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कैंसर के लिए होम्योपैथिक दवा और उपचार

कैंसर के लिए होम्योपैथिक दवा और उपचार कैंसर के लिए होम्योपैथिक दवा और उपचार - Homeopathic medicine, treatment and remedies for Cancer in Hindi कैंसर के लिए होम्योपैथिक दवा और उपचार - Homeopathic medicine, treatment and remedies for Cancer in Hindi शरीर में जब कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं तो य​ह आसपास के ऊतकों को नुकसान पहुंचाने लगती हैं। कोशिकाओं का यह असामान्य विकास ही कैंसर कहलाता है। कैंसर शरीर के विभिन्न अंगों में हो सकता है जैसे कि स्तन फेफड़े, गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय, प्रोस्टेट, मूत्राशय इत्यादि। कैंसर के विकास की तीव्रता और प्रसार के आधार पर इलाज का निर्धारण किया जाता है। कैंसर से जुड़े आम जोखिम कारकों में तंबाकू और शराब का अत्यधिक सेवन, रसायनों के संपर्क में आना, संक्रमण और आनुवंशिकता (एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जीन ट्रांसफर होना) शामिल हैं। कैंसर के कुछ सामान्य लक्षणों में भूख में कमी, किसी गांठ का दिखना, मासिक धर्म के दौरान असामान्य रूप से रक्तस्राव (ब्लीडिंग), आंत के कार्यों में बदलाव और अस्पष्टीकृत वजन कम होना शामिल हैं। इस बीमारी के इलाज के लिए कीमोथेरेपी, रे

हर्निया की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Hernia in Hindi

 हर्निया की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Hernia in Hindi हर्निया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर का कोई अंग या फिर टीशू (ऊतक) शरीर के कमजोर हिस्से से बाहर की ओर उभरने लगता है। शरीर के ये कमजोर हिस्से जन्मजात होने के अलावा किसी भी उम्र में हो सकते हैं। हर्निया किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। इसकी शिकायत पुरूषों और महिलाओं दोनों में समान रूप से पाई जाती है। हर्निया की सबसे ज्यादा शिकायतें पेट की परत पर देखी जाती हैं। हालांकि, टीशू और शरीर के अलग-अलग हिस्सों के आधार पर अलग-अलग तरह के हर्निया हो सकते हैं। आइए जानते हैं हर्निया के कुछ प्रकार: इनगुइनल (Inguinal) हर्निया: यह हर्निया कमर और जांघ के बीच वाले हिस्से में होता है। अम्बिलिकल (Umbilical) हर्निया: इस तरह का हर्निया नाभि के आसपास के क्षेत्र में होता है। इंसिज़नल (Incisional) हर्निया: यह हर्निया चोटिल हुए टीशू से होता है। हाइटल (Hiatal) हर्निया: इस तरह का हर्निया डायाफ्राम में किसी तरह का छेद होने से होता है। अबस्ट्रेक्टेड (Obstructed) या इनकेर्सेरेटेड (incarcerated) हर्निया: इस तरह का हर्निया ब

अपेंडिक्स की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Appendicitis in Hindi

 अपेंडिक्स की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Appendicitis in Hindi अपेंडिक्स एक छोटा सा अंग होता है, जो बड़ी आंत के एक छोटे से हिस्से से जुड़ा होता है, जिसे सीकम कहा जाता है। ये अंग पेट की निचली तरफ दाईं ओर स्थित होता है। अपेंडिक्स एक ऐसा अंग है, जिसका कोई काम नहीं होता। अपेंडिसाइटिस या अपेंडिक्स में सूजन ज्यादातर इन्फेक्शन, पेट की चोट या अपेंडिक्स और आंत के जोड़ में रुकावट के कारण होती है। एक्यूट अपेंडिक्स होने पर अचानक नाभि के पास गंभीर दर्द होने लगता है, जो पेट की दाईं तरफ या निचली तरफ फैलता है। ये दर्द हिलने-डुलने से, खांसी, छींक और गहरी सांस लेने से बढ़ जाता है। ये दर्द समय के साथ बढ़ता जाता है। अपेंडिक्स एक आपातकालीन स्थिति है, जिसकी जानलेवा जटिलताओं के कारण तुरंत डॉक्टर के पास जाना आवश्यक होता है। इसकी जटिलताएं हैं अपेंडिक्स फट जाना, अपेंडिक्स में पस भरना और गैंग्रीन। रिसर्च अध्ययनों में ये पाया गया है कि होम्योपैथिक दवाओं से अपेंडिक्स का इलाज किया जा सकता है और सर्जरी से बचा जा सकता है। होम्योपैथिक उपचार शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता ह

हाई बीपी ( रक्तचाप) की होम्योपैथिउच्चक दवा और इलाज -

 हाई बीपी ( रक्तचाप) की होम्योपैथिउच्चक दवा और इलाज -  ब्लड प्रेशर का मतलब होता है खून के प्रवाह के कारण आर्टरी (धमनियों) पर बनने वाला प्रेशर। 120/80 mmHg के प्रेशर को नॉर्मल ब्लड प्रेशर कहा जाता है। हालांकि, 140/90 mmHg के प्रेशर को हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है जो कि किडनी व दिमाग जैसे महत्वपूर्ण अंगों के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि व्यायाम न करना, मोटापा, धूम्रपान, शराब ज्यादा पीना और नमक ज्यादा खाने के कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है। हाई ब्लड प्रेशर के कुछ लक्षण हैं सिरदर्द, नज़र की समस्याएं, नाक से खून आना और सांस लेने में दिक्कत होना। ब्लड प्रेशर के स्तर को नार्मल करने और इसमें अचानक बदलाव से बचने के लिए हाई ब्लड प्रेशर का इलाज करना बहुत जरुरी है ताकि शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचने से बचाया जा सके। होम्योपैथिक दवाओं को व्यक्ति के लक्षण, उसकी जीवनशैली और खान-पान के आधार पर चुना जाता है। इन दवाओं से न केवल ब्लड प्रेशर को सही रखने में मदद मिलती है, बल्कि बीपी में अचानक बदलाव से भी बचाव होता है। ये दवाएं तनाव कम करने में भी मदद करती हैं जो कि है ब्ल

