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झाइयां,BLACK SPOT AND HOMOEOPATHY

 [3/15, 14:15] Dr.J.k Pandey: काले दाग धब्बे या हाइपरपिगमेंटेशन (झाइयां ) त्वचा के विशेष हिस्सों पर काले दाग या झाइयों का होना है। ये दाग शरीर के विभिन्न भागों में दिखाई दे सकते हैं, जैसे चेहरे, गर्दन, हाथ आदि। हालांकि दाग धब्बों वाली त्वचा से सभी परेशान रहते हैं लेकिन महिलाओं को थोड़ी अधिक चिंता होती है क्योंकि ये दाग उनकी ख़ूबसूरती में ग्रहण की तरह होते हैं जिनकी वजह से उनके आत्मविश्वास में भी कमी आती है। मेलानिन, जो त्वचा को प्राकृतिक रंग प्रदान करता है और मेलानोसाइट्स कोशिकाओं द्वारा उत्पादित होता है। पिगमेंटेशन, तब होता है जब मेलानिन का उत्पादन अधिक मात्रा में होने लगता है। या फिर ऐसा मेलानोसाइट कोशिकाओं में असामन्यता के कारण भी हो सकता है। झाइयां अक्सर, सूरज की यूवी किरणों, हार्मोनल परिवर्तन, आनुवंशिकी, दवाइयों (जैसे गर्भनिरोधक गोलियां), गर्भावस्था, त्वचा की उम्र बढ़ने या त्वचा की देखभाल वाले उत्पादों के गलत इस्तेमाल के कारण होती हैं। डार्क स्पॉट को उम्र के धब्बे या काले दाग धब्बों के रूप में भी जाना जाता है। ये लाल, भूरे और ग्रे रंग के भी हो सकते हैं। ये धब्बे, रंग और आकार में भिन

बाल झड़ना ,HAIR FALL AND HOMOEOPATHY

 बाल झड़ने से रोकने की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Hair fall homeopathic medicine and treatment in Hindi हेयर फॉल या बालों का झड़ना एक आम, लेकिन परेशान करने वाली स्थिति है। ज्यादातर लोगों को कभी न कभी यह समस्या होती है। आमतौर पर, हर दिन लगभग 100 बाल गिरते हैं। यदि इससे ज्यादा मात्रा से बाल झड़ते हैं तो यह एक असामान्य स्थिति है। आमतौर पर बाल झड़ने की स्थिति बाल पतले होने से जुड़ी हो सकती है। बाल झड़ने की समस्या पूरी खोपड़ी पर भी दिखाई दे सकती है और खोपड़ी के कुछ हिस्सों में भी। बालों के झड़ने के कई कारण हो सकते हैं, इनमें आनुवंशिक, बढ़ती उम्र, बच्चे के जन्म के बाद यानी मां बनने पर, बीमारियां (तेज बुखार), संक्रमण (खोपड़ी में फंगल इंफेक्शन, डैंड्रफ), ऑटोइम्यून रोग (सोरायसिस, एलोपेसिया अरेटा, एक्जिमा), दवाएं (कैंसर के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली थेरेपी), पोषक तत्वों की कमी (आयरन, विटामिन, खनिज, प्रोटीन), मानसिक तनाव, हार्मोन संबंधी समस्याएं (थायरॉयड, पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि रोग) और बालों में कलर कराना। जबकि गंजापन एक वंशानुगत स्थिति है, जो आमतौर पर बहुत अधिक मात्रा में बाल झड़ने की वजह से

