सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

FATTY LIVER AND HOMOEOPATHY

 [3/11, 23:14] Dr.J.k Pandey: लीवर शरीर का सबसे बड़ा अंग है। यह हमें भोजन को पचाने, ऊर्जा को स्टोर करने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। फैटी लीवर रोग एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लीवर में वसा इकट्ठा होने लगती है। बता दें, लीवर में यदि कुछ मात्रा में वसा मौजूद है तो यह सामान्य बात है, लेकिन यदि लीवर में मौजूद वसा इसके वजन से 5% अधिक है, तो इसे वसायुक्त या फैटी लीवर माना जाता है। यह दो प्रकार के हैं : नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर रोग और अल्कोहोलिक फैटी लीवर रोग।


नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लीवर की बीमारी दो तरह की होती है। साधारण फैटी लीवर में, लीवर की कोशिकाओं में सूजन के किसी भी लक्षण के बिना लीवर में वसा इकट्ठा होने लगती है। इसमें जटिलताओं का जोखिम आमतौर पर कम होती है। दूसरा है - नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहैपेटाइटिस, जिसमें लीवर की कोशिकाओं में सूजन व अन्य कोई नुकसान होने लगता है।


मोटापा और पेट की सामान्य से ज्यादा चर्बी, इंसुलिन प्रतिरोध, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का अत्यधिक सेवन और आंतों का स्वास्थ्य बिगड़ने जैसे कारकों से फैटी लीवर हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है, तो उन्हें थकान, पेट भरा-भरा लगना और छूने पर दर्द होना, इंसुलिन का स्तर बढ़ जाना, भूख में कमी, मतली, उल्टी, पेट में दर्द और आंखों व त्वचा का पीलापन जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।


यदि डॉक्टर को लगता है कि मरीज को फैटी लीवर हो सकता है, तो वे शारीरिक परीक्षण कर सकते हैं और ब्लड टेस्ट व इमेजिंग टेस्ट कराने का सुझाव दे सकते हैं, ताकि निदान की पुष्टि की जा सके। फैटी लीवर का उपचार इसके निदान पर निर्भर करता है और इसमें अल्कोहल का सेवन बंद करना, वसा और कार्बोहाइड्रेट युक्त चीजों को आहार में कम से कम शामिल करना, व्यायाम करना, यदि जरूरत हो तो वजन कम करना, सूजन को नियंत्रित करने के लिए दवाएं शामिल हैं।


फैटी लीवर के इलाज के लिए होम्योपैथी ट्रीटमेंट भी लिया जा सकता है। इसे वैकल्पिक चिकित्सा के एक प्रभावी विकल्प के रूप में जाना जाता है, यह न केवल लक्षणों से राहत देने में मदद कर सकता है, बल्कि रोग के मूल कारण को भी खत्म करने में सहायक है। फैटी लीवर के अंतर्निहित कारण को ठीक करने के लिए होम्योपैथिक डॉक्टर व्यक्ति के लक्षणों के साथ कुछ अन्य जानकारियां भी इकट्ठा करते हैं, ताकि मरीज को सटीक दवाएं दी जा सकें। यदि किसी अनुभवी डॉक्टर के मार्गदर्शन में इन दवाओं को लिया जाता है, तो यह उपाय बीमारी की पुनरावृत्ति (दोबारा होने का जोखिम) को रोकने में मदद करती हैं। फैटी लीवर के उपचार में लाइकोपोडियम, फास्फोरस और सल्फर जैसे उपचार का उपयोग किया जाता है।

फैटी लीवर की होम्योपैथिक दवा - Homeopathic medicines for fatty liver in Hindi

फैटी लीवर के लिए होम्योपैथी के अनुसार आहार - Diet for fatty liver as per homeopathy in Hindi

फैटी लीवर के लिए होम्योपैथिक दवाएं कितनी प्रभावी हैं - How much effective homeopathic medicine for Fatty Liver in Hindi

फैटी लीवर के लिए होम्योपैथिक दवाओं के नुकसान - Disadvantages of homeopathic medicine for Fatty Liver in Hindi

