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PIMPLES AND HOMOEOPATHY

 [3/11, 12:10] Dr.J.k Pandey: मुंहासे (पिंपल्स) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - मुंहासे त्वचा से संबंधित एक आम स्थिति हैं। इसमें चेहरे पर दाने के आकार के सफेद, लाल या काले रंग के धब्बे पड़ने लगते हैं। हालांकि, ज्यादातर तैलीय त्वचा वाले लोग इस समस्या से ग्रस्त होते हैं। लेकिन मुंहासे से कोई भी व्यक्ति प्रभावित हो सकता है। यह तब होता है जब त्वचा के रोम छिद्र तेल, मृत त्वचा या बैक्टीरिया से भर जाते हैं। यह अधिकतर चेहरे, कंधे, छाती, गर्दन और पीठ पर देखे जाते हैं। यह पिंपल्स व्हाइटहेड्स या ब्लैकहेड्स के रूप में भी प्रकट हो सकते हैं। मुंहासे की समस्या किशोरावस्था में आम है, लेकिन यह किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। मुंहासे को ट्रिगर करने वाले कारकों में कॉस्मेटिक का उपयोग करना, गर्भावस्था, यौवन के दौरान या जन्म नियंत्रण गोलियां लेते समय हार्मोन के स्तर में परिवर्तन, बहुत ज्यादा पसीना आना और एस्ट्रोजन व टेस्टोस्टेरोन जैसी कुछ दवाओं का सेवन इत्यादि शामिल है। वैसे तो यह एक हानिकारक स्थिति नहीं है, लेकिन बहुत ज्यादा मुंहासों की वजह से त्वचा पर स्थायी निशान पड़ सकते हैं जिसकी वजह से व्य

MOUTH ULCER AND HOMOEOPATHY

 [3/12, 13:01] Dr.J.k Pandey: मुंह के छाले की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Mouth Ulcer in Hindi मुंह के छाले की होम्योपैथिक दवा और इलाज - मुंह के छालों का मतलब है मुंह और होठों की श्लेष्मा झिल्ली में सूजन होना, जिससे मुंह में छालों वाले घाव हो जाते हैं। मुंह में कई कारणों से छाले हो सकते हैं। ये अचानक दांतों से गाल को काटने के कारण या विटामिन की कमी के कारण हो सकते हैं। ग्लूटेन, स्ट्रॉबेरी या ड्राई फ्रूट्स जैसी चीजों से एलर्जी के कारण भी मुंह में छाले हो सकते हैं। मुंह के छालों के कुछ अन्य कारण, स्ट्रेस और हर्पीस वायरस इन्फेक्शन आदि हैं। मुंह के छालों के मुख्य लक्षण श्लेष्मा झिल्ली में लाली और खाने में व निगलने में कठिनाई, जिसके कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है, छाले होने पर मुंह से लाकर निकलना और मसूड़ों में सूजन आदि हो सकते हैं। इसकी एक ही जटिलता है कि छाले बार-बार हो सकते हैं। मुंह की सही देखभाल और गर्म चीजें खाने-पीने से बचना छालों की समस्या को रोक सकता है और इसके इलाज में भी मदद कर सकता है। होम्योपैथी में मुंह के छालों के लिए सुरक्षित और असरद

DANDRUFF (रूसी )and Homoeopathy

 [3/11, 11:52] Dr.J.k Pandey: रूसी (डैंड्रफ) की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Dandruff in Hindi रूसी (डैंड्रफ) की होम्योपैथिक दवा और इलाज  डैंड्रफ एक सामान्‍य विकार है, जिसकी वजह से सिर की त्‍वचा पपड़ीदार हो जाती है। रूसी की वजह से सिर में खुजली और बाल झड़ने की समस्‍या भी होती है। त्‍वचा की कोशिकाओं के अधिक बढ़ने की वजह से रूसी होती है। स्‍कैल्‍प यानी सिर की त्‍वचा में सिबेशियस ग्रंथियां होती हैं जो कि त्‍वचा को मुलायम और नरम रखने के लिए सीबम का स्राव करती हैं। सीबम के अधिक बनने पर त्‍वचा तैलीय हो जाती है और स्‍कैल्‍प पर खुजली होने लगती है। त्‍वचा में इस तरह के बदलावों के कारण कई प्रकार के त्‍वचा रोग होने का खतरा बढ़ जाता है जिसमें डैंड्रफ भी शामिल है। आमतौर पर यौवनावस्‍था (प्‍यूबर्टी) के बाद डैंड्रफ होता है और ये समस्‍या पुरुषों में ज्‍यादा देखी जाती है। सिबोरिया के लक्षण के रूप में भी रूसी हो सकती है। सिबोरिया में त्वचा लाल और स्किन पर जलन होती है।  डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए होम्‍योपैथी में कई दवाओं का इस्‍तेमाल किया जा सकता है। डैंड्रफ के उपचा

THALASSEMIA AND HOMOEOPATHY

 [3/10, 21:02] Dr.J.k Pandey: थैलासीमिया - थैलासीमिया, खून से जुड़ी आनुवांशिक (जीन्स के जरिए माता-पिता से मिलने वाली) बीमारी है जिसमें हमारा शरीर खून में मौजूद हीमोग्लोबिन का पर्याप्त मात्रा में निर्माण नहीं कर पाता है। हीमोग्लोबिन एक तरह का प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं (rbc) का एक बेहद अहम हिस्सा है। जब शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होने लगती है तो लाल रक्त कोशिकाएं सही तरीके से काम नहीं कर पाती हैं और बेहद कम समय के लिए जीवित रहती हैं जिस कारण खून में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है।  दरअसल, हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद वह प्रोटीन कण है जो शरीर की हर एक कोशिका तक ऑक्सीजन को पहुंचाने का काम करता है। ऑक्सीजन एक तरह से कोशिकाओं के लिए भोजन का काम करता है जिसकी मदद से वे बेहतर तरीके से अपना काम कर पाती हैं। जब शरीर में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है तो शरीर की हर एक कोशिका तक ऑक्सीजन भी कम पहुंचता है जिससे व्यक्ति को थकान, कमजोरी और सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगती है। ऐसी स्थिति को एनीमिया कहते हैं। थैलासीमिया से पीड़ित मरीज को हल्का या गंभीर एनीमि

