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MENTAL HEALTH AWARENESS

  मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य OverviewCauses and SymptomsMental Health DisordersTips for good mental healthArticles Mental Health in Hindi (मेंटल हेल्‍थ), Mansik Swasthya in Hindi (मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य): किसी भी व्यक्ति के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही बहुत जरूरी हैं। अगर कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ है लेकिन उसका मानसिक स्वास्थ्य खराब है तो उसे अपने जीवन में कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। मानसिक स्वास्थ्य से एक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है, उसके भीतर आत्मविश्वास आता कि वे जीवन में तनाव से सामना कर सकता है और अपने काम या कार्यों से अपने समुदाय के विकास में योगदान दे सकता है। मानसिक विकार व्यक्ति के स्वास्थ्य-संबंधी व्यवहार, फैसले, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, सुरक्षित यौन व्यवहार आदि को प्रभावित करता है और शारीरिक रोगों के खतरे को बढ़ाता है। मानसिक अस्वस्थता के कारण ही व्यक्ति को बेरोजगार, बिखरे हुए परिवार, गरीबी, नशीले पदार्थों का सेवन और संबंधित अपराध का सहभागी बनना पड़ता है। अगर किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य सही रहेगा तो उसका जीवन भी सही रहेगा। इस

MOTION SICKNESS

 मोशन सिकनेस को सफर में उल्टी आने के नाम से भी जाना जाता है।  इस समस्या में सफर के दौरान उल्टी और अस्वस्थ होने की भावना महसूस होती है। लोग आमतौर पर कार, बस, ट्रेन, विमान या नाव में यात्रा करते समय मोशन सिकनेस का अनुभव करते हैं। इसके अलावा झूला झूलते हुए, स्कीइंग (बर्फ के पहाड़ पर स्की पहनकर फिसलना) और वर्चुअल रिएलिटी एन्वायरॉन्मेंट में भी मोशन सिकनेस हो सकती है। हालांकि, इसे बीमारी नहीं माना जा सकता है, क्योंकि यह सफर के दौरान होने वाली एक आम स्थिति है, जो किसी को भी प्रभावित कर सकती है। हालांकि, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और ऐसे लोग जो किसी अन्य चिकित्सकीय स्थिति के लिए दवाई ले रहे हैं या माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति उनमें मोशन सिकनेस होने का खतरा अधिक होता है। यह तब होता है जब संतुलन-संवेदन प्रणाली (कान का अंदरूनी हिस्सा, आंखें और संवेदी तंत्रिकाओं) के कुछ हिस्सों के बीच संकेत मिसमैच हो जाते हैं या यूं कहें कि उनमें तालमेल नहीं बैठ पाता है। मोशन सिकनेस के लिए कई प्रकार के मेडिकल ट्रीटमेंट उपलब्ध हैं, इन्हीं में से एक होम्योपैथी है, जो कि वैयक्तिकरण सिद्धांत पर आधारित है। इसका मतलब है कि इस

PHOBIA AND HOMOEOPATHY( डर)

 Phobia Treatment In Homeopathy –  मनोविज्ञान की दृष्टि से इसे इस प्रकार से परिभाषित किया गया हैकिसी पदार्थ या परिस्थिति के प्रति असामान्य तथा स्थायी भय को असंगत भय कहते हैं । यह एक ऐसा अताकिंक भय है जो किसी वास्तविक भयप्रद परिस्थिति के न होने पर भी अत्यन्त अतिरंजित रूप से व्यक्त होता है। यद्यपि इसमें रोगी यह अच्छी तरह समझता है कि उसका यह भय विशिष्ट पदार्थ अथवा परिस्थितियों के प्रति व्यर्थ तथा निर्मूल है किन्तु वैसी ही परिस्थितियों के उत्पन्न होते ही वह पुनः डर जाता है । उसे दौरे पड़ने लगते हैं और उसकी एक प्रकार की विचित्र मानसिक मनोवृत्ति बन जाती है। इस असंगत भय के कारणों को मालूम कर इसका उपचार भी मनोवैज्ञानिक तरीके से करना चाहिये | बार-बार वैसी ही परिस्थितियाँ रोगी के समक्ष उत्पन्न करें और उसे बतलाते जायें कि उसका यह डर निरर्थक तथा निर्मूल है । धीरेधीरे रोगी स्वयं उस असंगत भय का सामना करने के योग्य होता जाता है । होमियोपैथी में हम दवा द्वारा केवल रोगी की मानसिकता को ही बदलने का प्रयास करते हैं । फोबिया अनेक प्रकार का होता है जिनमें प्रमुख हैं- ऊँचे स्थान का भय (Acrophobia), खुले स्था

अनिद्रा (नींद ना आना) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Insomnia in Hindi

 अनिद्रा (नींद ना आना) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Insomnia in Hindi नींद न आना एक ऐसा विकार है, जिसमें व्यक्ति को नींद आती ही नहीं है या वह ज्यादा समय के लिए नहीं सो पाता। इसके प्राइमरी इन्सोम्निया (Primary insomnia) और सेकेंडरी इन्सोम्निया (Secondary insomnia) नामक दो प्रकार होते हैं। प्राइमरी इन्सोम्निया वास्तविक विकार है जो किसी अन्य चिकित्सा समस्या से संबंधित नहीं होता। सेकेंडरी इन्सोम्निया में व्यक्ति को किसी अंदरूनी समस्या के कारण नींद नहीं आती। नींद न आने का ये प्रकार कुछ समय में ठीक हो सकता है (6 हफ्तों से कम समय में) या इसे ठीक होने में ज्यादा समय (6 हफ्ते से अधिक समय) भी लग सकता है। नींद न आने के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन कई जोखिम कारक नींद की समस्याओं से संबंधित हैं। प्राइमरी इन्सोम्निया का सबसे मुख्य कारण तनाव है। डिप्रेशन, चिंता या किसी अन्य गंभीर मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति को सेकेंडरी इन्सोम्निया हो सकता है। इसके अलावा, श्वसन संबंधी समस्याओं, अल्जाइमर रोग जैसे मस्तिष्क विकार, हार्मोन समस्याओं, मस्तिष्क की चोट

