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THALASSEMIA AND HOMOEOPATHY

 [3/10, 21:02] Dr.J.k Pandey: थैलासीमिया - थैलासीमिया, खून से जुड़ी आनुवांशिक (जीन्स के जरिए माता-पिता से मिलने वाली) बीमारी है जिसमें हमारा शरीर खून में मौजूद हीमोग्लोबिन का पर्याप्त मात्रा में निर्माण नहीं कर पाता है। हीमोग्लोबिन एक तरह का प्रोटीन है जो लाल रक्त कोशिकाओं (rbc) का एक बेहद अहम हिस्सा है। जब शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होने लगती है तो लाल रक्त कोशिकाएं सही तरीके से काम नहीं कर पाती हैं और बेहद कम समय के लिए जीवित रहती हैं जिस कारण खून में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है।  दरअसल, हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद वह प्रोटीन कण है जो शरीर की हर एक कोशिका तक ऑक्सीजन को पहुंचाने का काम करता है। ऑक्सीजन एक तरह से कोशिकाओं के लिए भोजन का काम करता है जिसकी मदद से वे बेहतर तरीके से अपना काम कर पाती हैं। जब शरीर में स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है तो शरीर की हर एक कोशिका तक ऑक्सीजन भी कम पहुंचता है जिससे व्यक्ति को थकान, कमजोरी और सांस लेने में दिक्कत महसूस होने लगती है। ऐसी स्थिति को एनीमिया कहते हैं। थैलासीमिया से पीड़ित मरीज को हल्का या गंभीर एनीमि

SICKLE CELL ANAEMIA

 [3/10, 22:12] Dr.J.k Pandey: सिकल सेल एनीमिया (Sickle-cell Anaemia in Hindi): लक्षण, कारण, निदान और उपचार सिकल सेल एनीमिया र क्त विकारों का एक समूह है जो आम तौर पर किसी व्यक्ति को माता-पिता से विरासत में मिलता है। सिकल सेल एनीमिया के कारण लाल रक्त कोशिकाओं में पाए जाने वाले ऑक्सीजन के जाने वाले प्रोटीन-हीमोग्लोबिन में असामान्यता हो जाती है और कुछ परिस्थितियों में उनका एक कठोर, सिकल जैसा आकार होता है। विकसित दुनिया में सिकल सेल एनीमिया वाले लोगों की औसत जीवन 40 से 60 वर्ष होता है| [3/10, 22:13] Dr.J.k Pandey: सिकल सेल एनीमिया शरीर को कैसे प्रभावित करता है? सिकल सेल एनीमिया वाले व्यक्ति में लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की मात्रा कम हो जाती है क्योंकि सिकल कोशिकाएं असामान्य रूप से कमजोर होती हैं जिससे एनीमिया हो सकता है। सिकल सेल एनीमिया शरीर के विभिन्न हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी का कारण बनता है जो खतरनाक हो सकता है। यदि बढ़ती कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता तो वे बढने से रुक जाती हैं|  सिकल सेल एनीमिया वाले व्यक्ति के पेट और सीने में दर्द उन धमनियों के कारण होता है जो सिकल टिश्यूओ

