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किडनी कार्य टेस्ट KFT,RFT

 KFT टेस्ट किडनी की कार्यक्षमता पहचानने वाली जाँचों का एक समूह है, इसका पूर्ण रूप kidney function test है यानि किडनी कार्यक्षमता जाँच। इसके अलावा इसे RFT भी कहा जाता है जिसका पूर्ण रूप renal function test है। KFT टेस्ट क्या है, और इसमें किस-किस जांच को शामिल किया जाता है यह अलग-अलग प्रयोगशालाओं पर निर्भर करता है। आम तौर पर लगभग सभी प्रयोगशालाएँ KFT / RFT में रक्त यूरिया (blood urea) / रक्त यूरिया नाइट्रोजन टेस्ट (blood urea nitrogen), सीरम क्रिएटिनिन टेस्ट और eGFR शामिल करती हैं। इसके अलावा कुछ प्रयोगशालाएँ पेशाब में प्रोटीन की मात्रा पहचानने के लिए मूत्र विश्लेषण को भी KFT / RFT का हिस्सा बना सकती हैं। इसके अलावा सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड, यूरिक एसिड का रक्त स्तर भी KFT का हिस्सा हो सकता है। शरीर में इन सभी रसायनों का संतुलन बनाने का काम किडनी करती है। किडनी की इसी कार्यक्षमता को जाँचने के लिए किए जाने वाले परीक्षणों को KFT / RFT कहा जाता है। KFT टेस्ट में कौन सी जाँचे होती हैं KFT, किडनी कार्यक्षमता जाँच के लिए किडनी से संबंधित और भी कई चीजों का होता है परीक्षण। क्या हैं वे परीक्षण

CBC AWARENESS

 कम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट (खून की जांच) क्या होता है? - What is Complete Blood Count Test in Hindi? सीबीसी यह निर्धारित करता है कि आपके रक्त कोशिकाओं की गिनती में कोई वृद्धि या कमी हुई है या नहीं। आपकी उम्र और आपके लिंग के आधार पर सामान्य गिनती अलग हो सकती है। प्रयोगशाला से मिलने वाली सीबीसी रिपोर्ट आपको आपकी उम्र और लिंग के लिए सामान्य गिनती बताएगी। सीबीसी एनीमिया, आम संक्रमण से लेकर कैंसर तक कई स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगाने में मदद कर सकता है। आपकी रक्त कोशिकाओं के स्तर में परिवर्तन को मापने से आपके डॉक्टर आपके समग्र स्वास्थ्य और विकारों का पता लगा सकते हैं। यह टेस्ट तीन मुख्य प्रकार की रक्त कोशिकाओं को मापता है - 1. लाल रक्त कोशिकाएं लाल रक्त कोशिकाएं आपके शरीर में ऑक्सीजन पहुँचाती हैं और कार्बन डाइऑक्साइड को हटा देती हैं। सीबीसी आपकी लाल रक्त कोशिकाओं के दो घटकों को मापता है - हीमोग्लोबिन: ऑक्सीजन-ले जाने वाले प्रोटीन हेमटोक्रिट: आपके रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं का प्रतिशत हीमोग्लोबिन और हेमटोक्रिट का कम होना अक्सर एनीमिया का लक्षण होता है (एनीमिया खून में आयरन की कमी से होता है)।

लकवा ,पक्षाघात ,PARALISIS

 पक्षाघात (स्ट्रोक) पक्षाघात तब लगता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त की आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है। जिस तरह किसी व्यक्ति के हृदय में जब रक्त आपूर्ति का अभाव होता तो कहा जाता है कि उसे दिल का दौरा पड़ गया है उसी तरह जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है तो कहा जाता है कि आदमी को "मस्तिष्क का दौरा’’ पड़ गया है। पक्षाघात में आमतौर पर शरीर के एक हिस्से को लकवा मार जाता है। सिर्फ़ चेहरे, या एक बांह या एक पैर या शरीर और चेहरे की पूरी एक ओर लकवा मार सकता है या दुर्बलता आ सकती है। स्थानिकारकतता (इस्कीमिक स्ट्रोक): मस्तिष्क में अपर्याप्त रक्त आपूर्ति की स्थिति में मस्तिष्क की कोशिकाओं के लिए आक्सीजन और पोषण के अभाव को स्थानिकारक्तता (इस्कीमिक स्ट्रोक) कहा जाता है। स्थानिकारक्तता की वजह से अंततः व्यत्तिक्रम आ जाता है, यानी मस्तिष्क की कोशिकाएं मर जाती है; और अंततः क्षतिग्रस्त मस्तिष्क में तरल युक्त गुहिका (भग्न या इंफ़ैक्ट) उनकी जगह ल

