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कैनुला क्या है?कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi

 कैनुला कैसे लगाते हैं ? Cannulation in Hindi कैनुला क्या है? कैनुला एक पतली ट्यूब है, जिसे शरीर में नसों के जरिए इंजेक्ट किया जाता है, ताकि जरूरी तरल पदार्थ को शरीर से निकाला (नमूने के तौर पर) या डाला जा सके। इसे आमतौर पर इंट्रावीनस कैनुला (IV cannula) कहा जाता है। बता दें, इंट्रावीनस थेरेपी देने के लिए सबसे आम तरीका पेरिफेरल वीनस कैनुलेशन (शरीर के परिधीय नसों में कैनुला का उपयोग करना) है। इंट्रावीनस (नसों के अंदर) प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना, सुरक्षित और प्रभावी ढंग से उपचार प्रदान करना है। जब किसी मरीज का लंबे समय तक उपचार चलता है, तो ऐसे में इंट्रावीनस थेरेपी की विशेष जरूरत पड़ती है। शोध से पता चला है कि जिन मामलों में इंट्रावीनस कैनुला की जरूरत नहीं होती है, उनमें भी इसका प्रयोग किया जाता है, जबकि कुछ मामलों में इसे टाला जा सकता है। जनरल वार्डों में भर्ती 1,000 रोगियों पर हाल ही में एक शोध किया गया, इस दौरान इन सभी मरीजों के नमूने लिए गए। अध्ययन में पाया गया कि लगभग 33% रोगियों में इंट्रावीनस कैनुला का प्रयोग सामान्य से अधिक समय के लिए किया जा रहा है। जबकि

कैथेटेराइजेशन क्या है ?- Catheterisation in Hindi

कैथेटेराइजेशन क्या है ?- Catheterisation in Hindi कैथेटेराइजेशन क्या है - Catheterisation in Hindi कैथेटेराइजेशन की परिभाषा क्या है? कैथेटेराइजेशन रोगियों में की जाने वाली बहुत ही जरूरी प्रक्रिया है, जिसमें मरीज के मूत्राशय में पतली सी कैथेटर ट्यूब डाली जाती है। यह ट्यूब मूत्र को एक थैली में पहुंचाती है और जैसे ही यह थैली भर जाती है इसे खाली कर दिया जाता है। हालांकि, बहुत जरूरी होने पर ही डॉक्टर इसका इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि इस प्रक्रिया में बहुत दर्द होता है और यह कई जटिलताओं से भी जुड़ी हो सकती है। लंबर पंचर टेस्ट और आर्टेरियल ब्लड गैसेज सैम्पलिंग टेस्ट की तुलना में कैथेटेराइजेशन में अधिक दर्द होता है। ज्यादातर अस्पतालों में, नर्स कैथेटेराइजेशन करती हैं, लेकिन यदि इस दौरान किसी तरह की कठिनाई जैसे कि मूत्रमार्ग का सिकुड़ना या पतला होना या मरीज को प्रोस्टेट कैंसर हो और मरीज को हाल ही में चोट लगी है को डॉक्टर की उपस्थिति महत्वपूर्ण हो जाती है। कैथेटेराइजेशन के लिए संकेत - Indication for catheterisation in Hindi कैथेटर के प्रकार - Types of catheters in Hindi कैथेटर का चुनाव कैसे करें -

DIALYSIS,डायलिसिस क्या है?

 डायलिसिस क्या है? हमारी किडनी रक्त से अतिरिक्त अपशिष्ट पदार्थ व पानी निकालती है। वे ऐसे हॉर्मोन का स्त्राव भी करती हैं जो रक्त चाप को नियंत्रित करते हैं और शरीर में अम्ल व क्षार का संतुलन बनाए रखती है। जब किडनी ठीक तरह से कार्य नहीं करती है तो शरीर में अपशिष्ट पदार्थों का जमाव हो सकता है जो कि हानिकारक है। डायलिसिस एक ट्रीटमेंट की प्रक्रिया है, जिसमें किडनी के सारे कार्य किए जाते हैं जैसे शरीर से अपशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त पानी को निकालना। यह दो तरह से की जाती है - हेमोडायलिसिस (इसे हीमोडायलिसिस के नाम से भी जाना जाता है) और पेरिटोनियल डायलिसिस। हेमोडायलिसिस में ए-वी फिस्टुला से शरीर के बाहर लगे डायलिसिस मशीन में रक्त दो सुईओं की मदद से निकाला जाता है जिसमें रक्त फ़िल्टर हो कर वापस शरीर में चला जाता है। पेरिटोनियल डायलिसिस में कैथिटर को पेट के अंदर मौजूद पेरिटोनियल स्पेस में डाला जाता है जो कि पेरिटोनियल मेम्ब्रेन से ढका हुआ होता है। इसके बाद डायलिसिस द्रव को ट्यूब के अंदर डाला जाता है, जिसमें निकाले गए रक्त को फ़िल्टर किया जाता है। डायलिसिस के बाद इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप क्या

