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ULTRASOUND AWARENESS

 अल्ट्रासाउंड क्या होता है? - What is Ultrasound in Hindi? अल्ट्रासाउंड क्या होता है? अल्ट्रासाउंड को 'सोनोग्राफी' भी कहा जाता है, शरीर में हो रही गतिविधियों की तस्वीरे बनाने के लिए इसमें ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है। एक उपकरण जिसे ट्रांसड्यूसर (Transducer) कहा जाता है, यह उच्च आवृत्ति की ध्वनि छोड़ता है, जो कानों को नहीं सुनाई पड़ती। जैसे ही ध्वनि तरंगें नरम ऊतकों व अंगों का आकार, प्रकार और स्थिरता को निर्धारित करने के लिए उछाल या गतिविधि करती है, तो उसको गूँज की मदद से रिकॉर्ड किया जाता है। सारी जानकारी उस ही समय कंप्यूटर को भेजी जाती है, जो इन जानकारीयों की तस्वीर स्क्रीन पर दिखाता है। यह टेस्ट कैसे करना है, इसके लिए अल्ट्रासाउंड के तकनीशियन या सोनोग्राफरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। अल्ट्रासाउंड स्कैन कई प्रकार के होते हैं, जो इस पर निर्भर करते हैं कि शरीर के किस हिस्से को स्कैन किया जा रहा है और क्यों। इसके मुख्यत: तीन प्रकार होते हैं: बाहरी अल्ट्रासाउंड स्कैन (External Ultrasound Scan) -  इसमें प्रोब (Probe) त्वचा के ऊपर घूमता है। आंतरिक अल्ट्रासाउंड स्कैन

CPR AWARENESS

 सीपीआर क्या है - CPR kya hota hai in hindi सीपीआर एक आपातकालीन स्थिति में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की धड़कन या सांस रुक जाने पर प्रयोग की जाती है। सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और साँस वापस आने तक या दिल की धड़कन सामान्य होने तक छाती को दबाया जाता है जिससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट, डूबना, सांस घुटना और करंट लगना जैसी स्थितियों में सीपीआर की आवश्यकता हो सकती  है  अगर व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है, तो जल्द से जल्द उसे सीपीआर दें क्योंकि पर्याप्त ऑक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगती हैं। मस्तिष्क की कोशिकाएं कुछ ही मिनटों में खत्म होने लगती हैं, जिससे गंभीर नुकसान या मौत भी हो सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि अगर अधिक लोगों को सीपीआर देना आ जाए तो कई जानें बचाई जा सकती हैं, क्योंकि सही समय पर सीपीआर देने से व्यक्ति के बचने की सम्भावना दोगुनी हो सकती है। सीपीआर कब देना चाहिए - CPR ki jarurat kab hoti hai निम्नलिखित स्थितियों म

TMT AWARENES

 स्ट्रेस टेस्ट (टीएमटी टेस्ट) स्ट्रेस टेस्ट क्या है? स्ट्रेस टेस्ट को ट्रेडमिल टेस्ट भी कहा जाता है, यह टेस्ट बिना कोई चीरा लगाए किया जाता है। यह टेस्ट शारीरिक तनाव में हृदय की स्थिति की जांच करता है। आसान शब्दों में, जब एक व्यक्ति तेज चलता है या अधिक व्यायाम करता है तो हृदय को खून की अधिक मात्रा पंप करने की आवश्यकता पड़ती है। स्ट्रेस टेस्ट बताता है कि ऐसी स्थितियों में हृदय कितना भार संभाल सकता है। यदि हार्ट तक खून की सप्लाई में कोई परेशानी होती है उदाहरण के तौर पर कैरोटिड धमनियों के साथ कोई परेशानी हो तो यह हार्ट की कार्य प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है और यह स्ट्रेस टेस्ट के असामान्य परिणाम हो सकते हैं। स्ट्रेस टेस्ट में, व्यक्ति को ट्रेडमिल पर चलने के लिए कहा जाता है, जब तक की हृदय तेज़ कार्य न करने लगे, उसी टेस्ट के दौरान इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (इसीजी) से स्थिति पर नज़र रखी जाती है। जब टेस्ट चल रहा होता है तो ब्लड प्रेशर क्रमिक रूप से बढ़ता है और थकान व छाती में किसी प्रकार की तकलीफ जैसे लक्षण देखे जाते हैं। इसीजी के परिणाम में असामान्य स्थिति जैसे, ब्लड प्रेशर और नब्ज का बढ़ना और छा

किडनी कार्य टेस्ट KFT,RFT

 KFT टेस्ट किडनी की कार्यक्षमता पहचानने वाली जाँचों का एक समूह है, इसका पूर्ण रूप kidney function test है यानि किडनी कार्यक्षमता जाँच। इसके अलावा इसे RFT भी कहा जाता है जिसका पूर्ण रूप renal function test है। KFT टेस्ट क्या है, और इसमें किस-किस जांच को शामिल किया जाता है यह अलग-अलग प्रयोगशालाओं पर निर्भर करता है। आम तौर पर लगभग सभी प्रयोगशालाएँ KFT / RFT में रक्त यूरिया (blood urea) / रक्त यूरिया नाइट्रोजन टेस्ट (blood urea nitrogen), सीरम क्रिएटिनिन टेस्ट और eGFR शामिल करती हैं। इसके अलावा कुछ प्रयोगशालाएँ पेशाब में प्रोटीन की मात्रा पहचानने के लिए मूत्र विश्लेषण को भी KFT / RFT का हिस्सा बना सकती हैं। इसके अलावा सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड, यूरिक एसिड का रक्त स्तर भी KFT का हिस्सा हो सकता है। शरीर में इन सभी रसायनों का संतुलन बनाने का काम किडनी करती है। किडनी की इसी कार्यक्षमता को जाँचने के लिए किए जाने वाले परीक्षणों को KFT / RFT कहा जाता है। KFT टेस्ट में कौन सी जाँचे होती हैं KFT, किडनी कार्यक्षमता जाँच के लिए किडनी से संबंधित और भी कई चीजों का होता है परीक्षण। क्या हैं वे परीक्षण

