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एलर्जी की होम्योपैथिक दवा और इलाज

 एलर्जी की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Allergy in Hindi एलर्जी की होम्योपैथिक दवा और इलाज - एलर्जी त्वचा की प्रतिक्रिया होती है। एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थ को एलर्जन यानी एलर्जी पैदा करने वाले कारक कहते हैं। यह आमतौर पर किसी विशेष भोजन, कपड़े या ड्रग्स की वजह से होती है। जब कोई व्यक्ति पहली बार एलर्जन के संपर्क में आता है तो उसके शरीर में आईजीई (इम्युनोग्लोबुलिन ई) एंटीबॉडी का उत्पादन होता है। ये एंटीबॉडी रक्तप्रवाह में एलर्जन का पता लगाते हैं और इन्हें खत्म करने के लिए सफेद रक्त कोशिकाओं की ओर ले जाते हैं। इस प्रक्रिया में, हिस्टामाइन नामक एक रसायन जारी होता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर के ऊतकों में सूजन (जलन), खुजली, शरीर में तरल पदार्थ का स्राव बढ़ जाना और वायुमार्ग (ब्रोन्कोस्पाज्म) में संकुचन की समस्या होती है। अधिकांश लोगों को एक ही बार में एक से अधिक पदार्थों से एलर्जी हो सकती है। सामान्य एलर्जेंस में पराग शामिल है जो 'हे फीवर' या मौसमी एलर्जिक राइनाइटिस, धूल, पालतू जानवरों की रूसी, भोजन, कीट के काटने और दवाओं का कारण बनता है।  एल

दमा (अस्थमा) की होम्योपैथिक दवा

 दमा (अस्थमा) की होम्योपैथिक दवा   अस्थमा एक श्वसन संबंधी रोग है, जो लंबे समय तक रोगी को प्रभावित करता है। ये फेफड़ों के श्वसन मार्ग को प्रभावित करता है, जिससे उसकी श्लेष्मा झिल्ली कई पर्यावरणीय कारकों के प्रति संवेदनशील हो जाती है, जो अधिकतर स्वस्थ लोगों के लिए नुकसानदायक नहीं होते। अस्थमा अटैक आने पर व्यक्ति की श्वासनलियां सूज जाती हैं, जिससे श्वसन मार्ग संकुचित होता है और फेफड़ों तक हवा जाना कम हो जाती है। अस्थमा के सबसे आम लक्षण हैं, खांसी के दौरे पड़ना, सांस लेने में दिक्कत, छाती में जकड़न महसूस होना, सांस फूलना और घरघराहट। ये लक्षण दिन में किसी भी समय अचानक हो सकते हैं, लेकिन ये ठंड के मौसम में और सुबह के समय अधिक देखे जाते हैं। अस्थमा के लक्षण आमतौर पर हवा में मौजूद एलर्जी करने वाले पदार्थों (पराग, धूल-मिट्टी, जानवर के बाल आदि) के संपर्क में आने से उत्तेजित होते हैं। खराब मौसम और फ्लू व जुकाम जैसी बीमारियों से समस्या बढ़ सकती है। कुछ मामलों में, ऐसी भावनाओं और एक्सरसाइज से भी व्यक्ति को अस्थमा का अटैक आ सकता है, जो सांस लेने के तरीके को प्रभावित करती हैं। अस्थमा के हल्के अटैक कुछ मिन

