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PSORIASIS AND HOMOEOPATHY

सोरायसिस: त्वचा के इस रोग से पाएं छुटकारा इन होम्योपैथी उपचारों से सोरायसिस एक इंफ्लेमेटरी स्किन कंडीशन है, जिससे कई लोग प्रभावित होते हैं। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन 11 से 60 साल की उम्र के लोगों में यह अधिक देखी गई है। सोरायसिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है। जो उन परिस्थितियों के समूह से संबंधित है, जहां प्रतिरक्षा प्रणाली(Immune system) अतिसक्रिय होती है और अपनी कोशिकाओं और ऊतकों को प्रभावित करती है। आमतौर पर, हमारी त्वचा की बाहरी परत के नीचे त्वचा की कोशिकाएं बनती हैं। यह कोशिकाएं परिवर्तन के एक चक्र से गुजरती हैं। इसमें यह कोशिकाएं डेड हो जाती हैं और तीन से चार सप्ताह की अवधि के भीतर हटा दी जाती हैं। सोरायसिस की स्थिति में यह प्रक्रिया तेज हो जाती है और कोशिकाएं तीन से चार दिनों के भीतर इस चक्र से गुजर सकती हैं। सोरायसिस के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं जैसे दर्द, खुजली, त्वचा का फटना, जोड़ों में जलन, पस से भरे हुए फोड़े आदि। यह लक्षण प्रभावित व्यक्ति के तनाव का कारण भी बन सकते हैं। सोरायसिस के उपचार के कई तरीके हैं। आज हम बात करेंगे सोरायसिस के लिए होम्योपैथी(Homeopathy for ps

RINGWORM AND HOMOEOPATHY(दाद)

 [3/14, 16:07] Dr.J.k Pandey: दाद त्वचा पर होने वाली एक समस्या है जो फंगल इन्फेक्शन की वजह से होती है और भयंकर संक्रामक है. इसे अंग्रेजी में रिंगवर्म (Ringworm) के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस रोग में त्वचा पर लाल लाल गोल निशान दिखाई देते हैं जिनका आकार रिंग की तरह होता है. रिंगवर्म का इलाज न होने पर यह त्वचा पर लगातार फैलता रहता है. अगर आपने जरा सी भी लापरवाही की तो इसे फैलने में समय नहीं लगता. यह वैसे तो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है लेकिन पैरों और शरीर के ऐसे हिस्से जो ढंके हुए रहते हैं जैसे, भीतरी भीतरी जांघों, महिलाओं के शरीर में वक्षों के निचले हिस्से और शरीर के जो हिस्से आपस में जुड़े होते हैं ऐसी जगह दाद का खतरा अधिक होता है. दाद के लक्षणों को कैसे पहचाने और उसका बचाव कैसे करें। (How to identify and cure ringworm?) हम हमेशा चाहते हैं की हमारा शरीर साफ़ और स्वस्थ रहे हम कभी भी नहीं चाहेंगे की हमे किसी तरह का कोई इन्फेक्शन या बीमारी लगे। वैसे तो हम अपने शरीरका हमेशा ध्यान रखते हैं लेकिन उसके बावजूद हमे कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। हमे इन्फेक्शन कभी भी हो