CERVICAL PAIN AND HOMOEOPATHY,CERVIAL SPONDYLISIS

 [3/14, 22:55] Dr.J.k Pandey: सर्वाइकल दर्द एक तरह का गर्दन का दर्द है, जिसमें दर्द के दौरान व्यक्ति असहज हो जाता है इसमें बेचैनी, मांसपेशियों में दर्द, नसें, रीढ़ की हड्डी, जोड़ों और रीढ़ की हड्डी के बीच की डिस्क प्रभावित होना शामिल हैं। सर्वाइकल दर्द गर्दन में कहीं भी उठ सकता है, सिर के आधार से लेकर कंधे के ऊपरी भाग तक और फिर यह पीठ के ऊपरी हिस्से या भुजाओं तक भी फैल सकता है। यह बहुत आम समस्या है, विशेष रूप से 50 वर्ष से ऊपर के लोगों में। सर्वाइकल का दर्द आमतौर पर कुछ दिनों के अंदर ठीक हो जाता है और बहुत ही कम मामलों में यह गंभीर रूप होता है। यदि लक्षण तीन महीने से अधिक समय तक बने रहते हैं, तो इसे क्रोनिक नेक पेन कहते हैं। गर्दन के दर्द के सबसे सामान्य कारणों में अजीब स्थिति में सोना, लंबे समय तक गर्दन का गलत अवस्था में रहना, तनाव, मांसपेशियों में खिंचाव और रूमेटाइड आर्थराइटिस शामिल हैं। सर्वाइकल दर्द से जुड़ी कुछ दुर्लभ चिकित्सा समस्याओं में डिस्क में चोट आना, कैंसर, रीढ़ का संक्रमण, मेनिन्जाइटिस यानी दिमागी बुखार, रीढ़ की हड्डी में सूजन, रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर, ऑस्टियोपोरोसिस और

PSORIASIS AND HOMOEOPATHY

सोरायसिस: त्वचा के इस रोग से पाएं छुटकारा इन होम्योपैथी उपचारों से सोरायसिस एक इंफ्लेमेटरी स्किन कंडीशन है, जिससे कई लोग प्रभावित होते हैं। यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन 11 से 60 साल की उम्र के लोगों में यह अधिक देखी गई है। सोरायसिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है। जो उन परिस्थितियों के समूह से संबंधित है, जहां प्रतिरक्षा प्रणाली(Immune system) अतिसक्रिय होती है और अपनी कोशिकाओं और ऊतकों को प्रभावित करती है। आमतौर पर, हमारी त्वचा की बाहरी परत के नीचे त्वचा की कोशिकाएं बनती हैं। यह कोशिकाएं परिवर्तन के एक चक्र से गुजरती हैं। इसमें यह कोशिकाएं डेड हो जाती हैं और तीन से चार सप्ताह की अवधि के भीतर हटा दी जाती हैं। सोरायसिस की स्थिति में यह प्रक्रिया तेज हो जाती है और कोशिकाएं तीन से चार दिनों के भीतर इस चक्र से गुजर सकती हैं। सोरायसिस के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं जैसे दर्द, खुजली, त्वचा का फटना, जोड़ों में जलन, पस से भरे हुए फोड़े आदि। यह लक्षण प्रभावित व्यक्ति के तनाव का कारण भी बन सकते हैं। सोरायसिस के उपचार के कई तरीके हैं। आज हम बात करेंगे सोरायसिस के लिए होम्योपैथी(Homeopathy for ps

RINGWORM AND HOMOEOPATHY(दाद)

 [3/14, 16:07] Dr.J.k Pandey: दाद त्वचा पर होने वाली एक समस्या है जो फंगल इन्फेक्शन की वजह से होती है और भयंकर संक्रामक है. इसे अंग्रेजी में रिंगवर्म (Ringworm) के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस रोग में त्वचा पर लाल लाल गोल निशान दिखाई देते हैं जिनका आकार रिंग की तरह होता है. रिंगवर्म का इलाज न होने पर यह त्वचा पर लगातार फैलता रहता है. अगर आपने जरा सी भी लापरवाही की तो इसे फैलने में समय नहीं लगता. यह वैसे तो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है लेकिन पैरों और शरीर के ऐसे हिस्से जो ढंके हुए रहते हैं जैसे, भीतरी भीतरी जांघों, महिलाओं के शरीर में वक्षों के निचले हिस्से और शरीर के जो हिस्से आपस में जुड़े होते हैं ऐसी जगह दाद का खतरा अधिक होता है. दाद के लक्षणों को कैसे पहचाने और उसका बचाव कैसे करें। (How to identify and cure ringworm?) हम हमेशा चाहते हैं की हमारा शरीर साफ़ और स्वस्थ रहे हम कभी भी नहीं चाहेंगे की हमे किसी तरह का कोई इन्फेक्शन या बीमारी लगे। वैसे तो हम अपने शरीरका हमेशा ध्यान रखते हैं लेकिन उसके बावजूद हमे कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। हमे इन्फेक्शन कभी भी हो

