सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

WOMEN COMMON DISEASES






 महिलाओं को होने वाली सामान्य बीमारियां - Common diseases in women in Hindi

आइये जानते हैं कि महिलाओं में सबसे आम गंभीर बीमारियां कौन सी हैं।


ब्रेस्ट कैंसर

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस

ओवेरियन और सर्विकल कैंसर

गर्भाशय फाइब्रॉएड

ब्रेस्ट कैंसर

ब्रेस्ट कोशिकाओं की अनियंत्रित बढ़ोतरी होने से महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित हो सकती हैं. आमतौर पर यह लोब्यूल्स (lobules) और दुग्ध नलिकाओं (Milk ducts) में प्रवेश करके स्वस्थ कोशिकाओं पर आक्रमण करते हैं. धीरे-धीरे यह शरीर के अन्य भागों में फैलने लगते हैं. कुछ मामलों में, स्तन कैंसर स्तन के अन्य ऊतकों को भी प्रभावित करने लगता है.


इस बीमारी से ग्रसित होने पर ब्रेस्ट के आसापास या फिर स्तन पर गांठ बनने लगती है. इसके अलावा स्तन या आसपास के क्षेत्र में काफी ज्यादा दर्द, स्तन की स्किन लाल, निप्पल पर दाने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं.




पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं को होने वाली एक सामान्य बीमारी है. यह ओवरी से जुड़ी समस्या है. पीसीओएस (PCOS) की वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोन असुंतलन की स्थिति उत्पन्न होने लगती है. पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं के शरीर में फीमेल हार्मोन की बजाय मेल हार्मोन (एण्ड्रोजन) का स्त्राव अधिक होने लगता है. जिसकी वजह से महिलाओं के अंडाशय में कई गांठे (सिस्ट) बनने लगती हैं.


पीसीओएस (PCOS) से ग्रसित महिलाओंं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों से जूझना पड़ता है. पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं में ओवुलेशन की प्रक्रिया में रुकावट उत्पन्न होने लगती है. ओव्यूलेशन की प्रक्रिया में रुकावट की वजह से महिलाओं को प्रेग्नेंसी में काफी ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं को टाइप-2 डायबिटीज और मोटापा बढ़ने का खतरा ज्यादा रहता है.  इसके अलावा पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं को पेट में दर्द, पेडू में दर्द, चेहरे, छाती, पेट, अंगूठे या पैर की उंगलियों पर अत्यधिक बाल उगना, बालों का झड़ना, मुंहासे, ऑयली स्किन और डैंड्रफ, स्किन पर धब्बे जैसे लक्षण दिख सकते हैं.



इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस

इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस एक गंभीर ब्लैडर स्थिति (chronic bladder condition) है, जिसकी वजह से मूत्राशय या आसपास के  पेल्विक क्षेत्र में बार-बार असुविधा या दर्द का सामना करना पड़ता है. इस समस्या से ग्रसित लोगों में आमतौर पर मूत्राशय की दीवारों में सूजन या जलन होने लगती है. आईसी (Interstitial cystitis) किसी को भी प्रभावित कर सकता है. हालांकि, यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में काफी आम है.


इंटरस्टीशियल सिस्टाइटिस की समस्या होने पर आपको पेट या पेल्विक में हल्की बेचैनी, लगातार पेशाब आना, पेशाब करने की इच्छा तेज होना, पेट या पेल्विक पर दबाव महसूस होना, मूत्राशय या पेल्विक में तेज दर्द होना, पेट के निचले हिस्से में गंभीर दर्द (जो मूत्राशय के भरने या खाली होने पर तेज हो जाता है.) इत्यादि लक्षण महसूस हो सकते हैं.



ओवेरियन और सर्विकल कैंसर

ओवेरियन और सर्विकल कैंसर महिलाओं को होने वाली एक कॉमन समस्या है. कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें ओवेरियन और सर्विकल कैंसर के बीच का अंतर पता नहीं है. सर्विकल कैंसर यूट्रस के निचले हिस्से से शुरू होता है. वहीं, ओवरियल कैंसर फैलोपियन ट्यूब (fallopian tubes) से शुरू होता है. हालांकि, दोनों स्थितियों के लक्षण लगभग समान होते हैं.  सर्विकल कैंसर में इंटरकोर्स (intercourse) के दौरान डिस्चार्ज और दर्द का सामना करना पड़ता है. वहीं, ओवेरियन कैंसर में आपको पेट में सूजन, पेट में दबाव और दर्द, बार-बार पेशाब आना, मासिक धर्म में अनियमितता और संभोग के दौरान दर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं.




गर्भाशय फाइब्रॉएड

महिलाओं में फाइब्रॉएड (fibroids) की समस्या बहुत ही आम है. यह एक नॉन-कैंसर ट्यूमर (noncancerous tumors) स्थिति है. शरीर में हार्मोनल बदलाव और अनुवांशिक कारणों से महिलाओं को गर्भाशय फाइब्रॉएड (Uterine fibroids) की परेशानी हो सकती है. फाइब्रॉएड (Fibroids) मांसपेशियों की कोशिकाओं और ऊतकों से बने होते हैं, जो गर्भाशय या गर्भ की दीवार और उसके आसपास बढ़ते हैं. फाइब्रॉएड की समस्या के सटीक कारणों के बारे में बताना अभी मुश्किल है. हालांकि, अधिक वजन और अनुवांशिक कारणों से फाइब्रॉएड होने का खतरा ज्यादा होता है.


