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सूजन ,शोथ OEDEMA,SWELLING

 सूजन क्या है? जब शरीर के किसी अंदरूनी या बाहरी अंगों का आकार बढ़ने लगे या उनमें फैलाव आने लगे तो ये सूजन का रूप होता है। मेडिकल भाषा में सूजन को एडिमा (Edema) के नाम से जाना जाता है। सूजन आम तौर पर किसी जगह पर द्रव एकत्रित होने के परिणाम से होती है। यह जलन या दर्द के प्रति शरीर की प्रतक्रिया से भी हो सकती है। सूजन शरीर के अंदर भी हो सकती, और बाहर त्वचा को भी प्रभावित कर सकती है। ऐसी कई स्थितियां हैं जो सूजन का कारण बन सकती हैं। कीट द्वारा काटना, बीमारियां या चोट आदि लगने से त्वचा में सूजन आ सकती है। शरीर के अंदरूनी भागों में सूजन मुख्य रूप से किसी दवाई के साइड इफेक्ट या किसी गंभीर चोट के कारण आती है। अगर आपको तीव्र और अस्पष्ट सूजन अनुभव हो रही है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। खासकर अगर सूजन होने के साथ अस्पष्ट रूप से आपका वजन बढ़ रहा है और दर्द महसूस हो रहा है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं। सूजन के प्रकार - सूजन के लक्षण  सूजन के कारण सूजन से बचाव  सूजन का परीक्षण सूजन के प्रकार - Types of Swelling in Hindi सूजन (एडिमा) के कितने प्रकार हो सकते हैं? पेरिफेरल एडिमा (Peripheral edema) –

कील ,मुंहासे ACNE

 मुंहासे (Acne)    मुंहासे की समस्या तब पैदा होती है जब स्किन से निकलने वाले ऑयल का उत्पादन तो बढ़ जाता है लेकिन स्किन सेल्स के फैलाव में कमी आ जाती है। इस स्थिति के कारण स्किन सेल्स ब्लॉक हो जाते हैं और उनमें मौजूद ऑयल वहीं रुक जाता है। मुंहासे जवानी के दिनों में लड़कों और लड़कियों दोनों के निकल सकते हैं और ऐसा बिल्कुल नहीं है कि 40 से 50 की उम्र में लोगों के मुंहासे नहीं आ मुंहासे क्‍या है? मुंहासे (Acne) की समस्या एक आम स्किन संबंधी समस्या है, जो किसी भी उम्र के व्‍यक्ति को परेशान कर सकती है। जिनकी स्किन ऑयली होती है उन्‍हें ये समस्‍या ज्‍यादा परेशान करती है इसलिए वो इसे ज्यादा गंभीरता से लेते हैं। बहुत से लोग सोचते हैं कि ज्यादा तला-भुना खा लेने से ये समस्या होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये त्वचा विकार हमारी स्किन के भीतर तेल बनाने वाली ग्रंथियों और बालों के रोम (hair follicles) में सूजन आने के कारण होती है। बालों के रोम हमारी स्किन के नीचे मौजूद होते हैं।ये रोम हमारी त्वचा के भीतर मौजूद टिश्यू जैसी कई संरचनाओं से बने होते हैं, जो बालों के विकास में मदद करते हैं। तेल बनाने वाल

RABIES AWARENESS

 रेबीज कौन सा रोग है? - Rabies meaning in Hindi रेबीज एक संक्रामक बीमारी है, जो मनुष्य सहित सभी प्रकार के गर्म खून वाले जीवों को प्रभावित कर सकती है। यह विकार संक्रमित जानवर की लार द्वारा प्रेषित होता है और न्यूरोट्रोपिक लाइसिसिवर्स वायरस (Neurotropic lyssavirus) के कारण होता है जो लार ग्रंथियों और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। वायरस संक्रमित पशुओं के काटने और खरोचने से मनुष्यों में फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में हर साल 59,000 लोग रेबीज के कारण मरते हैं। उनमें से 90 प्रतिशत को रेबीज से संक्रमित कुत्ते के काटने से रैबीज हुआ होता है। भारत में, प्रत्येक वर्ष रेबीज से 18,000 से 20,000 मृत्यु होती हैं। इन मौतों में से कई बच्चे हैं, अक्सर चिकित्सा सुविधाओं कमी के कारण मर रहे हैं - जिसका अर्थ है कि उनकी मृत्यु रिकॉर्ड तक नहीं हो पाती है। एक बार जब व्यक्ति को रेबीज के संकेत और लक्षण होने शुरू हो जाते हैं, तो बीमारी लगभग हमेशा मौत का कारण बनती है। इस कारण से, जिस किसी को भी रेबीज होने का खतरा हो सकता है, उन्हें सुरक्षा के लिए रेबीज का टीका लगवा लेन

