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मस्से,WARTS AND HOMOEOPATHY

DR.J.K.PANDEY B.Sc.BHMS (WARTS) मस्से हमारे शरीर में स्वतः विकसित होने वाली सरचनाएं हैं. कई बार ये हमारे शरीर के कुछ विशिष्ट हिस्सों में हो जाता है जिससे बहुत विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसलिए लोग ऐसे मस्सों से छुटकारा पाना चाहते हैं. मस्सा को चिकित्साविज्ञान के अनुसार एक प्रकार का चर्मरोग माना जाता है. यह प्रायः अलग-अलग आकार के हो सकते है. यह प्रायः हाथ या पैर पर होता है लेकिन इसके शरीर के अन्य भागों में भी होने की संभावना लगातार बनी ही रहती है. मस्सों के निकलने का मुख्य कारण मानव (ह्यूमन) पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) होता है. इस वायरस की 130 प्रकार देखे गये हैं और यह मानव शरीर को छुवाछूत के जरिए संक्रमित कर देते हैं. आम तौर से मस्सों के उपचार के लिये होम्योपैथिक दवा थूजा“ उपयोग एक चलन सा बन गया है. लेकिन आपको बता दें कि ‘थूजा’ हर एक मस्सों की दवा नहीं है. जब थूजा के इस्तेमाल से मस्सों में आराम नहीं मिलता तब लोगों को चिकित्सक की सहाता से अन्य दवाओं के इस्तेमाल पर गौर करना चाहिए. मस्सों के होम्योपैथिक इलाज की चर्चा करने से पहले मस्सों के निकलने के कारण और उनके प्रकारों पर भी नजर ड़ाल लेन

नकसीर,NOSEBLEED AND HOMOEOPATHY

 Dr.J.K.Pandey B.Sc,BHMS EPISTAXIS,NOSEBLEED AND HOMOEOPATHY नाक से खून निकलने को मेडिकल की भाषा में एपिस्टैक्सिस कहते हैं। अचानक या नाक में किसी चोट लगने के कारण खून निकलने की शिकायत हो सकती है। नाक से खून निकलने को नकसीर भी कहा जाता है। नकसीर की स्थिति जानलेवा तो नहीं है, लेकिन बार-बार नाक से खून निकलने की वजह से व्‍यक्‍ति को असहजता हो सकती है। प्रभावित हिस्‍से के आधार पर एपिस्टैक्सिस को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है – एंटीरियर ब्‍लीड (दो नथुनों के बीच की दीवार से खून निकलना) और पोस्‍टीरियर ब्‍लीड (नाक के पीछे से खून निकलता है)। अगर बार-बार नकसीर की समस्‍या हो रही है या ये गंभीर रूप ले चुकी है तो इस पर ध्‍यान देना बहुत जरूरी हो जाता है। आमतौर पर नाक से खून निकलने को प्राथमिक उपचार, नाक से खून निकलने से संबंधित बीमारी, दवाओं एवं कुछ मामलों में सर्जरी से ठीक किया जाता है। होम्‍योपैथी में व्‍यक्‍ति की मानसिक स्थिति को ध्‍यान में रखने के साथ-साथ कुछ स्‍वास्‍थ्‍य स्थितियों के प्रति उसकी प्रवृत्ति पर भी ध्‍यान दिया जाता है। शरीर की प्रकृति और कुछ बीमारियों के होने के प्रवृत्ति के आधार

MIGRAIN AND HOMOEOPATHY

 [3/8, 11:55] Dr.J.k Pandey: Dr.J.K.Pandey B.Sc,BHMS 5 best homeopathic medicines for migraine माइग्रेन सर में होने वाली बीमारीओं में सब से अधिक देखा जाता है। माइग्रेन की वजह से कई बार इतना सरदर्द होता है कि रोगी कुछ भी और करने में असमर्थ रहता है। माइग्रेन सरदर्द के होम्योपैथिक इलाज की बात करने से पहले हम समझ लें कि ये क्या बीमारी है और क्यूँ होती है। माइग्रेन का अर्थ क्या है ? माइग्रेन एक प्रकार का सरदर्द है। यह अंग्रेजी के हेमिक्रेनिआ से बना है जिस का अर्थ होता है – एक ओर होने वाला सरदर्द। सामान्यतः लोग यही समझते हैं कि माइग्रेन का दर्द केवल एक ओर ही होता है। यह मान्यता पूरा सच नहीं है। कई बार यह दर्द एक ओर होता है और कई बार सारे सर में दर्द होता है। माइग्रेन क्या होता है ? माइग्रेन में सरदर्द टीस मारने वाला या यूँ कहें की धड़कने वाला होता है। कई बार ऐसा महसूस होता है जैसे सर फट रहा हो। सामान्यतः यह दर्द एक ओर ही होता है। बहुत से लोगों को पूरे सर में भी दर्द रहता है। कई बार दर्द एक ओर से दूसरी ओर बदलता रहता है। एक बार दर्द बाईं ओर हुआ तो अगली बार दर्द दाईं ओर हो जाता है। माइग्रेन के ल

