सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

शुक्राणु की कमी,(OLIGOSPERMIA)AND HOMOEOPATHY

 शुक्राणु की कमी, पुरुषों में प्रजनन क्षमता की कमी का एक महत्वपूर्ण कारण है। प्रजनन क्षमता में कमी का मतलब है, शुक्राणु में कुछ नुक्स या शुक्राणु की कमी (2 करोड़ से कम) के कारण बार-बार बिना कंडोम सेक्स करने के बाद भी गर्भधारण न कर पाना। प्रजनन क्षमता में कमी, बांझपन से अलग होती है क्योंकि इसमें बिना डॉक्टर की सहायता के प्रेग्नेंट होने की कुछ संभावना होती है, हालांकि, इसमें समय अधिक लगता है। शुक्राणु की कमी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे हार्मोन उत्पादन का विकार, शुक्राणु के रास्ते में रुकावट, वैरीकोसेल, वीर्य का उलटे रास्ते जाना, पुरुष जननांग में सूजन व संक्रमण, गुप्तवृषणता, स्तंभन दोष, अनुवांशिक कारक, सिगरेट पीना, शराब पीना और मानसिक तनाव।

होम्योपैथिक उपचार शुक्राणु की कमी के लिए एक असरदार इलाज है, खासकर अगर ये समस्या वैरीकोसेल, संक्रमण, हार्मोन असंतुलन या स्तंभन दोष के कारण हुई है। हालांकि, सर्जरी के कारण हुई शुक्राणु की कमी पर होम्योपैथिक दवाओं का प्रभाव कम होता है। व्यक्ति के लक्षणों व अन्य कारक के आधार पर दिए जाने वाला होम्योपैथिक उपचार व्यक्ति के शुक्राणु व उनकी गुणवत्ता को बढ़ाता है और साथ ही व्यक्ति का स्वास्थ्य भी बेहतर करता है। शुक्राणु की कमी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं हैं लाइकोपोडियम (Lycopodium), पल्सेटिला (Pulsatilla), अर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum nitricum), कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica), अग्नस कास्टस (Agnus castus) और सेलेनियम (Selenium)।

होम्योपैथी में शुक्राणु की कमी का इलाज कैसे होता है - Homeopathy me shukranu ki kami ka ilaaj kaise hota hai

शुक्राणु की कमी की होम्योपैथिक दवा - Shukranu ki kami ki homeopathic dawa

होम्योपैथी में शुक्राणु की कमी के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me shukranu ki kami ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav

शुक्राणु की कमी के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Shukranu ki kami ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak

शुक्राणु की कमी के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Shukranu ki kami ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

शुक्राणु की कमी की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

प्रेगनेंसी (गर्भ ठहरने) के लिया स्पर्म कितना होना चाहिए? 

शुक्राणु की कमी की आयुर्वेदिक दवा और इलाज 

शुक्राणु बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए 

वैज्ञानिकों ने पाया ये जड़ी बूटी बढ़ा सकती है शुक्राणु और टेस्टोस्टेरोन 

शुक्राणु बढ़ाने के घरेलू उपाय 

पुरुषों में स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए लाभकारी है अखरोट, रिसर्च में फर्टलाइज क्षमता को बढ़ाने के मिले सबूत 

होम्योपैथी में शुक्राणु की कमी का इलाज कैसे होता है - Homeopathy me shukranu ki kami ka ilaaj kaise hota hai

होम्योपैथिक दवाएं समानताओं के आधार पर काम करती हैं, इसका मतलब अगर एक पदार्थ से कोई लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, तो उसी पदार्थ को कम खुराक में लेने से वे लक्षण ठीक भी किए जा सकते हैं। होम्योपैथिक डॉक्टर व्यक्ति के लक्षणों को देखकर उसे वह दवा देते हैं जिससे ऐसे ही लक्षण उत्पन्न होते हैं। शुक्राणु की कमी को ठीक करने के लिए व्यक्ति के लक्षणों और समस्या होने की संभावना के आधार पर उसे उचित दवा दी जाती है।


रोगी के चिकित्सा इतिहास व उसके जीवन से जुड़े अन्य पहलू के बारे में जानकारी लेकर डॉक्टर रोगी की समस्या के कारण को समझ पाते हैं और ये भी जान पाते हैं कि व्यक्ति के लिए ये बीमारी कितनी गंभीर हो सकती है। हर व्यक्ति को कोई न कोई बीमारी होने की संभावना होती ही है, जो कई कारक पर निर्भर करती है। सोरायसिस और सायकोसिस की संभावना रखने वाले लोगों को शुक्राणु की कमी से कम समस्या अनुभव होती है। हालांकि, सिफलिस की सम्भावना वाले लोगों को ऊतकों के नुकसान के कारण इससे अधिक समस्या होती है। इन संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर ये पता लगा पाते हैं कि समस्या कितनी और कैसे बढ़ेगी।


कई वैज्ञानिक अध्ययनों से इस बात की पुष्टि हुई है कि व्यक्ति के लक्षणों और व्यक्तिगत कारक के आधार पर चुनी गई होम्योपैथिक दवा से पुरुषों में शुक्राणु की कमी के लक्षण, गुणवत्ता, गतिशीलता और घनत्व में सुधार आता है।