पीरियड्स के दौरान काफी ज्यादा दर्द या फिर हैवी फ्लो होना, पेट के निचले हिस्से में भरा-भरा सा महसूस होना, बार-बार पेशाब आना, सेक्स के दौरान दर्द होना, कमर के निचले हिस्से में दर्द होना, प्रजनन संबंधी समस्याएं (जैसे इंफर्टिलिटी, एक से अधिक गर्भपात) जैसे लक्षण शामिल हैं.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कैनुला क्या है?कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi

 कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi कैनुला क्या है? कैनुला एक पतली ट्यूब है, जिसे शरीर में नसों के जरिए इंजेक्ट किया जाता है, ताकि जरूरी तरल पदार्थ को शरीर से निकाला (नमूने के तौर पर) या डाला जा सके। इसे आमतौर पर इंट्रावीनस कैनुला (IV cannula) कहा जाता है। बता दें, इंट्रावीनस थेरेपी देने के लिए सबसे आम तरीका पेरिफेरल वीनस कैनुलेशन (शरीर के परिधीय नसों में कैनुला का उपयोग करना) है। इंट्रावीनस (नसों के अंदर) प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना, सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपचार प्रदान करना है। जब किसी मरीज का लंबे समय तक उपचार चलता है, तो ऐसे में इंट्रावीनस थेरेपी की विशेष जरूरत पड़ती है। शोध से पता चला है कि जिन मामलों में इंट्रावीनस कैनुला की जरूरत नहीं होती है, उनमें भी इसका प्रयोग किया जाता है, जबकि कुछ मामलों में इसे टाला जा सकता है। जनरल वार्डों में भर्ती 1,000 रोगियों पर हाल ही में एक शोध किया गया, इस दौरान इन सभी मरीजों के नमूने लिए गए। अध्ययन में पाया गया कि लगभग 33% रोगियों में इंट्रावीनस कैनुला का प्रयोग सामान्य से अधिक समय के लिए किया जा रहा है। जबकि

Pleural Effusion in Hindi

 फुफ्फुस बहाव - Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों के बाहर असामान्य मात्रा में द्रव इकट्ठा हो जाता है। ऐसे कई रोग हैं जिनके कारण यह समस्या होने लग जाती है और ऐसी स्थिति में फेफड़ों के आस-पास जमा हुऐ द्रव को निकालना पड़ता है। इस इस स्थिति के कारण के अनुसार ही इसका इलाज शुरु करते हैं।  प्लूरा (Pleura) एक पत्ली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों और छाती की अंदरुनी परत के बीच में मौजूद होती है। जब फुफ्फुसीय बहाव होता है, प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में द्रव बनने लग जाता है। सामान्य तौर पर प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में एक चम्मच की मात्रा में द्रव होता है जो आपके सांस लेने के दौरान फेफड़ों को हिलने में मदद करता है। फुफ्फुस बहाव क्या है - What is Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन के लक्षण - Pleural Effusion Symptoms in Hindi फुफ्फुस बहाव के कारण व जोखिम कारक - Pleural Effusion Causes & Risk Factors in Hindi प्ल्यूरल इफ्यूजन से बचाव - Prevention of Pleural Effusion in Hindi फुफ्फुस बहाव का परीक्षण - Diagnosis of Pleural Effusion in Hind

शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi

 शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi शीघ्र स्खलन एक पुरुषों का यौन रोग है, जिसमें दोनों यौन साथियों की इच्छा के विपरीत सेक्स के दौरान पुरुष बहुत जल्दी ऑर्गास्म पर पहुंच जाता है यानि जल्दी स्खलित हो जाता है। इस समस्या के कारण के आधार पर, ऐसा या तो फोरप्ले के दौरान या लिंग प्रवेश कराने के तुरंत बाद हो सकता है। इससे एक या दोनों साथियों को यौन संतुष्टि प्राप्त करने में परेशानी हो सकती है। स्खलन को रोक पाने में असमर्थता अन्य लक्षणों जैसे कि आत्मविश्वास में कमी, शर्मिंदगी, तनाव और हताशा आदि को जन्म दे सकती है। ज्यादातर मामलों में, हो सकता है कि स्खलन को नियंत्रित करने में असमर्थता किसी जैविक कारण से न पैदा होती हो, हालांकि उपचार के किसी भी अन्य रूप की सिफारिश करने से पहले डॉक्टर इसकी संभावना का पता लगाते हैं। तनाव, चिंता, अवसाद, यौन अनुभवहीनता, कम आत्मसम्मान और शरीर की छवि जैसे मनोवैज्ञानिक कारक शीघ्र स्खलन के सबसे आम कारण हैं। विशेष रूप से सेक्स से संबंधित अतीत के दर्दनाक अनुभव भी शीघ्र स्खलन का संकेत दे सकते हैं। अन्य