ECZEMA AND HOMOEOPATHY

 त्वचा के गैर-संक्रामक इंफ्लमैशन को एक्जिमा कहते हैं। इसे एटॉपिक डर्मेटाइटिस, एटॉपिक एक्जिमा और एलर्जिक एक्जिमा भी कहा जाता है। यह त्वचा पर सूखे, लाल, पपड़ीदार और खुजलीदार दाने के रूप में होते हैं जो कभी-कभी पानी या मवाद से भरे छाले में बदल जाते हैं। इन छालों के फूटने पर तरल पदार्थ निकलता है। एक्जिमा से पीड़ित व्यक्तियों की त्वचा पर बैक्टीरिया, फंगस और वायरस से होने वाले संक्रमण भी हो सकते हैं। यद्यपि, शिशुओं और बच्चों में एक्जिमा होना अधिक सामान्य है पर यह वयस्कों को भी प्रभावित कर सकता है। एक अनुमान के अनुसार, दुनिया में लगभग 15% बच्चे और 2 से 4% वयस्क इससे पीड़ित हैं। एक्जिमा का सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन इस बीमारी में जेनेटिक और पर्यावरणीय कारकों की भूमिका मानी जाती है। यह देखा गया है कि एक्जिमा के रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत अधिक प्रतिक्रिया करती है, जो विभिन्न कारकों द्वारा प्रभावित होने पर एक्जिमा के लक्षणों का कारण बनती है। एक्जिमा का एक अन्य संभावित कारण फिलाग्रीन नाम के प्रोटीन का उत्पादन करने वाले जीन में परिवर्तन होना है। यह प्रोटीन त्वचा की बाहरी परत को बन

MENTAL DISORDER AND HOMOEOPATHY

 [3/13, 01:58] Dr.J.k Pandey: मानसिक विकारों में विभिन्न लक्षणों वाले रोग शामिल हैं जो किसी व्यक्ति की सोच, मनोदशा (मूड), भावना, सीखने की क्षमता, याददाश्‍त और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। ये लक्षण कभी-कभी दिखाई देते हैं या फिर लंबे समय तक रहते हैं। मानसिक विकार की वजह से व्‍यक्‍ति की दूसरों से संबंध बनाने की क्षमता प्रभावित होती है और वह सामान्‍य तरीके से कार्य नहीं कर पाता है। आमतौर पर कई वजहों से मानसिक विकार होते हैं जैसे कि अनुवांशिक गड़बड़ी, फैमिली हिस्‍ट्री (मरीज और उसके परिवार के सदस्यों में रहे विकारों एवं बीमारियों का रिकॉर्ड), शोषण (भावनात्‍मक, मानसिक या शारीरिक), मस्तिष्‍क में रसायनिक असंतुलन, शराब की लत, किसी दवा या नशीले पदार्थ की लत, कोई गंभीर चिकित्‍सकीय स्थिति जैसे कि कैंसर, अकेलापन और मस्तिष्क की गंभीर चोट (ट्रॉमैटिक ब्रेन इंजरी)। मानसिक विकारों के कुछ सामान्‍य प्रकारों में शामिल हैं: डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर और अन्‍य मूड से संबंधित विकार चिंता विकार जैसे कि मनोग्रसित-बाध्यता विकार (दिमाग में बार-बार नकारात्‍मक विचार आना), फोबिया (डर), पोस्‍ट ट्रामेटिक स्‍ट्रेस डिसऑ

DIPRESSION AND HOMOEOPATHY

 [3/12, 09:25] Dr.J.k Pandey: अवसाद (डिप्रेशन) की होम्योपैथिक दवा और इलाज -  अवसाद एक मानसिक स्थिति है, जिसमें लगातार या लंबे समय तक उदासी और दिन-प्रतिदिन के कार्यों में रुचि की कमी होना शामिल है। इसके अलावा समाज में उठने-बैठने और बातचीत करने का मन नहीं करना भी अवसाद के लक्षण हैं। अवसाद में न केवल दैनिक कार्य करने की क्षमता खराब होती है, बल्कि इससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं। इसकी वजह से मरीज का आहार अनियमित हो जाता है और यह स्थिति व्यक्ति को नशे की ओर धकेलने लगती है।  फिलहाल अवसाद का इलाज मौजूद है, लेकिन जब इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है, तो स्थिति गंभीर हो जाती है। इसमें व्यक्ति खुद को नुकसान पहुंचाता है और कुछ मामलों में आत्महत्या जैसा कदम भी उठा सकता है। इसके सामान्य कारणों में अचानक होने वाली कोई दुखद घटना, आघात या तनाव शामिल हैं। डिप्रेशन के इलाज के लिए होम्योपैथी कई तरह के विकल्प प्रदान करती है। यह अवसाद के हल्के मामले (जहां आत्महत्या के विचार नहीं आते) में विशेष रूप से सहायक है। होम्योपैथिक दवा हमेशा छोटी खुराक में दी जाती है, जो मस्तिष्क के विभिन्न केमिकल्स क