शुक्राणु में कमी एक तनावपूर्ण और डिप्रेस कर देने वाली समस्या है जिसके इलाज के लिए दवाओं और काउंसलिंग की आवश्यकता होती है। होम्योपैथिक डॉक्टर न केवल रोगी के लिए उचित दवा चुनते हैं, बल्कि उन्हें काउंसलिंग देने में भी सक्षम होते हैं ताकि रोगी अपनी समस्या से निपट सके।

शुक्राणु की कमी की होम्योपैथिक दवा - Shukranu ki kami ki homeopathic dawa

शुक्राणु की कमी के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ होम्योपैथिक दवाओं के बारे में नीचे दिया गया है:

पल्सेटिला निग्रिकंस (Pulsatilla Nigricans)

सामान्य नाम: विंडफ्लॉवर (Windflower)

लक्षण: ये दवा उन पुरुषों के लिए अधिक उचित है जो स्वभाव में भावुक व सौम्य होते हैं और आसानी से कोई फैसला नहीं ले पाते व सहानुभूति चाहते हैं। इस दवा को नीचे दी गई स्थितियों में उपयोग किया जा सकता है:

वैरीकोसेल, हाइड्रोसील, यौन संचारित संक्रमण के कारण मूत्रमार्ग में इन्फेक्शन और चोट के कारण जननांगों को नुकसान होने से शुक्राणु की कमी होना। 

लिंग का लंबे समय तक असमान्य रूप से उत्तेजित रहना और साथ ही जननांग में दर्द और कामोत्तेजना।

स्वप्नदोष के साथ यौन क्रियाओं से संबंधित सपने आना।

सेक्स करने की इच्छा बहुत ज्यादा होना, जिसके कारण पीठ, सिर और टांगों में दर्द होने लगता है। 

वृषण और पौरुष ग्रंथि में सूजन के कारण जलन होना, जो आमतौर पर सूजाक से संबंधित होती है।

लिंग से गाढ़ा पीला पदार्थ निकलना, जो यौन संचारित समस्याओं से संबंधित है।

वृषण में दर्द और भारीपन होना, जो खड़े होने से बढ़ जाता है और ठंडी सिकाई व आराम से कम होता है।

 

लाइकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)

सामान्य नाम: क्लब मॉस (Club moss)

लक्षण: ये दवा उन पुरुषों के लिए अधिक असरदार है जो समझदार हैं, लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर हैं और उनका पाचन कमजोर है। इन्हें हल्का खाना खाने के बाद भी पेट में गैस हो जाती है, निम्नलिखित लक्षणों के इलाज के लिए इस दवा का उपयोग किया जाता है:

वैरीकोसेल, इरेक्टाइल डिसफंक्शन और सामान्य कमजोरी के कारण शुक्राणु में कमी होना। 

लिंग उत्तेजित न हो पाने के कारण इरेक्टाइल डिसफंक्शन।

शीघ्रपतन।

यौन संचारित रोगों के कारण जननांगों की सूजन से शुक्राणु की कमी और जलन।

पौरुष ग्रंथि का बढ़ना और जननांग मस्से। 

व्यक्ति को कुछ गरम खाने-पीने से बेहतर महसूस होना।

कपड़ों का दबाव बनने से लक्षण बढ़ जाना।

शाम को 4 से 8 बजे के बीच में बदहजमी की समस्या होना।

 

नैट्रम म्यूरिएटिकम (Natrum Muriaticum)

सामान्य नाम: कॉमन साल्ट (Common salt)

लक्षण: ये दवा उन पुरुषों के लिए अधिक असरदार है जो हमेशा थके हुए रहते हैं, कमजोर हैं और उन्हें बार-बार सिरदर्द होता है, खासकर धूप में जाने के बाद। ऐसे लोग ज्यादातर पतले होते हैं और उन्हें नमक खाने की इच्छा होती रहती है। ज्यादातर समस्याएं अधीक मात्रा में नमक खाने के कारण ही होती हैं। निम्नलिखित लक्षणों को भी इस दवा से ठीक किया जा सकता है:

स्तंभन दोष के कारण शुक्राणु की कमी।

लिंग का पूरा उत्तेजित न हो पाना, शीघ्रपतन या यौन समस्याओं के कारण सेक्स करने के काफी देर बाद वीर्यपात होना।

बिना सेक्स किए या लिंग के उत्तेजित हुए रात के समय वीर्यपात हो जाना।

डिप्रेशन होना। 

व्यक्ति का दुखी रहना और सांत्वना देने पर उत्तेजित हो जाना।

फिमोसिस (लिंग की ऊपरी त्वचा का पीछे न हट पाना)  के कारण लिंग में सूजन के साथ संक्रमण और दर्द होना।

 

कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)

सामान्य नाम: कार्बोनेट ऑफ़ लाइम (Carbonate of lime)

लक्षण: ये दवा उन पुरुषों के लिए अधिक असरदार है जिनका रंग गोरा है और मोटे होने के साथ उनकी मांसपेशियां ढीली हैं।

