सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

DANDRUFF (रूसी )and Homoeopathy

 [3/11, 11:52] Dr.J.k Pandey: रूसी (डैंड्रफ) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Dandruff in Hindi

रूसी (डैंड्रफ) की होम्योपैथिक दवा और इलाज 


डैंड्रफ एक सामान्‍य विकार है, जिसकी वजह से सिर की त्‍वचा पपड़ीदार हो जाती है। रूसी की वजह से सिर में खुजली और बाल झड़ने की समस्‍या भी होती है। त्‍वचा की कोशिकाओं के अधिक बढ़ने की वजह से रूसी होती है।


स्‍कैल्‍प यानी सिर की त्‍वचा में सिबेशियस ग्रंथियां होती हैं जो कि त्‍वचा को मुलायम और नरम रखने के लिए सीबम का स्राव करती हैं। सीबम के अधिक बनने पर त्‍वचा तैलीय हो जाती है और स्‍कैल्‍प पर खुजली होने लगती है। त्‍वचा में इस तरह के बदलावों के कारण कई प्रकार के त्‍वचा रोग होने का खतरा बढ़ जाता है जिसमें डैंड्रफ भी शामिल है।


आमतौर पर यौवनावस्‍था (प्‍यूबर्टी) के बाद डैंड्रफ होता है और ये समस्‍या पुरुषों में ज्‍यादा देखी जाती है। सिबोरिया के लक्षण के रूप में भी रूसी हो सकती है। सिबोरिया में त्वचा लाल और स्किन पर जलन होती है। 


डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए होम्‍योपैथी में कई दवाओं का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। डैंड्रफ के उपचार में इस्‍तेमाल होने वाली होम्‍योपैथी दवाओं में नेट्रियम म्‍युरिटिकम, बारियता कार्बोनिका, ग्रेफाइट्स, सेपिया ऑफिसिनेलिस, थूजा ऑक्‍सीडेंटेलिस, केलियम सल्‍फ्युरिकम, फास्‍फोरस, लाइकोपोडियम क्‍लैवेटम, सल्‍फर और आर्सेनिकम एल्‍बम शामिल हैं।


रूसी की होम्योपैथिक दवा - Dandruff ki homeopathic medicine

होम्योपैथी में रूसी के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Dandruff ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav

डैंड्रफ की होम्योपैथी दवा कितनी लाभदायक है

[3/11, 11:55] Dr.J.k Pandey: रूसी की होम्योपैथिक दवा - Dandruff ki homeopathic medicine

नेट्रम म्‍यूरिएटिकम (Natrium Muriaticum)

सामान्‍य नाम : क्‍लोराइड ऑफ सोडियम (Chloride of sodium)

लक्षण : त्‍वचा विकारों और पाचन मार्ग से संबंधित स्थितियों को नियंत्रित करने में नेट्रम म्‍यूरिएटिकम सबसे असरकारी दवा है। ये श्लेष्मा झिल्लियों के सूख जाने और कमजोरी के इलाज में मदद करती है। ये दवा अन्‍य लक्षणों का भी इलाज करती है, जैसे कि :

तैलीय और चिपचिपे बाल

छिलकेदार और रूखे उभार, खासतौर पर स्‍कैल्‍प के किनारों पर

खुजली

एलोपेसिया

रात के समय लेटने पर (लगभग 10 बजे), गर्म कमरे, समुद्र तट के किनारे और मानसिक थकान होने पर लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। खुली हवा और ठंडे पानी से नहाने के बाद लक्षण कम होते हैं।


बैराइटा कोर्बोनिका (Baryta Carbonica)

सामान्‍य नाम : कार्बोनेट ऑफ बैराइटा (Carbonate of baryta)

लक्षण : स्‍कैल्‍प पर खुजली के इलाज में खासतौर पर इस दवा का इस्‍तेमाल किया जाता है। इस दवा से डैंड्रफ से जुड़े निम्‍न लक्षणों को भी नियंत्रित किया जा सकता है:

सिर में फुंसी या सूजन

सिर की त्‍वचा पर उभार और पपड़ी बनना

बाल झड़ना

लक्षणों के बारे में सोचते रहने पर, वो और खराब होते चले जाते हैं। प्रभावित हिस्‍से को धोने और दर्द वाली तरफ से लेटने पर लक्षण और गंभीर हो सकते हैं।


