जैसा कि सभी जानते हैं और यह एक अकाट्य सत्य भी है कि बीमारी या तो पूर्वजन्म में किए गए पापों के कारण होती है या फिर ज्योतिषियों द्वारा प्रचारित ग्रहों की कुदृष्टि के कारण। आपकी कुंडली में यदि शनि की दशा बहुत बुरे वर्ष में हो, चंद्रमा छठे ग्रह में प्रवेश करना चाहता हो और केतु की अवस्था भी दुर्बल हो तो समझिए आपकी खटिया खड़ी होने का पूरा कार्यक्रम ऊपर से ही निर्धारित कर दिया गया है अर्थात आप बीमार पड़ने से बच ही नहीं सकते। फिर भले ही आप योग और एरोबिक्स आदि का खटराग करते रहिए। बीमारी में डॉक्टर के पास जाने की परंपरा है, लेकिन डॉक्टर केवल निमित्त है। यह निमित्त चाहे झोलाछाप हो या डिग्रीधारी, निमित्त केवल निमित्त होता है। बहरहाल, बीमारी और डॉक्टर के संबंध जन्म-जन्मांतर के होते हैं। बीमार पड़ने पर आदमी अस्पताल जरूर जाता है। बड़ा आदमी बड़े अस्पताल जाता है, जबकि छोटा आदमी किसी भी खैराती अस्पताल में इलाज करवाकर स्वस्थ हो जाता है। ज्यादातर लोग बिना दवा के ठीक होते हैं और श्रेय डॉक्टर को मिलता है। जिन मरीजों को ठीक नहीं होना होता वे किसी भी डॉक्टर से ठीक नहीं होते और सीधे मृत्यु को प्राप्त होते हैं जिस
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