HEPATITIS B AWARENESS

  हेपेटाइटिस बी क्या है – लक्षण, बचाव के उपाय और सही इलाज Table of Contents हेपेटाइटिस बी क्या होता है? क्या हेपेटाइटिस बी संक्रामक है? हेपेटाइटिस बी के कारण हेपेटाइटिस बी के लक्षण हेपेटाइटिस बी से बचाव हेपेटाइटिस बी का निदान हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीजन टेस्ट हेपेटाइटिस बी कोर एंटीजन टेस्ट हेपेटाइटिस बी सरफेस एंटीबॉडी टेस्ट लिवर फंक्शन टेस्ट हेपेटाइटिस बी का इलाज हेपेटाइटिस बी टीकाकरण और प्रतिरक्षा (इम्युनिटी) ग्लोबुलिन हेपेटाइटिस बी के लिए इलाज के विकल्प मनुष्य के शरीर में लिवर भोजन को पचाने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलने के लिए होता है। पर बहुत बार यह इन्फेक्टिड हो जाता है और लिवर में सूजन आ जाती है। जिस कारण यह सही से कार्य नहीं कर पाता। उस इन्फेक्शन से होने वाली बीमारी को हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B in Hindi) कहते हैं। यह लिवर के सबसे आम इन्फेक्शन्स में से एक है। यह हेपेटाइटिस वायरस के कारण होता है। आमतौर पर यह 2 तरह का होता है, हेपेटाइटिस ‘ए’ और हेपेटाइटिस ‘बी’ , पर इसके अन्य प्रकार ए, सी, डी, और ई भी हैं। हेपेटाइटिस HBV वायरस (Hepatitis B Virus) के कारण भी हो सकता है। क

HIV AWARENESS

 एड्स एक ऐसी बीमारी है जो HIV नामक वायरस के शरीर में आ जाने से होती है। इसका फ़ुल फ़ार्म एक्वायर्ड एमीनों डेफिशियेन्सी सिंड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) होता है। एड्स से पीड़ित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है।    HIV वायरस क्या है?   HIV एक प्रकार का वायरस होता है जो इम्यून सिस्टम को कमज़ोर कर देता है। HIV का फ़ुल फ़ार्म ह्यूमन इमुनोडेफिशियेन्सी वायरस (Human Immunodeficiency virus) होता है।  HIV शरीर में मौजूद CD4 कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है। CD4 कोशिकाओं को T सेल या T कोशिका भी कहा जाता है। ये एक प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिकाएं होती हैं।  समय बीतने के साथ HIV वायरस जैसे जैसे CD4 या प्रतिरक्षा कोशिकाओं को नष्ट करता जाता है, वैसे वैसे शरीर कई बीमारियों की चपेट में आना शुरू हो जाता है।  एचआईवी/HIV के एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होने के निम्नलिखित कारण होते हैं-   1.) खून के द्वारा यदि किसी HIV पीड़ित व्यक्ति का रक्त किसी नॉर्मल व्यक्ति को डोनेट किया जाता है या चढ़ाया जाता है तो ऐसे में नॉर्मल व्यक्ति के शरीर में HIV वायरस प्रवेश कर जाता है।  

PARASITIC DISEASE AWARENESS

 परजीवी रोग / Parasitic Diseases in Hindi स्वास्थ्य  परजीवी रोग   लक्षण कारण जोखिम के कारक निदान जटिलता सर्वेक्षण परजीविय चीजें हैं जो अन्य जीवित चीजों का उपयोग रह रहे हैं।आपके शरीर की तरह -जिवित रहने के लिए खाद्य और जगह.आप उन्हें दूषित भोजन या पानी, एक बग काटने, या यौन संपर्क से प्राप्त कर सकते हैं। कुछ परजीवी रोगों का आसानी से इलाज हो रहा हैं और कुछ का नहीं।   परजीवियों आकार में सीमा छोटी सी है, एक कोशिकीय जीवों कीड़े को नग्न आंखों से देखा जा सकता है उसे प्रोटोजोआ बुलाया जाता है। कुछ परजीवी रोगों संयुक्त राज्य अमेरिका में पाए जाते हैं। दूषित पानी की आपूर्ति का नेतृत्व कर सकते हैंhref='/health-hi/giardia-infections'> जिआर्डिआ के संक्रमण कोटोक्सोप्लाज़मोसिज़ , जो गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है। अन्य,मलेरिया की तरह, दूसरे में आम हैं दुनिया के हिस्से।  आपयात्रा कर रहे हैं,पीने के लिए महत्वपूर्ण है यह केवल पानी हो आप जानते है यह सुरक्षित है। रोकथाम के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। वहाँ परजीवी रोगों के लिए कोई टीके हैं। कुछ दवाओं परजीवी के संक्रमण के इलाज के लिए उपलब्ध हैं।

WATERBORN DISEASE AWARENESS

 मानव शरीर जिन 5 तत्वों से मिलकर बना है, उसमें जल प्रमुख है। हमारे शरीर का दो तिहाई हिस्सा जल से बना है पर क्या आपको पता है कि आज जलजनित रोग ही हमारे शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचा रहे हैं? ये सही है कि हर कदम पर इंसान इन रोगों की वजह से बेबस हो रहा है। पर इंसान को ये भी सोचना चाहिए कि अगर जल आज जीवन की जगह मृत्यु बाँट रहा है तो उसके लिये जवाबदेह भी तो हम इंसान ही हैं।यूँ तो कहावतों में भी है, ‘जल ही जीवन है।’ जल के बिना धरती पर मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मनुष्य चाँद से लेकर मंगल तक की सतह तक पानी तलाशने की कवायद में लगा है, ताकि वहाँ जीवन की संभावनाएँ तलाशी जा सकें लेकिन, क्या धरती पर रहने वाले हम पानी के वास्तविक मूल्य को समझते हैं? 2011 की जनगणना के अनुसार राष्ट्रीय स्वच्छता कवरेज 46.9 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह औसत केवल 30.7 प्रतिशत है। अभी भी देश की 62 करोड़ 20 लाख की आबादी यानि राष्ट्रीय औसत 53.1 प्रतिशत लोग खुले में शौच जाते हैं। इन आँकड़ों में सिर्फ ग्रामीण ही नहीं, बल्कि शहरी क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। ये जल प्रदूषण की अहम वजह है। हालाँकि