सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कील ,मुंहासे ACNE

 मुंहासे (Acne)


  

मुंहासे की समस्या तब पैदा होती है जब स्किन से निकलने वाले ऑयल का उत्पादन तो बढ़ जाता है लेकिन स्किन सेल्स के फैलाव में कमी आ जाती है। इस स्थिति के कारण स्किन सेल्स ब्लॉक हो जाते हैं और उनमें मौजूद ऑयल वहीं रुक जाता है। मुंहासे जवानी के दिनों में लड़कों और लड़कियों दोनों के निकल सकते हैं और ऐसा बिल्कुल नहीं है कि 40 से 50 की उम्र में लोगों के मुंहासे नहीं आ

मुंहासे क्‍या है?

मुंहासे (Acne) की समस्या एक आम स्किन संबंधी समस्या है, जो किसी भी उम्र के व्‍यक्ति को परेशान कर सकती है। जिनकी स्किन ऑयली होती है उन्‍हें ये समस्‍या ज्‍यादा परेशान करती है इसलिए वो इसे ज्यादा गंभीरता से लेते हैं। बहुत से लोग सोचते हैं कि ज्यादा तला-भुना खा लेने से ये समस्या होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये त्वचा विकार हमारी स्किन के भीतर तेल बनाने वाली ग्रंथियों और बालों के रोम (hair follicles) में सूजन आने के कारण होती है। बालों के रोम हमारी स्किन के नीचे मौजूद होते हैं।ये रोम हमारी त्वचा के भीतर मौजूद टिश्यू जैसी कई संरचनाओं से बने होते हैं, जो बालों के विकास में मदद करते हैं। तेल बनाने वाली ग्रंथियां, जब तेल का उत्पादन करती हैं तो आपकी स्किन के साथ-साथ आपके बालों को भी मॉइस्चराइज करती हैं। मुंहासे की समस्या तब पैदा होती है जब स्किन से निकलने वाले ऑयल का उत्पादन तो बढ़ जाता है लेकिन स्किन सेल्स के फैलाव में कमी आ जाती है। इस स्थिति के कारण स्किन सेल्स ब्लॉक हो जाते हैं और उनमें मौजूद ऑयल वहीं रुक जाता है। ऑयल के स्किन सेल्स में जमा होने के कारण बालों के रोम में मौजूद बैक्टीरिया पोर्स को भी बंद कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप सूजन और मुंहासे हो जाते हैं। मुंहासे जवानी के दिनों में लड़कों और लड़कियों दोनों के निकल सकते हैं और ऐसा बिल्कुल नहीं है कि 40 से 50 की उम्र में लोगों के मुंहासे नहीं आते। ये किसी भी उम्र में आपको अपना शिकार बना सकते हैं। आइए जानते हैं इनसे छुटकारा पाने का आसान तरीका।


मुहांसे के लक्षण

मुंहासे आपकी स्किन पर मवाद या फिर बना मवाद के छोटे-बड़े आकार के थक्के के रूप में दिखाई दे सकते हैं। ये थक्के अपना आकार बढ़ाते रहते हैं। मुंहासों चेहरे के उस हिस्से में ज्यादा होते हैं, जहां तेल ग्रंथियां अधिक सक्रिय होती हैं, जैसे चेहरा, गर्दन, कंधे, छाती और पीठ का ऊपर वाला हिस्सा।


