सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

लकवा ,पक्षाघात ,PARALISIS

 पक्षाघात (स्ट्रोक) पक्षाघात तब लगता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त की आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है। जिस तरह किसी व्यक्ति के हृदय में जब रक्त आपूर्ति का अभाव होता तो कहा जाता है कि उसे दिल का दौरा पड़ गया है उसी तरह जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है तो कहा जाता है कि आदमी को "मस्तिष्क का दौरा’’ पड़ गया है। पक्षाघात में आमतौर पर शरीर के एक हिस्से को लकवा मार जाता है। सिर्फ़ चेहरे, या एक बांह या एक पैर या शरीर और चेहरे की पूरी एक ओर लकवा मार सकता है या दुर्बलता आ सकती है। स्थानिकारकतता (इस्कीमिक स्ट्रोक): मस्तिष्क में अपर्याप्त रक्त आपूर्ति की स्थिति में मस्तिष्क की कोशिकाओं के लिए आक्सीजन और पोषण के अभाव को स्थानिकारक्तता (इस्कीमिक स्ट्रोक) कहा जाता है। स्थानिकारक्तता की वजह से अंततः व्यत्तिक्रम आ जाता है, यानी मस्तिष्क की कोशिकाएं मर जाती है; और अंततः क्षतिग्रस्त मस्तिष्क में तरल युक्त गुहिका (भग्न या इंफ़ैक्ट) उनकी जगह ल

HEPATITIS B AWARENESS

  हेपेटाइटिस बी क्या है – लक्षण, बचाव के उपाय और सही इलाज Table of Contents हेपेटाइटिस बी क्या होता है? क्या हेपेटाइटिस बी संक्रामक है? हेपेटाइटिस बी के कारण हेपेटाइटिस बी के लक्षण हेपेटाइटिस बी से बचाव हेपेटाइटिस बी का निदान हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीजन टेस्ट हेपेटाइटिस बी कोर एंटीजन टेस्ट हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीबॉडी टेस्ट लिवर फंक्शन टेस्ट हेपेटाइटिस बी का इलाज हेपेटाइटिस बी टीकाकरण और प्रतिरक्षा (इम्युनिटी) ग्लोबुलिन हेपेटाइटिस बी के लिए इलाज के विकल्प मनुष्य के शरीर में लिवर भोजन को पचाने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलने के लिए होता है। पर बहुत बार यह इन्फेक्टिड हो जाता है और लिवर में सूजन आ जाती है। जिस कारण यह सही से कार्य नहीं कर पाता। उस इन्फेक्शन से होने वाली बीमारी को हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B in Hindi) कहते हैं। यह लिवर के सबसे आम इन्फेक्शन्स में से एक है। यह हेपेटाइटिस वायरस के कारण होता है। आमतौर पर यह 2 तरह का होता है, हेपेटाइटिस ‘ए’ और हेपेटाइटिस ‘बी’ , पर इसके अन्य प्रकार ए, सी, डी, और ई भी हैं। हेपेटाइटिस HBV वायरस (Hepatitis B Virus) के कारण भी हो सकता है। क

HIV AWARENESS

 एड्स एक ऐसी बीमारी है जो HIV नामक वायरस के शरीर में आ जाने से होती है। इसका फ़ुल फ़ार्म एक्वायर्ड एमीनों डेफिशियेन्सी सिंड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) होता है। एड्स से पीड़ित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है।    HIV वायरस क्या है?   HIV एक प्रकार का वायरस होता है जो इम्यून सिस्टम को कमज़ोर कर देता है। HIV का फ़ुल फ़ार्म ह्यूमन इमुनोडेफिशियेन्सी वायरस (Human Immunodeficiency virus) होता है।  HIV शरीर में मौजूद CD4 कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है। CD4 कोशिकाओं को T सेल या T कोशिका भी कहा जाता है। ये एक प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाएं होती हैं।  समय बीतने के साथ HIV वायरस जैसे जैसे CD4 या प्रतिरक्षा कोशिकाओं को नष्ट करता जाता है, वैसे वैसे शरीर कई बीमारियों की चपेट में आना शुरू हो जाता है।  एचआईवी/HIV के एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होने के निम्नलिखित कारण होते हैं-   1.) खून के द्वारा यदि किसी HIV पीड़ित व्यक्ति का रक्त किसी नॉर्मल व्यक्ति को डोनेट किया जाता है या चढ़ाया जाता है तो ऐसे में नॉर्मल व्यक्ति के शरीर में HIV वायरस प्रवेश कर जाता है।  

PARASITIC DISEASE AWARENESS

 परजीवी रोग / Parasitic Diseases in Hindi स्वास्थ्य  परजीवी रोग   लक्षण कारण जोखिम के कारक निदान जटिलता सर्वेक्षण परजीविय चीजें हैं जो अन्य जीवित चीजों का उपयोग रह रहे हैं।आपके शरीर की तरह -जिवित रहने के लिए खाद्य और जगह.आप उन्हें दूषित भोजन या पानी, एक बग काटने, या यौन संपर्क से प्राप्त कर सकते हैं। कुछ परजीवी रोगों का आसानी से इलाज हो रहा हैं और कुछ का नहीं।   परजीवियों आकार में सीमा छोटी सी है, एक कोशिकीय जीवों कीड़े को नग्न आंखों से देखा जा सकता है उसे प्रोटोजोआ बुलाया जाता है। कुछ परजीवी रोगों संयुक्त राज्य अमेरिका में पाए जाते हैं। दूषित पानी की आपूर्ति का नेतृत्व कर सकते हैंhref='/health-hi/giardia-infections'> जिआर्डिआ के संक्रमण कोटोक्सोप्लाज़मोसिज़ , जो गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है। अन्य,मलेरिया की तरह, दूसरे में आम हैं दुनिया के हिस्से।  आपयात्रा कर रहे हैं,पीने के लिए महत्वपूर्ण है यह केवल पानी हो आप जानते है यह सुरक्षित है। रोकथाम के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। वहाँ परजीवी रोगों के लिए कोई टीके हैं। कुछ दवाओं परजीवी के संक्रमण के इलाज के लिए उपलब्ध हैं।