याददाश्त बढ़ाने की होम्योपैथिक दवा (Homeopathic medicine for Memory increase)

  याददाश्त बढ़ाने की होम्योपैथिक दवा (Homeopathic medicine for Memory increase)    आज के मॉर्डन World में कमजोर यादादश्त एक नॉर्मल समस्य बन गई है हर तीसरा व्यक्ति मानसिक कमजोरी या क्षीण याददाश्त का शिकार है जिसका मुख्य कारण खाने में पोषक तत्वों की कमी और अत्यधिक तनाव है । Memory पॉवर कमजोर होने की समस्य इतमी बढ़ जाती है की पीडित व्यक्ति कुछ सेकंड पहले की बातें भूलने लगता है, रखी हुई चीजें उसे याद नही रहती और वो बार बार लोगो के नाम तक भूल जाता है । अगर कमजोर याददाश्त की समस्या बुढ़ापे में हो तो इसको बिल्कुल सामान्य माना जाता है क्योकि उस उम्र शारीरिक ताकत के साथ मानसिक शक्ति ( Mental power ) भी कमजोर होने लगती है । मगर आज कल देखने में आता है की 10 – 10 साल के बच्चों को Weak memory की समस्या आ रही है । मैं व्यक्तिगत रूप खुद कई ऐसे स्टूडेंट्स से मिला हू जो घंटो पढ़ाई करने बाद भी कुछ याद नही कर पाते । इसके अलावा मानसिक थकान और शरीरिक कमजोरी, अनिद्रा और लम्बे समय तक रही कोई बिमारी के कारण भी इस प्रकार की समस्याओं को बढ़ावा मिलता है । इसलिए याददाश्त बढ़ाने की होम्योपैथिक दवा के साथ आपको खुदक

बिलनी ( गुहेरी ) का होम्योपैथिक मेडिसिन [ Bilni ( Stye )

 बिलनी ( गुहेरी ) का होम्योपैथिक मेडिसिन [ Bilni ( Stye ) Ka Homeopathic Medici बिलनी ( गुहेरी ) का होम्योपैथिक मेडिसिन [ Bilni ( Stye ) Ka Homeopathic Medicine ] ne ] बिलनी ( गुहेरी ) का होम्योपैथिक मेडिसिन  हम सभी की आँखों के ऊपर और नीचे पलकें होती है, इन पलकों में एक ग्रंथि होती है जिसे सिबेसियस ग्रंथि कहा जाता है, जिसका एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम होता है। इस ग्रंथि का काम होता है सीबम नमक तेल को बनाये रखना पलकों पर। तेल की वजह से ही हम अपनी पलकें झपका पाते है। इस तेल की कमी से आँखों में सूखापन आ जाता है। यदि इसमें इन्फेक्शन हो जाये तो पलकों में फोड़े-फुंसी बन जाते है इसे ही बिलनी ( गुहेरी ) कहा जाता है। बिलनी आंख के अंदर भी हो सकती है और बाहर भी। यह समस्या बहुत ही आम है और आमतौर पर सभी को हो जाया करती है। यह बिलोनी एक से दो हफ्ते में खुद-ब-खुद ठीक हो जाती है लेकिन कभी-कभी यह ज्यादा दिन तक रह जाता है और कभी-कभी बहुत जल्दी-जल्दी दुबारा होने लगता है। बिलनी होने के कारण बिलनी स्टैफिलोकोकस नामक कीटाणु के कारण होता है। जब यह कीटाणु पलकों के सिबेसियस नामक ग्लैंड से सम्पर्क करती है तो इन्फे

कंजंक्टिवाइटिस (आंख आ कंजंक्टिवाइटिस (आंख आना

 कंजंक्टिवाइटिस (आंख आ कंजंक्टिवाइटिस (आंख आना ) ना) की होम्योपैथी दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for conjunctivitis in hindi कंजंक्टिवाइटिस (आंख आना) की होम्योपैथी दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for conjunctivitis in hindi कंजंंक्टिवाइटिस को आंख आना भी कहते हैं। कंजंक्टिवा एक ढीला संयोजी ऊतक है जो आईबॉल (नेत्रगोलक) की सतह को कवर करता है, जबकि आंख के सफेद भाग की बाहरी सतह और पलक की आंतरिक सतह में सूजन को कंजंक्टिवाइटिस कहते हैं। इसमें आंख का सफेद हिस्सा गुलाबी या लाल हो जाता है, इसलिए इसे आमतौर पर 'गुलाबी आंख' भी कहा जाता है। कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर आत्म-सीमित (खुद ही ठीक होने वाला) नेत्र संक्रमण है जो कभी-कभी गंभीर रूप में विकसित हो जाती है। यह स्थिति एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकती है। अक्सर ऐसा वायरल इंफेक्शन या बैक्टीरियल इंफेक्शन या जलन या धुएं से एलर्जी की प्रतिक्रिया के कारण हो सकती है। चिकित्सक मरीज की मेडिकल ​हिस्ट्री, लक्षणों और आंखों की जांच के आधार पर, इस समस्या के कारणों का निर्धारण करते हैं। हालांकि, कभी-कभी सटीक कारण का प