मुंह के कैंसर की होम्योपैथिक दवा और इलाज

 मुंह के कैंसर की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Oral Cancer in Hindi मुंह का कैंसर होंठ की अंदरूनी तरफ, जीभ, मुंह की निचली तरफ और मसूड़ों को प्रभावित करता है। विश्व भर में होने वाले कैंसर के मुख्य प्रकार में से ये ग्यारहवें स्थान पर आता है। मुंह के कैंसर के सबसे आम कारण तंबाकू खाना और सिगरेट पीना हैं। इनके अलावा, अत्यधिक शराब पीना, आर्टिफिशियल दांतों के कारण जख्म, अस्वस्थ आहार और एचपीवी इन्फेक्शन के कारण भी मुंह का कैंसर हो सकता है। मुंह के कैंसर के इलाज के लिए आमतौर पर कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की जाती है। हालांकि, समस्या के स्तर और गंभीरता के आधार पर सर्जरी भी की जा सकती है। मुंह के कैंसर के इलाज के लिए होम्योपैथिक उपचार को मुख्य उपचार के साथ उपयोग करना एक अच्छा विकल्प है। शुरूआती चरणों के लिए वैकल्पिक होम्योपैथिक दवाएं उपयोगी व सुरक्षित होती हैं। ये दवाएं एंटी-कैंसर दवाओं के दुष्प्रभावों को कम करने में भी मदद करती हैं। होम्योपैथिक दवाओं से रोगी के जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है और व्यक्ति का जीवनकाल भी बढ़ता है। मुंह के कैंसर के इलाज के लिए उपयोग की

होम्योपैथी क्या है - Homeopathy kya hai in hindi

 19 वीं शताब्दी से ही होम्योपैथिक दवाओं और डॉ हैनिमैन द्वारा तैयार की गई दवा की प्रणाली पर लोगों का भरोसा लगातार बढ़ता गया है। वर्तमान में विश्व भर में लगभग 20 करोड़ लोग होम्योपैथिक दवाओं या उपचारों को अपनाते हैं और भारत में होम्योपैथी चिकित्सा की दूसरी सबसे लोकप्रिय प्रणाली है। होमियोपैथी व्यक्ति के संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करने पर बल देती है। यह दवा की एक ऐसी प्रणाली है जो शरीर की स्वयं को ठीक कर लेने की क्षमता का सम्मान करती है तथा इस कार्य में सहायक बनती है। हमें उम्मीद है कि होमियोपैथी चिकित्सा या होम्योपैथिक इलाज के संबंध में आपके मन में उठने वाले कई सवालों के जवाब इस लेख में प्राप्त हो जायेंगे।  इस लेख में होम्योपैथिक इलाज क्या है, होम्योपैथिक इलाज के फायदे, होम्योपैथिक इलाज के तरीके, होम्योपैथिक दवा कैसे बनती है, होम्योपैथिक दवा लेने के नियम, होम्योपैथिक दवा का असर, होम्योपैथिक दवा का परहेज के साथ होम्योपैथिक इलाज की संपूर्ण जानकारी दी गयी है। होम्योपैथी क्या है - Homeopathy kya hai in hindi होम्योपैथिक इलाज के फायदे - Homeopathic ilaj ke fayde होम्योपैथी कै

Hemangioma and homoeopathy

 [4/24, 12:09] Dr.J.k Pandey: रक्तवाहिकार्बुद (हेमन्जिओमा) - त्वचा या अन्य आंतरिक अंगों में विकसित होने वाली रक्त वाहिका को हेमेनजियोमा कहा जाता है। यह जन्म के दौरान होने वाले सामान्य निशान (जन्म चिन्ह) होते  हैं, जो अक्सर शिशु के सिर, गर्दन या धड़ पर देखे जाते हैं। इनका रंग आमतौर पर लाल या नीले रंग का हो सकता है। हेमेनजियोमा में विकसित होने वाले निशान ज्यादातर मामलों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। लेकिन इसके कुछ मामलों में शिशु को देखने, सुनने या खाने आदि में परेशानी पैदा करने लग जाते हैं, जिनका इलाज करवाना पड़ता है। इनका इलाज आमतौर पर कोर्टिकोस्टेरॉयड व अन्य दवाओं के साथ किया जाता है। हेमेनजियोमा क्या है - What is Hemangioma in Hindi हेमेनजियोमा के प्रकार - Types of Hemangioma in Hindi रक्तवाहिकार्बुद के लक्षण - Hemangioma Symptoms in Hindi हेमेनजियोमा के कारण व जोखिम कारक - Hemangioma Causes & Risk Factors in Hindi हेमेनजियोमा का परीक्षण - Diagnosis of Hemangioma in Hindi रक्तवाहिकार्बुद का उपचार - Hemangioma Treatment in Hindi हेमेनजियोमा की जटिलताएं - Hemangioma Complications in