WATERBORN DISEASE AWARENESS

 मानव शरीर जिन 5 तत्वों से मिलकर बना है, उसमें जल प्रमुख है। हमारे शरीर का दो तिहाई हिस्सा जल से बना है पर क्या आपको पता है कि आज जलजनित रोग ही हमारे शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचा रहे हैं? ये सही है कि हर कदम पर इंसान इन रोगों की वजह से बेबस हो रहा है। पर इंसान को ये भी सोचना चाहिए कि अगर जल आज जीवन की जगह मृत्यु बाँट रहा है तो उसके लिये जवाबदेह भी तो हम इंसान ही हैं।यूँ तो कहावतों में भी है, ‘जल ही जीवन है।’ जल के बिना धरती पर मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मनुष्य चाँद से लेकर मंगल तक की सतह तक पानी तलाशने की कवायद में लगा है, ताकि वहाँ जीवन की संभावनाएँ तलाशी जा सकें लेकिन, क्या धरती पर रहने वाले हम पानी के वास्तविक मूल्य को समझते हैं? 2011 की जनगणना के अनुसार राष्ट्रीय स्वच्छता कवरेज 46.9 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह औसत केवल 30.7 प्रतिशत है। अभी भी देश की 62 करोड़ 20 लाख की आबादी यानि राष्ट्रीय औसत 53.1 प्रतिशत लोग खुले में शौच जाते हैं। इन आँकड़ों में सिर्फ ग्रामीण ही नहीं, बल्कि शहरी क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। ये जल प्रदूषण की अहम वजह है। हालाँकि

TETANUS AWARENESS

 टिटनेस को लॉकजॉ के रूप में भी जाना जाता है। यह एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो बैक्टीरिया क्लॉस्ट्रिडियम टेटानी के कारण होती है। यह बैक्टीरिया शरीर में एक विषाक्त पदार्थ पैदा करता है, जो रोगी की तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क को प्रभावित करता है, जिससे मांसपेशियों में कठोरता होती है। यदि इस बैक्टीरिया के बीजाणु को घाव में जमा किया जाता है, तो क्लॉस्ट्रिडियम टेटानी बैक्टीरिया का न्यूरोटॉक्सिन मांसपेशी गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले नसों से हस्तक्षेप करता है। टिटनेस एक संक्रमण है, जो गंभीर दर्द, सांस लेने में कठिनाई और रोगी के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। यद्यपि टिटनेस को ठीक करने के लिए कई उपचार हैं, लेकिन अधिकांश समय वे समान रूप से प्रभावी होने में विफल रहते हैं। इसलिए इस घातक बीमारी के खिलाफ सुरक्षा का सबसे अच्छा तरीका है, टिटनेस के खिलाफ टीकाकरण करना। टिटनेस बैक्टीरिया बीजाणु शरीर के बाहर भी लम्बे समय अवधि के लिए जीवित रह सकते हैं। वे कहीं भी मौजूद हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर प्रदूषित मिट्टी और पशु खाद में पाए जाते हैं। जीवाणु किसी भी शरीर में प्रवेश करने के बाद क्या होता है? जब

SELF AWARENESS,HOSPITAL AWARENESS

 [2/15, 08:08] Dr.J.k Pandey: भारतीय संस्कृति विश्व में जितनी श्रेष्ठ है उससे भी कही अधिक श्रेष्ठ भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति रही है यह उस वक्त की बात है जब न कोई कारखाने थे न मोटर गाड़ी थी यहाँ तक की हॉस्पिटल की जगह औषधालय हुआ करते थे ,इंजेक्शन क्या हुआ करतेहै इससे कोई नहीं जानता था ,अलोपैथिक पद्धति का नामोनिशान नहीं था हम लोग सोच रहे होंगे की मरीज बीमार होते ही स्वर्गवासी हो जाया करते रहे होंगे ,लेकिन ऐसा नहीं था उस समय की चिकित्सा पद्धति विश्व में सर्वश्रेष्ठ थी बीमार लोग बिना ऑपरेशन बिना इंजेक्शन ठीक हो जाया करते थे वे विद्वान लोग ही चिकित्सा किया करते थे . [2/15, 08:20] Dr.J.k Pandey: उस वक़्त चिकित्सा व्यवसाय नहीं था और चिकित्सक व्यवसाई नहीं थे तत्कालीन चिकित्सको का जंगलो में निवास था जो आश्रम में कुटिया बनाकर रहते थे और समाज के लोगों की चिकित्सा निःशुल्क किया करते थे चिकित्सा सेवा करना केवल जनहित का कार्य था जो केवल अपनी विद्द्वता का प्रयोग जनहित में किया करते थे तत्कालीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति हुआ करती थी जिसमे केवल जड़ी बूटियों वनस्पतियों फल सब्जियो