बुखार की होम्योपैथिक दवा और इलाज -
Homeopathic medicine and treatment for Fever in Hindi
अक्सर बुखार आने पर हम चिंता से घिर जाते हैं, लेकिन बुखार चिंता का नहीं बल्कि सचेत हो जाने का संकेत होता है। दरअसल, बुखार हमें यह संकेत देता है कि शरीर के अंदर के कुछ गड़बड़ी चल रही है।
बुखार तब होता है जब आपके मस्तिष्क का एक हिस्सा, जिसे हाइपोथैलेमस (जिसे आपके शरीर की "थर्मोस्टेट" भी कहा जाता है) कहा जाता है, आपके शरीर के सामान्य तापमान के निर्धारित बिंदु को ऊपर ले जाता है। शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट (37 डिग्री सेल्सियस) है।
दिनभर में इसमें उतार-चढ़ाव आता है जैसे कि अधिकतर लोगों के शरीर का तापमान शाम के समय अधिक रहता है। शरीर का सामान्य तापमान भी हर व्यक्ति में अलग होता है। माना जाता है कि जब किसी व्यक्ति के शरीर का तापमान 100.4 डिग्री फारेनहाइट (38 डिग्री सेल्सियस) तक या इससे ऊपर पहुंच जाए, तो इसका मतलब है कि उस व्यक्ति को बुखार है।
बुखार के लिए डॉक्टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दवाएं जैसे कि पैरासिटामोल और एस्प्रिन के हानिकारक प्रभाव भी होते हैं। हालांकि, बुखार के अंतर्निहित कारण को ठीक करने और बुखार को कम करने में होम्योपैथिक दवाएं बहुत असरकारी हैं।
होम्योपैथिक दवाओं को प्राकृतिक तत्वों से तैयार किया जाता है और इनके कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं। होम्योपैथिक दवाएं जैसे कि एकोनिटम नैपेल्लस और बेलाडोना अचानक हुए बुखार के इलाज में उपयोगी हैं। जिस बुखार में धीरे-धीरे लक्षण सामने आते हैं उसमें फेरम फास्फोरिकम और बुखार के साथ ठंड लगने में ब्रायोनिया अल्बा उपयोगी हैं।
बुखार की होम्योपैथिक दवा - Bukhar ki homeopathic dawa
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बुखार में क्या खाना चाहिए, क्या न खाएं और परहेज
बुखार की होम्योपैथिक दवा - Bukhar ki homeopathic dawa
बुखार के इलाज में उपयोगी होम्योपैथिक दवाओं के नाम इस प्रकार हैं :
बेलाडोना (Belladonna)
सामान्य नाम - डेडली नाइटशेड (Deadly Nightshade)
लक्षण - बेलाडोना तंत्रिका और वस्कुलर प्रणाली, ग्रंथियों और त्वचा पर बेहतर असर करती है। ये दवा अधिकतर चेहरा लाल पड़ने, गर्म और त्वचा पर लालिमा, प्रलाप (उलझन महसूस होना), दौरे पड़ने और मुंह सूखने से ग्रस्त लोगों को फायदा पहुंचाती है। इस दवा से लाभ पाने वाले लोगों में निम्न लक्षण भी दिखाई देते हैं -
लाल बुखार (स्कार्लेट फीवर)
सिरदर्द, अधिकतर माथे पर जो कि शोर, रोशनी, लेटने पर और दोपहर में बढ़ जाए। दबाव बनाने और पीठ के सहारे बैठने पर सिरदर्द में आराम मिलता है
शरीर में जलन वाली गर्मी महसूस होना
पैर ठंडे होना
प्यास न लगना
दोपहर में और लेटने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं।
एकोनिटम नैप्पेलस (Aconitum Napellus)
सामान्य नाम - मॉन्क्शहुड (Monkshood)
लक्षण - डर के साथ मानसिक और शारीरिक बेचैनी होने की स्थिति में एकोनिटम नैप्पेलस उपयोगी है।
अचानक बुखार, गर्म मौसम पसंद न आना, शरीर में झुनझुनी, सुन्नता और जलन महसूस होने जैसे अन्य लक्षणों को भी इस दवा से ठीक किया जा सकता है।
एकोनिटम से ठीक होने वाले अन्य लक्षण इस प्रकार हैं :
इन्फलूएंजा
आंखों में सूखापन, लालिमा और जलन के साथ पलकों (आई लिड) में सूजन
शोर और गंध के प्रति बहुत ज्यादा संवेदनशील होना
हार्ट रेट बढ़ना
सांस लेने में दिक्कत
बुखार के साथ कभी गर्म और ठंडा महसूस होना, बिस्तर में जाने के बाद और शरीर को न ढकने पर व्यक्ति को ठंड महसूस होना।