शुक्राणु की कमी,(OLIGOSPERMIA)AND HOMOEOPATHY

 शुक्राणु की कमी, पुरुषों में प्रजनन क्षमता की कमी का एक महत्वपूर्ण कारण है। प्रजनन क्षमता में कमी का मतलब है, शुक्राणु में कुछ नुक्स या शुक्राणु की कमी (2 करोड़ से कम) के कारण बार-बार बिना कंडोम सेक्स करने के बाद भी गर्भधारण न कर पाना। प्रजनन क्षमता में कमी, बांझपन से अलग होती है क्योंकि इसमें बिना डॉक्टर की सहायता के प्रेग्नेंट होने की कुछ संभावना होती है, हालांकि, इसमें समय अधिक लगता है। शुक्राणु की कमी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे हार्मोन उत्पादन का विकार, शुक्राणु के रास्ते में रुकावट, वैरीकोसेल, वीर्य का उलटे रास्ते जाना, पुरुष जननांग में सूजन व संक्रमण, गुप्तवृषणता, स्तंभन दोष, अनुवांशिक कारक, सिगरेट पीना, शराब पीना और मानसिक तनाव। होम्योपैथिक उपचार शुक्राणु की कमी के लिए एक असरदार इलाज है, खासकर अगर ये समस्या वैरीकोसेल, संक्रमण, हार्मोन असंतुलन या स्तंभन दोष के कारण हुई है। हालांकि, सर्जरी के कारण हुई शुक्राणु की कमी पर होम्योपैथिक दवाओं का प्रभाव कम होता है। व्यक्ति के लक्षणों व अन्य कारक के आधार पर दिए जाने वाला होम्योपैथिक उपचार व्यक्ति के शुक्राणु व उनकी गुणवत्ता को बढ़ाता ह

JUANDICE(पीलिया)AND HOMOEOPATHY

 रक्त में बिलीरुबिन (Bilirubin) का स्तर बढ़ जाने के कारण व्यक्ति को पीलिया होता है। ये स्तर लिवर, ब्लैडर और पित्त नलिकाओं से संबंधित कई बीमारियों के कारण बढ़ सकता है। पीलिया होने पर रोगी की आंख का सफेद भाग और उसकी त्वचा पीली पड़ने लगती है। अगर पीलिया करने वाले कारण को समय रहते ठीक न किया जाए, तो रोगी के लिए ये जानलेवा साबित हो सकता है। पीलिया कई कारणों से होता है, जैसे बिलीरुबिन मेटाबोलिज्म से संबंधित अनुवांशिक समस्याएं, लिवर रोग, मूत्राशय के रोग, अग्नाशय कैंसर और हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी व ई के कारण हुए लिवर इन्फेक्शन। त्वचा पीली होने के अलावा, पीलिया में त्वचा का फीकापन, रूखी त्वचा, नाखूनों का बीच में से दबकर चम्मच की तरह हो जाना और त्वचा मोटी होने जैसे लक्षण होते हैं। पीलिया का पता लगाने के लिए लिवर फंक्शन टेस्ट जैसे ब्लड टेस्ट या यूरिन टेस्ट किए जा सकते हैं। पीलिया का इलाज करने के लिए और अंदरूनी कारण को ठीक करने के लिए कुछ होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे शेलिडोनियम (Chelidonium), कार्डुअस मेरियनस (Carduus marianus), लायकोपोडियम (Lycopodium) और फॉस्फोरस (Phosphorus)। क