CBC AWARENESS

 कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट (खून की जांच) क्या होता है? - What is Complete Blood Count Test in Hindi? सीबीसी यह निर्धारित करता है कि आपके रक्त कोशिकाओं की गिनती में कोई वृद्धि या कमी हुई है या नहीं। आपकी उम्र और आपके लिंग के आधार पर सामान्य गिनती अलग हो सकती है। प्रयोगशाला से मिलने वाली सीबीसी रिपोर्ट आपको आपकी उम्र और लिंग के लिए सामान्य गिनती बताएगी। सीबीसी एनीमिया, आम संक्रमण से लेकर कैंसर तक कई स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाने में मदद कर सकता है। आपकी रक्त कोशिकाओं के स्तर में परिवर्तन को मापने से आपके डॉक्टर आपके समग्र स्वास्थ्य और विकारों का पता लगा सकते हैं। यह टेस्ट तीन मुख्य प्रकार की रक्त कोशिकाओं को मापता है - 1. लाल रक्त कोशिकाएं लाल रक्त कोशिकाएं आपके शरीर में ऑक्सीजन पहुँचाती हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को हटा देती हैं। सीबीसी आपकी लाल रक्त कोशिकाओं के दो घटकों को मापता है - हीमोग्लोबिन: ऑक्सीजन-ले जाने वाले प्रोटीन हेमटोक्रिट: आपके रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं का प्रतिशत हीमोग्लोबिन और हेमटोक्रिट का कम होना अक्सर एनीमिया का लक्षण होता है (एनीमिया खून में आयरन की कमी से होता है)।

लकवा ,पक्षाघात ,PARALISIS

 पक्षाघात (स्ट्रोक) पक्षाघात तब लगता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त की आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है। जिस तरह किसी व्यक्ति के हृदय में जब रक्त आपूर्ति का अभाव होता तो कहा जाता है कि उसे दिल का दौरा पड़ गया है उसी तरह जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है तो कहा जाता है कि आदमी को "मस्तिष्क का दौरा’’ पड़ गया है। पक्षाघात में आमतौर पर शरीर के एक हिस्से को लकवा मार जाता है। सिर्फ़ चेहरे, या एक बांह या एक पैर या शरीर और चेहरे की पूरी एक ओर लकवा मार सकता है या दुर्बलता आ सकती है। स्थानिकारकतता (इस्कीमिक स्ट्रोक): मस्तिष्क में अपर्याप्त रक्त आपूर्ति की स्थिति में मस्तिष्क की कोशिकाओं के लिए आक्सीजन और पोषण के अभाव को स्थानिकारक्तता (इस्कीमिक स्ट्रोक) कहा जाता है। स्थानिकारक्तता की वजह से अंततः व्यत्तिक्रम आ जाता है, यानी मस्तिष्क की कोशिकाएं मर जाती है; और अंततः क्षतिग्रस्त मस्तिष्क में तरल युक्त गुहिका (भग्न या इंफ़ैक्ट) उनकी जगह ल

HEPATITIS B AWARENESS

  हेपेटाइटिस बी क्या है – लक्षण, बचाव के उपाय और सही इलाज Table of Contents हेपेटाइटिस बी क्या होता है? क्या हेपेटाइटिस बी संक्रामक है? हेपेटाइटिस बी के कारण हेपेटाइटिस बी के लक्षण हेपेटाइटिस बी से बचाव हेपेटाइटिस बी का निदान हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीजन टेस्ट हेपेटाइटिस बी कोर एंटीजन टेस्ट हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीबॉडी टेस्ट लिवर फंक्शन टेस्ट हेपेटाइटिस बी का इलाज हेपेटाइटिस बी टीकाकरण और प्रतिरक्षा (इम्युनिटी) ग्लोबुलिन हेपेटाइटिस बी के लिए इलाज के विकल्प मनुष्य के शरीर में लिवर भोजन को पचाने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलने के लिए होता है। पर बहुत बार यह इन्फेक्टिड हो जाता है और लिवर में सूजन आ जाती है। जिस कारण यह सही से कार्य नहीं कर पाता। उस इन्फेक्शन से होने वाली बीमारी को हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B in Hindi) कहते हैं। यह लिवर के सबसे आम इन्फेक्शन्स में से एक है। यह हेपेटाइटिस वायरस के कारण होता है। आमतौर पर यह 2 तरह का होता है, हेपेटाइटिस ‘ए’ और हेपेटाइटिस ‘बी’ , पर इसके अन्य प्रकार ए, सी, डी, और ई भी हैं। हेपेटाइटिस HBV वायरस (Hepatitis B Virus) के कारण भी हो सकता है। क