ग्रेफाइट्स (Graphites)

सामान्‍य नाम : ब्‍लैक लेड (Black lead)

लक्षण : डैंड्रफ के कई लक्षणों को ग्रेफाइट्स से नियंत्रित किया जा सकता है, जैसे कि :

स्‍कैल्‍प पर खुजलीदार उभार (फुंसी की तरह)

प्रभावित त्‍वचा पर लगातार रूखापन और खुरदुरापन रहना

अस्‍वस्‍थ त्‍वचा

स्‍कैल्‍प से बदबू आना

गर्म मौसम, रात के समय और माहवारी के दौरान एवं पहले ये लक्षण और खराब हो जाते हैं। अंधेरे और सिर को ढ़कने पर इनमें सुधार आता है।


सेपिया ऑफिसिनेलिस (Sepia Officinalis)

सामान्‍य नाम : इंकी जूस ऑफ कटलफिश (Inky juice of cuttlefish)

लक्षण : ये दवा कमजोरी, तेज सिरदर्द और बालों के झड़ने से परेशान व्‍यक्‍ति पर बेहतर असर करती है। इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों को भी नियंत्रित किया जा सकता है :

बालों की जड़ें कमजोर होने की वजह से बाल झड़ना

स्किन का रूखा और पपड़ीदार होना

खुजली कम न होना

माथे पर दाने

इस दवा को लेने के दौरान सुबह और शाम के समय लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। पसीना और गीलापन भी लक्षणों को खराब कर सकता है। व्‍यायाम, प्रभावित हिस्‍से पर हल्‍का दबाव बनाने, गर्म सिकाई, ठंडे पानी से नहाने और नींद लेने से लक्षणों से राहत मिलती है।


थूजा ऑक्सीडेंटलिस (Thuja Occidentalis)

सामान्‍य नाम : आर्बर विटेइ (Arbor vitae) 

लक्षण : ये दवा त्‍वचा विकार से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति पर सबसे ज्‍यादा असर करती है और उपयोगी एंटी-बैक्‍टीरियल दवा है। ये मस्‍से और पाचन मार्ग, मस्तिष्‍क एवं किडनी से संबंधित कुछ स्थितियों के इलाज में भी असरकारी है। डैंड्रफ से जुड़े निम्‍न लक्षणों को भी इस दवा से ठीक किया जा सकता है:

सफेद और छिलकेदार स्‍कैल्‍प

बाल झड़ने की वजह से बालों का रूखापन

चेहरे की त्‍वचा पर चिपचिपापन

त्‍वचा के ऐसे हिस्‍सों पर उभार (फुंसी की तरह) जो ढके रहते हैं और खरोंच लगने पर इनका और खराब हो जाना

रात के समय, सुबह और दोपहर को 3 बजे लक्षण और खराब हो जाते हैं। बिस्‍तर गर्म होने, ठंडी और नम हवा में, कॉफी एवं वसायुक्‍त चीजें खाने एवं वैक्‍सीन लगवाने के बाद लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। बाईं करवट लेटने और हाथ तथा टांगों को खींचने पर लक्षणों में आराम मिलता है।


केलियम सल्‍फयूरिकम (Kalium Sulphuricum)

सामान्‍य नाम : पोटाशियम सल्‍फेट (Potassium sulphate)

लक्षण : स्किन के बहुत ज्‍यादा छिलकेदार होने की वजह से हुई सूजन को ठीक करने में केलियम सल्‍फ्यूरिकम बहुत असरकारी दवा है। इस दवा से और भी कई लक्षणों को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया जा सकता है, जैसे कि :

बालों का झड़ना और स्‍कैल्‍प पर फोड़े

स्‍कैल्‍प पर लालपन और छिलकेदार चकत्ते

जलन, खुजली और दानेदार उभार

स्‍कैल्‍प और दाढ़ी में दाद

शाम के समय और गर्म कमरे में लक्षण और गंभीर हो जाते हैं एवं ठंडी और खुली हवा में आने पर लक्षणों में सुधार आता है।


फॉस्‍फोरस (Phosphorus)

सामान्‍य नाम : फॉस्‍फोरस (Phosphorus)

