सीपीआर क्या है - CPR kya hota hai in hindi
सीपीआर एक आपातकालीन स्थिति में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की धड़कन या सांस रुक जाने पर प्रयोग की जाती है। सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और साँस वापस आने तक या दिल की धड़कन सामान्य होने तक छाती को दबाया जाता है जिससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है
हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट, डूबना, सांस घुटना और करंट लगना जैसी स्थितियों में सीपीआर की आवश्यकता हो सकती
है
अगर व्यक्ति की सांस या धड़कन रुक गई है, तो जल्द से जल्द उसे सीपीआर दें क्योंकि पर्याप्त ऑक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगती हैं। मस्तिष्क की कोशिकाएं कुछ ही मिनटों में खत्म होने लगती हैं, जिससे गंभीर नुकसान या मौत भी हो सकती है।
अध्ययनों से पता चलता है कि अगर अधिक लोगों को सीपीआर देना आ जाए तो कई जानें बचाई जा सकती हैं, क्योंकि सही समय पर सीपीआर देने से व्यक्ति के बचने की सम्भावना दोगुनी हो सकती है।
सीपीआर कब देना चाहिए - CPR ki jarurat kab hoti hai
निम्नलिखित स्थितियों में सीपीआर देने की आवश्यकता हो सकती है -
अचानक गिर जाना - व्यक्ति के अचानक गिर जाने पर उसकी सांस और नब्ज़ देखें।
बेहोश होना - बेहोश होने पर व्यक्ति को होश में लाने की कोशिश करें और अगर वह होश में न आए, तो उसकी सांस और नब्ज़ देखें।
सांस की समस्याएं - सांस रुक जाना या अमियमित सांस लेने की स्थिति में सीपीआर देने की आवश्यकता होती है।
नब्ज़ रुक जाना - अगर व्यक्ति की नब्ज़ नहीं मिल रही है, तो हो सकता है उसके दिल ने काम करना बंद कर दिया हो। ऐसे में व्यक्ति को सीपीआर देने की आवश्यकता हो सकती है।
करंट लगने पर - अगर किसी व्यक्ति को करंट लगा है, तो उसे छुएं नहीं। लकड़ी की मदद से उसके आसपास से करंट के स्त्रोत को हटाएँ और इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी वस्तु में करंट पास न हो सके।
डूबना/ ड्रग्स/ धुंए के संपर्क में आना - इन स्थितियों में व्यक्ति की नब्ज़ व सांस की जांच करें। उसे सीपीआर की आवश्यकता हो सकती है।
सीपीआर देने से पहले करें जांच - CPR dene se pehle kare janch
सीपीआर देना शुरू करने से पहले निम्नलिखित बातों की जांच कर लें -
क्या आसपास का वातावरण व्यक्ति के लिए सुरक्षित है?
व्यक्ति होश में है या बेहोश है?
अगर व्यक्ति बेहोश है, तो उसके कंधे को हिलाकर ऊँची आवाज़ में पूछें कि क्या वह ठीक हैं।
अगर व्यक्ति जवाब नहीं देता है और वहां दो लोग मौजूद हैं, तो एक व्यक्ति को एम्बुलेंस बुलाने के लिए कहें और दूसरे व्यक्ति से “डीफिब्रिलेटर” (Defibrillator: करंट द्वारा दिल की अनियमित धड़कन को सामान्य करने वाला एक उपकरण) मंगवाएं।
अगर डीफिब्रिलेटर मिल जाता है, तो उसपर दिए गए निर्देशों के अनुसार व्यक्ति को करंट का एक झटका दें और फिर सीपीआर शुरू करें।
अगर आप अकेले हैं और आपके पास फोन है, तो सीपीआर शुरू करने से पहले तुरंत एम्बुलेंस बुलाएं।
सीपीआर कैसे देते हैं - CPR kaise dete hai
सीपीआर में व्यक्ति की छाती को दबाना और उसे मुंह से सांस देना शामिल होते हैं। बच्चों और बड़ों को सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है, जिसके बारे में नीचे बताया गया है।
बच्चों को सीपीआर कैसे देते हैं - Bachcho ko CPR dene ka tareeka