ALLERGY AND HOMOEOPATHY

 एलर्जी की होम्योपैथिक दवा और इलाज -  एलर्जी त्वचा की प्रतिक्रिया होती है। एलर्जी उत्पन्न करने वाले पदार्थ को एलर्जन यानी एलर्जी पैदा करने वाले कारक कहते हैं। यह आमतौर पर किसी विशेष भोजन, कपड़े या ड्रग्स की वजह से होती है। जब कोई व्यक्ति पहली बार एलर्जन के संपर्क में आता है तो उसके शरीर में आईजीई (इम्युनोग्लोबुलिन ई) एंटीबॉडी का उत्पादन होता है। ये एंटीबॉडी रक्तप्रवाह में एलर्जन का पता लगाते हैं और इन्हें खत्म करने के लिए सफेद रक्त कोशिकाओं की ओर ले जाते हैं। इस प्रक्रिया में, हिस्टामाइन नामक एक रसायन जारी होता है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर के ऊतकों में सूजन (जलन), खुजली, शरीर में तरल पदार्थ का स्राव बढ़ जाना और वायुमार्ग (ब्रोन्कोस्पाज्म) में संकुचन की समस्या होती है। अधिकांश लोगों को एक ही बार में एक से अधिक पदार्थों से एलर्जी हो सकती है। सामान्य एलर्जेंस में पराग शामिल है जो 'हे फीवर' या मौसमी एलर्जिक राइनाइटिस, धूल, पालतू जानवरों की रूसी, भोजन, कीट के काटने और दवाओं का कारण बनता है।  एलर्जी के कारणों में आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यदि किसी माता या प

GOUT(गठिया) AND HOMOEOPATHY

 [3/9, 16:54] Dr.J.k Pandey: गाउट जिसे गठिया के रूप में भी जाना जाता है एक ऐसा विकार है जो यूरिक एसिड के क्रिस्टलाइजेशन से होता है जिसमे न्यूट्रोफिल के कारण बाद में जोड़ों में सूजन की प्रतिक्रिया होती है| यह हाइपरुरिसेमिया (सामान्य प्लाज्मा यूरेट 2 से 6 मि.ग्रा./डी.एल) [3/9, 16:54] Dr.J.k Pandey: गाउट जिसे गठिया के रूप में भी जाना जाता है एक ऐसा विकार है जो यूरिक एसिड के क्रिस्टलाइजेशन से होता है जिसमे न्यूट्रोफिल के कारण बाद में जोड़ों में सूजन की प्रतिक्रिया होती है| यह हाइपरुरिसेमिया (सामान्य प्लाज्मा यूरेट 2 से 6 मि.ग्रा./डी.एल) की विशेषता वाला एक मेटाबोलिक विकार है। यूरिक एसिड पानी में कम घुलता है विशेष रूप से कम पी.एच स्तर पर। जब खून का स्तर ज्यादा होता है तो यूरिक एसिड जोड़ों, गुर्दे और ऊतकों (टोफी) में जमा हो जाता है| [3/9, 16:56] Dr.J.k Pandey: गठिया का इलाज़ गंभीर लक्षणों से छुटकारा दिलाता है या यूरिक एसिड पूल को कम करके गोउटी के अटैक के जोखिम को कम करता है। पुरानी गठिया के इलाज़ के लिए सावधान रहें। उदाहरण के लिए पुरानी गठिया को ठीक करने के लिए कोल्सीसिन उचित उपचार नहीं है। इसी

मस्से,WARTS AND HOMOEOPATHY

DR.J.K.PANDEY B.Sc.BHMS (WARTS) मस्से हमारे शरीर में स्वतः विकसित होने वाली सरचनाएं हैं. कई बार ये हमारे शरीर के कुछ विशिष्ट हिस्सों में हो जाता है जिससे बहुत विकट स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इसलिए लोग ऐसे मस्सों से छुटकारा पाना चाहते हैं. मस्सा को चिकित्साविज्ञान के अनुसार एक प्रकार का चर्मरोग माना जाता है. यह प्रायः अलग-अलग आकार के हो सकते है. यह प्रायः हाथ या पैर पर होता है लेकिन इसके शरीर के अन्य भागों में भी होने की संभावना लगातार बनी ही रहती है. मस्सों के निकलने का मुख्य कारण मानव (ह्यूमन) पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) होता है. इस वायरस की 130 प्रकार देखे गये हैं और यह मानव शरीर को छुवाछूत के जरिए संक्रमित कर देते हैं. आम तौर से मस्सों के उपचार के लिये होम्योपैथिक दवा थूजा“ उपयोग एक चलन सा बन गया है. लेकिन आपको बता दें कि ‘थूजा’ हर एक मस्सों की दवा नहीं है. जब थूजा के इस्तेमाल से मस्सों में आराम नहीं मिलता तब लोगों को चिकित्सक की सहाता से अन्य दवाओं के इस्तेमाल पर गौर करना चाहिए. मस्सों के होम्योपैथिक इलाज की चर्चा करने से पहले मस्सों के निकलने के कारण और उनके प्रकारों पर भी नजर ड़ाल लेन

