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जून, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

फाइलेरिया (हाथी पांव) क्या है?

 फाइलेरिया (हाथी पांव) क्या है? फाइलेरिया (Filaria) एक शारीरिक बीमारी है, जिसे हिंदी में हाथी पांव कहते हैं। इसे अंग्रेजी में फाइलेरियासिस (Filariasis) और एलीफेंटिटिस (Elephantiasis) भी कहते हैं। फाइलेरिया या हाथी पांव की समस्या से पीड़ित सबसे अधिक लोगों की संख्या भारत में हैं। फाइलेरिया बीमारी का संक्रमण आमतौर से बचपन में ही हो सकता है। लेकिन इसके गंभीर लक्षण सात से आठ सालों में दिखाई दे सकते हैं। इसे फीलपांव और श्लीपद भी कहते हैं। सामान्य तौर पर उष्णकटिबंधीय देशों में इसके मरीजों की संख्या सबसे अधिक पाई जा सकती है। फाइलेरिया बीमारी परजीवी (पैरासिटिक) निमेटोड कीड़ों के कारण होता है जो छोटे धागों जैसे दिखाई देते हैं। फाइलेरिया बीमारी फिलेरी वुचरेरिअ बैंक्रोफ्टी (Filariae-Wuchereria Bancrofti), ब्रूगिआ मलाई (Brugia Malayi) और ब्रूगिआ टिमोरि (Brugia Timori) नामक निमेटोड कीड़ो के कारण होती है। हालांकि, इनमें से सबसे बड़ा कारण वुचरेरिअ बैंक्रोफ्टी नाम के परजीवी को माना जा सकता है। हाथी पांव के कारण विकलांगता और कुरूपता की समस्या हो सकती है। भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के रिपोर

मानसिक रोग क्या है? (What is mental illness?

 मानसिक रोग क्या है? (What is mental illness?) जब किसी यानि व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपने आप पर कंट्रोल नहीं रहता, तो व्यक्ति की ऐसी अवस्था को मानसिक रोग कहते हैं। आमतौर पर मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं  पाते हैं। इसके अलावा, किसी भी काम को सही ढंग से करने में भी दिक्कत होती है। मानसिक रोग के लक्षण? (symptoms of mental illness?) मानसिक रोग के लक्षण, सभी व्यक्ति में एक तरह के नहीं होते, बल्कि यह हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। ये इस बात पर निर्भर करते हैं कि व्यक्ति के हालात कैसे हैं और उसे कौन-सी मानसिक बीमारी है। कुछ लोगों में इसके लक्षण काफी लंबे समय तक रहते हैं और साफ नजर आते हैं, जबकि कुछ लोगों में शायद थोड़े समय के लिए हों और साफ नजर न आएं। ऐसे में आइए साइकोलॉजिस्ट के मुताबिक जानते हैं, मानसिक रोग के मुख्य लक्षण- • अगर आपको यह याद नहीं कि आप आखिरी बार खुश कब थे। •बिस्तर से उठने या नहाने जैसी डेली रुटीन की चीजें भी करनी मुश्किल लगती हैं। •आप लोगों से कटने यानि दूर रहने की कोशिश करने लगे हैं। • आप खुद से नफरत करते हैं और अपने आप को खत्म कर लेना चाहते हैं। • उ

जंक (फास्ट) फूड के नुकसान – Harmful Effects of Junk Food

 जंक (फास्ट) फूड के नुकसान – Harmful Effects of Junk Food जंक (फास्ट) फूड के नुकसान – Harmful Effects of Junk Food  जंक फूड बहुत हानिकारक है जो धीरे-धीरे वर्तमान पीढ़ी के स्वास्थ्य को दूर कर रहा है । यह शब्द ही बताता है कि यह हमारे शरीर के लिए कितना खतरनाक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका स्वाद इतना अच्छा होता है कि लोग रोजाना इसका सेवन करते हैं। हालांकि, जंक फूड के हानिकारक प्रभावों के बारे में ज्यादा जागरूकता नहीं फैली है। जंक (फास्ट) फूड के नुकसान – Harmful Effects of Junk Food  समस्या आपके विचार से अधिक गंभीर है। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि जंक फूड हमारे स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इनमें कैलोरी, वसा और चीनी की मात्रा अधिक होती है। इसके विपरीत, उनके पास बहुत कम मात्रा में स्वस्थ पोषक तत्व होते हैं और आहार फाइबर की कमी होती है । माता-पिता को अपने बच्चों को जंक फूड का सेवन करने से हतोत्साहित करना चाहिए क्योंकि इससे किसी के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव पड़ते हैं। Harmful Effects of Junk Food जंक फूड का प्रभाव अस्वास्थ्यकर वजन बढ़ाने के लिए जंक फूड