बड़ों को सीपीआर देने का तरीका - Bado ko CPR kaise dete hai
बच्चों को सीपीआर कैसे देते हैं - Bachcho ko CPR dene ka tareeka
एक साल से लेकर किशोरावस्था तक के बच्चों को सीपीआर उसी तरह दिया जाता है जैसे बड़ों को दिया जाता है। हालांकि, चार महीने से लेकर एक साल तक के बच्चों को सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है।
ज़्यादातर नवजात शिशुओं को "कार्डियक अरेस्ट" होने का कारण होता है डूबना या दम घुटना। अगर आपको पता है कि बच्चे की श्वसन नली में रुकावट के कारण वह सांस नहीं ले पा रहा है, तो दम घुटने के लिए किए जाने वाले फर्स्ट ऐड का उपयोग करें। अगर आपको नहीं पता है कि बच्चा सांस क्यों नहीं ले रहा है, तो उसे सीपीआर दें।
शिशु की स्थिति को समझें और उसे छूकर उसकी प्रतिक्रिया देखें लेकिन बच्चे को तेज़ी से हिलाएं नहीं।
अगर बच्चा कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, तो सीपीआर शुरू करें।
बच्चे के पास घुटनों के बल बैठें।
नवजात शिशु को सीपीआर देने के लिए अपनी दो उँगलियों का इस्तेमाल करें और उसकी छाती को 30 बार दबाएं (1.5 इंच तक)।
उसे 2 बार मुंह से सांस दें।
जब तक मदद न आ जाए या बच्चा सांस न लेने लगे या आप बहुत अधिक थक न जाएं या स्थिति असुरक्षित न हो जाए, तब तक बच्चे को सीपीआर देते रहें।
बड़ों को सीपीआर देने का तरीका - Bado ko CPR kaise dete hai
छाती दबाना
व्यक्ति को एक समतल जगह पर पीठ के बल लिटा दें।
व्यक्ति के कन्धों के पास घुटनों के बल बैठ जाएं।
अपनी एक हाथ की हथेली को व्यक्ति की छाती के बीच में रखें। दूसरे हाथ की हथेली को पहले हाथ की हथेली के ऊपर रखें। अपनी कोहनी को सीधा रखें और कन्धों को व्यक्ति के की छाती के ऊपर सिधाई में रखें।
अपने ऊपर के शरीर के वजन का इस्तेमाल करते हुए व्यक्ति की छाती को कम से कम 2 इंच (5 सेंटीमीटर) और ज़्यादा से ज़्यादा 2.5 इंच (6 सेंटीमीटर) तक दबाएं और छोड़ें। एक मिनट में 100 से 120 बार ऐसा करें।
अगर आपको सीपीआर देना नहीं आता है, तो व्यक्ति के हिलने डुलने तक या मदद आने तक उसकी छाती दबाते रहें।
अगर आपको सीपीआर देना आता है और आपने 30 बार व्यक्ति की छाती को दबाया है, तो उसकी ठोड़ी को उठाएं जिससे उसका सिर पीछे की ओर झुकेगा और उसकी श्वसन नली खुलेगी।
सांस देना
घायल व्यक्ति को साँस देने के दो तरीके होते हैं, ‘मुंह से मुंह’ में साँस देना और ‘मुंह से नाक’ में साँस देना। अगर व्यक्ति का मुंह बुरी तरह से घायल है और खुल नहीं सकता, तो उसे नाक में सांस दिया जाता है।
व्यक्ति की ठोड़ी ऊपर उठाएं और मुंह से साँस देने से पहले व्यक्ति की नाक को बंद करें।
पहले एक सेकंड के लिए व्यक्ति को सांस दें और देखें कि क्या उसकी छाती ऊपर उठ रही है। अगर उठ रही है, तो दूसरी दें। अगर नहीं उठ रही है, तो फिर से व्यक्ति की ठोड़ी ऊपर उठाएं और सांस दें। व्यक्ति को बहुत अधिक या बहुत ज़ोर लगाकर सांस न दें।
डीफिब्रिलेटर आने पर निर्देशानुसार इसका प्रयोग करें। एक बार करंट का झटका दें और फिर व्यक्ति की छाती दबाकर सीपीआर शुरू करें और दो मिनट बाद फिर से झटका दें।
नोट: प्राथमिक चिकित्सा या फर्स्ट ऐड देने से पहले आपको इसकी ट्रेनिंग लेनी चाहिए। अगर आपको या आपके आस-पास किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर या अस्पतालसे तुरंत संपर्क करें। यह लेख केवल जानकारी के लिए है।




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