WOMEN COMMON DISEASES

 महिलाओं को होने वाली सामान्य बीमारियां - Common diseases in women in Hindi आइये जानते हैं कि महिलाओं में सबसे आम गंभीर बीमारियां कौन सी हैं। ब्रेस्ट कैंसर पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस ओवेरियन और सर्विकल कैंसर गर्भाशय फाइब्रॉएड ब्रेस्ट कैंसर ब्रेस्ट कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़ोतरी होने से महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित हो सकती हैं. आमतौर पर यह लोब्यूल्स (lobules) और दुग्ध नलिकाओं (Milk ducts) में प्रवेश करके स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण करते हैं. धीरे-धीरे यह शरीर के अन्य भागों में फैलने लगते हैं. कुछ मामलों में, स्तन कैंसर स्तन के अन्य ऊतकों को भी प्रभावित करने लगता है. इस बीमारी से ग्रसित होने पर ब्रेस्ट के आसापास या फिर स्तन पर गांठ बनने लगती है. इसके अलावा स्तन या आसपास के क्षेत्र में काफी ज्यादा दर्द, स्तन की स्किन लाल, निप्पल पर दाने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं को होने वाली एक सामान्य बीमारी है. यह ओवरी से जुड़ी समस्या है. पीसीओएस (PCOS) की वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोन असुंतलन की स्थिति उत्पन्न ह

PREGNANCY THIRD TRIMESTER

 तीसरी तिमाही क्या है? गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के लक्षण भ्रूण का विकास शारीरिक परिवर्तन वजन बढ़ना गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में करने योग्य व्यायाम टेस्ट व स्कैन गर्भावस्था की तीसरी तिमाही का आहार गर्भावस्था की अंतिम तिमाही की कार्य सूची गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में देखभाल गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में ध्यान देने योग्य बातें गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में देखभाल के टिप्स गर्भधारण एक महिला के लिए दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास होता है। इस दौरान आपके चेहरे पर मुस्कान रहती है और आपका चेहरा दमकता है। और, जब आपको समझ आता है कि आपका पेट बढ़ रहा है और आप गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में प्रवेश कर रही हैं, आप एक ही समय में भावनाओं से अभिभूत भी होती हैं और चिंतित भी हो सकती हैं। परन्तु, आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह लेख आपके सभी संदेह व चिंताओं को दूर करने में आपकी मदद करेगा। तीसरी तिमाही क्या है? गर्भावस्था पूरे 9 महीने की होती है अर्थात लगभग चालीस सप्ताह की और इस अवधि को तीन तिमाहियों में विभाजित किया जाता है। तीसरी तिमाही के सप्ताहों की बात करें तो, इसमें गर्भावस्था के 28

PREGNANCY SECOND TRIMESTER

 [3/7, 00:36] Dr.J.k Pandey: जानिए गर्भावस्‍था की दूसरी तिमाही में शिशु के विकास और मां के शरीर में आने वाले बदलावों के बारे में [3/7, 00:42] Dr.J.k Pandey: BODY CHANGES (शारीरिक बदलाव) ूसरी तिमाही क्या है? प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही के लक्षण भ्रूण का विकास शारीरिक परिवर्तन वजन बढ़ना टेस्ट व स्कैन प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में करने योग्य व्यायाम प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही का आहार प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही की कार्य सूची प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में देखभाल प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में ध्यान देने योग्य बातें गर्भावस्था की पहली तिमाही किसी किसी महिलाओं के लिए सुखद अनुभव लेकर नहीं आता है जिसका कारण मॉर्निंग सिकनेस या मतली हो सकता है । लेकिन जब आप अपनी दूसरी तिमाही में प्रवेश करती हैं, तो यह समस्याएं कम हो जाती हैं। दूसरी तिमाही आमतौर पर सबसे आसान होती है, और बहुत सारी महिलाएं इस अवसर का लाभ उठाकर अपने नन्हे मेहमान के आगमन की तैयारियां करने लगती हैं। दूसरी तिमाही क्या है? गर्भावस्था के नौ महीनों को तीन-तीन महीनों की तीन तिमाहियों में विभाजित किया गया है। दूसरी तिमाही गर्भावस्था के चौथे

PREGNANCY FRIST TRIMESTER

 गर्भावस्था की पहली तिमाही - first trimester pregnancy  गर्भावस्था महिला के जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण है। बच्चे को जन्म देना हर महिला को रोमांचित कर देता है। अपनी प्रेग्नेंसी के पहले ही दिन से महिला और उसके घर के सभी सदस्य आने वाले नन्हें मेहमान की तैयारियों में जुट जाते हैं। कोई उसका नाम सोचने लगता हैं तो कोई बच्चे के पैदा होने के बाद की योजनाएं तैयार करने लगता है। इस दौरान महिला के शारीरिक हार्मोन्स के साथ ही उनके व्यवहार में भी बदलाव आना शुरू हो जाता है। इसलिए इस समय महिला को आम दिनों की अपेक्षा अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। खासकर महिला को गर्भावस्था की पहली तिमाही में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान देना होता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिला के मन में कई तरह के प्रश्न होते हैं और यही वह समय होता है जब महिला के द्वारा खुद को प्रेग्नेंसी के हर चरण के लिए तैयार करना बेहद जरूरी होता है। इस दौरान महिला के मन में उठने वाले सवालों को शांत करने के लिए लेख में गर्भावस्था की पहली तिमाही के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही इस लेख में आपको गर्भावस्था की तिमाही क्या है, गर्भा