नकसीर,NOSEBLEED AND HOMOEOPATHY

 Dr.J.K.Pandey B.Sc,BHMS EPISTAXIS,NOSEBLEED AND HOMOEOPATHY नाक से खून निकलने को मेडिकल की भाषा में एपिस्टैक्सिस कहते हैं। अचानक या नाक में किसी चोट लगने के कारण खून निकलने की शिकायत हो सकती है। नाक से खून निकलने को नकसीर भी कहा जाता है। नकसीर की स्थिति जानलेवा तो नहीं है, लेकिन बार-बार नाक से खून निकलने की वजह से व्‍यक्‍ति को असहजता हो सकती है। प्रभावित हिस्‍से के आधार पर एपिस्टैक्सिस को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है – एंटीरियर ब्‍लीड (दो नथुनों के बीच की दीवार से खून निकलना) और पोस्‍टीरियर ब्‍लीड (नाक के पीछे से खून निकलता है)। अगर बार-बार नकसीर की समस्‍या हो रही है या ये गंभीर रूप ले चुकी है तो इस पर ध्‍यान देना बहुत जरूरी हो जाता है। आमतौर पर नाक से खून निकलने को प्राथमिक उपचार, नाक से खून निकलने से संबंधित बीमारी, दवाओं एवं कुछ मामलों में सर्जरी से ठीक किया जाता है। होम्‍योपैथी में व्‍यक्‍ति की मानसिक स्थिति को ध्‍यान में रखने के साथ-साथ कुछ स्‍वास्‍थ्‍य स्थितियों के प्रति उसकी प्रवृत्ति पर भी ध्‍यान दिया जाता है। शरीर की प्रकृति और कुछ बीमारियों के होने के प्रवृत्ति के आधार

MIGRAIN AND HOMOEOPATHY

 [3/8, 11:55] Dr.J.k Pandey: Dr.J.K.Pandey B.Sc,BHMS 5 best homeopathic medicines for migraine माइग्रेन सर में होने वाली बीमारीओं में सब से अधिक देखा जाता है। माइग्रेन की वजह से कई बार इतना सरदर्द होता है कि रोगी कुछ भी और करने में असमर्थ रहता है। माइग्रेन सरदर्द के होम्योपैथिक इलाज की बात करने से पहले हम समझ लें कि ये क्या बीमारी है और क्यूँ होती है। माइग्रेन का अर्थ क्या है ? माइग्रेन एक प्रकार का सरदर्द है। यह अंग्रेजी के हेमिक्रेनिआ से बना है जिस का अर्थ होता है – एक ओर होने वाला सरदर्द। सामान्यतः लोग यही समझते हैं कि माइग्रेन का दर्द केवल एक ओर ही होता है। यह मान्यता पूरा सच नहीं है। कई बार यह दर्द एक ओर होता है और कई बार सारे सर में दर्द होता है। माइग्रेन क्या होता है ? माइग्रेन में सरदर्द टीस मारने वाला या यूँ कहें की धड़कने वाला होता है। कई बार ऐसा महसूस होता है जैसे सर फट रहा हो। सामान्यतः यह दर्द एक ओर ही होता है। बहुत से लोगों को पूरे सर में भी दर्द रहता है। कई बार दर्द एक ओर से दूसरी ओर बदलता रहता है। एक बार दर्द बाईं ओर हुआ तो अगली बार दर्द दाईं ओर हो जाता है। माइग्रेन के ल