सेक्स करते समय वीर्यपात बिलकुल न होना। 

ज्यादा सेक्स या हस्तमैथुन करने से स्तंभन दोष होना।

सेक्स करने की इच्छा होने के बाद भी लिंग उत्तेजित न हो पाना। 

सेक्स करने के बाद अत्यधिक कमजोरी के साथ गुस्सा आना और असंतुष्ट महसूस करना। 

कमजोरी महसूस होना, जैसे जोड़ों में बिलकुल ताकत नहीं है।

पेशाब करते समय पौरुष ग्रंथि के पदार्थ का रिसाव होना।

हलकी ठंड से, शारीरिक या मानसिक परिश्रम करने से, चिंता से, किशोवस्था में और हर बार मौसम बदलने पर समस्या बढ़ जाना।

सूखे मौसम में बेहतर महसूस होना।

 

अग्नस कास्टस (Agnus castus)

सामान्य नाम: दि चेस्ट ट्री (The chaste tree)

लक्षण: ये दवा उन पुरुषों के लिए अधिक असरदार है जो अधिक यौन क्रियाएं करने के कारण समय से पहले बड़े हो जाते हैं। ऐसे पुरुष कमजोर, दुखी व डिप्रेस रहते हैं और उनमें आत्म सम्मान नहीं होता। नीचे दिए गए लक्षणों में इस दवा का उपयोग किया जाता है:

स्तंभन दोष और जननांग में संक्रमण के कारण शुक्राणु की कमी।

यौन संबंध बनाने की बिलकुल इच्छा न होना।  कामेच्छा की कमी के कारण

कभी-कभी लिंग का उत्तेजित होना, लेकिन यौन क्रियाओं के बारे में सोचे बिना।

यौन क्रियाओं के बाद निकले वीर्य में शुक्राणु कम होना। 

जननांग प्रणाली में संक्रमण के कारण गाढ़ा पीला रिसाव होना।

पौरुष ग्रंथि के तरल का अनैच्छिक रिसाव। 

थूजा ऑक्सिडेंटलिस (Thuja Occidentalis)

सामान्य नाम: आर्बर विटै (Arbor vitae)

लक्षण: ये दवा उन लोगों को अधिक सूट करती है जिनकी मांसपेशियां ढीली होती हैं और उन्हें बार-बार मस्से व थायराइड ग्रंथि के विकार होते हैं। निम्नलिखित लक्षणों के लिए भी इस दवा का उपयोग किया जाता है:

सूजाक जैसी यौन संचारित समस्याओं से शुक्राणु में कमी होना।

नपुंसकता के साथ लिंग की उत्तेजना में दर्द होना, खाकसर सूजाक संक्रमण के बाद। 

रात के समय वीर्यपात होना, जिससे जननांग क्षेत्र में भारीपन के साथ व्यक्ति को चिड़चिड़ापन महसूस होता है।

सूजन संक्रमण के बाद लिंग पर दर्दनाक अल्सर और गोभी की आकृति जैसे मस्से। 

स्पर्मेटिक कोर्ड (Spermatic cord) में दर्द होना, जैसे वह पेट की तरफ खिंच रही हो।

अंडकोश की थैली पर मीठी गंध वाला पसीना आना। 

समस्या का नम वातावरण में बढ़ना और सूखे मौसम में बेहतर हो जाना।

फॉस्फोरिकम एसिडम (Phosphoricum Acidum)

सामान्य नाम: फास्फोरिक एसिड (Phosphoric acid)

लक्षण: जो जवान आदमी पतले व कमजोर होते हैं और जल्दी बढ़ते हैं, उन्हें इस दवा की आवश्यकता होती है। अत्यधिक मानसिक और शारीरिक कमजोरी इस दवा की आवश्यकता का मुख्य लक्षण है। निम्नलिखित लक्षण अनुभव करने पर इस दवा का उपयोग किया जाता है:

यौन क्रियाएं करने के लिए ताकत न होना।

मल करते समय अनैच्छिक रूप से वीर्य और पौरुष ग्रंथि के तरल का रिसाव।

सेक्स के दौरान जननांगों का उत्तेजित न होना।

अंडकोश की थैली पर एक्जिमा होना। 

गर्म वातावरण में बेहतर महसूस होना।

शारीरिक व मानसिक तनाव, शरीर के तारल पदार्थ निकलना और अधिक यौन क्रियाएं करने से समस्या बढ़ जाना। 

एक छोटे से अध्ययन में ये पाया गया कि, ऊपर दी गई होम्योपैथिक दवाएं शुक्राणु में कमी और उसकी खराब गतिशीलता के इलाज के लिए असरदार हैं। इन दवाओं से शुक्राणु की गुणवत्ता और पुरुषों का स्वास्थ्य बेहतर होता है।

एक अन्य अध्ययन के अनुसार, डैमियाना मदर टिंक्चर (Damiana mother tincture) दवा को जब नक्स वोमिका (Nux Vomica) और लाइकोपोडियम (Lycopodium) के साथ लिया जाता है, तो इससे शुक्राणु और उनकी गतिशीलता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होता है।

कुछ दवाएं जो शुक्राणु की कमी के लिए सहायक हैं, वे हैं ग्रेफाइट्स (Graphites), सल्फर (Sulphur), फास्फोरिक एसिड (Phosphoric acid), बैरिटा कार्ब (Baryta carb), कैलेडियम (Caladium), बर्बरिस वल्गारिस (Berberis vulgaris), सेलेनियम मेटालिकम (Selenium metallicum), कोनियम मैक्यूलैटम (Conium maculatum), नक्स वोमिका (Nux Vomica), पिक्रिकम एसिडम (Picricum acidum), कैंथारिस (Cantharis), अर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum nitricum) और मोस्कस (Moschus)।