HEART AWARENESS

 आइए, हृदय को समझते हैं   हमारा हृदय हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। यह अंग हमारे परिसंचरण प्रणाली के बीच में स्थित है, जो धड़कते हुए शरीर के चारों ओर रक्त का प्रवाह करता है। रक्त शरीर में ऑक्सीजन और पोषक तत्व भेजता है और अवांछित कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है। हृदय कार्डियोवास्कुलर सिस्टम का एक प्रमुख अंग होता है, जिसमें रक्त वाहिकाएं शामिल होती हैं जो रक्त को हृदय से पूरे शरीर तक और फिर वापस हृदय तक ले जाती हैं। हृदय पंजरे के नीचे, सीने के केंद्र में और फेफड़ों के बीच में स्थित होता है। यह शंख के आकार जैसा होता है, जिसका सिरा बाईं ओर नीचे की ओर होता है और इसका वजन लगभग 298 ग्राम या 10.5 औंस होता है। हृदय 75% छाती के बाईं ओर और बाकी दाईं ओर स्थित होता है। चूँकि यह मांसपेशियों का पंप है, इसमें चार चैम्बर और वाल्व शामिल हैं जो हृदय से पूरे शरीर तक और फिर वापस हृदय तक रक्त पंप करने का अपना कार्य करते हैं। हृदय के शीर्ष दोनों चैम्बर्स को एट्रिआ के रूप में जाना जाता है, जबकि नीचे के दोनों हिस्सों को वेंट्रिकल कहा जाता है। इस प्रकार, हृदय के दाहिने

ULTRASOUND AWARENESS

 अल्ट्रासाउंड क्या होता है? - What is Ultrasound in Hindi? अल्ट्रासाउंड क्या होता है? अल्ट्रासाउंड को 'सोनोग्राफी' भी कहा जाता है, शरीर में हो रही गतिविधियों की तस्वीरे बनाने के लिए इसमें ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है। एक उपकरण जिसे ट्रांसड्यूसर (Transducer) कहा जाता है, यह उच्च आवृत्ति की ध्वनि छोड़ता है, जो कानों को नहीं सुनाई पड़ती। जैसे ही ध्वनि तरंगें नरम ऊतकों व अंगों का आकार, प्रकार और स्थिरता को निर्धारित करने के लिए उछाल या गतिविधि करती है, तो उसको गूँज की मदद से रिकॉर्ड किया जाता है। सारी जानकारी उस ही समय कंप्यूटर को भेजी जाती है, जो इन जानकारीयों की तस्वीर स्क्रीन पर दिखाता है। यह टेस्ट कैसे करना है, इसके लिए अल्ट्रासाउंड के तकनीशियन या सोनोग्राफरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। अल्ट्रासाउंड स्कैन कई प्रकार के होते हैं, जो इस पर निर्भर करते हैं कि शरीर के किस हिस्से को स्कैन किया जा रहा है और क्यों। इसके मुख्यत: तीन प्रकार होते हैं: बाहरी अल्ट्रासाउंड स्कैन (External Ultrasound Scan) -  इसमें प्रोब (Probe) त्वचा के ऊपर घूमता है। आंतरिक अल्ट्रासाउंड स्कैन

CPR AWARENESS

 सीपीआर क्या है - CPR kya hota hai in hindi सीपीआर एक आपातकालीन स्थिति में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की धड़कन या सांस रुक जाने पर प्रयोग की जाती है। सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और साँस वापस आने तक या दिल की धड़कन सामान्य होने तक छाती को दबाया जाता है जिससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट, डूबना, सांस घुटना और करंट लगना जैसी स्थितियों में सीपीआर की आवश्यकता हो सकती  है  अगर व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है, तो जल्द से जल्द उसे सीपीआर दें क्योंकि पर्याप्त ऑक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगती हैं। मस्तिष्क की कोशिकाएं कुछ ही मिनटों में खत्म होने लगती हैं, जिससे गंभीर नुकसान या मौत भी हो सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि अगर अधिक लोगों को सीपीआर देना आ जाए तो कई जानें बचाई जा सकती हैं, क्योंकि सही समय पर सीपीआर देने से व्यक्ति के बचने की सम्भावना दोगुनी हो सकती है। सीपीआर कब देना चाहिए - CPR ki jarurat kab hoti hai निम्नलिखित स्थितियों म

TMT AWARENES

 स्ट्रेस टेस्ट (टीएमटी टेस्ट) स्ट्रेस टेस्ट क्या है? स्ट्रेस टेस्ट को ट्रेडमिल टेस्ट भी कहा जाता है, यह टेस्ट बिना कोई चीरा लगाए किया जाता है। यह टेस्ट शारीरिक तनाव में हृदय की स्थिति की जांच करता है। आसान शब्दों में, जब एक व्यक्ति तेज चलता है या अधिक व्यायाम करता है तो हृदय को खून की अधिक मात्रा पंप करने की आवश्यकता पड़ती है। स्ट्रेस टेस्ट बताता है कि ऐसी स्थितियों में हृदय कितना भार संभाल सकता है। यदि हार्ट तक खून की सप्लाई में कोई परेशानी होती है उदाहरण के तौर पर कैरोटिड धमनियों के साथ कोई परेशानी हो तो यह हार्ट की कार्य प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है और यह स्ट्रेस टेस्ट के असामान्य परिणाम हो सकते हैं। स्ट्रेस टेस्ट में, व्यक्ति को ट्रेडमिल पर चलने के लिए कहा जाता है, जब तक की हृदय तेज़ कार्य न करने लगे, उसी टेस्ट के दौरान इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (इसीजी) से स्थिति पर नज़र रखी जाती है। जब टेस्ट चल रहा होता है तो ब्लड प्रेशर क्रमिक रूप से बढ़ता है और थकान व छाती में किसी प्रकार की तकलीफ जैसे लक्षण देखे जाते हैं। इसीजी के परिणाम में असामान्य स्थिति जैसे, ब्लड प्रेशर और नब्ज का बढ़ना और छा