ब्रेस्ट (स्तनों) में दर्द की होम्योपैथिक दवा और इलाज -

 ब्रेस्ट (स्तनों) में दर्द की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Breast pain in hindi ब्रेस्ट (स्तनों) में दर्द की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Breast pain in hindi ब्रेस्ट (स्तन) में दर्द को मास्टालजिया के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में महिलाओं को ए​क या दोनों स्तन में दर्द या असहज महससू होता है। हालांकि, यह युवा महिलाओं में ज्यादा आम है। इसमें होने वाला दर्द लगातार, हल्का या तेज, चुभन वाला हो सकता है। यह कई मामलों में गंभीर रूप भी ले सकता है और बगल या कांख की ओर बढ़ता है। आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि यह मासिक धर्म से दो हफ्ते पहले शुरू होता है और मासिक धर्म के करीब आते आते यह स्थिति बदतर होने लगती है और मासिक धर्म के खत्म होने के साथ ब्रेस्ट (स्तन) में दर्द की स्थिति भी ठीक हो जाती है। ब्रेस्ट (स्तन) में दर्द के सामान्य कारणों में शामिल हैं : पीरियड्स के दौरान हार्मोन के स्तर में बदलाव रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोन के स्तर में परिवर्तन स्तनपान स्तन में चोट स्तन में संक्रमण स्तनों को हटाने वाली जैसी सर्जरी दुर्लभ म

ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homoeopathic medicine and treatment

 ब्रेस्टफीडिंग से जुड़ी समस्या के लिए होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homoeopathic medicine and treatment Lactation problems in Hindi नवजात शिशु के पोषण के लिए स्तनपान न सिर्फ एक प्राकृतिक बल्कि स्वस्थ विकल्प है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चे के जन्म के बाद कम से कम 6 महीने तक उसे स्तनपान कराना चाहिए। जब तक बच्चा 1 से 2 वर्ष का नहीं हो जाता है, तब तक नियमित रूप से उसके आहार में मां का दूध शामिल होना चाहिए। हालांकि, कुछ महिलाओं को स्तनपान से चुनिंदा समस्याएं हो सकती हैं, जैसे मैस्टाइटिस (स्तन का संक्रमण), निप्पल में दर्द और पीड़ा, पर्याप्त मात्रा में दूध न आना, या थ्रश (यीस्ट इंफेक्शन)। यदि बच्चा स्तनपान करते समय उधम (नखरे करना या असहज) मचाता है, तो इससे स्तनपान में परेशानी (दूध न पीने की वजह से दूध जम जाना) हो सकती है। ऐसे में प्रभावित हिस्से पर गर्म सिकाई करने, पर्याप्त आराम करने, उचित समय पर स्तनपान कराने और आरामदायक ब्रा पहनने से इन समस्याओं को दूर करने में मिल सकती है। स्तन में संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाएं भी लेनी पड़ सकती हैं। पारंपरिक दवाओं के अलावा होम्य

Homoeopathic Treatmentब्रेस्ट बढ़ाने की हौम्यौपैथिक दवा

 Homeopathic Treatmentब्रेस्ट बढ़ाने की हौम्यौपैथिक दवा HOMEOPATHIC TREATMENT ब्रेस्ट बढ़ाने की हौम्यौपैथिक दवा    homeopathic medicine for breast ब्रेस्ट बढ़ाने की हौम्यौपैथिक दवा ( homeopathic medicine for breast enlargement in hindi ) :- बडे, आकर्षक, टाइट औप सुडौल स्तन किसी भी महिला की सुदंरता का अहम हिस्सा होते है । इनसे ना केवल आपकी फिगर अच्छी लगती है बल्कि आपको Overall एक सेक्सी और Attractive लूक भी मिलता है जिससे Personality में चार चाँद लगने के साथ आपका आत्मविश्वास भी कई गुना बढ़ जाता है ।   मगर नेचर की तरफ से हर महिला को बडे ब्रेस्टों का अशीर्वाद नही मिलता, आज कल बडे पैमाने पर ऐसी लड़कियों को देखा जा सकता है जो छोटे स्तनों के कारण परेशान घूमती हैं ।   छोटे स्तन होने के कारण वो खुद में आत्मविश्वास की कमी तो महसूस करती ही हैं साथ ही उन्हे पुरूषों की तरफ से भी कम Attention मिलती है । इसलिए कहा जा सकता है की चेहरे का खूबसूरत होने के साथ अगर आपके ब्रेस्ट का आकार भी अच्छा हो तो इससे आपके पुरे व्यक्तित्व में एक नई जान आती है । इसी को देखते हुए हम इस Artical में ब्रेस्ट बढ़ाने की होम्

हाइपोथर्मिया - Hypothermia in Hind

 हाइपोथर्मिया - Hypothermia in Hind हाइपोथर्मिया - Hypothermia in Hind हाइपोथर्मिया​ क्या है? हाइपोथर्मिया तब होता है जब शरीर तेज़ी से गर्मी खोता है और ठंडा हो जाता है। इस दौरान शरीर का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस (95 डिग्री फेरनहाइट) से नीचे गिर जाता है। सामान्य शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस (98.6 ℉) है। आमतौर पर, हाइपोथर्मिया तब होता है जब शरीर का तापमान ठंडे वातावरण के कारण काफी कम हो जाता है। हाइपोथर्मिया अक्सर ठंडे मौसम में या ठन्डे पानी में जाने से होता है। यह 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे के इनडोर तापमान में रहने से भी हो सकता है। साथ ही शरीर में थकान और पानी की कमी होने से भी हाइपोथरमिया होने का जोखिम बढ़ जाता है। हो सकता है इसके कारण आपको बहुत नींद आए, आप कन्फ्यूज्ड रहें, और खराब महसूस करें। चूंकि यह धीरे-धीरे होता है और आपकी सोच को प्रभावित करता है इसिलिये आपको पता ही नहीं लगता कि आपको मदद की ज़रूरत हैऔर यह और खतरनाक हो जाता है। हाइपोथर्मिया का परीक्षण डॉक्टर द्वारा चिकित्सीय इतिहास, लक्षणों और शरीर के तापमान के आधार पर किया जाता है आपको उन परिस्थितियों से बचना चाहिए जो आपको हा