होम्योपैथी में शुक्राणु की कमी के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me shukranu ki kami ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav

होम्योपैथिक दवाओं का कार्य आपकी रोजाना की गतिविधियों से प्रभावित हो सकता है, इसीलिए सही उपचार के लिए आपको अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करने जरुरी हैं। इनके बारे में नीचे दिया गया है:

क्या करें:

दिमाग को शांत व स्थिर रखें। 

हैल्दी और पौष्टिक आहार खाएं, जिसमें आर्टिफिशल एजेंट या फ्लेवर न हों। 

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जिसके लिए नियमित रूप से व्यायाम करना, स्वस्थ भोजन लेना और पर्याप्त नींद लेना आवश्यक है। 


औषधीय व तेज सुगंध वाली खाने-पीने की चीजों से दूर रहें, जैसे कॉफी, तेज मसालों वाले हर्बल पेय या सूप और आर्टिफिशल फ्लेवर वाले पेय।

तेज मसालों वाला खाना, औषधीय गुण वाले खाद्य पदार्थ, औषधीय प्रभाव वाली चीजें और खराब मीट या सब्जियां न लें। 

नम मौसम या कमरे में रहने से बचें।

ज्यादा खाना न खाएं और चीनी व नमक को अधिक मात्रा में खाने से बचें। 

तेज गंध वाले परफ्यूम या स्प्रे का उपयोग न करें।

यौन क्रियाओं से संबंधित चीजें न देखें न पढ़ें।

बहुत ज्यादा सेक्स करने से बचें। 

ऐसी स्थितियों से बचें जिनसे गुस्सा आता है, डिप्रेशन होता है या दिमाग को परेशान करने वाली भावनाएं आती हैं। 

शुक्राणु की कमी के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Shukranu ki kami ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak

एक योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर के द्वारा दी गई दवा की सही खुराक के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। हालांकि, कभी-कभी दवा से ऐसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं, जो समस्या से संबंधित नहीं होते। ऐसा तब होता है जब दवा को ज्यादा मात्रा में ले लिया जाता है जो रोगी के लिए उचित नहीं होती। किसी भी दवा को लेने से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य सलाह लें, आपको कोई भी दवा खुद नहीं लेनी चाहिए।

शुक्राणु की कमी के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Shukranu ki kami ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

होम्योपैथी, वैकल्पिक दवाओं की एक पद्धति है, जो शुक्राणु की कमी के इलाज के लिए बहुत असरदार है। ये दवाएं पुरुषों में शुक्राणु की कमी के कारण को ठीक करके उनका सटीक इलाज करती है। होम्योपैथिक दवा को घोल बनाकर बहुत ही कम मात्रा में दिया जाता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।

लशुक्राणु की कमी, पुरुषों में प्रजनन क्षमता की कमी का एक महत्वपूर्ण कारण है। प्रजनन क्षमता में कमी का मतलब है, शुक्राणु में कुछ नुक्स या शुक्राणु की कमी (2 करोड़ से कम) के कारण बार-बार बिना कंडोम सेक्स करने के बाद भी गर्भधारण न कर पाना। प्रजनन क्षमता में कमी, बांझपन से अलग होती है क्योंकि इसमें बिना डॉक्टर की सहायता के प्रेग्नेंट होने की कुछ संभावना होती है, हालांकि, इसमें समय अधिक लगता है। शुक्राणु की कमी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे हार्मोन उत्पादन का विकार, शुक्राणु के रास्ते में रुकावट, वैरीकोसेल, वीर्य का उलटे रास्ते जाना, पुरुष जननांग में सूजन व संक्रमण, गुप्तवृषणता, स्तंभन दोष, अनुवांशिक कारक, सिगरेट पीना, शराब पीना और मानसिक तनाव।

होम्योपैथिक उपचार शुक्राणु की कमी के लिए एक असरदार इलाज है, खासकर अगर ये समस्या वैरीकोसेल, संक्रमण, हार्मोन असंतुलन या स्तंभन दोष के कारण हुई है। हालांकि, सर्जरी के कारण हुई शुक्राणु की कमी पर होम्योपैथिक दवाओं का प्रभाव कम होता है। व्यक्ति के लक्षणों व अन्य कारक के आधार पर दिए जाने वाला होम्योपैथिक उपचार व्यक्ति के शुक्राणु व उनकी गुणवत्ता को बढ़ाता है और साथ ही व्यक्ति का स्वास्थ्य भी बेहतर करता है। शुक्राणु की कमी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं हैं लाइकोपोडियम (Lycopodium), पल्सेटिला (Pulsatilla), अर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum nitricum), कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica), अग्नस कास्टस (Agnus castus) और सेलेनियम (Selenium)।


होम्योपैथी में शुक्राणु की कमी का इलाज कैसे होता है - Homeopathy me shukranu ki kami ka ilaaj kaise hota hai

शुक्राणु की कमी की होम्योपैथिक दवा - Shukranu ki kami ki homeopathic dawa

होम्योपैथी में शुक्राणु की कमी के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me shukranu ki kami ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav

शुक्राणु की कमी के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Shukranu ki kami ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak

शुक्राणु की कमी के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Shukranu ki kami ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

शुक्राणु की कमी की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

प्रेगनेंसी (गर्भ ठहरने) के लिया स्पर्म कितना होना चाहिए? 