मुंहासों के कारण और जोखिम कारक

मुंहासों के कारण मुंहासे आमतौर पर एंड्रोजन हार्मोन लेवल में वृद्धि के परिणामसवरूप होते हैं। यह हार्मोन तेल ग्रंथियों के आकार को बढ़ाता है, जिससे तेल का उत्पादन भी बढ़ जाता है। जब हमारी स्किन पर मौजूद बैक्टीरिया इस तेल को अवशोषित करने का काम करते हैं तो हमारी स्किन में इरिटेशन होने लगती है और इस कारण हमारे छिद्र अवरुद्ध हो जाते हैं और मुंहासे आ जाते हैं। 1-गर्भावस्था या मासिक धर्म के दौरान महिलाओं में हार्मोन लेवल का बढ़ना और घटना 2-खेलते वक्त हेलमेट या टोपी जैसी चीजों को पहनने से होने स्किन पर पड़ने वाला दबाव 3-बालों के लिए यूज किए जाने वाले प्रोडक्ट्स जैसे हेयर पोमेड्स, हैवी लोशन / क्रीम, वैक्स आदि के इस्तेमाल से भी मुंहासे आ सकते हैं 4-पर्यावरण, जिसमें आर्द्रता की मात्रा ज्यादा हो 5-वायु प्रदूषण 6-रेस्तरां जैसी चिकनी सतहों वाले वातावरण में काम करना 7- गर्भ निरोधक गोलियों का अधिक प्रयोग 8-साफ-सफाई न होना, खराब डाइट और मुंहासों के बीच कोई संबंध नहीं है। इस बात का ध्यान रखें कि बार-बार चेहरे को धोने से भी मुंहासे आ जाते हैं। मुंहासों के जोखिम कारक मुंहासे आमतौर पर किशोर और युवा लोगों के अधिक होते हैं। हालांकि, यह किसी भी उम्र के व्यक्ति के हो सकते हैं लेकिन किशोरावस्था के दौरान पुरुषों में मुंहासों की समस्या अधिक आम होती है और वयस्कता के दौरान महिलाओं में प्रमुख है।


मुंहासों के प्रकार

बता दें कि छह प्रकार के मुंहासे होते हैं, जिसमें ब्लैकहेड्स, वाइटहेड्स, दानें और अल्सर जैसी समस्याएं प्रमुख हैं। 1-ब्लैकहेड्स: आपकी स्किन पर मौजूद ब्लैकहेड्स काले रंग के जिद्दी दाग होते हैं, जो डेड स्किन सेल्स और अतिरिक्त ऑयल के कारण स्किन पोर्स के खुल जाने पर होते हैं। इन पोर्स में मौजूद ऑयल, हवा के संपर्क में आने के कारण काला पड़ जाता है। 2-व्हाइटहेड्स: व्हाइटहेड्स तब होते हैं, जब डेड स्किन सेल्स और ऑयल से पोर्स बंद हो जाते हैं। 3:- छोटे-छोटे थक्के (Papules): इस प्रकार के छोटे-छोटे लाल थक्के तब होते हैं जब आप अपने चेहरे को ज्यादा छूते हैं और इन्हें छूने पर दर्द होता है। 4-पिंपल्स: इस प्रकार के छोटे-छोटे लाल थक्के आपकी स्किन पर एक सफेद टिप की तरह दिखाई देते हैं। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि पिंपल्स, मवाद से भरे होते हैं। 5-गांठ (Nodules): इस प्रकार के मुंहासे आपकी स्किन में गहराई से छिपे होते हैं, जो काफी ठोस होते हैं। 6-सिस्ट : सिस्ट, मवाद से भरी बड़ी गांठ होती है, जो मुंहासों का सबसे गंभीर रूप है और इससे आपकी स्किन पर स्थायी निशान पैदा हो सकते हैं।


मुंहासों का डायग्नोसिस

एक डॉक्टर आमतौर पर आपकी स्किन की जांच कर मुंहासे को डायग्नोस कर सकता है। डॉक्टर मुंहासे के प्रकार और मुंहासे के आने का पता लगा आपको सही उपचार के बारे में बता सकता है। बता दें कि स्किन पर होने वाली कुछ अन्य परेशानियां मुंहासों जैसी प्रतीत होती है, जिसके कारण उपचार का तरीका अलग हो सकता है। इन स्थितियों में एक अलग उपचार रणनीति की आवश्यकता होती है जैसेः 1-Rosaceae 2-Folliculitis