पल्स रेट (नब्ज) क्या है, देखने का तरीका

 पल्स रेट (नब्ज) क्या है, देखने का तरीका ,  नब्ज देखना या चेक करना फर्स्ट ऐड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो सबको आना चाहिए। नब्ज से आप बीमारी और अन्य समस्याओं का पता लगा सकते हैं। नब्ज या पल्स देखने के कुछ अलग-अलग तरीके होते हैं। नब्ज को अंग्रेजी में पल्स कहा जाता है और यह स्वास्थ का पता लगाने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्देशक है। पल्स रेट का मतलब है एक मिनट में कितनी बार आपका दिल धड़कता है या आपका ह्रदय दर क्या है।  इस लेख में नब्ज यानि पल्स रेट क्या होता है, नब्ज कैसे देखते हैं और इसके कम या ज़्यादा होने पर किए जाने वाले उपचार के साथ-साथ नॉर्मल पल्स रेट के बारे में बताया गया है। पल्स रेट (नब्ज, हृदय दर) क्या है - Pulse rate kya hai पल्स रेट चार्ट उम्र के अनुसार - Umar ke hisab se normal pulse (heart) rate kitna hona chahiye पल्स रेट (नब्ज) देखने का तरीका - Pulse rate kaise dekhe नब्ज (हृदय दर) बहुत तेज हो तो क्या करें - Nabj (pulse) tej chalne par kya kare नब्ज (ह्रदय दर) बहुत कम हो तो क्या करना चाहिए - Nabj (pulse) dhire chalne par kya kare पल्स रेट क्या है, देखने का तरीका, नॉर्मल रेंज

झोलाछाप डॉक्टर बनने के लिए सबसे जरूरी चीज झोला है।

 जैसा कि सभी जानते हैं और यह एक अकाट्य सत्य भी है कि बीमारी या तो पूर्वजन्म में किए गए पापों के कारण होती है या फिर ज्योतिषियों द्वारा प्रचारित ग्रहों की कुदृष्टि के कारण। आपकी कुंडली में यदि शनि की दशा बहुत बुरे वर्ष में हो, चंद्रमा छठे ग्रह में प्रवेश करना चाहता हो और केतु की अवस्था भी दुर्बल हो तो समझिए आपकी खटिया खड़ी होने का पूरा कार्यक्रम ऊपर से ही निर्धारित कर दिया गया है अर्थात आप बीमार पड़ने से बच ही नहीं सकते। फिर भले ही आप योग और एरोबिक्स आदि का खटराग करते रहिए। बीमारी में डॉक्टर के पास जाने की परंपरा है, लेकिन डॉक्टर केवल निमित्त है। यह निमित्त चाहे झोलाछाप हो या डिग्रीधारी, निमित्त केवल निमित्त होता है। बहरहाल, बीमारी और डॉक्टर के संबंध जन्म-जन्मांतर के होते हैं। बीमार पड़ने पर आदमी अस्पताल जरूर जाता है। बड़ा आदमी बड़े अस्पताल जाता है, जबकि छोटा आदमी किसी भी खैराती अस्पताल में इलाज करवाकर स्वस्थ हो जाता है। ज्यादातर लोग बिना दवा के ठीक होते हैं और श्रेय डॉक्टर को मिलता है। जिन मरीजों को ठीक नहीं होना होता वे किसी भी डॉक्टर से ठीक नहीं होते और सीधे मृत्यु को प्राप्त होते हैं जिस