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DIALYSIS,डायलिसिस क्या है?

 डायलिसिस क्या है? हमारी किडनी रक्त से अतिरिक्त अपशिष्ट पदार्थ व पानी निकालती है। वे ऐसे हॉर्मोन का स्त्राव भी करती हैं जो रक्त चाप को नियंत्रित करते हैं और शरीर में अम्ल व क्षार का संतुलन बनाए रखती है। जब किडनी ठीक तरह से कार्य नहीं करती है तो शरीर में अपशिष्ट पदार्थों का जमाव हो सकता है जो कि हानिकारक है। डायलिसिस एक ट्रीटमेंट की प्रक्रिया है, जिसमें किडनी के सारे कार्य किए जाते हैं जैसे शरीर से अपशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त पानी को निकालना। यह दो तरह से की जाती है - हेमोडायलिसिस (इसे हीमोडायलिसिस के नाम से भी जाना जाता है) और पेरिटोनियल डायलिसिस। हेमोडायलिसिस में ए-वी फिस्टुला से शरीर के बाहर लगे डायलिसिस मशीन में रक्त दो सुईओं की मदद से निकाला जाता है जिसमें रक्त फ़िल्टर हो कर वापस शरीर में चला जाता है। पेरिटोनियल डायलिसिस में कैथिटर को पेट के अंदर मौजूद पेरिटोनियल स्पेस में डाला जाता है जो कि पेरिटोनियल मेम्ब्रेन से ढका हुआ होता है। इसके बाद डायलिसिस द्रव को ट्यूब के अंदर डाला जाता है, जिसमें निकाले गए रक्त को फ़िल्टर किया जाता है। डायलिसिस के बाद इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप क्या

ब्रेस्ट (स्तनों) में दर्द की होम्योपैथिक दवा और इलाज -

 ब्रेस्ट (स्तनों) में दर्द की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Breast pain in hindi ब्रेस्ट (स्तनों) में दर्द की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Breast pain in hindi ब्रेस्ट (स्तन) में दर्द को मास्टालजिया के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में महिलाओं को ए​क या दोनों स्तन में दर्द या असहज महससू होता है। हालांकि, यह युवा महिलाओं में ज्यादा आम है। इसमें होने वाला दर्द लगातार, हल्का या तेज, चुभन वाला हो सकता है। यह कई मामलों में गंभीर रूप भी ले सकता है और बगल या कांख की ओर बढ़ता है। आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि यह मासिक धर्म से दो हफ्ते पहले शुरू होता है और मासिक धर्म के करीब आते आते यह स्थिति बदतर होने लगती है और मासिक धर्म के खत्म होने के साथ ब्रेस्ट (स्तन) में दर्द की स्थिति भी ठीक हो जाती है। ब्रेस्ट (स्तन) में दर्द के सामान्य कारणों में शामिल हैं : पीरियड्स के दौरान हार्मोन के स्तर में बदलाव रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोन के स्तर में परिवर्तन स्तनपान स्तन में चोट स्तन में संक्रमण स्तनों को हटाने वाली जैसी सर्जरी दुर्लभ म

ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homoeopathic medicine and treatment

 ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homoeopathic medicine and treatment Lactation problems in Hindi नवजात शिशु के पोषण के लिए स्तनपान न सिर्फ एक प्राकृतिक बल्कि स्वस्थ विकल्प है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे के जन्म के बाद कम से कम 6 महीने तक उसे स्तनपान कराना चाहिए। जब तक बच्चा 1 से 2 वर्ष का नहीं हो जाता है, तब तक नियमित रूप से उसके आहार में मां का दूध शामिल होना चाहिए। हालांकि, कुछ महिलाओं को स्तनपान से चुनिंदा समस्याएं हो सकती हैं, जैसे मैस्टाइटिस (स्तन का संक्रमण), निप्पल में दर्द और पीड़ा, पर्याप्त मात्रा में दूध न आना, या थ्रश (यीस्ट इंफेक्शन)। यदि बच्चा स्तनपान करते समय उधम (नखरे करना या असहज) मचाता है, तो इससे स्तनपान में परेशानी (दूध न पीने की वजह से दूध जम जाना) हो सकती है। ऐसे में प्रभावित हिस्से पर गर्म सिकाई करने, पर्याप्त आराम करने, उचित समय पर स्तनपान कराने और आरामदायक ब्रा पहनने से इन समस्याओं को दूर करने में मिल सकती है। स्तन में संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाएं भी लेनी पड़ सकती हैं। पारंपरिक दवाओं के अलावा होम्य