फैटी लीवर के लिए होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Tips related to homeopathic treatment for Fatty liver in Hindi

[3/11, 23:18] Dr.J.k Pandey: फैटी लीवर की होम्योपैथिक दवा - Homeopathic medicines for fatty liver in Hindi

नीचे कुछ होम्योपैथिक उपचार बताए गए हैं, जो फैटी ​लीवर के इलाज में कारगर हैं :


चेलिडोनियम मैजुस

सामान्य नाम : सेलंडाइन

लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों के उपचार के लिए उपयुक्त है :


आंखों और त्वचा का रंग पीला होना

जीभ पर पीले रंग की कोटिंग

ऊपर देखने पर आंखों में दर्द

सांस में बदबू

जी मिचलाना

उल्टी

पेट दर्द, जिसमें खाने से राहत मिलती है

पीलिया होने की प्रवृत्ति

पेट वाले हिस्से का फूलना व सूजन

पेट वाले हिस्से में कसाव

लीवर बढ़ना

पित्ताशय की पथरी

पीले रंग की पेशाब

लगातार कब्ज की शिकायत 

चेहरे पर दाने

लीवर कंजेशन (शरीर के तरल पदार्थ का असामान्य रूप से या अत्यधिक संचय)

यह लक्षण सुबह, दाहिनी तरफ लेटने और चलने फिरने से खराब हो जाते हैं, जबकि दबाव पड़ने और रात के खाने के बाद इनमें सुधार होता है।


कैल्केरिया कार्बोनिका

सामान्य नाम : कार्बोनेट ऑफ लाइम

लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों के उपचार में मददगार साबित होता है :

आंखों में थकान

नींद से जुड़ी समस्या

नजर कमजोर होना

चेहरे की सूजन

पेट में ऐंठन

भूख में कमी

जीभ सूखना, विशेषकर रात में

सफाई के बाद त्वचा की खुजली 

मुंह में लगातार खट्टा स्वाद

मांसाहारी खाना बिल्कुल पसंद न करना; मिठाई खाने का मन करना

कोल्ड ड्रिंक पीने का मन करना

सीने में बार-बार जलन होना

जोर से चिल्लाना

मल पास करने में कठिनाई

छूने पर पेट में दर्द होना

सामान्य से ज्यादा प्यास लगना

पेट वाला हिस्सा छूने पर संवेदनशील होना

झुकने पर लीवर वाले हिस्से में दर्द

पेट में वसा इकट्ठा होना

त्वचा पर चकत्ते

यह लक्षण उमस भरे और नम मौसम में, शारीरिक और मानसिक थकान और खड़े रहने से बदतर हो जाते हैं, जबकि दर्द वाले हिस्से के बल लेटने सूखे वातावरण में इन लक्षणों से राहत मिलती है।


कार्डुअस मारिएनस

सामान्य नाम : सेंट मैरी थिसल

लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों वाले व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है :


भूख में कमी

पेट भरा-भरा लगना

जी मिचलाना

मुंह में कड़वा स्वाद

उल्टी में हरे रंग का खट्टा द्रव आना

लीवर बढ़ना

लीवर सिरोसिस 

पेट में दर्द होना

कब्ज

रात को लेटते ही त्वचा में खुजली होना

त्वचा पर अल्सर दिखना

लाइकोपोडियम क्लैवेटम

सामान्य नाम : क्लब मॉस

लक्षण : इस उपाय की आवश्यकता निम्न​लिखित लक्षणों वाले व्यक्तियों को होती है :


चेहरे की त्वचा का पीला रंग

खुजली

जीभ सूखना

सांस में बदबू

जीभ पर छाले

भूख पर नियंत्रण न होना

मिठाई खाने का बहुत मन करना

खट्टी डकार

पाचन शक्ति कमजोर होना 

खाने के बाद पेट पर सूजन और दबाव महसूस करना

सीने की जलन की वजह से गले में परेशानी

पेट के निचले हिस्से में चुभन जैसा दर्द जो दाईं से बाईं तरफ बढ़ता है

अत्यधिक पसीना

यह लक्षण गर्म सिकाई, गर्मी और दाईं तरफ लेटने से बिगड़ जाते हैं। जबकि आधी रात के बाद, चलने-फिरने और गर्म खानपान से इनमें सुधार होता है।