शुक्राणु की कमी की आयुर्वेदिक दवा और इलाज 

शुक्राणु बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए 

वैज्ञानिकों ने पाया ये जड़ी बूटी बढ़ा सकती है शुक्राणु और टेस्टोस्टेरोन 

शुक्राणु बढ़ाने के घरेलू उपाय 

पुरुषों में स्पर्म काउंट बढ़ाने के लिए लाभकारी है अखरोट, रिसर्च में फर्टलाइज क्षमता को बढ़ाने के मिले सबूत 

होम्योपैथी में शुक्राणु की कमी का इलाज कैसे होता है - Homeopathy me shukranu ki kami ka ilaaj kaise hota hai

होम्योपैथिक दवाएं समानताओं के आधार पर काम करती हैं, इसका मतलब अगर एक पदार्थ से कोई लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, तो उसी पदार्थ को कम खुराक में लेने से वे लक्षण ठीक भी किए जा सकते हैं। होम्योपैथिक डॉक्टर व्यक्ति के लक्षणों को देखकर उसे वह दवा देते हैं जिससे ऐसे ही लक्षण उत्पन्न होते हैं। शुक्राणु की कमी को ठीक करने के लिए व्यक्ति के लक्षणों और समस्या होने की संभावना के आधार पर उसे उचित दवा दी जाती है।

रोगी के चिकित्सा इतिहास व उसके जीवन से जुड़े अन्य पहलू के बारे में जानकारी लेकर डॉक्टर रोगी की समस्या के कारण को समझ पाते हैं और ये भी जान पाते हैं कि व्यक्ति के लिए ये बीमारी कितनी गंभीर हो सकती है। हर व्यक्ति को कोई न कोई बीमारी होने की संभावना होती ही है, जो कई कारक पर निर्भर करती है। सोरायसिस और सायकोसिस की संभावना रखने वाले लोगों को शुक्राणु की कमी से कम समस्या अनुभव होती है। हालांकि, सिफलिस की सम्भावना वाले लोगों को ऊतकों के नुकसान के कारण इससे अधिक समस्या होती है। इन संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर ये पता लगा पाते हैं कि समस्या कितनी और कैसे बढ़ेगी।

कई वैज्ञानिक अध्ययनों से इस बात की पुष्टि हुई है कि व्यक्ति के लक्षणों और व्यक्तिगत कारक के आधार पर चुनी गई होम्योपैथिक दवा से पुरुषों में शुक्राणु की कमी के लक्षण, गुणवत्ता, गतिशीलता और घनत्व में सुधार आता है।

शुक्राणु में कमी एक तनावपूर्ण और डिप्रेस कर देने वाली समस्या है जिसके इलाज के लिए दवाओं और काउंसलिंग की आवश्यकता होती है। होम्योपैथिक डॉक्टर न केवल रोगी के लिए उचित दवा चुनते हैं, बल्कि उन्हें काउंसलिंग देने में भी सक्षम होते हैं ताकि रोगी अपनी समस्या से निपट सके।

शुक्राणु की कमी की होम्योपैथिक दवा - Shukranu ki kami ki homeopathic dawa

शुक्राणु की कमी के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ होम्योपैथिक दवाओं के बारे में नीचे दिया गया है:

पल्सेटिला निग्रिकंस (Pulsatilla Nigricans)

सामान्य नाम: विंडफ्लॉवर (Windflower)

लक्षण: ये दवा उन पुरुषों के लिए अधिक उचित है जो स्वभाव में भावुक व सौम्य होते हैं और आसानी से कोई फैसला नहीं ले पाते व सहानुभूति चाहते हैं। इस दवा को नीचे दी गई स्थितियों में उपयोग किया जा सकता है:

वैरीकोसेल, हाइड्रोसील, यौन संचारित संक्रमण के कारण मूत्रमार्ग में इन्फेक्शन और चोट के कारण जननांगों को नुकसान होने से शुक्राणु की कमी होना। 

लिंग का लंबे समय तक असमान्य रूप से उत्तेजित रहना और साथ ही जननांग में दर्द और कामोत्तेजना।

स्वप्नदोष के साथ यौन क्रियाओं से संबंधित सपने आना।

सेक्स करने की इच्छा बहुत ज्यादा होना, जिसके कारण पीठ, सिर और टांगों में दर्द होने लगता है। 

वृषण और पौरुष ग्रंथि में सूजन के कारण जलन होना, जो आमतौर पर सूजाक से संबंधित होती है।

लिंग से गाढ़ा पीला पदार्थ निकलना, जो यौन संचारित समस्याओं से संबंधित है

वृषण में दर्द और भारीपन होना, जो खड़े होने से बढ़ जाता है और ठंडी सिकाई व आराम से कम होता है।

लाइकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)

सामान्य नाम: क्लब मॉस (Club moss)