लक्षण : शरीर की विभिन्‍न झिल्लियों में कोई समस्‍या एवं सूजन के इलाज में फॉस्‍फोरस बहुत उपयोगी है। ये त्‍वचा के घाव और कमजोरी को भी दूर करने में मददगार है। इस दवा से अन्‍य निम्‍न लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है :

स्‍कैल्‍प पर खुजली

बहुत ज्‍यादा बाल झड़ना

चोट या ब्‍लीडिंग की वजह से त्‍वचा का रंग बदलना या बैंगनी रंग के धब्‍बे पड़ने

इस दवा को लेने के दौरान मौसम में बदलाव होने, प्रभावित हिस्‍से को छूने, गर्म मौसम में प्रभावित हिस्‍से के गीले होने और गर्म चीजें खाने एवं पीने पर लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। खुली हवा, ठंडे पानी से नहाने, ठंडा खाने एवं सोने पर लक्षणों में सुधार आता है।


लाइकोपोडियम क्‍लैवेटम (Lycopodium Clavatum)

सामान्‍य नाम : क्‍लब मोस (Club moss)

लक्षण : इस दवा में अद्भुत औषधीय गुण हैं और ये निम्‍न स्थितियों को नियंत्रित करने में उपयोगी है :

समय से पहले बालों का सफेद होना और अत्‍यधिक बाल झड़ना

माथे पर गहरी रेखाएं

कम उम्र में ही गंजापन

बहुत ज्‍यादा खुजली होना

त्‍वचा पर उभार और अल्‍सर होना

दोपहर के 4 से शाम के 8 बजे के बीव और गर्म कमरे या बिस्‍तर में लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। ज्‍यादा चलने या भागदौड़ करने और गर्म चीजें खाने एवं पीने पर भी लक्षण खराब हो जाते हैं।


सल्‍फर (Sulphur)

सामान्‍य नाम : सब्लीमेटिड सल्‍फर (Sublimated sulphur)

लक्षण : त्‍वचा से संबंधित स्थितियों जैसे कि जलन और खुजली को ठीक करने में इस दवा का बहुत इस्‍तेमाल किया जाता है। सल्‍फर से अन्‍य लक्षणों का भी इलाज किया जा सकता है, जो कि इस प्रकार हैं :

रूखी, छिलकेदार और अस्‍वस्‍थ त्‍वचा

प्रभावित हिस्‍से को खुजलाने और धोने के बाद खुजली एवं जलन बढ़ जाना

त्‍वचा पर फुंसी जैसे उभार

स्किन पर हल्‍के भूरे रंग के चकत्ते

रात के समय, आराम करने और लंबे समय तक खड़े रहने पर लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। सुबह 11 बजे नहाने से भी लक्षण खराब हो सकते हैं। रूखे और गर्म मौसम से लक्षणों में सुधार लाने में मदद मिल सकती है।


आर्सेनिकम एल्‍बम (Arsenicum Album)

सामान्‍य नाम : आर्सेनियस एसिड (Arsenious acid) 

लक्षण : कमजोरी के साथ बेचैन और परेशान रहने वाले लोगों एवं जलन के साथ दर्द होने की स्थिति के लिए ये दवा बहुत असरकारी है। स्‍कैल्‍प के कुछ लक्षणों को भी नियंत्रित करने में इसका इस्‍तेमाल किया जा सकता है, जैसे कि:

स्‍कैल्‍प पर अत्‍यधिक खुजली

रात के समय स्‍कैल्‍प पर खुजली और जलन बढ़ जाना

स्‍कैल्‍प का संवेदनशील, रूखा, खुरदुरा और छिलकेदार होना

अल्‍सर की वजह से स्किन से फ्लूइड निकलना

इस दवा को लेने के दौरान गर्म मौसम, आधी रात के बाद, खाना खाने के बाद और ठंडी चीजें पीने के बाद लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। गर्म चीजें पीने और सिर को ऊंचा रखने पर लक्षणों से आराम मिलता है।

[3/11, 11:59] Dr.J.k Pandey: होम्योपैथी में रूसी के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Dandruff ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav

चूंकि, होम्‍योपैथी दवाओं को अत्यधिक जलमिश्रित खुराक में तैयार किया जाता है, इसलिए आहार और जीवनशैली इसे प्रभावित कर सकते हैं। अत: होम्‍योपैथी चिकित्‍सक को मरीज के लक्षणों के आधार पर जीवनशैली और आहार में बदलाव एवं दवा की सलाह देनी चाहिए।