मुंहासों से बचाव और इलाज

बचाव शरीर में होने वाले सामान्य हार्मोनल परिवर्तन से हुए मुंहासे को रोकना मुश्किल है, लेकिन यह काम बिल्कुल भी असंभव नहीं है। आप मुंहासे को बढ़ने की संभावनाओं को कुछ इस तरह कम कर सकते हैंः


अपने चेहरे को रोजाना माइल्ड फेस क्लींजर और गर्म पानी से धोएं।

नियमित रूप से मॉइस्चराइजर का प्रयोग करें।

चेहरे को छूने से बचें।

जो लोग मेकअप करते हैं उन्हें "गैर-कॉमेडोजेनिक" लेबल वाले उत्पादों का उपयोग करना चाहिए ताकि वह उत्पाद आपके छिद्रों को अवरुद्ध न करें। सोने से पहले मेकअप को हटाना बहुत ही जरूरी है।

मुंहासों का इलाज आपका डॉक्टर इन कारकों के आधार पर आपको ट्रीटमेंट के बारे में बता सकता हैः 1-प्रभावित व्यक्ति की आयु 2-मुंहासे का प्रकार 3-किस स्थान पर मुंहासे हुए हैं 4-मुंहासे कैसे आए हैं 5-अतीत में कोई उपचार किया है 6-मुंहासे के कारण होने वाले काले धब्बे या निशान कैसे दिखाई दे रहे हैं। मुंहासे के उपचार के लिए डॉक्टर आपको ट्रॉपिक्ल दवाओं जैसे जेल, क्रीम, लोशन या सॉल्यूशन को स्किन पर लगाने की सलाह दे सकता है। डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली प्रमुख दवाओं में शामिल हैंः 1-बेंजोयल पेरोक्साइड (बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए) 2-नए मुंहासे को आने से रोकने के लिए टैजरोटीन, ट्रेटीनोइन और एडापेलीन जैसे रेटिनोइड्स। 3-एरिथ्रोमाइसिन और क्लिंडामाइसिन जैसे एंटीबायोटिक्स ताकि मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया के विकास को धीमा किया जा सके। 4-व्हाइटहेड्स और ब्लैकहेड्स से भरे ऑयल और डेड स्किन सेल्स को खाली करने के लिए सैलिसिलिक एसिड। 5- अन्य दवाएं- डैप्सोन (Dapsone) और एजीलैक (azelaic) एसिड।

जीवनशैली में बदलाव ला सकता है मुंहासों में कमी

अगर आप कोई अच्छा स्किन केयर रूटीन फॉलो नहीं कर रहे हैं तो निश्चित रूप से मुंहासों का शिकार हो सकते हैं। इसलिए, जरूरी है कि आप एक सही और अच्छे स्किन केयर रूटीन को फॉलो करें या फिर जीवनशैली में निम्नलिखित उपायों को लागू करें ताकि आप मुंहासों के प्रकोप से बच सकें। 1-दिन में कम से कम दो बार अपना चेहरा जरूर धोएं। इसके अलावा, पसीना आने के बाद अपने चेहरे को जल्द से जल्द धो लें। 2-त्वचा पर हमेशा जेंटल, अल्कोहल फ्री प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें। एक्सफोलिएंट्स, एस्ट्रिंजेंट और टोनर जैसे उत्पादों के उपयोग से बचें क्योंकि ये त्वचा में जलन पैदा कर सकते हैं। 3-त्वचा को स्क्रब न करें। 4-क्लींजर लगाने के लिए जालीदार कपड़े या वॉशक्लॉथ के बजाय अपनी उंगलियों का उपयोग करें। 5-चेहरे को धोने के लिए हमेशा गुनगुने पानी का उपयोग करें। 6-दिन भर में बार-बार चेहरे को छूने की आदत छोड़िए। 7-जिन लोगों के बाल ऑयली हैं उन्हें नियमित रूप से शैम्पू करना चाहिए। 8-अगर मुंहासों के लिए किसी प्रकार की दवाई लगाई है तो धूप में बाहर निकलने से बचें क्योंकि कुछ दवाएं पराबैंगनी प्रकाश में आने पर त्वचा की संवेदनशीलता को बढ़ाती हैं। 9-मुंहासों को दबाने या फिर फोड़ने की कोशिश न करें क्योंकि ये फिर ठीक होने में अधिक समय ले सकते हैं और निशान का कारण बन सकते हैं।