लक्षण: ये दवा उन पुरुषों के लिए अधिक असरदार है जो समझदार हैं, लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर हैं और उनका पाचन कमजोर है। इन्हें हल्का खाना खाने के बाद भी पेट में गैस हो जाती है, निम्नलिखित लक्षणों के इलाज के लिए इस दवा का उपयोग किया जाता है:

वैरीकोसेल, इरेक्टाइल डिसफंक्शन और सामान्य कमजोरी के कारण शुक्राणु में कमी होना। 

लिंग उत्तेजित न हो पाने के कारण इरेक्टाइल डिसफंक्शन।

शीघ्रपतन।

यौन संचारित रोगों के कारण जननांगों की सूजन से शुक्राणु की कमी और जलन।

पौरुष ग्रंथि का बढ़ना और जननांग मस्से। 

व्यक्ति को कुछ गरम खाने-पीने से बेहतर महसूस होना।

कपड़ों का दबाव बनने से लक्षण बढ़ जाना।

शाम को 4 से 8 बजे के बीच में बदहजमी की समस्या होना। 

नैट्रम म्यूरिएटिकम (Natrum Muriaticum)

सामान्य नाम: कॉमन साल्ट (Common salt)

लक्षण: ये दवा उन पुरुषों के लिए अधिक असरदार है जो हमेशा थके हुए रहते हैं, कमजोर हैं और उन्हें बार-बार सिरदर्द होता है, खासकर धूप में जाने के बाद। ऐसे लोग ज्यादातर पतले होते हैं और उन्हें नमक खाने की इच्छा होती रहती है। ज्यादातर समस्याएं अधीक मात्रा में नमक खाने के कारण ही होती हैं। निम्नलिखित लक्षणों को भी इस दवा से ठीक किया जा सकता है:

स्तंभन दोष के कारण शुक्राणु की कमी।

लिंग का पूरा उत्तेजित न हो पाना, शीघ्रपतन या यौन समस्याओं के कारण सेक्स करने के काफी देर बाद वीर्यपात होना। 

बिना सेक्स किए या लिंग के उत्तेजित हुए रात के समय वीर्यपात हो जाना।

डिप्रेशन होना। 

व्यक्ति का दुखी रहना और सांत्वना देने पर उत्तेजित हो जाना।

फिमोसिस (लिंग की ऊपरी त्वचा का पीछे न हट पाना)  के कारण लिंग में सूजन के साथ संक्रमण और दर्द होना।

कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)

सामान्य नाम: कार्बोनेट ऑफ़ लाइम (Carbonate of lime)

लक्षण: ये दवा उन पुरुषों के लिए अधिक असरदार है जिनका रंग गोरा है और मोटे होने के साथ उनकी मांसपेशियां ढीली हैं।

सेक्स करते समय वीर्यपात बिलकुल न होना। 

ज्यादा सेक्स या हस्तमैथुन करने से स्तंभन दोष होना।

सेक्स करने की इच्छा होने के बाद भी लिंग उत्तेजित न हो पाना। 

सेक्स करने के बाद अत्यधिक कमजोरी के साथ गुस्सा आना और असंतुष्ट महसूस करना। (और पढ़ें - गुस्सा कैसे कम करें)

कमजोरी महसूस होना, जैसे जोड़ों में बिलकुल ताकत नहीं है।

पेशाब करते समय पौरुष ग्रंथि के पदार्थ का रिसाव होना।

हलकी ठंड से, शारीरिक या मानसिक परिश्रम करने से, चिंता से, किशोवस्था में और हर बार मौसम बदलने पर समस्या बढ़ जाना।

सूखे मौसम में बेहतर महसूस होना।

अग्नस कास्टस (Agnus castus)

सामान्य नाम: दि चेस्ट ट्री (The chaste tree)

लक्षण: ये दवा उन पुरुषों के लिए अधिक असरदार है जो अधिक यौन क्रियाएं करने के कारण समय से पहले बड़े हो जाते हैं। ऐसे पुरुष कमजोर, दुखी व डिप्रेस रहते हैं और उनमें आत्म सम्मान नहीं होता। नीचे दिए गए लक्षणों में इस दवा का उपयोग किया जाता है:

स्तंभन दोष और जननांग में संक्रमण के कारण शुक्राणु की कमी।

यौन संबंध बनाने की बिलकुल इच्छा न होना।  कामेच्छा की कमी के कारण

कभी-कभी लिंग का उत्तेजित होना, लेकिन यौन क्रियाओं के बारे में सोचे बिना।

यौन क्रियाओं के बाद निकले वीर्य में शुक्राणु कम होना। 

जननांग प्रणाली में संक्रमण के कारण गाढ़ा पीला रिसाव होना।

पौरुष ग्रंथि के तरल का अनैच्छिक रिसाव। 

थूजा ऑक्सिडेंटलिस (Thuja Occidentalis)

सामान्य नाम: आर्बर विटै (Arbor vitae)

लक्षण: ये दवा उन लोगों को अधिक सूट करती है जिनकी मांसपेशियां ढीली होती हैं और उन्हें बार-बार मस्से व थायराइड ग्रंथि के विकार होते हैं। निम्नलिखित लक्षणों के लिए भी इस दवा का उपयोग किया जाता है:

सूजाक जैसी यौन संचारित समस्याओं से शुक्राणु में कमी होना।

नपुंसकता के साथ लिंग की उत्तेजना में दर्द होना, खाकसर सूजाक संक्रमण के बाद।

रात के समय वीर्यपात होना, जिससे जननांग क्षेत्र में भारीपन के साथ व्यक्ति को चिड़चिड़ापन महसूस होता है।

सूजन संक्रमण के बाद लिंग पर दर्दनाक अल्सर और गोभी की आकृति जैसे मस्से। 

स्पर्मेटिक कोर्ड (Spermatic cord) में दर्द होना, जैसे वह पेट की तरफ खिंच रही हो।

अंडकोश की थैली पर मीठी गंध वाला पसीना आना। 

समस्या का नम वातावरण में बढ़ना और सूखे मौसम में बेहतर हो जाना।

फॉस्फोरिकम एसिडम (Phosphoricum Acidum)

सामान्य नाम: फास्फोरिक एसिड (Phosphoric acid)

लक्षण: जो जवान आदमी पतले व कमजोर होते हैं और जल्दी बढ़ते हैं, उन्हें इस दवा की आवश्यकता होती है। अत्यधिक मानसिक और शारीरिक कमजोरी इस दवा की आवश्यकता का मुख्य लक्षण है। निम्नलिखित लक्षण अनुभव करने पर इस दवा का उपयोग किया जाता है:

यौन क्रियाएं करने के लिए ताकत न होना।

मल करते समय अनैच्छिक रूप से वीर्य और पौरुष ग्रंथि के तरल का रिसाव।

सेक्स के दौरान जननांगों का उत्तेजित न होना।

अंडकोश की थैली पर एक्जिमा होना। 

गर्म वातावरण में बेहतर महसूस होना।

शारीरिक व मानसिक तनाव, शरीर के तारल पदार्थ निकलना और अधिक यौन क्रियाएं करने से समस्या बढ़ जाना। 

एक छोटे से अध्ययन में ये पाया गया कि, ऊपर दी गई होम्योपैथिक दवाएं शुक्राणु में कमी और उसकी खराब गतिशीलता के इलाज के लिए असरदार हैं। इन दवाओं से शुक्राणु की गुणवत्ता और पुरुषों का स्वास्थ्य बेहतर होता ह

एक अन्य अध्ययन के अनुसार, डैमियाना मदर टिंक्चर (Damiana mother tincture) दवा को जब नक्स वोमिका (Nux Vomica) और लाइकोपोडियम (Lycopodium) के साथ लिया जाता है, तो इससे शुक्राणु और उनकी गतिशीलता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होता है।

कुछ दवाएं जो शुक्राणु की कमी के लिए सहायक हैं, वे हैं ग्रेफाइट्स (Graphites), सल्फर (Sulphur), फास्फोरिक एसिड (Phosphoric acid), बैरिटा कार्ब (Baryta carb), कैलेडियम (Caladium), बर्बरिस वल्गारिस (Berberis vulgaris), सेलेनियम मेटालिकम (Selenium metallicum), कोनियम मैक्यूलैटम (Conium maculatum), नक्स वोमिका (Nux Vomica), पिक्रिकम एसिडम (Picricum acidum), कैंथारिस (Cantharis), अर्जेन्टम नाइट्रिकम (Argentum nitricum) और मोस्कस (Moschus)।

होम्योपैथी में शुक्राणु की कमी के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me shukranu ki kami ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav

होम्योपैथिक दवाओं का कार्य आपकी रोजाना की गतिविधियों से प्रभावित हो सकता है, इसीलिए सही उपचार के लिए आपको अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव करने जरुरी हैं। इनके बारे में नीचे दिया गया है:

क्या करें:

दिमाग को शांत व स्थिर रखें। 

हैल्दी और पौष्टिक आहार खाएं, जिसमें आर्टिफिशल एजेंट या फ्लेवर न हों। 

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जिसके लिए नियमित रूप से व्यायाम करना, स्वस्थ भोजन लेना और पर्याप्त नींद लेना आवश्यक हैI

क्या करें:

औषधीय व तेज सुगंध वाली खाने-पीने की चीजों से दूर रहें, जैसे कॉफी, तेज मसालों वाले हर्बल पेय या सूप और आर्टिफिशल फ्लेवर वाले पेय।

तेज मसालों वाला खाना, औषधीय गुण वाले खाद्य पदार्थ, औषधीय प्रभाव वाली चीजें और खराब मीट या सब्जियां न लें।

नम मौसम या कमरे में रहने से बचें।

ज्यादा खाना न खाएं और चीनी व नमक को अधिक मात्रा में खाने से बचें। 

तेज गंध वाले परफ्यूम या स्प्रे का उपयोग न करें।

यौन क्रियाओं से संबंधित चीजें न देखें न पढ़ें।

बहुत ज्यादा सेक्स करने से बचें। 

ऐसी स्थितियों से बचें जिनसे गुस्सा आता है, डिप्रेशन होता है या दिमाग को परेशान करने वाली भावनाएं आती हैं। 

शुक्राणु की कमी के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Shukranu ki kami ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak

एक योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर के द्वारा दी गई दवा की सही खुराक के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। हालांकि, कभी-कभी दवा से ऐसे लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं, जो समस्या से संबंधित नहीं होते। ऐसा तब होता है जब दवा को ज्यादा मात्रा में ले लिया जाता है जो रोगी के लिए उचित नहीं होती। किसी भी दवा को लेने से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य सलाह लें, आपको कोई भी दवा खुद नहीं लेनी चाहिए।