शाम और रात के समय, गाना सुनने, प्रभावित हिस्से की ओर लेटने, सूखी और ठंडी हवा में आने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं। ये खुली हवा में बेहतर होते हैं।
ब्रायोनिया अल्बा (Bryonia Alba)
सामान्य नाम - वाइल्ड हॉप्स (Wild hops)
लक्षण - चिड़चिड़ापन, रूखे और सूखे होंठ एवं मुंह, श्लेष्मा झिल्लियों (अंगों की अंदरूनी परत) में सूखापन और बहुत ज्यादा प्यास महसूस होना। इन लोगों में निम्न लक्षण भी महसूस किए जा सकते हैं :
शारीरिक कमजोरी बढ़ना
मासिक धर्म के दौरान बार-बार नाक से खून आना
वर्टिगो (सिर चकराना)
तेज सिरदर्द
लिवर में सूजन और दर्द
पेट में चुभने वाला दर्द
सर्दी के कारण बुखार के साथ ठंड लगना
अत्यधिक एवं आसानी से और खट्टा पसीना आना
सुबह के समय, चलने पर, गर्म मौसम में और खाना खाने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं। प्रभावित हिस्से पर दबाव बनाने, आराम करने के बाद, दर्द वाले हिस्से की ओर लेटने और ठंडी चीजों से लक्षणों में आराम मिलता है।
आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album)
सामान्य नाम - आर्सेनियस एसिड (Arsenious Acid)
लक्षण - ये दवा शरीर के प्रत्येक अंग और ऊतक पर कार्य करती है इसलिए होम्यापैथी में व्यापक तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है। हल्का परिश्रम करने के बाद ज्यादा थकान होने, जलन जैसा दर्द, डर और चिंता जैसे लक्षणों के इलाज में भी आर्सेनिकम उपयोगी है।
आर्सेनिकम एल्बम से ठीक होने वाले लक्षण निम्न हैं :
शराब और तंबाकू चबाने की लत
बैक्टीरिया के कारण हुई फूड प्वाइजनिंग
बासी भोजन के कारण संक्रमण
भूख बढ़ना और बेचैनी, आत्महत्या करने के विचार आना
आंखों में जलन और कानों एवं नाक से बदबूदार डिस्चार्ज (तरल पदार्थ निकलना) आना
लीवर बढ़ना और प्लीहा बढ़ना
कम, एल्ब्यूमिन युक्त पेशाब आना और पेशाब में जलन होना
सुबह के समय नब्ज तेज होना
सुबह के 3 बजे तापमान अधिक होना, कभी-कभी ताकत में कमी आना, अत्यधिक थकान और हे फीवर
प्रलाप जो कि आधी रात के बाद बढ़ जाए
आधी रात के बाद, ठंडे और बारिश के मौसम में लक्षणों का बढ़ना एवं गर्म पेय पदार्थ पीने पर लक्षणों में सुधार आना।
यूपेटोरियम परफोलिएटम (Eupatorium Perfoliatum)
सामान्य नाम – थॉरोवोर्ट (Thoroughwort)
लक्षण – ये दवा प्रमुख तौर पर पाचन तंत्र, लिवर और फेफड़ों की श्लेष्मा झिल्लियों पर कार्य करती है। ये मलेरिया और इन्फलूएन्जा जैसी बीमारियों के बाद होने वाले हाथ-पैरों की मांसपेशियों में दर्द से राहत दिलाने में उपयोगी है।
इस दवा से ठीक होने वाले अन्य लक्षण निम्न प्रकार से हैं –
समय-समय पर सिरदर्द होना
जीभ पर पीले रंग की परत चढ़ना
कब्ज के साथ पतला और हरे रंग का मल आना
सीने में दर्द जो कि रात के समय बढ़ जाए
प्यास लगने के बाद सुबह 7 से 9 बजे ठंड लगना
हड्डियों में दर्द
सर्दी आने पर कुछ पीने में असमर्थ होना
समय-समय पर लक्षणों का बढ़ जाना और बात करने पर सुधार आना।
फेरम फास्फोरिकम (Ferrum Phosphoricum)
सामान्य नाम - फास्फेट ऑफ आयरन (Phosphate of iron)
लक्षण – बुखार से जुड़ी स्थितियों के शुरुआती चरण में फेरम उपयोगी है। ये एनीमिया से ग्रस्त व्यक्ति में हीमोग्लोबिन में सुधार लाती है। हट्टे-कट्टे, घबराने वाले, एनीमिया से ग्रस्त और संवेदनशील लोगों को भी इस दवा से लाभ मिलता है।
इनमें निम्न लक्षण भी महसूस किए जा सकते हैं :
त्वचा की सतह पर लालिमा
वर्टिगो
सिरदर्द जो कि कुछ ठंडा लगाने पर कम हो जाए, छूने पर सिर में दर्द होना
आंखों में लालिमा और सूजन के साथ पलकों में धूल जाने जैसा एहसास होना
कानों में हथौड़े बजना, कान में संक्रमण का शुरुआती चरण है
नाक से खून आना
