसमें बिना डॉक्टर की सहायता के प्रेग्नेंट होने की कुछ संभावना होती है, हालांकि, इसमें समय अधिक लगता है। शुक्राणु की कमी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे हार्मोन उत्पादन का विकार, शुक्राणु के रास्ते में रुकावट, वैरीकोसेल, वीर्य का उलटे रास्ते जाना, पुरुष जननांग में सूजन व संक्रमण, गुप्तवृषणता, स्तंभन दोष, अनुवांशिक कारक, सिगरेट पीना, शराब पीना और मानसिक तनाव। होम्योपैथिक उपचार शुक्राणु की कमी के लिए एक असरदार इलाज है, खासकर अगर ये समस्या वैरीकोसेल, संक्रमण, हार्मोन असंतुलन या स्तंभन दोष के कारण हुई है। हालांकि, सर्जरी के कारण हुई शुक्राणु की कमी पर होम्योपैथिक दवाओं का प्रभाव कम होता है। व्यक्ति के लक्षणों व अन्य कारक के आधार पर दिए जाने वाला होम्योपैथिक उपचार व्यक्ति के शुक्राणु व उनकी गुणवत्ता को बढ़ाता ह

JUANDICE(पीलिया)AND HOMOEOPATHY

 रक्त में बिलीरुबिन (Bilirubin) का स्तर बढ़ जाने के कारण व्यक्ति को पीलिया होता है। ये स्तर लिवर, ब्लैडर और पित्त नलिकाओं से संबंधित कई बीमारियों के कारण बढ़ सकता है। पीलिया होने पर रोगी की आंख का सफेद भाग और उसकी त्वचा पीली पड़ने लगती है। अगर पीलिया करने वाले कारण को समय रहते ठीक न किया जाए, तो रोगी के लिए ये जानलेवा साबित हो सकता है। पीलिया कई कारणों से होता है, जैसे बिलीरुबिन मेटाबोलिज्म से संबंधित अनुवांशिक समस्याएं, लिवर रोग, मूत्राशय के रोग, अग्नाशय कैंसर और हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी व ई के कारण हुए लिवर इन्फेक्शन। त्वचा पीली होने के अलावा, पीलिया में त्वचा का फीकापन, रूखी त्वचा, नाखूनों का बीच में से दबकर चम्मच की तरह हो जाना और त्वचा मोटी होने जैसे लक्षण होते हैं। पीलिया का पता लगाने के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट जैसे ब्लड टेस्ट या यूरिन टेस्ट किए जा सकते हैं। पीलिया का इलाज करने के लिए और अंदरूनी कारण को ठीक करने के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे शेलिडोनियम (Chelidonium), कार्डुअस मेरियनस (Carduus marianus), लायकोपोडियम (Lycopodium) और फॉस्फोरस (Phosphorus)। क

FATTY LIVER AND HOMOEOPATHY

 [3/11, 23:14] Dr.J.k Pandey: लीवर शरीर का सबसे बड़ा अंग है। यह हमें भोजन को पचाने, ऊर्जा को स्टोर करने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। फैटी लीवर रोग एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लीवर में वसा इकट्ठा होने लगती है। बता दें, लीवर में यदि कुछ मात्रा में वसा मौजूद है तो यह सामान्य बात है, लेकिन यदि लीवर में मौजूद वसा इसके वजन से 5% अधिक है, तो इसे वसायुक्त या फैटी लीवर माना जाता है। यह दो प्रकार के हैं : नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर रोग और अल्कोहोलिक फैटी लीवर रोग। नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर की बीमारी दो तरह की होती है। साधारण फैटी लीवर में, लीवर की कोशिकाओं में सूजन के किसी भी लक्षण के बिना लीवर में वसा इकट्ठा होने लगती है। इसमें जटिलताओं का जोखिम आमतौर पर कम होती है। दूसरा है - नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहैपेटाइटिस, जिसमें लीवर की कोशिकाओं में सूजन व अन्य कोई नुकसान होने लगता है। मोटापा और पेट की सामान्य से ज्यादा चर्बी, इंसुलिन प्रतिरोध, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का अत्यधिक सेवन और आंतों का स्वास्थ्य बिगड़ने जैसे कारकों से फैटी लीवर हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ि

PIMPLES AND HOMOEOPATHY

 [3/11, 12:10] Dr.J.k Pandey: मुंहासे (पिंपल्स) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - मुंहासे त्वचा से संबंधित एक आम स्थिति हैं। इसमें चेहरे पर दाने के आकार के सफेद, लाल या काले रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं। हालांकि, ज्यादातर तैलीय त्वचा वाले लोग इस समस्या से ग्रस्त होते हैं। लेकिन मुंहासे से कोई भी व्यक्ति प्रभावित हो सकता है। यह तब होता है जब त्वचा के रोम छिद्र तेल, मृत त्वचा या बैक्टीरिया से भर जाते हैं। यह अधिकतर चेहरे, कंधे, छाती, गर्दन और पीठ पर देखे जाते हैं। यह पिंपल्स व्हाइटहेड्स या ब्लैकहेड्स के रूप में भी प्रकट हो सकते हैं। मुंहासे की समस्या किशोरावस्था में आम है, लेकिन यह किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। मुंहासे को ट्रिगर करने वाले कारकों में कॉस्मेटिक का उपयोग करना, गर्भावस्था, यौवन के दौरान या जन्म नियंत्रण गोलियां लेते समय हार्मोन के स्तर में परिवर्तन, बहुत ज्यादा पसीना आना और एस्ट्रोजन व टेस्टोस्टेरोन जैसी कुछ दवाओं का सेवन इत्यादि शामिल है। वैसे तो यह एक हानिकारक स्थिति नहीं है, लेकिन बहुत ज्यादा मुंहासों की वजह से त्वचा पर स्थायी निशान पड़ सकते हैं जिसकी वजह से व्य