क्‍या करें


पौष्टिक और संतुलित आहार खाएं, जिनमें किसी भी तरह का कोई आर्टिफिशियल तत्‍व मौजूद न हो

दिमाग को शांत रखें

रोज हल्‍के व्‍यायाम करें

क्‍या न करें


नमी और उमस वाले कमरे में न रुकें

मसालेदार चीजें और ऐसे खाद्य पदार्थ न खाएं जिनमें औषणीय गुण हों। होम्‍योपैथिक दवाओं पर इनका असर पड़ सकता है।

अत्‍यधिक खाने और ज्‍यादा नमक एवं चीनी खाने से बचें

गुस्‍सा और दुख न करें क्‍योंकि इनका भी आपकी सेहत पर सीधा असर पड़ता है


डैंड्रफ की होम्योपैथी दवा कितनी लाभदायक है - Dandruff ki Homeopathy medicine kitni faydemand hai

वैसे तो डैंड्रफ के इलाज के लिए कई आधुनिक दवा एवं उपचार उपलब्‍ध हैं, लेकिन बिना किसी दुष्‍प्रभाव के इस स्थिति को ठीक करने में होम्‍योपैथिक दवाएं असरकारी और सुरक्षित हैं। सभी उम्र के लोगों और स्थितियों में इनका इस्‍तेमाल किया जा सकता है। होम्‍योपैथिक उपचार के साथ आहार एवं जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करने होते हैं।


ब्रिटिश होम्‍योपैथिक एसोसिएशन के अनुसार सल्‍फर, आर्सेनिकम एल्‍बम, नेट्रम म्‍यूरिएटिकम और ग्रेफाइट्स रूसी और इससे जुड़े लक्षणों को नियंत्रित करने में उपयोगी हैं।


रूसी के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Dandruff ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak

होम्‍योपैथिक दवाओं में बहुत कम मात्रा में खनिज पदार्थ, जड़ी बूटियां या पशुओं से बने उत्‍पाद मौजूद होते हैं। इस वजह से होम्‍योपैथिक दवाओं के साइड इफेक्‍ट और जोखिम कम होते हैं। एलोपैथी दवाओं के दुष्‍प्रभाव न झेल पाने वाले लोगों के लिए होम्‍योपैथी उपचार बहुत लाभकारी साबित हुआ है।


नवजात, बच्‍चों और गर्भवती महिलाओं के लिए भी होम्‍योपैथी दवाएं सुरक्षित रहती हैं। एंटीबायोटिक दवाओं की तरह होम्‍योपैथी दवाएं पाचन तंत्र और प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य को प्रभावित नहीं करती हैं। इनमें किसी भी तरह का विषाक्‍त नहीं होता है और मरीज को इनकी आदत भी होती है एवं लक्षणों के दोबारा वापिस आने का खतरा भी नहीं रहता है। इसलिए होम्‍योपैथी उपचार रूसी और इससे जुड़े लक्षणों को नियंत्रित करने में लाभकारी 


डैंड्रफ के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Dandruff ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

रूसी एक सामान्‍य समस्‍या है, जिसके कारण स्‍कैल्‍प पर खुजली और असहजता महसूस होती है। ये न केवल व्‍यक्‍ति के बाहरी रूप को प्रभावित करता है, बल्कि इससे व्‍यक्‍ति के आत्‍मविश्‍वास में भी कमी आती है। इस समस्‍या से निजात पाने के लिए कई शैंपू और एलोपैथी दवाएं मौजूद हैं। हालांकि, होम्‍योपैथी दवा की बहुत कम खुराक दी जाती है, इसलिए इसके कोई दुष्‍प्रभाव भी नहीं होते हैं।


अगर होम्‍योपैथी उपचार के साथ आहार और जीवनशैली में भी उचित बदलाव किए जाएं तो रूसी और इसके लक्षणों जैसे कि खुजली, बाल झड़ने और अत्‍यधिक खुजलाने के कारण खून निकलने से भी छुटकारा मिलता है। हालांकि, होम्‍योपैथी चिकित्‍सक की देखरेख में ही उपरोक्‍त दवाओं का सेवन करना असरकारी और सुरक्षित रहता है।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कैनुला क्या है?कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi

 कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi कैनुला क्या है? कैनुला एक पतली ट्यूब है, जिसे शरीर में नसों के जरिए इंजेक्ट किया जाता है, ताकि जरूरी तरल पदार्थ को शरीर से निकाला (नमूने के तौर पर) या डाला जा सके। इसे आमतौर पर इंट्रावीनस कैनुला (IV cannula) कहा जाता है। बता दें, इंट्रावीनस थेरेपी देने के लिए सबसे आम तरीका पेरिफेरल वीनस कैनुलेशन (शरीर के परिधीय नसों में कैनुला का उपयोग करना) है। इंट्रावीनस (नसों के अंदर) प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना, सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपचार प्रदान करना है। जब किसी मरीज का लंबे समय तक उपचार चलता है, तो ऐसे में इंट्रावीनस थेरेपी की विशेष जरूरत पड़ती है। शोध से पता चला है कि जिन मामलों में इंट्रावीनस कैनुला की जरूरत नहीं होती है, उनमें भी इसका प्रयोग किया जाता है, जबकि कुछ मामलों में इसे टाला जा सकता है। जनरल वार्डों में भर्ती 1,000 रोगियों पर हाल ही में एक शोध किया गया, इस दौरान इन सभी मरीजों के नमूने लिए गए। अध्ययन में पाया गया कि लगभग 33% रोगियों में इंट्रावीनस कैनुला का प्रयोग सामान्य से अधिक समय के लिए किया जा रहा है। जबकि

Pleural Effusion in Hindi

 फुफ्फुस बहाव - Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों के बाहर असामान्य मात्रा में द्रव इकट्ठा हो जाता है। ऐसे कई रोग हैं जिनके कारण यह समस्या होने लग जाती है और ऐसी स्थिति में फेफड़ों के आस-पास जमा हुऐ द्रव को निकालना पड़ता है। इस इस स्थिति के कारण के अनुसार ही इसका इलाज शुरु करते हैं।  प्लूरा (Pleura) एक पत्ली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों और छाती की अंदरुनी परत के बीच में मौजूद होती है। जब फुफ्फुसीय बहाव होता है, प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में द्रव बनने लग जाता है। सामान्य तौर पर प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में एक चम्मच की मात्रा में द्रव होता है जो आपके सांस लेने के दौरान फेफड़ों को हिलने में मदद करता है। फुफ्फुस बहाव क्या है - What is Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन के लक्षण - Pleural Effusion Symptoms in Hindi फुफ्फुस बहाव के कारण व जोखिम कारक - Pleural Effusion Causes & Risk Factors in Hindi प्ल्यूरल इफ्यूजन से बचाव - Prevention of Pleural Effusion in Hindi फुफ्फुस बहाव का परीक्षण - Diagnosis of Pleural Effusion in Hind

शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi

 शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi शीघ्र स्खलन एक पुरुषों का यौन रोग है, जिसमें दोनों यौन साथियों की इच्छा के विपरीत सेक्स के दौरान पुरुष बहुत जल्दी ऑर्गास्म पर पहुंच जाता है यानि जल्दी स्खलित हो जाता है। इस समस्या के कारण के आधार पर, ऐसा या तो फोरप्ले के दौरान या लिंग प्रवेश कराने के तुरंत बाद हो सकता है। इससे एक या दोनों साथियों को यौन संतुष्टि प्राप्त करने में परेशानी हो सकती है। स्खलन को रोक पाने में असमर्थता अन्य लक्षणों जैसे कि आत्मविश्वास में कमी, शर्मिंदगी, तनाव और हताशा आदि को जन्म दे सकती है। ज्यादातर मामलों में, हो सकता है कि स्खलन को नियंत्रित करने में असमर्थता किसी जैविक कारण से न पैदा होती हो, हालांकि उपचार के किसी भी अन्य रूप की सिफारिश करने से पहले डॉक्टर इसकी संभावना का पता लगाते हैं। तनाव, चिंता, अवसाद, यौन अनुभवहीनता, कम आत्मसम्मान और शरीर की छवि जैसे मनोवैज्ञानिक कारक शीघ्र स्खलन के सबसे आम कारण हैं। विशेष रूप से सेक्स से संबंधित अतीत के दर्दनाक अनुभव भी शीघ्र स्खलन का संकेत दे सकते हैं। अन्य