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MEDICAL AWARENESS

Diarrhoea details

 डायरिया क्या है? (what Is Diarrhoea?) डायरिया को हिंदी में दस्त भी कहते हैं। यह पाचन तंत्र संबंधित एक विकार या डिसऑर्डर है। यह समस्या होने पर मल पानी की तरह पतला होता है। आंत से संबंधित यह रोग मुख्य रूप से रोटावायरस के कारण होता है। यह साल्मोनेला या ई. कोलाई जैसे जीवाणुओं के कारण भी हो सकता है। इसके अलावा, हार्मोनल विकार (Hormonal disorders), आंतों मे सूजन (inflammatory bowel disease), कुछ दवाओं के सेवन से भी यह हो सकता है। यदि आप प्रॉपर हाइजीन बनाए रखने के साथ ही स्ट्रीट फूड खाने से बचें और साफ-स्वच्छ पानी पिएं, तो वायरस और बैक्टीरिया के कारण होने वाले डायरिया को रोका जा सकता है। डायरिया के प्रकार (types Of Diarrhoea) डायरिया को तीन मुख्य भागों में बांटा जा सकता है। उनमे शामिल हैं: एक्यूट डायरिया (Acute diarrhoea): यह डायरिया का सबसे कॉमन रूप है, जिसमें काफी लूज और पानी जैसे पतला दस्त होता है। आमतौर पर, शरीर में पर्याप्त तरल पदार्थों के जाते ही यह समस्या खुद ब खुद कम हो जाती है। लगातार होने वाला डायरिया (Persistent diarrhoea): इस तरह का दस्त दो से चार सप्ताह तक रहता है। क्रोनिक डायरि
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नशा से मुक्ति पाने के लिए होम्योपैथिक दवाई

 

Insulin resistanceइंसुलिन प्रतिरोध

 इंसुलिन प्रतिरोध इंसुलिन प्रतिरोध क्या है? इंसुलिन हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन में से एक है जो शरीर की कई प्रक्रियाओं को कंट्रोल करता है। अग्नाशय (पैनक्रियाज) इंसुलिन हार्मोन का निर्माण करता है जिसे कोशिकाएं सोखती हैं और ग्लूकोज का इस्तेमाल करती हैं। इंसुलिन रेजिस्टेंस या इंसुलिन प्रतिरोध एक ऐसी समस्या है जिसमें आपकी मांसपेशियों, वसा और लिवर में मौजूद कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति सही तरीके से प्रतिक्रिया नहीं देतीं और खून में मौजूद ग्लूकोज का ऊर्जा बनाने के लिए इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं।  इसकी भरपाई के लिए अग्नाशय और ज्यादा इंसुलिन का निर्माण करने लगता है और समय के साथ आपके शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है। अगर शरीर में ग्लूकोज या ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से अधिक हो जाए लेकिन इतना अधिक नहीं कि यह डायबिटीज का संकेत दे तो डॉक्टर इसे प्रीडायबिटीज के तौर पर मानते हैं। लेकिन समय रहते इसे कंट्रोल न किया जाए तो यह आखिरकार टाइप 2 डायबिटीज का भी कारण बनता है।

किडनी खराब होने के 16 लक्षण

 गुर्दे हमारे रक्त को शुद्ध करने और मूत्र के रूप में हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने के लिए जिम्मेदार होते हैं। पीठ के निचले हिस्से के पास स्थित, वे शरीर के दोनों ओर मौजूद होते हैं। यदि किसी कारण से एक गुर्दा विफल हो जाता है, तो दूसरा विषहरण कार्य कर सकता है, और व्यक्ति अकेले उस एक गुर्दा के आधार पर कई वर्षों तक जीवित रह सकता है। हालांकि, गुर्दा के अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखना आवश्यक है क्योंकि खराब गुर्दा कार्य विभिन्न स्वास्थ्य जटिलताओं को जन्म दे सकता है । कई कारणों से, गुर्दे नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकते हैं और अपने रक्त शुद्ध करने वाले कार्यों को खो सकते हैं। वे कचरे को फ़िल्टर नहीं कर सकते हैं, और विषाक्त पदार्थ सिस्टम में रहते हैं जिससे कई जटिलताएं होती हैं। स्थायी गुर्दे की विफलता उनमें से एक है, और यह जीवन के लिए खतरा हो सकता है। दुर्भाग्य से, प्रारंभिक अवस्था में खराब किडनी फंक्शन या किडनी की खराबी स्पष्ट नहीं होती है। आइए किडनी की समस्याओं के कुछ लक्षणों को देखें और उनके बारे में और जानें। 1. कम मूत्र उत्पादन कुछ गुर्दे की खराबी के पहले ध्यान देने योग्य संकेतो

