कलर ब्लाइंडनेस (वर्णान्धता) - कलर ब्लाइंडनेस एक ऐसी स्थिति है जिसमें कुछ रंगों में अंतर करने की क्षमता सामान्य से काम हो जाती है। इसका अर्थ है कि कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित व्यक्ति को लाल, हरे, नीले या इनका मिश्रण देखने में परेशानी होती है। ऐसा बहुत कम होता है कि किसी व्यक्ति की रंग देखने की क्षमता ही चली जाए (इसे कहते मोनोक्रोमसी हैं)। बहुत से लोग यह हैं कि कलर ब्लाइंडनेस से पीड़ित व्यक्ति को केवल काले और सफेद रंग ही दिखते हैं। यह एक गलत धारणा है। कलर ब्लाइंडनेस के कई अलग-अलग प्रकार और स्तर हैं। भारत में कलर ब्लाइंडनेस का प्रचलन पुरुषों में 8% और महिलाओं में केवल 0.5% है। हम रंग कैसे देखते हैं? मानवीय आँख रेटिना (आंख के अंदर की ओर झिल्ली) को हल्का सा उत्तेजित करके रंग देखती है। रेटिना रॉड और कॉन्स कोशिकाओं से बनी होती है। रॉड कोशिकाएं (Rod Cells) - रॉड कोशिकाएं रेटिना के घेरे में स्थित होती हैं। यह हमें रात को देखने में मदद करती हैं, लेकिन यह रंगों में अंतर नहीं कर सकती। कॉन्स कोशिकाएं (Cones Cells) - कॉन्स कोशिकाएं रेटिना के केंद्र में स्थित होती हैं, यह रात में देखने में मदद नहीं करत
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