लो बीपी (लो ब्लड प्रेशर) की होम्योपैथिक दवाऔर इलाज

 लो बीपी (लो ब्लड प्रेशर) की होम्योपैथिक दवाऔर  इलाज - Homeopathic medicine and treatment for Low Blood pressure in Hindi ब्लड प्रेशर को नापते समय हमेशा दो अंकों का इस्तेमाल किया जाता है। पहले अंक का मतलब होता है सिस्टोलिक प्रेशर, यानी जब हृदय द्वारा शरीर में खून पंप किया जा रहा होता है तब बनने वाला प्रेशर। दूसरे अंक का अर्थ होता है डायस्टोलिक प्रेशर, यानी बिना खून पंप हुए बनने वाला प्रेशर। 120/80 mmHg प्रेशर को नार्मल ब्लड प्रेशर कहा जाता है। वहीं 90 से कम सिस्टोलिक प्रेशर और 60 से कम डायस्टोलिक प्रेशर को लो बीपी कहा जाता है। ब्लड प्रेशर लो होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे ज्यादा समय तक खड़े रहना, शरीर में पानी की कमी, गर्मी, शराब पीना आदि। ये किसी चिकित्स्कीय समस्या के कारण भी हो सकता है, जैसे खून की कमी, पोषण की कमी, तनाव या हाइपरवेंटिलेशन आदि। लो बीपी के आम लक्षण हैं बेहोशी, चक्कर आना, पसीना आना, थकान और सोचने में ज्यादा समय लगना। बूढ़े लोगों के लिए लो ब्लड प्रेशर के कारण डिमेंशिया का ख़तरा भी बढ़ जाता है। दिल व रक्त वाहिकाओं से संबंधित समस्याओं के इलाज के लिए होम्योपैथी बहुत असरदार व

एनीमिया की होम्योपैथिक दवा और इलाज -

 एनीमिया की होम्योपैथिक दवा और इलाज - एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें खून में लाल रक्‍त कोशिकाओं (आरबीसी) की कमी हो जाती है। इस वजह से शरीर की ऑक्‍सीजन की जरूरत पूरी नहीं हो पाती है। गंभीर रूप से रक्‍त की हानि या कमी या आरबीसी के खत्‍म होने पर एनीमिया हो सकता है। निम्‍न स्थितियों के कारण एनीमिया हो सकता है : प्रेगनेंसी और स्‍तनपान आयरन की कमी फोलिक एसिड या विटामिन बी12 की कमी पीरियड्स में ज्‍यादा खून आना पाचन मार्ग में अल्‍सर और लंबे समय से सूजन थैलासीमिया सिकल सेल एनीमिया (अनुवांशिक एनीमिया) अनुवांशिक विकार जैसे कि अप्लास्टिक एनीमिया बोन मैरो से जुड़े विकार जैसे कि ल्‍यूकेमिया संक्रमण जैसे कि मलेरिया और डेंगू आंतों का कैंसर एनीमिया के सामान्‍य लक्षणों में थकान, कमजोरी, पीली त्‍वचा, भूख में कमी, दिल की धड़कन अनियमित होना, बार-बार सिरदर्द होना, ध्‍यान लगाने में दिक्‍कत, परेशान रहना, सांस लेने में दिक्‍कत, जीभ फटना और बैठने या लेटने से उठने पर अचानक ब्‍लड प्रेशर गिरना शामिल हैं। इन लक्षणों को नियंत्रित करने और एनीमिया के इलाज में जो होम्‍योपैथिक दवाएं मदद कर सकती हैं, उनका नाम है - पल्सेट

कान में दर्द की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Ear pain

 कान में दर्द की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Ear pain homeopathic medicine and treatm  कान में दर्द की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Ear pain homeopathic medicine and treatment in Hind कान में दर्द को ओटाल्जिया भी कहा जाता है। बता दें, यह एक सामान्य लक्षण है, जो कि कई संभावित कारणों की वजह से हो सकता है। कान के अंदर या बाहरी हिस्से में दर्द होने से अक्सर सुनने में दिक्कत हो सकती है। हालांकि, जब कान के अंदर किसी समस्या की वजह से दर्द होता है और टेस्ट में इसका कारण पता चल जाता है तो इसे प्राइमरी ओटाल्जिया कहते हैं, लेकिन जब इसके विपरीत होता है यानी कान के अंदर बिना किसी समस्या के दर्द होता है तो इसे सेकंडरी ओटाल्जिया कहते हैं। प्राइमरी ओटाल्जिया के सबसे सामान्य कारणों में ओटाइटिस मीडिया (इयरड्रम के पीछे हवा से भरे स्थान में संक्रमण), ओटाइटिस एक्सटर्ना (बाहरी कान और इयरड्रम के बीच की नलिका की सूजन), कीट की तरह कान में कोई बाहरी हानिकारक चीजें होना और बेरोट्रॉमा (पर्यावरणीय दबाव में बदलाव होने की वजह से चोट आना, अक्सर यह दबाव फ्लाइट उड़ने के दौरान या स्कूबा डाइविंग के दौरान होता है) शामिल है। से