सूजन संबंधी स्थितियों का पहला चरण जैसे कि सूखी खांसी के साथ सीने में दर्द, फेफड़ों में कफ जमना और खांसी में खून आना
बुखार के साथ रोज दोपहर को 1 बजे ठंड लगना
रात के समय और शाम को 4 से 6 बजे के बीच, दाईं करवट लेटने और छूने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं। ठंडी सिकाई से व्यक्ति को बेहतर महसूस होता है।
जेल्सीमियम सेम्परवीरेंस (Gelsemium Sempervirens)
सामान्य नाम - यैलो जास्मीन (Yellow jasmine)
लक्षण - ये दवा कई लक्षणों में उपयोगी है जैसे कि लकवा, चक्कर आना, मंदता (सुस्ती), मांसपेशियों में कमजोरी, इन्फलूएन्जा, खसरा और रक्त प्रवाह धीमा होना। जेल्सीमियम से नीचे बताए गए लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है :
वर्टिगो
मंद-मंद और तेज सिरदर्द होना, जिसके बाद दिखना बंद हो जाए एवं अधिक पेशाब करने पर आराम मिलता है
चेहरे पर लालिमा और गर्म होना
प्यास और हिचकी न आना, शाम के समय स्थिति का और गंभीर हो जाना
बुखार के कारण कंपकपी
नब्ज हल्की और मंद होना
बहुत ज्यादा भयभीत और उत्साहित होना
चक्कर और बेहोशी के साथ बुखार जिसमें रक्त वाहिकाओं और ऊतकों में बिलीरुबिन बढ़ जाए
बारिश के मौसम में, कोई बुरी खबर सुनने, भावनात्मक होने और सुबह 10 बजे लक्षण गंभीर हो जाते हैं। आगे झुकने, खुली हवा में जाने, अत्यधिक पेशाब करने के बाद और कोई उत्तेजक पदार्थ लेने पर लक्षणों में सुधार आता है।
नुक्स वोमिका (Nux Vomica)
सामान्य नाम - पॉइजन नट (Poison-nut)
लक्षण – दीर्घकालिक बीमारियों के प्रभाव को कम करने के लिए इस दवा को चुना जाता है। आमतौर पर पतले, बहुत ज्यादा मानसिक कार्य करने वाले लेकिन गतिहीन जीवन जीने वाले लोगों को नुक्स वोमिका से लाभ होता है।
इन्हें आसानी से गुस्सा आ जाता है और इनका दूसरों की गलतियां निकालने का स्वभाव होता है।
इसके अलावा निम्न लक्षणों पर भी ये दवा असरकारी है :
दौरे पड़ना
आसानी से ठंड लग जाना और खुली हवा में जाने से बचना
गुस्सैल स्वभाव
शोर, बदबू और रोशनी बर्दाश्त न कर पाना
सिरदर्द के साथ वर्टिगो और बेहोशी
बंद नाक
लार में खून आना
खाना खाने के बाद और सुबह के समय जी मितली
रात के 3 बजे से लेकर सुबह तक नींद न आना
बुखार में ठंड लगने के साथ हाथ-पैर और कमर दर्द
व्यक्ति को ठंड लगना, लेकिन शरीर को ढकना पसंद न करना
शरीर के सिर्फ एक हिस्से पर खट्टा पसीना आना
सुबह के समय, मसालेदार खाने, थकान होने, नारकोटिक लेने, शुष्क ठंडे मौसम में लक्षण गंभीर हो जाते हैं। पर्याप्त आराम करने या झपकी लेने पर भी, उमस के मौसम में और प्रभावित हिस्से पर ठोस दबाव बनाने पर लक्षणों में आराम मिलता है।
होम्योपैथी में फीवर के लिए खान-पान और जीवनशैली में बदलाव - Homeopathy me Fever ke liye khan pan aur jeevan shaili me badlav
औषधीय तत्वों और खाद्य पदार्थ एवं वातावरण में मौजूद कुछ रसायनों के संपर्क में आने पर होम्योपैथिक दवाएं आसानी से अपनी क्षमता खो देती हैं। इसके अलावा जीवनशैली से संबंधित कुछ कारक भी इन दवाओं के प्रभाव में सुधार ला सकती हैं।
होम्योपैथिक दवाओं से ज्यादा से ज्यादा लाभ पाने के लिए डॉक्टर इलाज के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखने के लिए कहते हैं, जैसे कि :
क्या करें –
गर्मी में सूती और लिनेन के कपड़े पहनें
शारीरिक रूप से सक्रिय रहें जैसे कि रोज एक्सरसाइज करना
संतुलित आहार लें, इससे लंबे समय से बुखार होने की स्थिति से छुटकारा पाने में भी मदद मिलेगी
कुछ कम गंभीर मामलों में मरीज को कभी-कभी कुछ खाने या पीने की इच्छा हो सकती है। इच्छा के अनुसार थोड़ी मात्रा में मरीज को अपनी पसंद की चीज खाने या पीने को दे सकते हैं।