निदान और जटिलताएं

निदान सही उपचार मुंहासों को आने से रोक सकता है और चेहरे पर निशान को दूर करने में मदद कर सकता है। हालांकि, बेहतर परिणाम के लिए दवा को हफ्ते या महीने भी लग सकते हैं। जटिलताएं गंभीर रूप से चेहरे पर दिखाई देने वाले मुंहासे आजीवन शारीरिक निशान छोड़ सकते हैं। ये निशान आपमें आत्मसम्मान की कमी और सामाजिक समारोहों और खेल गतिविधियों में भाग लेने से आपको रोक सकती है।


मुंहासों का वैकल्पिक उपचार

मुंहासों को ठीक करने के लिए आपका डॉक्टर इन थेरेपी को प्रयोग में लाने की सलाह दे सकता हैः 1-स्टेरॉयड डॉक्टर गंभीर मुंहासों या फिर बड़ी गांठ के इलाज के लिए स्टेरॉयड के उपयोग की सलाह दे सकता है। 2-कैमिकल पील डॉक्टर, मुंहासे के निशान को कम करने के लिए कैमिकल पील की सलाह दे सकता है। इसमें आपकी स्किन की ऊपरी परत को हटाने के लिए विशेष रसायनों का उपयोग किया जाता है, इस कारण से कैमिकल पील उपचार कहा जाता है। 3-डर्माब्रेशन इस थेरेपी में स्किन की ऊपरी परत को हटाने और निशान के दाग को कम करने के लिए एक विद्युत मशीन का उपयोग किया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को डर्मब्रेशन कहते हैं। 4-लेजर 5-इस पूरी प्रक्रिया में मुख्य रूप से मुंहासे के निशान को दूर करना का इलाज किया जाता है। इसमें विशेष लेजर तकनीक का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में स्किन को गर्मी दी जाती है ताकि नए स्किन सेल्स के विकास को बढ़ावा दिया जा सके। 5-डर्मल फिलर इंजेक्शन डर्मल फिलर इंजेक्शन, ठीक स्किन के नीचे लगाया जाता है, जो त्वचा के कोलेजन को रिस्टोर करने और मुंहासे का इलाज करने में मदद करता है। 6-लाइट एंड हीट एनर्जी थेरेपी ये थेरेपी मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करने के लिए की जाती है। 7-फोटोथेरेपी / ब्लू लाइट थेरेपी इस थेरेपी को मुंहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया को कम करने के लिए किया जाता है, जिसमें एक नीले प्रकाश का इस्तेमाल स्किन पर किया जाता है। 8-ऑटोलॉगस फैट ट्रांसफर इस उपचार प्रक्रिया में निशान के नीचे वाली स्किन के फैट को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया जाता है। इस उपचार प्रक्रिया में मुंहासे के गंभीर निशान के कारण हुए त्वचा के दोषों को ठीक किया जाता है। 9-पंच ग्राफ्ट्स इसमें आपकी हेल्दी स्किन को प्रभावित स्किन से बदला जाता है।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कैनुला क्या है?कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi

 कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi कैनुला क्या है? कैनुला एक पतली ट्यूब है, जिसे शरीर में नसों के जरिए इंजेक्ट किया जाता है, ताकि जरूरी तरल पदार्थ को शरीर से निकाला (नमूने के तौर पर) या डाला जा सके। इसे आमतौर पर इंट्रावीनस कैनुला (IV cannula) कहा जाता है। बता दें, इंट्रावीनस थेरेपी देने के लिए सबसे आम तरीका पेरिफेरल वीनस कैनुलेशन (शरीर के परिधीय नसों में कैनुला का उपयोग करना) है। इंट्रावीनस (नसों के अंदर) प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना, सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपचार प्रदान करना है। जब किसी मरीज का लंबे समय तक उपचार चलता है, तो ऐसे में इंट्रावीनस थेरेपी की विशेष जरूरत पड़ती है। शोध से पता चला है कि जिन मामलों में इंट्रावीनस कैनुला की जरूरत नहीं होती है, उनमें भी इसका प्रयोग किया जाता है, जबकि कुछ मामलों में इसे टाला जा सकता है। जनरल वार्डों में भर्ती 1,000 रोगियों पर हाल ही में एक शोध किया गया, इस दौरान इन सभी मरीजों के नमूने लिए गए। अध्ययन में पाया गया कि लगभग 33% रोगियों में इंट्रावीनस कैनुला का प्रयोग सामान्य से अधिक समय के लिए किया जा रहा है। जबकि

Pleural Effusion in Hindi

 फुफ्फुस बहाव - Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों के बाहर असामान्य मात्रा में द्रव इकट्ठा हो जाता है। ऐसे कई रोग हैं जिनके कारण यह समस्या होने लग जाती है और ऐसी स्थिति में फेफड़ों के आस-पास जमा हुऐ द्रव को निकालना पड़ता है। इस इस स्थिति के कारण के अनुसार ही इसका इलाज शुरु करते हैं।  प्लूरा (Pleura) एक पत्ली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों और छाती की अंदरुनी परत के बीच में मौजूद होती है। जब फुफ्फुसीय बहाव होता है, प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में द्रव बनने लग जाता है। सामान्य तौर पर प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में एक चम्मच की मात्रा में द्रव होता है जो आपके सांस लेने के दौरान फेफड़ों को हिलने में मदद करता है। फुफ्फुस बहाव क्या है - What is Pleural Effusion in Hindi प्लूरल इफ्यूजन के लक्षण - Pleural Effusion Symptoms in Hindi फुफ्फुस बहाव के कारण व जोखिम कारक - Pleural Effusion Causes & Risk Factors in Hindi प्ल्यूरल इफ्यूजन से बचाव - Prevention of Pleural Effusion in Hindi फुफ्फुस बहाव का परीक्षण - Diagnosis of Pleural Effusion in Hind

शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi

 शीघ्रपतन की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Premature Ejaculation in Hindi शीघ्र स्खलन एक पुरुषों का यौन रोग है, जिसमें दोनों यौन साथियों की इच्छा के विपरीत सेक्स के दौरान पुरुष बहुत जल्दी ऑर्गास्म पर पहुंच जाता है यानि जल्दी स्खलित हो जाता है। इस समस्या के कारण के आधार पर, ऐसा या तो फोरप्ले के दौरान या लिंग प्रवेश कराने के तुरंत बाद हो सकता है। इससे एक या दोनों साथियों को यौन संतुष्टि प्राप्त करने में परेशानी हो सकती है। स्खलन को रोक पाने में असमर्थता अन्य लक्षणों जैसे कि आत्मविश्वास में कमी, शर्मिंदगी, तनाव और हताशा आदि को जन्म दे सकती है। ज्यादातर मामलों में, हो सकता है कि स्खलन को नियंत्रित करने में असमर्थता किसी जैविक कारण से न पैदा होती हो, हालांकि उपचार के किसी भी अन्य रूप की सिफारिश करने से पहले डॉक्टर इसकी संभावना का पता लगाते हैं। तनाव, चिंता, अवसाद, यौन अनुभवहीनता, कम आत्मसम्मान और शरीर की छवि जैसे मनोवैज्ञानिक कारक शीघ्र स्खलन के सबसे आम कारण हैं। विशेष रूप से सेक्स से संबंधित अतीत के दर्दनाक अनुभव भी शीघ्र स्खलन का संकेत दे सकते हैं। अन्य