शुक्राणु की कमी के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Shukranu ki kami ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

होम्योपैथी, वैकल्पिक दवाओं की एक पद्धति है, जो शुक्राणु की कमी के इलाज के लिए बहुत असरदार है। ये दवाएं पुरुषों में शुक्राणु की कमी के कारण को ठीक करके उनका सटीक इलाज करती है। होम्योपैथिक दवा को घोल बनाकर बहुत ही कम मात्रा में दिया जाता है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।

अस्वीकरण: इस पर उपलब्ध सभी जानकारी और लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं। यहाँ पर दी गयी जानकारी का उपयोग किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। चिकित्सा परीक्षण और उपचार के लिए हमेशा एक योग्य चिकित्सक की सलाह लेनी 

है

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कैनुला क्या है?कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi

 कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi कैनुला क्या है? कैनुला एक पतली ट्यूब है, जिसे शरीर में नसों के जरिए इंजेक्ट किया जाता है, ताकि जरूरी तरल पदार्थ को शरीर से निकाला (नमूने के तौर पर) या डाला जा सके। इसे आमतौर पर इंट्रावीनस कैनुला (IV cannula) कहा जाता है। बता दें, इंट्रावीनस थेरेपी देने के लिए सबसे आम तरीका पेरिफेरल वीनस कैनुलेशन (शरीर के परिधीय नसों में कैनुला का उपयोग करना) है। इंट्रावीनस (नसों के अंदर) प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना, सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपचार प्रदान करना है। जब किसी मरीज का लंबे समय तक उपचार चलता है, तो ऐसे में इंट्रावीनस थेरेपी की विशेष जरूरत पड़ती है। शोध से पता चला है कि जिन मामलों में इंट्रावीनस कैनुला की जरूरत नहीं होती है, उनमें भी इसका प्रयोग किया जाता है, जबकि कुछ मामलों में इसे टाला जा सकता है। जनरल वार्डों में भर्ती 1,000 रोगियों पर हाल ही में एक शोध किया गया, इस दौरान इन सभी मरीजों के नमूने लिए गए। अध्ययन में पाया गया कि लगभग 33% रोगियों में इंट्रावीनस कैनुला का प्रयोग सामान्य से अधिक समय के लिए किया जा रहा है। जबकि

Pleural Effusion in Hindi

 फुफ्फुस बहाव - Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों के बाहर असामान्य मात्रा में द्रव इकट्ठा हो जाता है। ऐसे कई रोग हैं जिनके कारण यह समस्या होने लग जाती है और ऐसी स्थिति में फेफड़ों के आस-पास जमा हुऐ द्रव को निकालना पड़ता है। इस इस स्थिति के कारण के अनुसार ही इसका इलाज शुरु करते हैं।  प्लूरा (Pleura) एक पत्ली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों और छाती की अंदरुनी परत के बीच में मौजूद होती है। जब फुफ्फुसीय बहाव होता है, प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में द्रव बनने लग जाता है। सामान्य तौर पर प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में एक चम्मच की मात्रा में द्रव होता है जो आपके सांस लेने के दौरान फेफड़ों को हिलने में मदद करता है। फुफ्फुस बहाव क्या है - What is Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन के लक्षण - Pleural Effusion Symptoms in Hindi फुफ्फुस बहाव के कारण व जोखिम कारक - Pleural Effusion Causes & Risk Factors in Hindi प्ल्यूरल इफ्यूजन से बचाव - Prevention of Pleural Effusion in Hindi फुफ्फुस बहाव का परीक्षण - Diagnosis of Pleural Effusion in Hind

शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi

 शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi शीघ्र स्खलन एक पुरुषों का यौन रोग है, जिसमें दोनों यौन साथियों की इच्छा के विपरीत सेक्स के दौरान पुरुष बहुत जल्दी ऑर्गास्म पर पहुंच जाता है यानि जल्दी स्खलित हो जाता है। इस समस्या के कारण के आधार पर, ऐसा या तो फोरप्ले के दौरान या लिंग प्रवेश कराने के तुरंत बाद हो सकता है। इससे एक या दोनों साथियों को यौन संतुष्टि प्राप्त करने में परेशानी हो सकती है। स्खलन को रोक पाने में असमर्थता अन्य लक्षणों जैसे कि आत्मविश्वास में कमी, शर्मिंदगी, तनाव और हताशा आदि को जन्म दे सकती है। ज्यादातर मामलों में, हो सकता है कि स्खलन को नियंत्रित करने में असमर्थता किसी जैविक कारण से न पैदा होती हो, हालांकि उपचार के किसी भी अन्य रूप की सिफारिश करने से पहले डॉक्टर इसकी संभावना का पता लगाते हैं। तनाव, चिंता, अवसाद, यौन अनुभवहीनता, कम आत्मसम्मान और शरीर की छवि जैसे मनोवैज्ञानिक कारक शीघ्र स्खलन के सबसे आम कारण हैं। विशेष रूप से सेक्स से संबंधित अतीत के दर्दनाक अनुभव भी शीघ्र स्खलन का संकेत दे सकते हैं। अन्य