ECZEMA AND HOMOEOPATHY

 त्वचा के गैर-संक्रामक इंफ्लमैशन को एक्जिमा कहते हैं। इसे एटॉपिक डर्मेटाइटिस, एटॉपिक एक्जिमा और एलर्जिक एक्जिमा भी कहा जाता है। यह त्वचा पर सूखे, लाल, पपड़ीदार और खुजलीदार दाने के रूप में होते हैं जो कभी-कभी पानी या मवाद से भरे छाले में बदल जाते हैं। इन छालों के फूटने पर तरल पदार्थ निकलता है। एक्जिमा से पीड़ित व्यक्तियों की त्वचा पर बैक्टीरिया, फंगस और वायरस से होने वाले संक्रमण भी हो सकते हैं। यद्यपि, शिशुओं और बच्चों में एक्जिमा होना अधिक सामान्य है पर यह वयस्कों को भी प्रभावित कर सकता है। एक अनुमान के अनुसार, दुनिया में लगभग 15% बच्चे और 2 से 4% वयस्क इससे पीड़ित हैं। एक्जिमा का सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं है, लेकिन इस बीमारी में जेनेटिक और पर्यावरणीय कारकों की भूमिका मानी जाती है। यह देखा गया है कि एक्जिमा के रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत अधिक प्रतिक्रिया करती है, जो विभिन्न कारकों द्वारा प्रभावित होने पर एक्जिमा के लक्षणों का कारण बनती है। एक्जिमा का एक अन्य संभावित कारण फिलाग्रीन नाम के प्रोटीन का उत्पादन करने वाले जीन में परिवर्तन होना है। यह प्रोटीन त्वचा की बाहरी परत को बन

MENTAL DISORDER AND HOMOEOPATHY

 [3/13, 01:58] Dr.J.k Pandey: मानसिक विकारों में विभिन्न लक्षणों वाले रोग शामिल हैं जो किसी व्यक्ति की सोच, मनोदशा (मूड), भावना, सीखने की क्षमता, याददाश्‍त और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। ये लक्षण कभी-कभी दिखाई देते हैं या फिर लंबे समय तक रहते हैं। मानसिक विकार की वजह से व्‍यक्‍ति की दूसरों से संबंध बनाने की क्षमता प्रभावित होती है और वह सामान्‍य तरीके से कार्य नहीं कर पाता है। आमतौर पर कई वजहों से मानसिक विकार होते हैं जैसे कि अनुवांशिक गड़बड़ी, फैमिली हिस्‍ट्री (मरीज और उसके परिवार के सदस्यों में रहे विकारों एवं बीमारियों का रिकॉर्ड), शोषण (भावनात्‍मक, मानसिक या शारीरिक), मस्तिष्‍क में रसायनिक असंतुलन, शराब की लत, किसी दवा या नशीले पदार्थ की लत, कोई गंभीर चिकित्‍सकीय स्थिति जैसे कि कैंसर, अकेलापन और मस्तिष्क की गंभीर चोट (ट्रॉमैटिक ब्रेन इंजरी)। मानसिक विकारों के कुछ सामान्‍य प्रकारों में शामिल हैं: डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर और अन्‍य मूड से संबंधित विकार चिंता विकार जैसे कि मनोग्रसित-बाध्यता विकार (दिमाग में बार-बार नकारात्‍मक विचार आना), फोबिया (डर), पोस्‍ट ट्रामेटिक स्‍ट्रेस डिसऑ