कब्ज और होमियोपैथी

 कब्ज में छोटी मात्रा में कड़ी और शुष्क आंत्र आंदोलनों का मार्ग होता है. यह एक सप्ताह के दौरान आमतौर पर दर तीन गुना कम होती है. आंत्र आंदोलन मुश्किल हो जाता है और कब्ज वाले लोगों में दर्द होता है. प्रभावित व्यक्ति असहज, सुस्त और फुलाया महसूस कर सकता है. होम्योपैथिक दवाओं का व्यापक रूप से कब्ज का इलाज करने के लिए उपयोग किया जाता है. यह पूरी तरह से प्राकृतिक हैं, वह किसी भी रसायन के उपयोग के बिना प्रभावी उपचार प्रदान करते हैं. कब्ज के उपचार के लिए उपयोग किए जाने वाले सामान्य होम्योपैथिक दवाओं की एक सूची यहां दी गई है: नक्स वोमिका: यह एक आदर्श होम्योपैथिक दवा है, जो लगातार कब्ज और मल के पारित होने के लिए अप्रभावी आग्रह के मामले में ली जाती है. ऐसे मामलों में पारित मल की मात्रा काफी कम है और एक अधूरा निकासी महसूस अनुभव किया जाता है. यह आग्रह बढ़ता जा रहा है. इस दवा का उपयोग ढेर के इलाज के लिए भी किया जाता है, जो कभी-कभी कब्ज के साथ मिलकर विकसित होता है. एल्युमिना: एल्युमिना कब्ज के लिए एक आदर्श होम्योपैथिक उपचार है, जिसमें आंत्र आंदोलन के लिए आग्रह की अनुपस्थिति है. इस दवा का उपयोग करने वा

बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है?

 बाइपोलर डिसऑर्डर - Bipolar Disorder in Hind बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है? बाइपोलर डिसऑर्डर को गहरा अवसाद (Manic Depression) कहा जाता है, जो अत्यधिक मूड स्विंग का कारण बनता है। इसमें भावोत्तेजना का उच्च स्तर (Mania या Hypomania) तथा निम्न स्तर (Depression) शामिल होता है। जब आप अवसाद ग्रस्त होते हैं, तो खुद को निराश या उदास महसूस करते हैं और ज्यादातर गतिविधियों से अपनी रुचि खो देते हैं। वहीं जब मूड दूसरी दिशा में बदलता है, तब आप खुद को जश्न और ऊर्जा से भरा महसूस कर सकते हैं। मूड में परिवर्तन साल में कुछ ही बार या फिर हफ्ते में ही कई बार हो सकता है। मूड स्विंग आम लोगों की अनुभव की तुलना में, बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों में और अधिक गंभीर, कमजोर और असमर्थ कर देने वाला होता है। कुछ लोगों में मतिभ्रम (बुरे सपने देखना आदि) और अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। उपचार के साथ, कुछ लोग इस स्थिति में अच्छे से काम या पढ़ाई आदि कर सकते हैं और एक सक्षम जीवन जी सकते हैं। हालांकि, कुछ लोग ठीक महसूस होने पर दवाइयां लेना बंद या कम कर देते हैं। कुछ अध्ययन के अनुसार, बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रस्त कुछ लोगों की रचनात्

लू लगने के लक्षण और बचाव के घरेलू उपाय

 जानिये लू लगने के लक्षण और बचाव  जानिये लू लगने के लक्षण और बचाव के घरेलू उपाय गर्मियों के दिनों में अपने देश के कई शहरों में तापमान इतना ज्यादा हो जाता है कि घर से बाहर निकलना ही मुश्किल होने लगता है। इन दिनों दोपहर के समय बाहर बहुत तेज गर्म हवाएं चलती हैं, इन गर्म हवाओं को ही लू (Heat stroke) कहते हैं। मजबूत इम्युनिटी वाले लोग इन गर्म हवाओं को सहन कर लेते हैं लेकिन अधिकांश लोग इन हवाओं को सहन नहीं कर पाते हैं और इनके संपर्क में आते ही बीमार पड़ जाते हैं। अपने देश में हर साल काफी बड़ी तादात में लोग लू की चपेट में आ जाते हैं।    लू लगने के कारण (HEAT STROKE CAUSES IN HINDI) : ये गर्म हवाएं जब आपके शरीर के संपर्क में आती हैं तो शरीर का तापमान बढ़ा देती हैं और इस वजह से कई समस्याएं होने लगती हैं। ज्यादा देर तक धूप में काम करना और शरीर में पानी की कमी होना लू लगने के प्रमुख कारण हैं। बच्चे और बूढ़े लोग लू की चपेट (Sunstroke) में जल्दी आ जाते हैं। अधिकांश मामलों में लोगों को यह जल्दी पता ही नहीं चल पाता है कि उन्हें लू लग गयी है। हालांकि इसका सटीक अंदाज़ा लू के लक्षणों को देखकर लगाया जा सकता ह