फास्फोरस

सामान्य नाम : फास्फोरस

लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों के लिए निर्धारित किया जाता है :


आंखों में थकान

त्वचा का रंग पीला होना

आंखों के नीचे नीले रंग का घेरा

चेहरे की हड्डियों में दर्द

मसूड़ों से खून आना

जीभ पर पतली, सफेद परत होना

ठंडा पानी पीने का बहुत मन करना

भोजन के बाद भी भूख महसूस करना

खाने के बाद मुंह में खट्टा स्वाद

उल्टी

भोजन निगलने में कठिनाई

पेट छूने पर दर्द, जिसमें ठंडा भोजन करने और बर्फ की सिकाई से राहत मिलती है

पेट की सूजन

गले और आंतों में जलन

पेट में तेज दर्द

ऐसा एहसास जैसे पेट खाली हो

पेट पर पीले निशान आना

त्वचा पर अल्सर

यह लक्षण शाम को, छूने पर, गर्म खान-पान लेने और शारीरिक व मानसिक थकान के कारण बदतर हो जाते हैं। जबकि खुली हवा में, अंधेरे में या दाईं ओर लेटने से राहत महसूस होती है।


सल्फर

सामान्य नाम : सब्लीमेटेड सल्फर

लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों के उपचार के लिए मददगार है :


भूख में कमी

होंठ सूखना

आंखों में जलन

सुबह के समय मुंह में कड़वा स्वाद

गले पर दबाव, जो एक गांठ की तरह महसूस होता है

जीभ पर सफेद परत होना

जलन और पेट पर दबाव जैसे कि उस पर किसी तरह का भार हो

पेट वाले हिस्से में दर्द

लीवर वाले हिस्से पर दर्द

त्वचा में सूखापन

त्वचा पर खुजली और जलन

यह लक्षण रात में, आराम करने, खड़े रहने और शराब के सेवन करने से खराब हो जाते हैं। जबकि दाईं ओर लेटने और शुष्क व गर्म मौसम में इन लक्षणों से आराम मिलता 


फैटी लीवर के लिए होम्योपैथी के अनुसार आहार - Diet for fatty liver as per homeopathy in Hindi

होम्योपैथिक दवाएं आमतौर पर व्यक्ति की दैनिक दिनचर्या में आसानी से एडजस्ट हो सकती हैं। हालांकि, इन दवाओं को लेते समय जीवनशैली में कुछ बदलाव करने की जरूरत होती है। ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि कोई बाहरी कारक दवाओं की कार्रवाई को प्रभावित न करें। इन बदलावों में शामिल है :


क्या करना चाहिए


खुद की सफाई रखें और साफ सुथरे माहौल में रहें।

प्रोसेस्ड फूड के सेवन से बचें और उनकी जगह केवल संतुलित आहार, स्वस्थ भोजन और पौष्टिक आहार लें, जो फाइबर और पोषक तत्वों से भरपूर हों।

दैनिक गतिविधियों में संलग्न रहते हुए बॉडी पॉश्चर को सही बनाए रखें।

नियमित रूप से व्यायाम करें। आप चाहें तो योग, वॉक और जॉगिंग करके सक्रिय जीवनशैली अपना सकते हैं।

आरामदायक कपड़े पहनें, जिसमें आसानी से हवा आ जा सके।

क्या नहीं करना चाहिए


चाय और कॉफी जैसे पेय पदार्थों के सेवन से बचें।

शराब और अन्य हानिकारिक पेय का सेवन न करें, क्योंकि यह होम्योपैथिक दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं और इनके असर को बाधित कर सकते हें।