Homoeopathic Treatmentब्रेस्ट बढ़ाने की हौम्यौपैथिक दवा

 Homeopathic Treatmentब्रेस्ट बढ़ाने की हौम्यौपैथिक दवा HOMEOPATHIC TREATMENT ब्रेस्ट बढ़ाने की हौम्यौपैथिक दवा    homeopathic medicine for breast ब्रेस्ट बढ़ाने की हौम्यौपैथिक दवा ( homeopathic medicine for breast enlargement in hindi ) :- बडे, आकर्षक, टाइट औप सुडौल स्तन किसी भी महिला की सुदंरता का अहम हिस्सा होते है । इनसे ना केवल आपकी फिगर अच्छी लगती है बल्कि आपको Overall एक सेक्सी और Attractive लूक भी मिलता है जिससे Personality में चार चाँद लगने के साथ आपका आत्मविश्वास भी कई गुना बढ़ जाता है ।   मगर नेचर की तरफ से हर महिला को बडे ब्रेस्टों का अशीर्वाद नही मिलता, आज कल बडे पैमाने पर ऐसी लड़कियों को देखा जा सकता है जो छोटे स्तनों के कारण परेशान घूमती हैं ।   छोटे स्तन होने के कारण वो खुद में आत्मविश्वास की कमी तो महसूस करती ही हैं साथ ही उन्हे पुरूषों की तरफ से भी कम Attention मिलती है । इसलिए कहा जा सकता है की चेहरे का खूबसूरत होने के साथ अगर आपके ब्रेस्ट का आकार भी अच्छा हो तो इससे आपके पुरे व्यक्तित्व में एक नई जान आती है । इसी को देखते हुए हम इस Artical में ब्रेस्ट बढ़ाने की होम्

हाइपोथर्मिया - Hypothermia in Hind

 हाइपोथर्मिया - Hypothermia in Hind हाइपोथर्मिया - Hypothermia in Hind हाइपोथर्मिया​ क्या है? हाइपोथर्मिया तब होता है जब शरीर तेज़ी से गर्मी खोता है और ठंडा हो जाता है। इस दौरान शरीर का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस (95 डिग्री फेरनहाइट) से नीचे गिर जाता है। सामान्य शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस (98.6 ℉) है। आमतौर पर, हाइपोथर्मिया तब होता है जब शरीर का तापमान ठंडे वातावरण के कारण काफी कम हो जाता है। हाइपोथर्मिया अक्सर ठंडे मौसम में या ठन्डे पानी में जाने से होता है। यह 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे के इनडोर तापमान में रहने से भी हो सकता है। साथ ही शरीर में थकान और पानी की कमी होने से भी हाइपोथरमिया होने का जोखिम बढ़ जाता है। हो सकता है इसके कारण आपको बहुत नींद आए, आप कन्फ्यूज्ड रहें, और खराब महसूस करें। चूंकि यह धीरे-धीरे होता है और आपकी सोच को प्रभावित करता है इसिलिये आपको पता ही नहीं लगता कि आपको मदद की ज़रूरत हैऔर यह और खतरनाक हो जाता है। हाइपोथर्मिया का परीक्षण डॉक्टर द्वारा चिकित्सीय इतिहास, लक्षणों और शरीर के तापमान के आधार पर किया जाता है आपको उन परिस्थितियों से बचना चाहिए जो आपको हा

VAGINAL CANDIDIASIS AND HOMOEOPATHY

 योनि में यीस्ट संक्रमण की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for vaginal yeast infection in hindi योनि में यीस्ट संक्रमण की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for vaginal yeast infection in hindi योनि में यीस्ट संक्रमण (वजाइनल यीस्ट इंफेक्शन) को कैंडिडिआसिस के रूप में भी जाना जाता है। यह महिलाओं में होने वाली सबसे आम समस्याओं में से एक है। चार में से तीन महिलाएं अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार इस संक्रमण से प्रभावित होती हैं। यह संक्रमण कैंडिडा अल्बिकंस नामक कवक के अतिवृद्धि के कारण होता है। जो गर्भवती व कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाली महिलाएं गर्भनिरोधक या एंटीबायोटिक्स गोलियां ले रही हैं, उनमें इस संक्रमण का जोखिम ज्यादा होता है। योनि में यीस्ट संक्रमण के सामान्य लक्षणों में पेशाब के दौरान दर्द, यौन संबंध बनाते समय दर्द, योनि के बाहरी भाग में लालिमा और सूजन, योनि और लेबिया (योनि की भीतरी और बाहरी तह) में जलन और खुजली, पानी निकलना शामिल हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर मलहम, क्रीम या टैबलेट लेने की सलाह दे सकते हैं। योनि में यीस्ट संक्रमण