साफ-सफाई का ध्यान रखें
क्या न करें
हर्बल चाय, कॉफी, शराब या औषधीय मसालों से युक्त पेय पदार्थ न पिएं
मसालेदार चीजें, सूप और प्याज से बनी चटनी, अजमोद, मीट एवं पुरानी चीज न खाएं
परफ्यूम, कपूर, उड़नशील (हवा में उड़ने वाली चीजें) पदार्थों के पास होम्योपैथिक दवाओं को न रखें, ये दवाओं के प्रभाव को नष्ट कर सकती हैं।
गतिहीन जीवनशैली से बचें
लंबे समय तक गीली और गंदी जगहों पर न रुकें
फीवर की होम्योपैथी दवा कितनी लाभदायक है - Fever ki homeopathic dawa kitni faydemand hai
नवजात शिशु और 12 से 36 महीने के शिशुओं को संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा रहता है और इनमें संक्रमण का पहला लक्षण बुखार होता है। इस उम्र के बच्चों के लिए होम्योपैथिक दवाएं सुरक्षित हैं और ये अन्य किसी ट्रीटमेंट के साथ भी होम्योपैथी थेरेपी ले सकते हैं।
होम्योपैथी दवाएं न केवल बीमारी को ठीक करने का काम करती हैं बल्कि व्यक्ति की संपूर्ण सेहत में भी सुधार लाती हैं।
हालांकि, हर मरीज की भावनात्मक स्थिति, बीमारी के प्रकार और कुछ बीमारियों के प्रति व्यक्ति की प्रवृत्ति एवं उसके तौर-तरीकों के आधार पर कोई होम्योपैथी दवा दी जाती है। मान लीजिए, दो लोगों को सर्दी के साथ बुखार है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि इन दोनों पर एक ही तरह की दवा असर करे।
होम्योपैथी में हर मरीज के लिए अलग से दवा तैयार की जाती है। अत: बेहतर होगा कि आप होम्योपैथिक चिकित्सक के परामर्श से ही कोई दवा लें।
दिल्ली में हुए एक विश्लेष्णात्मक अध्ययन में 126 मरीजों को शामिल किया गया। इनमें से 75 मरीज चिकनगुनिया और 51 चिकनगुनिया के बाद लंबे समय से आर्थराइटिस से ग्रस्त थे। इन सभी को 6 महीने तक होम्योपैथी दवाएं दी गईं।
हर दवा और बीमारी के हिसाब से मरीज का केस जानने के बाद प्रत्येक मरीज को एक होम्योपैथिक दवा दी गई। औसतन 6.8 दिनों में 84.5 फीसदी मरीजों को चिकनगुनिया बुखार से पूरी तरह से राहत मिल गई, जबकि चिकनगुनिया के बाद दीर्घकालिक आर्थराइटिस से ग्रस्त 90 फीसदी मरीजों को 32.5 दिनों में आराम मिला।
अध्ययन के परिणाम के अनुसार इन स्थितियों में होम्योपैथिक दवाएं असरकारी होती हैं।
बुखार के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Bukhar ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak
चूंकि, होम्योपैथिक दवाओं की बहुत पतली खुराक दी जाती है और इनमें प्राकृतिक तत्वों की बहुत कम मात्रा मौजूद होती है, इसलिए इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। ये दवाएं शिशु, बच्चों और स्तनपान करवाने वाली एवं गर्भवती महिलाओं के लिए भी सुरक्षित होती हैं।
एलोपैथी ट्रीटमेंट के प्रभाव पर होम्योपैथिक दवाएं असर नहीं डालती हैं और एलोपैथी के साथ भी होम्योपैथी उपचार ले सकते हैं। हालांकि, हर व्यक्ति के लिए हर दवा ठीक नहीं होती है, इसलिए हमेशा होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श करने के बाद ही कोई दवा लेनी चाहिए।
फीवर के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Fever ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
बुखार के अंतर्निहित कारण के इलाज में होम्योपैथी असरकारी विकल्प है। होम्योपैथिक ट्रीटमेंट व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है ताकि वह स्वयं ही बीमारी से लड़ सके। एलोपैथी की तरह होम्योपैथी के कोई दुष्प्रभाव नहीं होते हैं, लेकिन इन्हें चिकित्सक की देखरेख में ही लेना जरूरी है।
बुखार के इलाज में एलोपैथी ट्रीटमेंट के साथ होम्योपैथी उपचार ले सकते हैं।
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