स्ट्रेस टेस्ट (टीएमटी टेस्ट)
स्ट्रेस टेस्ट क्या है?
स्ट्रेस टेस्ट को ट्रेडमिल टेस्ट भी कहा जाता है, यह टेस्ट बिना कोई चीरा लगाए किया जाता है। यह टेस्ट शारीरिक तनाव में हृदय की स्थिति की जांच करता है।
आसान शब्दों में, जब एक व्यक्ति तेज चलता है या अधिक व्यायाम करता है तो हृदय को खून की अधिक मात्रा पंप करने की आवश्यकता पड़ती है। स्ट्रेस टेस्ट बताता है कि ऐसी स्थितियों में हृदय कितना भार संभाल सकता है। यदि हार्ट तक खून की सप्लाई में कोई परेशानी होती है उदाहरण के तौर पर कैरोटिड धमनियों के साथ कोई परेशानी हो तो यह हार्ट की कार्य प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है और यह स्ट्रेस टेस्ट के असामान्य परिणाम हो सकते हैं।
स्ट्रेस टेस्ट में, व्यक्ति को ट्रेडमिल पर चलने के लिए कहा जाता है, जब तक की हृदय तेज़ कार्य न करने लगे, उसी टेस्ट के दौरान इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (इसीजी) से स्थिति पर नज़र रखी जाती है। जब टेस्ट चल रहा होता है तो ब्लड प्रेशर क्रमिक रूप से बढ़ता है और थकान व छाती में किसी प्रकार की तकलीफ जैसे लक्षण देखे जाते हैं। इसीजी के परिणाम में असामान्य स्थिति जैसे, ब्लड प्रेशर और नब्ज का बढ़ना और छाती में किसी भी प्रकार की तकलीफ आदि बताते हैं कि हृदय तक खून का प्रवाह कम हो रहा है और कोरोनरी धमनियों में प्लाक भी जमा हो सकता है।
स्ट्रेस टेस्ट क्यों किया जाता है - Stress Test Kisliye Kiya Jata Hai
स्ट्रेस टेस्ट से पहले - Stress Test Se Pahle
स्ट्रेस टेस्ट के दौरान - Stress Test Ke Dauran
स्ट्रेस टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Stress Test Ke Parinaam Ka Kya Matlab Hai
किडनी फंक्शन टेस्ट
अल्बर्ट स्टेन टेस्ट
एंटी सीसीपी टेस्ट
आर्थराइटिस टेस्ट
थायरॉयडिटिस टेस्ट
केयूबी एंड पीवीआर अल्ट्रासाउंड
स्ट्रेस टेस्ट क्यों किया जाता है - Stress Test Kisliye Kiya Jata Hai
स्ट्रेस टेस्ट किसलिए किया जाता है?
स्ट्रेस टेस्ट हृदय की दबाव संभालने की क्षमता की जांच करने के लिए किया जाता है जिससे हृदय में खून की सप्लाई का भी अनुमान लग जाता है।
स्ट्रेस टेस्ट तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति में कोरोनरी धमनियों से सम्बंधित किसी बीमारी के लक्षण दिखाई देते है जिसमें निम्न लक्षण दिखाई देते हैं:
छाती में दर्द
शारीरिक तनाव बढ़ने के कारण सांस लेने में तकलीफ (जैसे सीढ़ीयां चढ़ना या थोड़ी दूर चलना)
थकान
चक्कर आना
घबराहट
छाती में अत्यधिक तकलीफ
नींद की आदतों में बदलाव
यह टेस्ट उन लोगों को भी करवाया जाता है जिन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीज का खतरा होता है। सीएडी से होने वाले सामान्य खतरों में निम्न शामिल हैं:
लम्बे समय से हाइपरटेंशन
डिसलिपिडेमिया (कोलेस्ट्रॉल के स्तर में बदलाव)
लम्बे समय से डायबिटीज
मोटापा
शराब
धूम्रपान
तनाव ग्रस्त जीवन शैली
शारीरिक रूप से गतिशील ना होना और व्यायाम की कमी
साठ साल या उससे अधिक उम्र
पारिवारिक हृदय सम्बन्धी समस्या
यदि कोरोनरी धमनी में रक्त प्रवाह में सुधार करने के लिए कोई कार्डिएक प्रक्रिया की गई है, तो स्ट्रेस टेस्ट की मदद से इस प्रक्रिया की प्रभावशीलता का भी पता लगाया जा सकता है।
स्ट्रेस टेस्ट से पहले - Stress Test Se Pahle
स्ट्रेस टेस्ट की तैयारी कैसे करें?