सायटिका के दर्द को दूर करती हैं होम्योपैथी की मीठी गोलियां

 सायटिका के दर्द को दूर करती हैं होम्योपैथी की मीठी गोलियां सायटिका के दर्द को दूर करती हैं होम्योपैथी की मीठी गोलियां इस रोग की सम्भावना 40 से 50 वर्ष की उम्र में ज्यादा होती है। एलोपैथी में जहां सायटिका दर्द का उपचार केवल दर्द निवारक दवाइयां एवं ट्रेक्शन है वहीं पर होम्यापैथी में रोगी के व्यक्तिगत लक्षणों के आधार पर दवाईयों का चयन किया जाता है जिससे इस समस्या का स्थाई समाधान हो जाता है। क्या करूं सायटिका के दर्द से बहुत परेशान हूं, काफी इलाज किया लेकिन कुछ फायदा ही नहीं हो रहा है। यह अनेक लोगों का दर्द है। आखिर क्या है सायटिका और क्यों होता है यह तथा क्या है इसका इलाज? सायटिका जिसे वैद्यकीय भाषा में गृध्रसी एवं बोलचाल की भाषा में अर्कुलनिसा कहते हैं। सायटिका आजकल एक सामान्य समस्या बन गई है और इस रोग की सम्भावना 40 से 50 वर्ष की उम्र में ज्यादा होती है। इसका दर्द बहुत ही परेशान करने वाला होता है और दैनिक जीवन को काफी कष्टदायी बना देता है। क्या है सायटिका सायटिक नर्व नितम्ब से लेकर जांघ के पिछले भाग से होकर पैर की एड़ी तक जाती है। यह नर्व कूल्हे से पैर तक के दर्द का एहसास स्पाइनल कार्ड

माइग्रेन क्या है | Migraine Meaning in Hindi

 माइग्रेन क्या है | Migraine Meaning in Hindi माइग्रेन एक प्रकार का तेज सिरदर्द है। यह घबराहट, उल्टी, या प्रकाश और आवज के प्रति संवेदनशीलता जैसे लक्षणों के साथ हो सकता है। कई लोगों में यह दर्द सिर के एक तरफ ही महसूस होता है। माइग्रेन एक सामान्य अक्षम मस्तिष्क विकार है।विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि माइग्रेन का सिरदर्द अक्षम करने वाली स्थितियों में शीर्ष 10 में है। माइग्रेन अक्सर युवावस्था में शुरू होता है और 35 से 45 वर्ष की आयु के लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। डब्लूएचओ के मुताबिक, यह महिलाओं में ज्यादा आम है, आमतौर पर लगभग 2:1 के कारक द्वारा, हार्मोनल प्रभावों के कारण होता है। माइग्रेन समान्य सिर दर्द से काफी अलग होता है। इसमे जो दर्द होता है वो काफी तेज होता है, और कभी-कभी बर्दाशत से बाहर हो जाता है।माइग्रेन लोगों को कैसे प्रभावित करता है यह भी अलग-अलग हो सकता है। ये ट्रिगर, गंभीरता, लक्षण और फ्रीक़ुएन्सी की एक श्रृंखला है। कुछ लोगों के हर हफ्ते एक से ज्यादा बार ये होते हैं, जबकि अन्य को कभी-कभार ही होते हैं। बच्चों में, माइग्रेन अटैक कम समय के होते हैं और पेट के लक्षण अधि

सफर में उल्टी आना (मोशन सिकनेस) सफर में उल्टी आना की होम्योपैथिक दवा और इलाज

 सफर में उल्टी आना (मोशन सिकनेस) सफर में उल्टी आना की होम्योपैथिक दवा और इलाज सफर में उल्टी आना की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine for motion sickness in Hindi सफर में उल्टी आना की होम्योपैथिक दवा और इलाज - Homeopathic medicine मोशन सिकनेस को सफर में उल्टी आने के नाम से भी जाना जाता है। इस समस्या में सफर के दौरान उल्टी और अस्वस्थ होने की भावना महसूस होती है। लोग आमतौर पर कार, बस, ट्रेन, विमान या नाव में यात्रा करते समय मोशन सिकनेस का अनुभव करते हैं। इसके अलावा झूला झूलते हुए, स्कीइंग और वर्चुअल रिएलिटी एन्वायरॉन्मेंट में भी मोशन सिकनेस हो सकती है। हालांकि, इसे बीमारी नहीं माना जा सकता है, क्योंकि यह सफर के दौरान होने वाली एक आम स्थिति है, जो किसी को भी प्रभावित कर सकती है। हालांकि, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और ऐसे लोग जो किसी अन्य चिकित्सकीय स्थिति के लिए दवाई ले रहे हैं या माइग्रेन से पीड़ित व्यक्ति उनमें मोशन सिकनेस होने का खतरा अधिक होता है। यह तब होता है जब संतुलन-संवेदन प्रणाली के कुछ हिस्सों के बीच संकेत मिसमैच हो जाते हैं या यूं कहें कि उनमें तालमेल नहीं बैठ पाता है।