SICKLE CELL ANAEMIA

 [3/10, 22:12] Dr.J.k Pandey: सिकल सेल एनीमिया (Sickle-cell Anaemia in Hindi): लक्षण, कारण, निदान और उपचार सिकल सेल एनीमिया र क्त विकारों का एक समूह है जो आम तौर पर किसी व्यक्ति को माता-पिता से विरासत में मिलता है। सिकल सेल एनीमिया के कारण लाल रक्त कोशिकाओं में पाए जाने वाले ऑक्सीजन के जाने वाले प्रोटीन-हीमोग्लोबिन में असामान्यता हो जाती है और कुछ परिस्थितियों में उनका एक कठोर, सिकल जैसा आकार होता है। विकसित दुनिया में सिकल सेल एनीमिया वाले लोगों की औसत जीवन 40 से 60 वर्ष होता है| [3/10, 22:13] Dr.J.k Pandey: सिकल सेल एनीमिया शरीर को कैसे प्रभावित करता है? सिकल सेल एनीमिया वाले व्यक्ति में लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की मात्रा कम हो जाती है क्योंकि सिकल कोशिकाएं असामान्य रूप से कमजोर होती हैं जिससे एनीमिया हो सकता है। सिकल सेल एनीमिया शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी का कारण बनता है जो खतरनाक हो सकता है। यदि बढ़ती कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता तो वे बढने से रुक जाती हैं|  सिकल सेल एनीमिया वाले व्यक्ति के पेट और सीने में दर्द उन धमनियों के कारण होता है जो सिकल टिश्यूओ

ALLERGY AND HOMOEOPATHY

 एलर्जी की होम्योपैथिक दवा और इलाज -  एलर्जी त्वचा की प्रतिक्रिया होती है। एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थ को एलर्जन यानी एलर्जी पैदा करने वाले कारक कहते हैं। यह आमतौर पर किसी विशेष भोजन, कपड़े या ड्रग्स की वजह से होती है। जब कोई व्यक्ति पहली बार एलर्जन के संपर्क में आता है तो उसके शरीर में आईजीई (इम्युनोग्लोबुलिन ई) एंटीबॉडी का उत्पादन होता है। ये एंटीबॉडी रक्तप्रवाह में एलर्जन का पता लगाते हैं और इन्हें खत्म करने के लिए सफेद रक्त कोशिकाओं की ओर ले जाते हैं। इस प्रक्रिया में, हिस्टामाइन नामक एक रसायन जारी होता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर के ऊतकों में सूजन (जलन), खुजली, शरीर में तरल पदार्थ का स्राव बढ़ जाना और वायुमार्ग (ब्रोन्कोस्पाज्म) में संकुचन की समस्या होती है। अधिकांश लोगों को एक ही बार में एक से अधिक पदार्थों से एलर्जी हो सकती है। सामान्य एलर्जेंस में पराग शामिल है जो 'हे फीवर' या मौसमी एलर्जिक राइनाइटिस, धूल, पालतू जानवरों की रूसी, भोजन, कीट के काटने और दवाओं का कारण बनता है।  एलर्जी के कारणों में आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यदि किसी माता या प

GOUT(गठिया) AND HOMOEOPATHY

 [3/9, 16:54] Dr.J.k Pandey: गाउट जिसे गठिया के रूप में भी जाना जाता है एक ऐसा विकार है जो यूरिक एसिड के क्रिस्टलाइजेशन से होता है जिसमे न्यूट्रोफिल के कारण बाद में जोड़ों में सूजन की प्रतिक्रिया होती है| यह हाइपरुरिसेमिया (सामान्य प्लाज्मा यूरेट 2 से 6 मि.ग्रा./डी.एल) [3/9, 16:54] Dr.J.k Pandey: गाउट जिसे गठिया के रूप में भी जाना जाता है एक ऐसा विकार है जो यूरिक एसिड के क्रिस्टलाइजेशन से होता है जिसमे न्यूट्रोफिल के कारण बाद में जोड़ों में सूजन की प्रतिक्रिया होती है| यह हाइपरुरिसेमिया (सामान्य प्लाज्मा यूरेट 2 से 6 मि.ग्रा./डी.एल) की विशेषता वाला एक मेटाबोलिक विकार है। यूरिक एसिड पानी में कम घुलता है विशेष रूप से कम पी.एच स्तर पर। जब खून का स्तर ज्यादा होता है तो यूरिक एसिड जोड़ों, गुर्दे और ऊतकों (टोफी) में जमा हो जाता है| [3/9, 16:56] Dr.J.k Pandey: गठिया का इलाज़ गंभीर लक्षणों से छुटकारा दिलाता है या यूरिक एसिड पूल को कम करके गोउटी के अटैक के जोखिम को कम करता है। पुरानी गठिया के इलाज़ के लिए सावधान रहें। उदाहरण के लिए पुरानी गठिया को ठीक करने के लिए कोल्सीसिन उचित उपचार नहीं है। इसी