सामान्य से ज्यादा नमक या चीनी का सेवन न करें।

परफ्यूम और रूम फ्रेशनर जैसे आर्टिफिशियल सुगंधित चीजों का उपयोग न करें।

एयर कंडीशनिंग या रूम हीटर जैसे उपकरणों के उपयोग से बचें।

फैटी लीवर के लिए होम्योपैथिक दवाएं कितनी प्रभावी हैं - How much effective homeopathic medicine for Fatty Liver in Hindi

फैटी लीवर के उपचार के लिए होम्योपैथी एक बेहतरीन विकल्प है, क्योंकि यह लीवर की प्राकृतिक कार्यप्रणाली को बेहतर बनाते हैं, जिससे फैटी लीवर के लक्षणों में कमी आती है। इन उपायों का चयन व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक व अन्य स्थितियों को ध्यान में रखकर किया जाता है। यह सिर्फ बीमारी के कारणों को ठीक नहीं करता बल्कि यह समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है। हालांकि, फैटी लीवर रोग के लिए होम्योपैथिक उपचार कितने प्रभावी हैं, इस बात को लेकर पर्याप्त शोध अध्ययन नहीं हुए हैं। इसलिए, अधिक जानकारी के लिए होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श करें।



फैटी लीवर के लिए होम्योपैथिक दवाओं के नुकसान - Disadvantages of homeopathic medicine for Fatty Liver in Hindi

आमतौर पर होम्योपैथिक उपचार सुरक्षित होते हैं, क्योंकि इन्हें प्राकृतिक चीजों से तैयार किया जाता है। इन्हें बच्चे से लेकर बूढ़ों तक कोई भी ले सकता है। मरीज को होम्योपैथी उपाय निर्धारित करने से पहले उसकी फैमिली और मेडिकल हिस्ट्री को जाना जाता है। इसके बाद दवाओं को घुलनशील रूप में तैयार करके मरीजों को दिया जाता है। इन उपायों का कोई दुष्प्रभाव नहीं है, लेकिन पारंपरिक दवाओं से कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या हो सकती है। इन उपायों को संभलकर इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि यदि इन्हें अच्छे व अनुभवी होम्योपैथी डॉक्टर की निगरानी में नहीं लिया जाएगा, तो यह सटीक तरीके से असर नहीं करेंगे।


फैटी लीवर के लिए होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Tips related to homeopathic treatment for Fatty liver in Hindi

फैटी लीवर की बीमारी एक सामान्य स्थिति है, लेकिन आगे चलकर यह गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है, ऐसे में इसका उपचार बेहद जरूरी है। फैटी लीवर रोग का पारंपरिक उपचार बीमारी के अंतर्निहित कारणों पर निर्भर करता है। होम्योपैथी ट्रीटमेंट के जरिये इस समस्या का इलाज किया जा सकता है। वास्तव में, यह बीमारी के साथ-साथ ओवरऑल हेल्थ में सुधार करता है। इसका कोई साइड इफेक्ट्स नहीं है, क्योंकि इन्हें प्राकृतिक पदार्थों से तैयार किया जाता है और सेवन करने से पहले मरीज को घुलनशील या पतले रूप में दिया जाता है। हालांकि, कई ऐसे कारक हैं, जिनकी वजह से इन दवाइयों का प्रभाव बेअसर हो सकता है, लेकिन एक अनुभवी होम्योपैथी डॉक्टर उपाय निर्धारित करते समय आपको जरूरी सावधानियों के बारे में भी बताते हैं।


ध्यान रहे, इनका दुष्प्रभाव नहीं होता है, लेकिन इन्हें अपने आप से कभी नहीं लेना चाहिए।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कैनुला क्या है?कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi

 कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi कैनुला क्या है? कैनुला एक पतली ट्यूब है, जिसे शरीर में नसों के जरिए इंजेक्ट किया जाता है, ताकि जरूरी तरल पदार्थ को शरीर से निकाला (नमूने के तौर पर) या डाला जा सके। इसे आमतौर पर इंट्रावीनस कैनुला (IV cannula) कहा जाता है। बता दें, इंट्रावीनस थेरेपी देने के लिए सबसे आम तरीका पेरिफेरल वीनस कैनुलेशन (शरीर के परिधीय नसों में कैनुला का उपयोग करना) है। इंट्रावीनस (नसों के अंदर) प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना, सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपचार प्रदान करना है। जब किसी मरीज का लंबे समय तक उपचार चलता है, तो ऐसे में इंट्रावीनस थेरेपी की विशेष जरूरत पड़ती है। शोध से पता चला है कि जिन मामलों में इंट्रावीनस कैनुला की जरूरत नहीं होती है, उनमें भी इसका प्रयोग किया जाता है, जबकि कुछ मामलों में इसे टाला जा सकता है। जनरल वार्डों में भर्ती 1,000 रोगियों पर हाल ही में एक शोध किया गया, इस दौरान इन सभी मरीजों के नमूने लिए गए। अध्ययन में पाया गया कि लगभग 33% रोगियों में इंट्रावीनस कैनुला का प्रयोग सामान्य से अधिक समय के लिए किया जा रहा है। जबकि

Pleural Effusion in Hindi

 फुफ्फुस बहाव - Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों के बाहर असामान्य मात्रा में द्रव इकट्ठा हो जाता है। ऐसे कई रोग हैं जिनके कारण यह समस्या होने लग जाती है और ऐसी स्थिति में फेफड़ों के आस-पास जमा हुऐ द्रव को निकालना पड़ता है। इस इस स्थिति के कारण के अनुसार ही इसका इलाज शुरु करते हैं।  प्लूरा (Pleura) एक पत्ली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों और छाती की अंदरुनी परत के बीच में मौजूद होती है। जब फुफ्फुसीय बहाव होता है, प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में द्रव बनने लग जाता है। सामान्य तौर पर प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में एक चम्मच की मात्रा में द्रव होता है जो आपके सांस लेने के दौरान फेफड़ों को हिलने में मदद करता है। फुफ्फुस बहाव क्या है - What is Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन के लक्षण - Pleural Effusion Symptoms in Hindi फुफ्फुस बहाव के कारण व जोखिम कारक - Pleural Effusion Causes & Risk Factors in Hindi प्ल्यूरल इफ्यूजन से बचाव - Prevention of Pleural Effusion in Hindi फुफ्फुस बहाव का परीक्षण - Diagnosis of Pleural Effusion in Hind

शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi

 शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi शीघ्र स्खलन एक पुरुषों का यौन रोग है, जिसमें दोनों यौन साथियों की इच्छा के विपरीत सेक्स के दौरान पुरुष बहुत जल्दी ऑर्गास्म पर पहुंच जाता है यानि जल्दी स्खलित हो जाता है। इस समस्या के कारण के आधार पर, ऐसा या तो फोरप्ले के दौरान या लिंग प्रवेश कराने के तुरंत बाद हो सकता है। इससे एक या दोनों साथियों को यौन संतुष्टि प्राप्त करने में परेशानी हो सकती है। स्खलन को रोक पाने में असमर्थता अन्य लक्षणों जैसे कि आत्मविश्वास में कमी, शर्मिंदगी, तनाव और हताशा आदि को जन्म दे सकती है। ज्यादातर मामलों में, हो सकता है कि स्खलन को नियंत्रित करने में असमर्थता किसी जैविक कारण से न पैदा होती हो, हालांकि उपचार के किसी भी अन्य रूप की सिफारिश करने से पहले डॉक्टर इसकी संभावना का पता लगाते हैं। तनाव, चिंता, अवसाद, यौन अनुभवहीनता, कम आत्मसम्मान और शरीर की छवि जैसे मनोवैज्ञानिक कारक शीघ्र स्खलन के सबसे आम कारण हैं। विशेष रूप से सेक्स से संबंधित अतीत के दर्दनाक अनुभव भी शीघ्र स्खलन का संकेत दे सकते हैं। अन्य