स्ट्रेस टेस्ट का स्पष्ट व सटीक परिणाम प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष तैयारीयां करने की आवश्यकता पड़ती है, जैसे:
टेस्ट से एक दिन पहले से विटामिन, हर्बल और (ओटीसी) दवा लेना बंद कर दें
टेस्ट से एक दिन पहले एंटी-हाइपरटेंसिव दवाइयां लेना बंद कर दें
टेस्ट से 2-4 घंटे पहले कुछ भी खाने-पीने से बचें
टेस्ट के दिन धूम्रपान न करें
स्ट्रेस टेस्ट के दौरान - Stress Test Ke Dauran
स्ट्रेस टेस्ट कैसे किया जाता है?
जिस व्यक्ति का टेस्ट किया जा रहा है उसकी छाती पर इलेक्ट्रोड्स लगाए जाते हैं (जैसे इलेक्ट्रोकार्डिओग्राफी में किया जाता है)। शुरुआत में धीरे-धीरे चलने के लिए कहा जाता है फिर धीरे धीरे गति बढ़ा दी जाती है। कम ऊंचाई के लिए ट्रेडमिल को हल्का सा झुका दिया जाता है। उस के बाद मरीज़ से एक ट्यूब में दो से तीन मिनट के लिए सांस लेने के लिए कहा जाता है।
इस टेस्ट में सात से दस मिनट का समय लगता है। इलेक्ट्रोड्स से मिले परिणामो को रिकॉर्ड किया जाता है। हार्ट रेट के साथ, सांस की गति और ब्लड प्रेशर भी लिखा जाता है।
स्ट्रेस टेस्ट में हल्का खतरा सांस लेने में तकलीफ, ब्लड प्रेशर बढ़ने का या हार्ट रेट बढ़ने का होता है। यह टेस्ट सुरक्षित है।
स्ट्रेस टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Stress Test Ke Parinaam Ka Kya Matlab Hai
स्ट्रेस टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?
सामान्य परिणाम:
सामान्य परिणाम में टेस्ट के बाद कम या बिलकुल भी थकान नहीं होती और इसीजी रिकॉर्डिंग भी सामान्य होती है। यह दिखाता है कि व्यक्ति को कोरोनरी आर्टरी डिजीज नहीं है।
असामान्य परिणाम:
असामान्य रिजल्ट को पॉजिटिव स्ट्रेस रिजल्ट भी कहा जाता है, जिसमें कोरोनरी आर्टरी के ब्लॉक होने की अधिक संभावना होती है, जो कोरोनरी आर्टरी डिजीज की ओर संकेत करता है।
यदि किसी व्यक्ति का पहले की गई जांच में पॉजिटिव रिजल्ट आया था और अब कोरोनरी आर्टरी डिजीज के लिए उसको थेरेपी दी जा रही है। यदि थेरेपी के दौरान या बाद में किए गए टेस्ट का रिजल्ट नेगेटिव आता है या फिर उसमें कुछ सुधार दिखाई देता है, तो इसका मतलब है कि थेरेपी ठीक से काम कर रही है।
एक व्यक्ति जिस के टेस्ट का परिणाम पॉजिटिव आया है उसे इस बात का पता चल जाता है की उसका हृदय कितना दबाव सहन कर सकता है उसी के अनुसार यह भी पता चल जाता है कि उसको कितना व्यायाम करना चाहिए।
यदि परिणाम नकारात्मक आए हैं, तो कार्डिएक कैथीटराइजेशन (कोरोनरी एंजियोग्राफी) की प्रक्रिया की जाएगी, ताकि कोरोनरी आर्टरी में अवरोध की मात्रा पता लगाई जा सके।
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