MOUTH ULCER AND HOMOEOPATHY

 [3/12, 13:01] Dr.J.k Pandey: मुंह के छाले की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Mouth Ulcer in Hindi मुंह के छाले की होम्योपैथिक दवा और इलाज - मुंह के छालों का मतलब है मुंह और होठों की श्लेष्मा झिल्ली में सूजन होना, जिससे मुंह में छालों वाले घाव हो जाते हैं। मुंह में कई कारणों से छाले हो सकते हैं। ये अचानक दांतों से गाल को काटने के कारण या विटामिन की कमी के कारण हो सकते हैं। ग्लूटेन, स्ट्रॉबेरी या ड्राई फ्रूट्स जैसी चीजों से एलर्जी के कारण भी मुंह में छाले हो सकते हैं। मुंह के छालों के कुछ अन्य कारण, स्ट्रेस और हर्पीस वायरस इन्फेक्शन आदि हैं। मुंह के छालों के मुख्य लक्षण श्लेष्मा झिल्ली में लाली और खाने में व निगलने में कठिनाई, जिसके कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है, छाले होने पर मुंह से लाकर निकलना और मसूड़ों में सूजन आदि हो सकते हैं। इसकी एक ही जटिलता है कि छाले बार-बार हो सकते हैं। मुंह की सही देखभाल और गर्म चीजें खाने-पीने से बचना छालों की समस्या को रोक सकता है और इसके इलाज में भी मदद कर सकता है। होम्योपैथी में मुंह के छालों के लिए सुरक्षित और असरद

DANDRUFF (रूसी )and Homoeopathy

 [3/11, 11:52] Dr.J.k Pandey: रूसी (डैंड्रफ) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Dandruff in Hindi रूसी (डैंड्रफ) की होम्योपैथिक दवा और इलाज  डैंड्रफ एक सामान्‍य विकार है, जिसकी वजह से सिर की त्‍वचा पपड़ीदार हो जाती है। रूसी की वजह से सिर में खुजली और बाल झड़ने की समस्‍या भी होती है। त्‍वचा की कोशिकाओं के अधिक बढ़ने की वजह से रूसी होती है। स्‍कैल्‍प यानी सिर की त्‍वचा में सिबेशियस ग्रंथियां होती हैं जो कि त्‍वचा को मुलायम और नरम रखने के लिए सीबम का स्राव करती हैं। सीबम के अधिक बनने पर त्‍वचा तैलीय हो जाती है और स्‍कैल्‍प पर खुजली होने लगती है। त्‍वचा में इस तरह के बदलावों के कारण कई प्रकार के त्‍वचा रोग होने का खतरा बढ़ जाता है जिसमें डैंड्रफ भी शामिल है। आमतौर पर यौवनावस्‍था (प्‍यूबर्टी) के बाद डैंड्रफ होता है और ये समस्‍या पुरुषों में ज्‍यादा देखी जाती है। सिबोरिया के लक्षण के रूप में भी रूसी हो सकती है। सिबोरिया में त्वचा लाल और स्किन पर जलन होती है।  डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए होम्‍योपैथी में कई दवाओं का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। डैंड्रफ के उपचा

THALASSEMIA AND HOMOEOPATHY

 [3/10, 21:02] Dr.J.k Pandey: थैलासीमिया - थैलासीमिया, खून से जुड़ी आनुवांशिक (जीन्स के जरिए माता-पिता से मिलने वाली) बीमारी है जिसमें हमारा शरीर खून में मौजूद हीमोग्लोबिन का पर्याप्त मात्रा में निर्माण नहीं कर पाता है। हीमोग्लोबिन एक तरह का प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं (rbc) का एक बेहद अहम हिस्सा है। जब शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होने लगती है तो लाल रक्त कोशिकाएं सही तरीके से काम नहीं कर पाती हैं और बेहद कम समय के लिए जीवित रहती हैं जिस कारण खून में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है।  दरअसल, हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद वह प्रोटीन कण है जो शरीर की हर एक कोशिका तक ऑक्सीजन को पहुंचाने का काम करता है। ऑक्सीजन एक तरह से कोशिकाओं के लिए भोजन का काम करता है जिसकी मदद से वे बेहतर तरीके से अपना काम कर पाती हैं। जब शरीर में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है तो शरीर की हर एक कोशिका तक ऑक्सीजन भी कम पहुंचता है जिससे व्यक्ति को थकान, कमजोरी और सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगती है। ऐसी स्थिति को एनीमिया कहते हैं। थैलासीमिया से पीड़ित मरीज को हल्का या गंभीर एनीमि